मुगल साम्राज्य
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप मुगल साम्राज्य की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Mughal samrajya in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Mughal samrajya विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Mughal Empire की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ मुगल वंश का संस्थापक बाबर था । बाबर एवं उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे । बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की , जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था ।
बाबर ( 1526 - 1530 ई . )
⦿ बाबर का जन्म फरवरी , 1483 ई . में हुआ था । इसके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे । बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून , 1494 ई . में बैठा ।
⦿ बाबर ने 1507 ई . में बादशाह की उपाधि धारण की , जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी । बाबर के चार पुत्र थे - हुमायूँ , कामरान , असकरी तथा हिंदाल ।
⦿ बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया । बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई . में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था । इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया ।
⦿ पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुगलमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था । उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे , जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था ।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध
युद्ध
वर्ष
पक्ष
परिणाम
पानीपत का प्रथम युद्ध
21 अप्रैल , 1526
इब्राहिम लोदी व बाबर
बाबर विजयी
खानवा का युद्ध
17 मार्च , 1527
राणा साँगा एवं बाबर
बाबर विजयी
चन्देरी का युद्ध
29 जनवरी , 1528
मेदनी राय एवं बाबर
बाबर विजयी
घाघरा का युद्ध
6 मई , 1529
अफगानों एवं बाबर
बाबर विजयी
⦿ इब्राहिम लोदी मध्यकाल का प्रथम शासक था जो युद्धस्थल में मारा गया । इसके साथ उसका मित्र ग्वालियर के राजा विक्रमजीत भी युद्धस्थल में मारा गया ।
नोट : हमायूँ ने कोहिनूर हीरा ग्वालियर के दिवंगत राजा विक्रमजीत के परिवार से प्राप्त किया था ।
⦿ बाबर को अपनी उदारता के लिए कलन्दर की उपाधि दी गयी ।
⦿ खानवा युद्ध में बाबर ने राणा साँगा के खिलाफ जिहाद का नारा दिया और युद्ध में विजय के बाद गाजी की उपाधि धारण की ।
⦿ 30 जनवरी , 1528 ई . को जहर दे देने के कारण राणा साँगा की मृत्यु हो गई ।
⦿ बाबर ने बंगाल के शासक नुसरतशाह के साथ 6 मई , 1529 को एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने का वादा करते हुए एक संधि की जिसके अनुसार नुसरतशाह ने अफगान विद्रोहियों को शरण न देने का वचन दिया ।
⦿ करीब 48 वर्ष की आयु में 26 दिसम्बर , 1530 ई . को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गयी ।
⦿ प्रारंभ में बाबर के शव को आगरा के आरामबाग में दफनाया गया , बाद में काबुल में उसके द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया ।
⦿ बाबर की मातृभाषा तुर्की थी लेकिन वह अरबी और फारसी का भी अच्छा ज्ञाता था । बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा ( तुर्की में ) की रचना की , जिसका अनुवाद बाद में फारसी भाषा में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया । अपनी आत्मकथा में बाबर ने औपचारिक बागों की योजनाओं और उनके बनाने में अपनी रुचि का वर्णन किया है । अकसर ये बाग दीवार से घिरे होते थे तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे । चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ये चार बाग कहलाते थे ।
