सीमावर्ती राजवंश
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप सीमावर्ती राजवंशों का उदय की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Simavarti rajvansh in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Simavarti rajvansho ka uday विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Rise of frontier dynasties की जानकारी निम्नवत है ।
पालवंश
⦿ पालवंश का संस्थापक गोपाल ( 750 ई . ) था । इस वंश की राजधानी मुंगेर थी ।
⦿ गोपाल बौद्ध धर्म का अनुयायी था । इसने ओदन्तपुरी विश्वविद्यालय की स्थापना की थी ।
⦿ पालवंश के प्रमुख शासक थे — धर्मपाल , देवपाल , नारायणपाल , महिपाल , नयपाल आदि ।
⦿ पालवंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था , जिसने विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना की थी ।
⦿ कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष पालवंश , गुर्जर प्रतिहार वंश एवं राष्ट्रकूट वंश के बीच हुआ । इसमें पालवंश की ओर से सर्वप्रथम धर्मपाल शामिल हुआ था ।
⦿ ग्यारहवीं सदी के गुजराती कवि सोठ्ठल ने धर्मपाल को ' उत्तरापथ स्वामी ' की उपाधि से संबोधित किया है । सोमपुर महाविहार का निर्माण धर्मपाल ने करवाया था ।
⦿ ओदन्तपुरी ( बिहार ) के प्रसिद्ध बौद्धमठ का निर्माण देवपाल ने करवाया था ।
⦿ जावा के शैलेन्द्रवंशी शासक बालपुत्र देव के अनुरोध पर देवपाल ने उसे नालंदा में एक बौद्धविहार बनवाने के लिए पाँच गाँव दान में दिए थे ।
⦿ गौड़ीरीति नामक साहित्यिक विद्या का विकास पाल शासकों के समय में हुआ ।
⦿ पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे ।
सेनवंश
⦿ सेनवंश की स्थापना सामन्त सेन ने राढ़ में की थी ।
⦿ इसकी राजधानी नदिया ( लखनौती ) थी ।
⦿ सेनवंश के प्रमुख शासक विजयसेन , बल्लाल सेन एवं लक्ष्मण सेन थे ।
⦿ सेनवंश का प्रथम स्वतंत्र शासक विजयसेन था , जो शैवधर्म का अनुयायी था ।
⦿ दानसागर एवं अद्भूत सागर नामक ग्रंथ की रचना सेन शासक बल्लालसेन ने की थी । अद्भुत सागर को लक्ष्मण सेन ने पूर्णरूप दिया था ।
⦿ लक्ष्मण सेन की राज्यसभा में गीतगोविन्द के लेखक जयदेव , पवनदूत के लेखक धोयी एवं ब्राह्मणसर्वस्व के लेखक हलायुद्ध रहते थे ।
⦿ हलायुद्ध लक्ष्मण सेन का प्रधान न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री था ।
⦿ विजयसेन ने देवपाड़ा में प्रद्युम्नेश्वर मंदिर ( शिव की विशाल मंदिर ) की स्थापना की ।
⦿ सेन राजवंश प्रथम राजवंश था , जिसने अपना अभिलेख सर्वप्रथम हिन्दी में उत्कीर्ण करवाया ।
⦿ लक्ष्मण सेन बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक था ।
कश्मीर के राजवंश
⦿ कश्मीर पर शासन करनेवाले शासक वंश कालक्रम से इस प्रकार थे - कार्कोट वंश , उत्पल वंश , लोहार वंश ।
⦿ 627 ई . में दुर्लभवर्द्धन नामक व्यक्ति ने कश्मीर में कार्कोट वंश ( हिंदू वंश ) की स्थापना की थी । ह्वेनसांग ने उसके शासनकाल में कश्मीर की यात्रा की ।
⦿ कार्कोट वंश का सबसे शक्तिशाली राजा ललितादित्य मुक्तापीड था ।
⦿ कश्मीर का मात्र्तण्ड-मंदिर का निर्माण ललितादित्य मुक्तापीड के द्वारा करवाया गया था ।
⦿ कार्कोट वंश के बाद कश्मीर पर उत्पल वंश का शासन हुआ । इस वंश का संस्थापक अवन्तिवर्मन था । अवन्तिपुर नामक नगर की स्थापना अवन्तिवर्मन ने की थी ।
⦿ अवन्तिवर्मन के अभियन्ता सूय्य ने सिंचाई के लिए नहरों का निर्माण करवाया ।
⦿ 980 ई . में उत्पलवंश की रानी दिद्दा एक महत्वाकांक्षिणी शासिका हुई ।
⦿ उत्पल वंश के बाद कश्मीर पर लोहारवंश का शासन हुआ ।
⦿ लोहारवंश का संस्थापक संग्रामराज था । संग्रामराज के बाद अनन्त राजा हुआ । इसकी पत्नी सूर्यमती ने प्रशासन को सुधारने में उसकी सहायता की ।
⦿ लोहार वंश का शासक हर्ष विद्वान , कवि तथा कई भाषाओं का ज्ञाता था ।
⦿ कल्हण हर्ष का आश्रित कवि था ।
⦿ जयसिंह लोहार वंश का अन्तिम शासक था , जिसने 1128 ई . से 1155 ई . तक शासन किया । जयसिंह के शासन के साथ ही कल्हण की राजतरंगिणी का विवरण समाप्त हो जाता है ।
कामरूप का वर्मन वंश
⦿ चौथी शताब्दी के मध्य कामरूप में वर्मनवंश का उदय हुआ । इस वंश की प्रतिष्ठा का संस्थापक पुष्यवर्मन था । इसकी राजधानी प्रागज्योतिष नामक स्थान पर थी ।
⦿ कालान्तर में कामरूप पाल साम्राज्य का एक अंग बन गया ।
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