सल्तनत काल गुलाम वंश
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गुलाम वंश
⦿ गुलाम वंश की स्थापना 1206 ई . में कुतबुद्दीन ऐबक ने किया था वह गौरी का गुलाम था ।
नोट : गुलामों को फारसी में बंदगाँ कहा जाता है तथा इन्हें सैनिक सेवा के लिए खरीदा जाता था । |
⦿ कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपना राज्याभिषेक 24 जून , 1206 को किया था । कुतुबुद्दीन ऐबक ने अपनी राजधानी लाहौर में बनायी थी ।
⦿ कुतुबमीनार की नींव कुतुबुद्दीन ऐबक ने डाली थी ।
⦿ दिल्ली का कुवत - उल - इस्लाम मस्जिद एवं अजमेर का ढाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण ऐबक ने करवाया था । कुतुबुद्दीन ऐबक को लाख बख्श ( लाखों का दान देनेवाला ) भी कहा जाता था ।
⦿ प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को ध्वस्त करने वाला ऐबक का सहायक सेनानायक बख्तियार खिलजी था ।
⦿ ऐबक की मृत्यु 1210 ई . में चौगान खेलते समय घोड़े से गिरकर हो गयी । इसे लाहौर में दफनाया गया ।
⦿ ऐबक का उत्तराधिकारी आरामशाह हुआ , जिसने सिर्फ आठ महीनों तक शासन किया ।
⦿ आरामशाह की हत्या करके इल्तुतमिश 1211 ई . में दिल्ली की गद्दी पर बैठा ।
इल्तुतमिश के महत्वपूर्ण कार्य 1 . कुतुबमीनार के निर्माण को पूर्ण करवाया । 2 . सबसे पहले शुद्ध अरबी सिक्के जारी किए । ( चाँदी का टंका एवं ताँबा का जीतल ) 3 . इक्ता प्रणाली चलाई । 4 . चालीस गुलाम सरदारों का संगठन बनाया , जो तुनि - ए चिहलगानी के नाम से जाना गया । 5 . सर्वप्रथम दिल्ली के अमीरों का दमन किया । |
⦿ इल्तुतमिश तुर्किस्तान का इल्बरी तुर्क था , जो ऐबक का गुलाम एवं दामाद था । ऐबक की मृत्यु के समय वह बदायूँ का गवर्नर था ।
⦿ इल्तुतमिश लाहौर से राजधानी को स्थानान्तरित करके दिल्ली लाया । इसने हौज - ए - सुल्तानी का निर्माण देहली - ए - कुहना के निकट करवाया था ।
⦿ इल्तुतमिश पहला शासक था , जिसने 1229 ई . में बगदाद के खलीफा से सुल्तान पद की वैधानिक स्वीकृति प्राप्त की ।
⦿ इल्तुतमिश की मृत्यु अप्रैल , 1236 ई . में हो गयी ।
⦿ चंगेज खाँ से बचने के लिए ख्वारिज्म के सम्राट जलालुद्दीन को इल्तुतमिश ने अपने यहाँ शरण नहीं दी थी ।
⦿ इल्तुतमिश के बाद उसका पुत्र रुकनुद्दीन फिरोज गद्दी पर बैठा , वह एक अयोग्य शासक था । इसके अल्पकालीन शासन पर उसकी माँ शाह तुरकान छाई रही ।
⦿ शाह तुरकान के अवांछित प्रभाव से परेशान होकर तुर्की अमीरो ने रुकनुद्दीन को हटाकर रजिया को सिंहासन पर आसीन किया । इस प्रकार रजिया बेगम प्रथम मुस्लिम महिला थी , जिसने शासन की बागडोर सँभाली ।