नोट : चार बाग बनाने की परम्परा की शुरुआत अकबर के समय से हुई ।
⦿ बाबर को मुबईयान नामक पद्यशैली का भी जन्मदाता माना जाता है ।
⦿ बाबर प्रसिद्ध नक्शबन्दी सूफी ख्वाजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था । बाबर का उत्तराधिकारी हुमांयू हुआ ।
हुमायूँ ( 1530 - 1556 ई . )
⦿ नसीरुद्दीन हुमायूँ , 29 दिसम्बर , 1530 ई . को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा । गद्दी पर बैठने से पहले हुमांयू बदख्शाँ का सूबेदार था ।
⦿ अपने पिता के निर्देश के अनुसार हुमायूँ ने अपने राज्य का बँटवारा अपने भाइयों में कर दिया । इसने कामरान को काबुल और कंधार , मिर्जा असकरी को संभल , मिर्जा हिंदाल को अलवर एवं मेवाड़ की जागीरें दीं । अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हुमायूँ ने बदख्शाँ प्रदेश दिया ।
⦿ 1533 ई . में हुमायूँ ने दीनपनाह नामक नए नगर की स्थापना की थी ।
⦿ चौसा का युद्ध 25 जून , 1539 ई . में शेर खाँ एवं हमायूँ के बीच हुआ । इस युद्ध में शेर खाँ विजयी रहा । इसी युद्ध के बाद शेर खाँ ने शेरशाह की पदवी ग्रहण कर ली ।
⦿ बिलग्राम या कन्नौज युद्ध 17 मई , 1540 ई . में शेर खाँ एवं हुमायूँ के बीच हुआ इस युद्ध में भी हुमायूँ पराजित हुआ । शेर खाँ ने आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया ।
⦿ बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूँ सिन्ध चला गया , जहाँ उसने 15 वर्षों तक घुमक्कड़ों जैसा निर्वासित जीवन व्यतीत किया ।
⦿ निर्वासन के समय हुमायूँ ने हिन्दाल के आध्यात्मिक गुरु फारसवासी शिया मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानू बेगम से 29 अगस्त , 1541 ई . को निकाह कर लिया । कालान्तर में हमीदा से ही अकबर जैसे महान सम्राट् का जन्म हुआ ।
⦿ 1555 ई . में हुमायूँ ने पंजाब के शूरी शासक सिकन्दर को पराजित कर पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठा ।
⦿ हुमायूँ द्वारा लड़े गए चार प्रमुख युद्धों का क्रम है - देवरा ( 1531 ई . ) , चौसा ( 1539 ) , बिलग्राम ( 1540 ) एवं सरहिन्द का युद्ध ( 1555 ई . ) ।
⦿ 1 जनवरी , 1556 ई . को दीन पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय ( शेर मंडल ) की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी ।
⦿ हमायूँ के बारे में इतिहासकार लेनपूल ने कहा है कि “ हुमांयू गिरते - पड़ते इस जीवन से मुक्त हो गया ठीक उसी तरह जिस तरह तमाम जिन्दगी वह गिरते - पड़ते चलता रहा था । "
⦿ हुमायूँनामा की रचना गुल - बदन बेगम ने की थी ।
⦿ हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास करता था , इसलिए इसने सप्ताह के सातों दिन सात रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए ।
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप मुगल साम्राज्य की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Mughal samrajya in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Mughal samrajya विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Mughal Empire की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ मुगल वंश का संस्थापक बाबर था । बाबर एवं उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे । बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद-पादशाही की स्थापना की , जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था ।
बाबर ( 1526 - 1530 ई . )
⦿ बाबर का जन्म फरवरी , 1483 ई . में हुआ था । इसके पिता उमरशेख मिर्जा फरगाना नामक छोटे राज्य के शासक थे । बाबर फरगाना की गद्दी पर 8 जून , 1494 ई . में बैठा ।
⦿ बाबर ने 1507 ई . में बादशाह की उपाधि धारण की , जिसे अब तक किसी तैमूर शासक ने धारण नहीं की थी । बाबर के चार पुत्र थे - हुमायूँ , कामरान , असकरी तथा हिंदाल ।
⦿ बाबर ने भारत पर पाँच बार आक्रमण किया । बाबर का भारत के विरुद्ध किया गया प्रथम अभियान 1519 ई . में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था । इस अभियान में बाबर ने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में कर लिया ।
⦿ पानीपत के प्रथम युद्ध में बाबर ने पहली बार तुगलमा युद्ध नीति एवं तोपखाने का प्रयोग किया था । उस्ताद अली एवं मुस्तफा बाबर के दो प्रसिद्ध निशानेबाज थे , जिसने पानीपत के प्रथम युद्ध में भाग लिया था ।
बाबर द्वारा लड़े गए प्रमुख युद्ध
युद्ध | वर्ष | पक्ष | परिणाम |
---|---|---|---|
पानीपत का प्रथम युद्ध | 21 अप्रैल , 1526 | इब्राहिम लोदी व बाबर | बाबर विजयी |
खानवा का युद्ध | 17 मार्च , 1527 | राणा साँगा एवं बाबर | बाबर विजयी |
चन्देरी का युद्ध | 29 जनवरी , 1528 | मेदनी राय एवं बाबर | बाबर विजयी |
घाघरा का युद्ध | 6 मई , 1529 | अफगानों एवं बाबर | बाबर विजयी |
नोट : हमायूँ ने कोहिनूर हीरा ग्वालियर के दिवंगत राजा विक्रमजीत के परिवार से प्राप्त किया था । |
⦿ बाबर को अपनी उदारता के लिए कलन्दर की उपाधि दी गयी ।
⦿ खानवा युद्ध में बाबर ने राणा साँगा के खिलाफ जिहाद का नारा दिया और युद्ध में विजय के बाद गाजी की उपाधि धारण की ।
⦿ 30 जनवरी , 1528 ई . को जहर दे देने के कारण राणा साँगा की मृत्यु हो गई ।
⦿ बाबर ने बंगाल के शासक नुसरतशाह के साथ 6 मई , 1529 को एक दूसरे की संप्रभुता का सम्मान करने का वादा करते हुए एक संधि की जिसके अनुसार नुसरतशाह ने अफगान विद्रोहियों को शरण न देने का वचन दिया ।
⦿ करीब 48 वर्ष की आयु में 26 दिसम्बर , 1530 ई . को आगरा में बाबर की मृत्यु हो गयी ।
⦿ प्रारंभ में बाबर के शव को आगरा के आरामबाग में दफनाया गया , बाद में काबुल में उसके द्वारा चुने गए स्थान पर दफनाया गया ।
⦿ बाबर की मातृभाषा तुर्की थी लेकिन वह अरबी और फारसी का भी अच्छा ज्ञाता था । बाबर ने अपनी आत्मकथा बाबरनामा ( तुर्की में ) की रचना की , जिसका अनुवाद बाद में फारसी भाषा में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया । अपनी आत्मकथा में बाबर ने औपचारिक बागों की योजनाओं और उनके बनाने में अपनी रुचि का वर्णन किया है । अकसर ये बाग दीवार से घिरे होते थे तथा कृत्रिम नहरों द्वारा चार भागों में विभाजित आयताकार अहाते में स्थित थे । चार समान हिस्सों में बँटे होने के कारण ये चार बाग कहलाते थे ।
नोट : चार बाग बनाने की परम्परा की शुरुआत अकबर के समय से हुई । |
⦿ बाबर को मुबईयान नामक पद्यशैली का भी जन्मदाता माना जाता है ।
⦿ बाबर प्रसिद्ध नक्शबन्दी सूफी ख्वाजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था । बाबर का उत्तराधिकारी हुमांयू हुआ ।
हुमायूँ ( 1530 - 1556 ई . )
⦿ नसीरुद्दीन हुमायूँ , 29 दिसम्बर , 1530 ई . को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा । गद्दी पर बैठने से पहले हुमांयू बदख्शाँ का सूबेदार था ।
⦿ अपने पिता के निर्देश के अनुसार हुमायूँ ने अपने राज्य का बँटवारा अपने भाइयों में कर दिया । इसने कामरान को काबुल और कंधार , मिर्जा असकरी को संभल , मिर्जा हिंदाल को अलवर एवं मेवाड़ की जागीरें दीं । अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हुमायूँ ने बदख्शाँ प्रदेश दिया ।
⦿ 1533 ई . में हुमायूँ ने दीनपनाह नामक नए नगर की स्थापना की थी ।
⦿ चौसा का युद्ध 25 जून , 1539 ई . में शेर खाँ एवं हमायूँ के बीच हुआ । इस युद्ध में शेर खाँ विजयी रहा । इसी युद्ध के बाद शेर खाँ ने शेरशाह की पदवी ग्रहण कर ली ।