⦿ रजिया ने पर्दाप्रथा का त्यागकर तथा पुरुषों की तरह चोगा ( काबा ) एवं कुलाह ( टोपी ) पहनकर राजदरबार में खुले मुँह से जाने लगी ।
⦿ रज़िया ने मलिक जमालुद्दीन याकूत को अमीर - ए - अखूर ( घोड़े का सरदार ) नियुक्त किया ।
⦿ गैर तुर्कों को सामंत बनाने के रज़िया के प्रयासों से तुर्की अमीर विरुद्ध हो गए और उसे बंदी बनाकर दिल्ली की गद्दी पर मुइजुद्दीन बहरामशाह को बैठा दिया ।
⦿ रज़िया की शादी अल्तुनिया के साथ हुई । इससे शादी करने के बाद रज़िया ने पुनः गद्दी प्राप्त करने का प्रयास किया , लेकिन वह असफल रही । रज़िया की हत्या 13 अक्टूबर , 1240 ई . को डाकुओं के द्वारा कैथल के पास कर दी गई ।
⦿ बहराम शाह को बंदी बनाकर उसकी हत्या मई , 1242 ई . में कर दी गई । उसके बाद दिल्ली का सुल्तान अलाउद्दीन मसूद शाह बना ।
⦿ बलबन ने षड्यंत्र के द्वारा 1246 ई . में अलाउद्दीन मसूद शाह को सुल्तान के पद से हटाकर नासिरुद्दीन महमूद को सुल्तान बना दिया ।
⦿ नासिरुद्दीन महमूद ऐसा सुल्तान था जो टोपी सीकर अपना जीवन निर्वाह करता था ।
⦿ बलबन ने अपनी पुत्री का विवाह नासिरुद्दीन महमूद के साथ किया था ।
⦿ बलबन का वास्तविक नाम बहाउद्दीन था । वह इल्तुतमिश का गुलाम था । तुर्कान - ए - चिहलगानी का विनाश बलबन ने किया था ।
⦿ बलबन 1266 ई . में गियासुद्दीन बलबन के नाम से दिल्ली की गद्दी पर बैठा । यह मंगोलों के आक्रमण से दिल्ली की रक्षा करने में सफल रहा ।
⦿ राजदरबार में सिजदा एवं पैबोस प्रथा की शुरुआत बलबन ने की थी ।
⦿ बलबन ने फारसी रीति - रिवाज पर आधारित नवरोज उत्सव को प्रारंभ करवाया ।
⦿ अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर ' लौह एवं रक्त' की नीति का पालन किया ।
⦿ नासिरुद्दीन महमूद ने बलबन को उलूग खाँ की उपाधि प्रदान की ।
⦿ बलबन के दरबार में फारसी के प्रसिद्ध कवि अमीर खुसरो एवं अमीर हसन रहते थे ।
⦿ गुलाम वंश का अंतिम शासक शम्मुद्दीन कैमुर्स था ।
मंगोल मंगोल चीन के उत्तर में गोबी के रेगिस्तान के निवासी थे । वह एक घूमने - फिरने वाली अर्द्धसभ्य जाति थी तथा उनका मुख्य पेशा घोड़ों और अन्य पशुओं का पालन करना था । वे बहुत गन्दे रहते थे तथा सभी प्रकार का माँस खाते थे । उनमें स्त्री - विषयक नैतिकता का सर्वथा अभाव था यद्यपि माँ का सम्मान करते थे । वे विभिन्न कबीलों में बँटे थे , उन्हीं कबीलों में से एक में 1163 ई . तेमूचिन उर्फ चंगेज खाँ का जन्म हुआ जिसे महान ( Chengiz the great ) और श्रापित ( The Accursed ) दोनों पुकारा गया । इसका पिता येसूगाई बहादुर था । |
खिलजी वंश : 1290 से 1320 ई .