⦿ बिलग्राम या कन्नौज युद्ध 17 मई , 1540 ई . में शेर खाँ एवं हुमायूँ के बीच हुआ इस युद्ध में भी हुमायूँ पराजित हुआ । शेर खाँ ने आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया ।
⦿ बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूँ सिन्ध चला गया , जहाँ उसने 15 वर्षों तक घुमक्कड़ों जैसा निर्वासित जीवन व्यतीत किया ।
⦿ निर्वासन के समय हुमायूँ ने हिन्दाल के आध्यात्मिक गुरु फारसवासी शिया मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानू बेगम से 29 अगस्त , 1541 ई . को निकाह कर लिया । कालान्तर में हमीदा से ही अकबर जैसे महान सम्राट् का जन्म हुआ ।
⦿ 1555 ई . में हुमायूँ ने पंजाब के शूरी शासक सिकन्दर को पराजित कर पुनः दिल्ली की गद्दी पर बैठा ।
⦿ हुमायूँ द्वारा लड़े गए चार प्रमुख युद्धों का क्रम है - देवरा ( 1531 ई . ) , चौसा ( 1539 ) , बिलग्राम ( 1540 ) एवं सरहिन्द का युद्ध ( 1555 ई . ) ।
⦿ 1 जनवरी , 1556 ई . को दीन पनाह भवन में स्थित पुस्तकालय ( शेर मंडल ) की सीढ़ियों से गिरने के कारण हुमायूँ की मृत्यु हो गयी ।
⦿ हमायूँ के बारे में इतिहासकार लेनपूल ने कहा है कि “ हुमांयू गिरते - पड़ते इस जीवन से मुक्त हो गया ठीक उसी तरह जिस तरह तमाम जिन्दगी वह गिरते - पड़ते चलता रहा था । "
⦿ हुमायूँनामा की रचना गुल - बदन बेगम ने की थी ।
⦿ हुमायूँ ज्योतिष में विश्वास करता था , इसलिए इसने सप्ताह के सातों दिन सात रंग के कपड़े पहनने के नियम बनाए ।
शेरशाह ( 1540 - 1545 ई . )
⦿ सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था ।
⦿ डॉ . के . आर . कानूनगो के अनुसार हरियाणा प्रान्त के नारनौल ( महेन्द्रगढ़ ) स्थान पर इब्राहीम के पुत्र हसन के घर वर्ष 1486 में शेरशाह का जन्म हुआ था । परमात्मा शरण का विचार है कि शेरशाह का जन्म वर्ष 1472 ई . में हुआ था ।
⦿ इनके बचपन का नाम फरीद खाँ था । यह सूर वंश से संबंधित था ।
⦿ इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अन्तर्गत सासाराम के जमींदार थे ।
⦿ फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था । उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने उसे शेर खाँ की उपाधि प्रदान की ।
⦿ शेरशाह बिलग्राम युद्ध ( 1540 ई . ) के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा ।
⦿ शेरशाह की मृत्यु कालिंजर के किले को जीतने के क्रम में 22 मई , 1545 ई . को हो गयी । मृत्यु के समय वह उक्का नाम का आग्नेयास्त्र चला रहा था । कालिंजर का शासक कीरत सिंह था ।
⦿ हिन्द तथा ईरानी वास्तुकला के समन्वय का प्रथम उदाहरण है शेरशाह का मकबरा जिसे सासाराम में झील के बीच ऊँचे टीले पर निर्मित किया गया है ।
⦿ रोहतासगढ़ किला , किला - ए - कुहना ( दिल्ली ) नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह के द्वारा किया गया था ।
⦿ शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था ।
⦿ शेरशाह ने भूमि की माप के लिए 32 अंकवाला सिकन्दरी गज एवं सन की डंडी का प्रयोग किया । इसने 178 ग्रेन चाँदी का रुपया व 380 ग्रेन ताँबे के दाम चलवाया ।
⦿ शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग एवं कन्नौज के स्थान पर शेरसूर नामक नगर बसाया ।
⦿ शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1 / 3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी ।
⦿ कबूलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की ।
⦿ शेरशाह ने 1541 ई . में पाटलिपुत्र को पटना के नाम से पुनः स्थापित किया । इसने ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत करवायी । डाक प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा ही किया गया ।
⦿ मलिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे ।
अकबर के समकालीन शासक
रानी एलिजाबेथ
1558 - 1603 ई . इंग्लैंड
शाह अब्बास
1588 - 1629 ई .
ईरान
जार ईवान IV बेसिलयेविच
1530 - 1584 ई .
रूस
नोट - जार ईवान IV बेसिलयेविच ईवान दि टेरिबल नाम से कुख्यात था ।
⦿ सूर साम्राज्य का संस्थापक अफगान वंशीय शेरशाह सूरी था ।
⦿ डॉ . के . आर . कानूनगो के अनुसार हरियाणा प्रान्त के नारनौल ( महेन्द्रगढ़ ) स्थान पर इब्राहीम के पुत्र हसन के घर वर्ष 1486 में शेरशाह का जन्म हुआ था । परमात्मा शरण का विचार है कि शेरशाह का जन्म वर्ष 1472 ई . में हुआ था ।
⦿ इनके बचपन का नाम फरीद खाँ था । यह सूर वंश से संबंधित था ।
⦿ इनके पिता हसन खाँ जौनपुर राज्य के अन्तर्गत सासाराम के जमींदार थे ।
⦿ फरीद ने एक शेर को तलवार के एक ही वार से मार दिया था । उसकी इस बहादुरी से प्रसन्न होकर बिहार के अफगान शासक सुल्तान मुहम्मद बहार खाँ लोहानी ने उसे शेर खाँ की उपाधि प्रदान की ।
⦿ शेरशाह बिलग्राम युद्ध ( 1540 ई . ) के बाद दिल्ली की गद्दी पर बैठा ।
⦿ शेरशाह की मृत्यु कालिंजर के किले को जीतने के क्रम में 22 मई , 1545 ई . को हो गयी । मृत्यु के समय वह उक्का नाम का आग्नेयास्त्र चला रहा था । कालिंजर का शासक कीरत सिंह था ।
⦿ हिन्द तथा ईरानी वास्तुकला के समन्वय का प्रथम उदाहरण है शेरशाह का मकबरा जिसे सासाराम में झील के बीच ऊँचे टीले पर निर्मित किया गया है ।
⦿ रोहतासगढ़ किला , किला - ए - कुहना ( दिल्ली ) नामक मस्जिद का निर्माण शेरशाह के द्वारा किया गया था ।
⦿ शेरशाह का उत्तराधिकारी उसका पुत्र इस्लाम शाह था ।
⦿ शेरशाह ने भूमि की माप के लिए 32 अंकवाला सिकन्दरी गज एवं सन की डंडी का प्रयोग किया । इसने 178 ग्रेन चाँदी का रुपया व 380 ग्रेन ताँबे के दाम चलवाया ।
⦿ शेरशाह ने रोहतासगढ़ के दुर्ग एवं कन्नौज के स्थान पर शेरसूर नामक नगर बसाया ।
⦿ शेरशाह के समय पैदावार का लगभग 1 / 3 भाग सरकार लगान के रूप में वसूल करती थी ।
⦿ कबूलियत एवं पट्टा प्रथा की शुरुआत शेरशाह ने की ।
⦿ शेरशाह ने 1541 ई . में पाटलिपुत्र को पटना के नाम से पुनः स्थापित किया । इसने ग्रैंड ट्रंक रोड की मरम्मत करवायी । डाक प्रथा का प्रचलन शेरशाह के द्वारा ही किया गया ।
⦿ मलिक मुहम्मद जायसी शेरशाह के समकालीन थे ।
अकबर के समकालीन शासक
रानी एलिजाबेथ | 1558 - 1603 ई . | इंग्लैंड |
शाह अब्बास | 1588 - 1629 ई . | ईरान |
जार ईवान IV बेसिलयेविच | 1530 - 1584 ई . | रूस |
नोट - जार ईवान IV बेसिलयेविच ईवान दि टेरिबल नाम से कुख्यात था । |
अकबर ( 1556 - 1605 )
⦿ सम्राट् अकबर का जन्म 15 अक्टबर , 1542 ई . को हमीदा बानु बेगम के गर्भ से अमरकोट के राणा वीर साल के महल में हुआ ।