⦿ गुलाम वंश के शासन को समाप्त कर 13 जून , 1290 ई . को जलालुद्दीन फिरोज खिलजी ने खिलजी वंश की स्थापना की ।
⦿ इसने किलोखरी को अपनी राजधानी बनाया ।
⦿ जलालुद्दीन की हत्या 1296 ई . में उसके भतीजा एवं दामाद अलाउद्दीन खिलजी ने कड़ामानिकपुर ( इलाहाबाद ) में कर दी ।
⦿ 22 अक्टू 1296 में अलाउद्दीन दिल्ली का सुल्तान बना ।
⦿ अलाउद्दीन के बचपन का नाम अली तथा गुरशास्प था ।
⦿ अलाउद्दीन खिलजी ने सेना को नकद वेतन देने एवं स्थायी सेना की नींव रखी । दिल्ली के शासकों में अलाउद्दीन खिलजी के पास सबसे विशाल स्थायी सेना थी ।
⦿ घोड़ा दागने एवं सैनिकों का हुलिया लिखने की प्रथा की शुरुआत अलाउद्दीन खिलजी ने की ।
⦿ अलाउद्दीन ने भूराजस्व की दर को बढ़ाकर उपज का 1 / 2 भाग कर दिया ।
⦿ इसने खम्स ( लूट का धन ) में सुल्तान का हिस्सा 1 / 4 भाग के स्थान पर 3 / 4 भाग कर दिया ।
⦿ इसने व्यापारियों में बेईमानी रोकने के लिए कम तौलने वाले व्यक्ति के शरीर से मांस काट लेने का आदेश दिया । इसने अपने शासनकाल में ' मूल्य नियंत्रण प्रणाली ' को दृढ़ता से लागु किया ।
⦿ दक्षिण भारत की विजय के लिए अलाउद्दीन ने मलिक काफूर को भेजा ।
⦿ जमैयत खाना मस्जिद , अलाई दरवाजा , सीरी का किला तथा हजार खम्भा महल का निर्माण अलाउद्दीन खिलजी ने करवाया था ।
⦿ अलाई दरवाजा को इस्लामी वास्तुकला का रत्न कहा जाता है ।
⦿ दैवी अधिकार के सिद्धान्त को अलाउद्दीन ने चलाया था ।
⦿ सिकन्दर - ए - सानी की उपाधि से स्वयं को अलाउद्दीन खिलजी ने विभूषित किया ।
⦿ अलाउद्दीन ने मलिक याकूब को दीवान - ए - रियासत नियुक्त किया था ।
⦿ अलाउद्दीन द्वारा नियुक्त परवाना - नवीस नामक अधिकारी वस्तुओं की परमिट जारी करता था ।
⦿ शहना - ए - मंडी यहाँ खाद्यान्नों को बिक्री हेतु लाया जाता था । सराए - ए - अदल – यहाँ वस्त्र , शक्कर , जड़ी - बूटी , मेवा , दीपक का तेल एवं अन्य निर्मित वस्तुएँ बिकने के लिए आती थीं ।
⦿ अलाउद्दीन खिलजी की आर्थिक नीति की व्यापक जानकारी जियाउद्दीन बरनी की कृति तारीखे फिरोजशाही से मिलती है ।
⦿ खजाइनुल - फतूह - अमीर खुसरो , रिहला - इब्न बतूता एवं फुतूहस्सलातीन - इसामी की कृति है ।
⦿ मूल्य नियंत्रण को सफल बनाने में मुहतसिब ( सेंसर ) एवं नाजिर ( नाप - तौल अधिकारी ) की महत्वपूर्ण भूमिका थी ।
⦿ राजस्व सुधारों के अन्तर्गत अलाउद्दीन ने सर्वप्रथम मिल्क , इनाम एवं वक्फ के अन्तर्गत दी गयी भूमि को वापस लेकर उसे खालसा भूमि में बदल दिया ।
अमीर खुसरो का मूल नाम मुहम्मद हसन था । उसका जन्म पटियाली ( पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बदायूँ के पास ) में 1253 ई . में हुआ था । खुसरो प्रसिद्ध सूफी संत शेख निजामुद्दीन औलिया के शिष्य थे । वह बलबन से लेकर मुहम्मद तुगलक तक दिल्ली सुल्तानों के दरबार में रहे । इन्हें तुतिए हिन्द ( भारत का तोता ) के नाम से भी जाना जाता है । सितार एवं तबले - के आविष्कार का श्रेय अमीर - खुसरो को ही दिया जाता है । |
⦿ अलाउद्दीन खिलजी के द्वारा लगाये जानेवाले दो नवीन कर थे - 1 . चराई कर : दुधारू पशुओं पर लगाया जाता था , 2 . गढ़ी कर : घरों एवं झोपड़ी पर लगाया जाता था ।