⦿ अकबर के बचपन का नाम जलाल था । उसका राज्याभिषेक 14 फरवरी , 1556 ई . को पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर हुआ ।
⦿ अकबर का शिक्षक अब्दुल लतीफ ईरानी विद्वान था ।
⦿ वह जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाजी की उपाधि से राजसिंहासन पर बैठा ।
⦿ बैरम खाँ ( शिया मतावलम्बी ) 1556 से 1560 ई . तक अकबर का संरक्षक रहा । वह बदख्शाँ का निवासी था । उसे प्यार से ‘ खानी बाबा ' कहा जाता था ।
⦿ पानीपत की दूसरी लड़ाई 5 नवम्बर , 1556 ई . को अकबर और हेमू के बीच हुई थी । इस युद्ध में अकबर की विजय हुई थी ।
⦿ 31 जनवरी , 1561 को मक्का की तीर्थ यात्रा के दौरान पाटन नामक स्थान पर मुबारक खाँ नामक युवक ने बैरम खाँ की हत्या कर दी ।
⦿ मई , 1562 में अकबर ने हरम - दल से अपने को पूर्णतः मुक्त कर लिया ।
⦿ हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून , 1576 ई . को मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप एवं अकबर के बीच हुआ । इस युद्ध में अकबर विजयी हुआ । इस युद्ध में मुगल सेना का नेतृत्व मान सिंह एवं आसफ खाँ ने किया था । अकबर का सेनापति मान सिंह था ।
⦿ हल्दीघाटी युद्ध के समय कुम्भलगढ़ राणा प्रताप की राजधानी थी । राणा की ओर से इस युद्ध में हाकिम खाँ सूर के नेतृत्व में एक अफ़गान फौजी टुकड़ी एवं भीलों की एक छोटी - सी सेना ने भाग लिया था ।
⦿ हल्दीघाटी के युद्ध के बाद राणा प्रताप ने डुंगरपुर के निकट चॉवड़ में नई राजधानी बनाई ।
⦿ महाराणा प्रताप की मृत्यु 19 जनवरी , 1597 ई . में एक सख्त धनुष की प्रत्यंचा चढ़ाते समय अन्दरुनी चोट लग जाने के कारण हो गयी ।
⦿ दीन - ए - इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित अकबर था ।
⦿ दीन - ए - इलाही धर्म स्वीकार करने वाला प्रथम एवं अन्तिम हिन्दू शासक राजा बीरबल था । महेशदास नामक ब्राह्मण को राजा बीरबल की पदवी दी गयी थी जो हमेशा अकबर के साथ रहता था ।
⦿ अकबर ने जैनधर्म के जैनाचार्य हरिविजय सूरी को जगतगुरु की उपाधि प्रदान की थी ।
⦿ अकबर ने शाही दरबार में एक अनुष्ठान के रूप में सूर्योपासना शुरू करवाई ।
⦿ राजस्व प्राप्ति की जब्ती प्रणाली अकबर के शासनकाल में प्रचलित थी ।
⦿ अकबर के दीवान राजा टोडरमल ( खत्री जाति ) ने 1580 ई . में दहसाल बन्दोबस्त व्यवस्था लागू की ।
अकबर द्वारा जीते गए प्रदेश
प्रदेश | शासक | वर्ष | मुग़ल सेनापति |
---|---|---|---|
मालवा | बाज बहादुर | 1561 | आधम खाँ , पीर मुहम्मद |
चुनार | अफगानों का शासन | 1562 | अब्दुल्ला खाँ |
गोंडवाना | वीरनारायण एवं दुर्गावती | 1564 | आसफ खाँ |
आमेर | भारमल | 1562 | स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी |
मेड़ता | जयमल | 1562 | सरफुद्दीन |
मेवाड़ | उदय सिंह एवं राणा प्रताप | 1568 | स्वयं अकबर |
रणथम्भौर | सुरजनहाड़ा | 1569 | भगवान दास एवं अकबर |
कालिंजर | रामचन्द्र | 1569 | मजनू खाँ काकशाह |
मारबाड | राव चन्द्रसेन | 1570 | स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारा |
जैसलमेर | रावल हरिराय | 1570 | स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी |
बीकानेर | कल्याणमल | 1570 | स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी |
गुजरात | मुजफ्फर खाँ - III | 1571 | सम्राट अकबर |
बिहार व बंगाल | दाउद खाँ | 1574 - 76 | मुनीम खाँ खानखाना |
काबूल | हकीम मिर्जा | 1581 | मानसिंह एवं अकबर |
कश्मीर | युसुफ याकूब खाँ | 1586 | भगवान दास व कासिम खाँ |
उड़ीसा | निसार खाँ | 1592 | मान सिंह |
सिन्ध | जानी बेग | 1593 | अब्दुर्रहीम खानखाना |
बलूचिस्तान | पन्नी अफगान | 1595 | मीर मासूम |
कन्धार | मुजफ्फर हुसैन | 1595 | शाह बेग |
दक्षिण भारत
प्रदेश | शासक | वर्ष | मगल सेनापति |
---|---|---|---|
खानदेश | अली खाँ | 1591 | स्वेच्छा से अधीनता स्वीकारी |
दौलताबाद | चाँद बीबी | 1599 | मुराद, अब्दुर्रहीम खानखाना अबुल फजल ,अकबर |
अहमदनगर | बहादुर शाह चाँद बीबी | 1600 | |
असीरगढ़ | मीरन बहादुर | 1601 | अकबर ( यह अकबर का अंतिम अभियान था ) |
⦿ अकबर के दरबार का प्रसिद्ध संगीतकार तानसेन था ।
⦿ गुजरात - विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और यहीं उसने सर्वप्रथम समुद्र को देखा ।
नोट : गुजरात अभियान को इतिहासकार स्मिथ ने संसार के इतिहास का सर्वाधिक द्रुतगामी आक्रमण कहा है । |
अकबर के कुछ महत्वपूर्ण कार्य
कार्य | वर्ष |
---|---|
दास प्रथा का अन्त | 1562 |
अकबर को हरमदल से मुक्ति | 1562 |
तीर्थयात्रा कर समाप्त | 1563 |
जजिया कर समाप्त | 1564 |
फतेहपुरसीकरी की स्थापना एवं राजधानी का आगरा से फतेहपुर सीकरी स्थानान्तरण | 1571 |
इबादतखाने की स्थापना | 1575 |
इबादतखाने में सभी धर्मों के लोगों के प्रवेश की अनुमति | 1578 |
मजहर की घोषणा | 1579 |
दीन - ए - इलाही की स्थापना | 1582 |
इलाही संवत् की शुरुआत | 1583 |
राजधानी लाहौर स्थानांतरित | 1585 |
⦿ अकबर के दरबार के प्रसिद्ध चित्रकार अब्दुर समद था ।
⦿ दसवंत एवं बसावन अकबर के दरबार के चित्रकार थे ।