⦿ अलाउद्दीन खिलजी के शासन काल में 1297 से 1306 ई . तक मंगोलों के छः आक्रमण हुए । प्रथम आक्रमण 1297 ई . में कादर खाँ के नेतृत्व में , दूसरा आक्रमण 1298 ई . में सल्दी के नेतृत्व में , तीसरा आक्रमण 1299 ई . में कुतलुग ख्वाजा के नेतृत्व में , चौथा आक्रमण 1303 ई . में तार्गी के नेतृत्व में , पाँचवां आक्रमण 1305ई . में अलीबेग और तार्ताक के नेतृत्व में एवं छठा आक्रमण 1306ई . में कबक एवं इकबालमन्द के नेतृत्व में हुआ ।
⦿ अलाउद्दीन खिलजी की मृत्यु 5 जनवरी , 1316 ई . को हो गयी ।
⦿ कुतुबुद्दीन मुबारक खिलजी 1316 ई . को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा । इसे नग्न स्त्री , पुरुष की संगत पसन्द थी ।
⦿ मुबारक खिलजी कभी - कभी राजदरबार में स्त्रियों का वस्त्र पहनकर आ जाता था । बरनी के अनुसार मुबारक कभी - कभी नग्न होकर दरबारियों के बीच दौड़ा करता था ।
⦿ मुबारक खाँ ने खलीफा की उपाधि धारण की थी ।
⦿ मुबारक के वजीर खुशरों खाँ ने 15 अप्रैल , 1320 ई . को इसकी हत्या कर दी और स्वयं दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
⦿ खुशरों खाँ ने पैगम्बर के सेनापति की उपाधि धारण की ।
बाजार-नियंत्रण करने के लिए अलाउद्दीन खिलजी द्वारा बनाए जाने वाले नवीन पद ( क्रमानुसार ) - दीवान - ए - रियासत : यह व्यापारियों पर नियंत्रण रखता था । यह बाजार - नियंत्रण की पूरी व्यवस्था का संचालन करता था । शहना - ए - मंडी : प्रत्येक बाजार में बाजार का अधीक्षक । बरीद : बाजार के अन्दर घूमकर बाजार का निरीक्षण करता था । मुनहियान व गुप्तचर : गुप्त सूचना प्राप्त करता था । |
तुगलक वंश : 1320 - 1398 ई .
⦿ 5 सितम्बर , 1320ई . को खुशरों खाँ को पराजित करके गाजी मलिक या तुगलक गाजी , गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बर , 1320 ई . को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
⦿ गयासुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय में लिए गए अमीरों की भूमि को पुनः लौटा दिया ।
⦿ इसने सिंचाई के लिए कुएँ एवं नहरों का निर्माण करवाया । संभवतः नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था ।
⦿ गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर स्थापित किया । रोमन शैली में निर्मित इस नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ । इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता है ।
⦿ गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई . में बंगाल के अभियान से लौटते समय जूना खाँ द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गयी ।
⦿ गयासुद्दीन के बाद जूना खाँ मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
⦿ मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित , विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनाओं , क्रूर कृत्यों एवं दूसरे के सुख - दुख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशील , पागल एवं रक्तपिपासु कहा गया ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि के विकास के लिए ' अमीर - ए - कोही ' नामक एक नवीन विभाग की स्थापना की ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक ने अपनी राजधानी दिल्ली से देवगिरि में स्थानान्तरित की और इसका नाम दौलताबाद रखा ।
⦿ सांकेतिक मुद्रा के अन्तर्गत मुहम्मद बिन तुगलक ने काँसा ( फरिश्ता के अनुसार ) , ताँबा ( बरनी के अनुसार ) धातुओं के सिक्के चलवाए , जिनका मूल्य चाँदी के रुपए टंका के बराबर होता था । एडवर्ड थॉमस ने मुहम्मद बिन तुगलक को ' प्रिंस आफ मनीअर्स ' की संज्ञा दी ।
⦿ अफ्रीकी ( मोरक्को ) यात्री इब्न बतूता लगभग 1333 ई . में भारत आया । सुल्तान ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया । 1342 ई . में सुल्तान ने इसे अपने राजदूत के रूप में चीन भेजा ।
⦿ इब्नबतुता की पुस्तक रेहला में मुहम्मद तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन है । इसने अपनी पुस्तक में विदेशी व्यापारियों के आवागमन , डाक चौकियों की स्थापना यानी डाक व्यवस्था एवं गुप्तचर व्यवस्था के बारे में लिखा है ।
⦿ मुहम्मद तुगलक ने जिन प्रभा सूर नामक जैन साधु के साथ विचार - विमर्श किया था ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु 20 मार्च , 1351 ई . को सिन्ध जाते समय थट्टा के निकट गोडाल में हो गयी ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में दक्षिण में हरिहर एवं बुक्का नामक दो भाइयों ने 1336 ई . में स्वतंत्र राज्य विजयनगर की स्थापना की ।
⦿ महाराष्ट्र में अलाउद्दीन बहमन शाह ने 1347 ई . में स्वतंत्र बहमनी राज्य की स्थापना की ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु पर इतिहासकार बदायूँनी लिखता है , " अंततः लोगों को उससे मुक्ति मिली और उसे लोगों से " ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक शेख अलाउद्दीन का शिष्य था । वह सल्तनत का पहला शासक था , जो अजमेर में शेख मुइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह और बहराइच में सालार मसूद गाजी के मकबरे में गया ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक ने बदायूँ में मीरन मुलहीम , दिल्ली में शेख निज़ामुद्दीन औलिया , मुल्तान में शेख रुकनुद्दीन , अजुधन में शेख मुल्तान आदि संतों की कब्र पर मकबरे बनवाए ।
⦿ फिरोज तुगलक का राज्याभिषेक थट्टा के नजदीक 20 मार्च , 1351 का हुआ , पुनः फिरोज का राज्याभिषेक दिल्ली में अगस्त , 1351 को हुआ । खलीफा द्वारा इसे कासिम अमीर उल मोममीन की उपाधि दी गई ।
⦿ राजस्व व्यवस्था के अन्तर्गत फिरोज ने अपने शासनकाल में 24 कष्टदायक करों को समाप्त कर केवल चार कर - खराज ( लगान ) , खुम्स ( युद्ध में लूट का माल ) , जजिया एवं जकात को वसूल करने का आदेश दिया ।
⦿ फिरोज तुगलक ब्राह्मणों पर जज़िया लागू करने वाला पहला मुसलमान शासक था ।
⦿ फिरोज तुगलक ने एक नया कर सिंचाई कर भी लगाया , जो उपज का 1 / 10 भाग था ।
⦿ फिरोज तुगलक ने 5 बड़ी नहरों का निर्माण करवाया ।
⦿ फिरोज तुगलक ने 300 नये नगरों की स्थापना की । इनमें हिसार , फिरोजाबाद ( दिल्ली ) , फतेहाबाद , जौनपुर , फिरोजपुर प्रमुख हैं ।
⦿ इसके शासनकाल में खिज्राबाद (टोपरा गाँव) एवं मेरठ से अशोक के दो स्तम्भों को लाकर दिल्ली में स्थापित किया गया ।
⦿ सुल्तान फिरोज तुगलक ने अनाथ मुस्लिम महिलाओं , विधवाओं एवं लड़कियों की सहायता के लिए एक नए विभाग दीवान - ए खैरात की स्थापना की ।
⦿ सल्तनतकालीन सुल्तानों के शासनकाल में सबसे अधिक दासों की संख्या ( करीब - 1 , 80 , 000 ) फिरोज तुगलक के समय थी ।
⦿ दासों की देखभाल के लिए फिरोज ने एक नए विभाग दीवान - ए बंदगान की स्थापना की ।
⦿ इसने सैन्य पदों को वंशानुगत बना दिया ।
⦿ इसने अपनी आत्मकथा फतूहात - ए - फिरोजशाही की रचना की ।
⦿ इसने जियाउद्दीन बरनी एवं शम्स - ए - शिराज अफीफ को अपना संरक्षण प्रदान किया ।
⦿ इसने ज्वालामुखी मंदिर के पुस्तकालय से लूटे गए 1 , 300 ग्रंथों में से कुछ को फारसी में विद्वान अपाउद्दीन द्वारा ‘ दलायते - फिरोजशाही ' नाम से अनुवाद करवाया ।
⦿ इसने चाँदी एवं ताँबे के मिश्रण से निर्मित सिक्के भारी संख्या में जारी करवाए , जिसे अद्धा एवं विख कहा जाता था ।
⦿ फिरोज तुगलक की मृत्यु सितम्बर , 1388 ई . में हो गयी ।
⦿ फिरोज काल में निर्मित खान - ए - जहाँ तेलंगानी के मकबरा की तुलना जेरुसलम में निर्मित उमर के मस्जिद से की जाती है ।
⦿ सुल्तान फिरोज तुगलक ने दिल्ली में कोटला फिरोजशाह दुर्ग का निर्माण करवाया ।
⦿ तुगलक वंश का अंतिम शासक नासिरुद्दीन महमूद तुगलक था । इसका शासन दिल्ली से पालम तक ही रह गया था ।
⦿ तैमूरलंग ने सुल्तान नासिरुद्दीन महमूद तुगलक के समय 1398 ई .में दिल्ली पर आक्रमण किया ।
⦿ नासिरुद्दीन के समय में ही मलिकुशर्शक ( पूर्वाधिपति ) की उपाधि धारण कर एक हिजड़ा मलिक सरवर ने जौनपुर में एक स्वतंत्र राज्य की स्थापना की ।
मुहम्मद बिन तुगलक द्वारा क्रियान्वित क्रमशः चार योजनाएँ 1 . दोआब क्षेत्र में कर - वृद्धि ( 1326 - 1327 ई . ) 2 . राजधानी - परिवर्तन ( 1326 - 27 ई . ) 3 . सांकेतिक मुद्रा का प्रचलन ( 1329 - 30 ई . ) 4 . खुरासन एवं कराचिल का अभियान |
सैय्यद वंश : 1414 से 1451 ई .
⦿ सैय्यद वंश का संस्थापक था - खिज्र खाँ ।
⦿ इसने सुल्तान की उपाधि न धारण कर अपने को रैयत - ए - आला की उपाधि से ही खुश रखा ।
⦿ खिज्र खाँ तैमूरलंग का सेनापति था । भारत से लौटते समय तैमूरलंग ने खिज्र खाँ को मुल्तान , लाहौर एवं दिपालपुर का शासक नियुक्त किया ।
⦿ खिज्र खाँ नियमित रूप से तैमूर के पुत्र शाहरुख को कर भेजा करता था ।
⦿ खिज्र खाँ की मृत्यु 20 मई , 1421 ई . में हो गयी ।
⦿ खिज्र खाँ के पुत्र मुबारक खाँ ने शाह की उपाधि धारण की थी ।
⦿ याहिया बिन अहमद सरहिन्दी को मुबारक शाह का संरक्षण प्राप्त था । इसकी पुस्तक तारीख - ए - मुबारक शाही में सैय्यद वंश के विषय में जानकारी मिलती है ।
⦿ यमुना के किनारे मुबारकाबाद की स्थापना मुबारक शाह ने की थी ।
⦿ सैय्यद वंश का अंतिम सुल्तान अलाउद्दीन आलम शाह था ।
⦿ सैय्यद वंश का शासन करीब 37 वर्षों तक रहा ।
लोदी वंश : 1451 से 1526 ई .
⦿ लोदी वंश का संस्थापक बहलोल लोदी था । वह 19 अप्रैल , 1451 को ' बहलोल शाहगाजी ' की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
⦿ दिल्ली पर प्रथम अफगान राज्य की स्थापना का श्रेय बहलोल लोदी को दिया जाता है ।
⦿ बहलोल लोदी ने बहलोल सिक्के का प्रचलन करवाया ।
⦿ वह अपने सरदारों को ' मकसद - ए - अली ' कहकर पुकारता था ।
⦿ वह अपने सरदारों के खड़े रहने पर स्वयं भी खड़ा रहता था ।
⦿ बहलोल लोदी का पुत्र निजाम खाँ 17 जुलाई , 1489 ई . में ' सुल्तान सिकन्दर शाह ' की उपाधि से दिल्ली के सिंहासन पर बैठा ।
⦿ 1504 ई . में सिकन्दर लोदी ने आगरा शहर की स्थापना की ।
⦿ भूमि के लिए मापन के प्रामाणिक पैमाना गजे सिकन्दरी का प्रचलन सिकन्दर लोदी ने किया ।
⦿ ' गुलरुखी ' शीर्षक से फारसी कविताएँ लिखने वाला सुल्तान सिकन्दर लोदी था ।
⦿ सिकन्दर लोदी ने आगरा को अपनी नई राजधानी बनाया । इसके आदेश पर संस्कृत के एक आयुर्वेद ग्रंथ का फारसी में फरहंगे सिकन्दरी के नाम से अनुवाद हुआ । इसने नगरकोट के ज्वालामुखी मंदिर की मर्ति को तोड़कर उसके टुकड़ों को कसाइयों को मास तौलने के लिए दे दिया था । इसने मुसलमानों को ताजिया निकालने एवं मुसलमान स्त्रियों को पीरों तथा संतों के मजार पर जाने पर प्रतिबंध लगा दिया ।
⦿ गले की बीमारी के कारण सिकन्दर लोदी की मृत्यु 21 नवम्बर , 1517 ई . को हो गयी । इसी दिन इसका पुत्र इब्राहिम ' इब्राहिम शाह ' की उपाधि से आगरा के सिंहासन पर बैठा ।
⦿ 21 अप्रैल , 1526 ई . को पानीपत के प्रथम युद्ध में इब्राहिम लोदी बाबर से हार गया । इस युद्ध में वह मारा गया ।
⦿ बाबर को भारत पर आक्रमण के लिए निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खाँ लोदी एवं इब्राहिम लोदी के चाचा आलम खाँ ने दिया था ।
⦿ मोठ की मस्जिद का निर्माण सिकन्दर लोदी के वजीर द्वारा करवाया गया था ।
सल्तनतकालीन शासन - व्यवस्था
⦿ केन्द्रीय प्रशासन का मुखिया - सुल्तान ।
⦿ बलबन एवं अलाउद्दीन के समय अमीर प्रभावहीन हो गए ।
⦿ अमीरों का महत्त्व चरमोत्कर्ष पर था – लोदी वंश के शासनकाल में ।
⦿ सल्तनतकाल में मंत्रिपरिषद को मजलिस - ए - खलवत कहा गया ।
⦿ मजलिस - ए - खास में मजलिस - ए - खलवत की बैठक होती थी ।
⦿ बार - ए - खास : इसमें सुल्तान सभी दरबारियों , खानों , अमीरों , मालिकों और अन्य रइसों को बुलाता था ।
⦿ बार - ए - आजम : सुल्तान राजकीय कार्यों का अधिकांश भाग पूरा करता था ।
मंत्री एवं उससे संबंधित विभाग
मंत्री | संबंधित विभाग |
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वजीर ( प्रधानमंत्री ) | राजस्व विभाग का प्रमुख |
मुशरिफ - ए - मुमालिक ( महालेखाकार ) | प्रांतों एवं अन्य विभागों से प्राप्त आय एवं व्यय का लेखा-जोखा |
मजमुआदर | उधार दिए गए धन का हिसाब रखना |
खजीन | कोषाध्यक्ष |
आरिज - ए - मुमालिक | दीवान - ए - अर्ज अथवा सैन्य विभाग का प्रमुख अधिकारी |
सद्र - उस - सुदूर | धर्म विभाग एवं दान विभाग का प्रमुख |
काजी - उल् - कजात | सुल्तान के बाद न्याय का सर्वोच्च अधिकारी |
बरीद - ए - मुमालिक | गुप्तचर विभाग का प्रमुख अधिकारी |
वकील - ए - दर | सुल्तान की व्यक्तिगत सेवाओं की देखभाल करता था |
दीवान - ए - खैरात | दान विभाग |
दीवान - ए - बंदगान | दास विभाग |
दीवान - ए - इस्तिहाक | पेंशन विभाग |
विभाग | बनाने वाला सुल्तान |
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दीवान - ए - मुस्तखराज ( वित्त विभाग ) | अलाउद्दीन खिलजी |
दीवान - ए - कोही ( कृषि विभाग ) | मुहम्मद बिन तुगलक |
दीवान - ए - अर्ज ( सैन्य विभाग ) | बलबन |
दीवान - ए - बंदगान | फिरोजशाह तुगलक |
दीवान - ए - खैरात | फिरोजशाह तुगलक |
दीवान - ए - इस्तिहाक | फिरोजशाह तुगलक |
⦿ दिल्ली सल्तनत अनेक प्रांतों में बँटा हुआ था , जिसे इक्ता या सुबा कहा जाता था । यहाँ का शासन नायब या वली या मुक्ति द्वारा संचालित होता था ।
⦿ इक्ताओं को शिको ( जिलो ) में विभाजित किया गया था । जहाँ का प्रमुख अधिकारी शिकदार होता था , जो एक सैनिक अधिकारी था ।
राजस्व ( कर ) व्यवस्था
उश्र : मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर । खराज : गैर - मुसलमानों से लिया जाने वाला भूमि कर । जकात : मुसलमानों पर धार्मिक कर । ( सम्पत्ति का 40वाँ हिस्सा ) जजिया : गैर - मुसलमानों पर धार्मिक कर । |
नोट : खम्स -यह लूटे हुए धन , खानों अथवा भूमि में गड़े हुए खजानों से प्राप्त सम्पत्ति का 1 / 5 भाग था जिसपर सुल्तान का अधिकार था तथा शेष 4 / 5 भाग पर उसके सैनिकों अथवा खजाने को प्राप्त करने वाले व्यक्ति का अधिकार होता था , परंतु फिरोज तुगलक को छोड़कर अन्य सभी शासकों ने 4 / 5 हिस्सा स्वयं अपने लिये रखा । सुल्तान सिकन्दर लोदी ने गड़े हुए खजानों में से कोई हिस्सा नहीं लिया । |
⦿ शिकों को परगनों में विभाजित किया गया था । आमिल परगने का मुख्य अधिकारी था और मुशरिफ लगान को निश्चित करने वाला अधिकारी ।
⦿ एक शहर या 100 गाँवों के शासन की देख - रेख अमीर - ए - सदा नामक अधिकारी करता था ।
⦿ प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम होता था ।
⦿ सुल्तान की स्थायी सेना को खासखेल नाम दिया गया था ।
⦿ मंगोल सेना के वर्गीकरण की दशमलव प्रणाली को सल्तनतकालीन सैन्य व्यवस्था का आधार बनाया गया था ।
दस अश्वारोही = 1 सर - ए - खेल दस सर - ए - खेल = 1 सिपहसालार दस सिपहसालार = 1 अमीर दस अमीर = 1 मलिक दस मलिक = 1 खान |
⦿ सल्तनत काल में बारूद की सहायता से गोला फेंकने वाली मशीन को ' मंगलीक ' तथा ' अर्राद ' कहा जाता था ।
⦿ अलाउद्दीन खिलजी ने इक्ता प्रथा को समाप्त किया था ।
⦿ इक्ता प्रथा की दुबारा शुरुआत फिरोज तुगलक ने की थी ।
⦿ सल्तनत काल में अच्छी नस्ल के घोड़े तुर्की , अरब एवं रूस से मँगाए जाते थे । हाथी मुख्यतः बंगाल से मँगाए जाते थे ।
⦿ सल्तनतकालीन कानून शरीयत , कुरान एवं हदीस पर आधारित था । मुस्लिम कानून के चार महत्वपूर्ण स्रोत थे - कुरान , हदीस , इजमा एवं कयास ।
⦿ सुल्तान सप्ताह में दो बार दरबार में न्याय करने के लिए उपस्थित होता था ।
⦿ सल्तनत काल में लगान निर्धारित करने की मिश्रित प्रणाली को मुक्ताई कहा गया है ।
⦿ भूमि की नाप - जोख करने के बाद क्षेत्रफल के आधार पर लगान का निर्धारण मसाहत कहलाता था । इसकी शुरुआत अलाउद्दीन ने की ।
⦿ पूर्णतः केन्द्र के नियंत्रण में रहने वाली भूमि खालसा भूमि कहलाती थी ।
⦿ अलाउद्दीन ने दान दी गई अधिकांश भूमि को छीनकर खालसा भूमि में परिवर्तित कर दिया ।
⦿ देवल सल्तनत काल में अन्तरराष्ट्रीय बन्दरगाह के रूप में प्रसिद्ध था ।
स्थान | प्रसिद्धि के कारण |
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सरसुती | अच्छी किस्म के चावल के लिए |
अन्हिवाड़ा | व्यापारियों का तीर्थ स्थल के रूप में |
सतगाँव | रेशमी रजाइयों के लिए |
आगरा | नील उत्पादन के लिए |
बनारस | सोने - चाँदी व जड़ी काम के लिए |
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