⦿ अकबर के शासनकाल के प्रमुख गायक तानसेन , बाज बहादुर , बाबा रामदास एवं बैजू बाबरा थे ।
⦿ अकबर की शासन प्रणाली की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी ।
⦿ अकबर के समकालीन प्रसिद्ध सुफी सन्त शेख सलीम चिश्ती थे ।
⦿ अकबर की मृत्यु 16 अक्टूबर , 1605 ई . को हुई । इसे आगरा के निकट सिकन्दरा में दफनाया गया ।
⦿ स्थापत्यकला के क्षेत्र में अकबर की महत्वपूर्ण कृतियाँ हैं - दिल्ली हुमायँ का मकबरा , आगरा का लालकिला , फतेहपुर सीकरी में शाहीमहल , दीवाने खास , पंचमहल , बुलंद दरवाजा , जोधाबाई का महल , इबादतखाना , इलाहाबाद का किला और लाहौर का किला ।
⦿ अकबर के दरबार को सुशोभित करने वाले नौ रल थे - 1 . अबुल फजल ( 1551 - 1602 ) , 2 . फैजी ( 1547 - 1595 ) , 3 . तानसेन , 4 . बीरबल ( 1528 - 1583 ) , 5 . टोडरमल , 6 . राजा मान सिंह , 7 . अब्दुल रहीम खान - ए - खाना , 8 . फकीर अज़ीउद्दीन , 9 . मुल्ला दो प्याजा ।
⦿ अबुल फजल का बड़ा भाई फैजी अकबर के दरबार में राजकवि के पद पर आसीन था ।
⦿ अबुल फजल ने अकबरनामा ग्रंथ की रचना की । वह दीन - ए - इलाही धर्म का मुख्य पुरोहित था ।
⦿ संगीत सम्राट तानसेन का जन्म 1506 ई . में ग्वालियर में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था । इनका असली नाम रामतनु पांडेय था । इनकी प्रमुख कृतियाँ थीं — मियाँ की टोड़ी , मियाँ का मल्हार , मियाँ का सारंग , दरबारी कान्हरा आदि ।
⦿ कण्ठाभरण वाणीविलास की उपाधि अकबर ने तानसेन को दी थी ।
⦿ तानसेन , अकबर के दरबार में आने से पूर्व रीवाँ के राजा रामचन्द्र के राजाश्रय में थे ।
⦿ अकबर के काल में स्वामी हरिदास भी एक महान संगीतज्ञ थे । वृंदावन में रहकर भगवान की उपासना करते थे । एक मत के अनुसार हरिदास तानसेन के गुरु थे जबकि कुछ विद्वान हरिदास एवं तानसेन दोनों को मानसिंह तोमर का शिष्य बतलाते हैं । यह भी प्रचलित है कि हरिदास का गाना सुनने के लिए अकबर को इनकी कुटिया पर जाना पड़ा , क्योंकि इन्होंने अकबर के दरबार में जाने से मना कर दिया था । इनका कहना था कि वे केवल अपने भगवान के लिए ही गाते हैं , दरबार से उनका कोई सरोकार नहीं ।
⦿ अकबर ने भगवान दास ( आमेर के राजा भारमल के पुत्र ) को अमीर - ऊल - ऊमरा की उपाधि दी ।
⦿ युसुफजाइयों के विद्रोह को दबाने के दौरान बीरबल की हत्या हो गयी ।
⦿ 1602 ई . में सलीम ( जहाँगीर ) के निर्देश पर दक्षिण से आगरा की ओर आ रहे अबुल फजल को रास्ते में वीर सिंह बुन्देला नामक सरदार ने हत्या कर दी ।
⦿ मुगल सम्राट अकबर ने ' अनुवाद विभाग ' की स्थापना की । नकीब खाँ , अब्दुल कादिर बदायूंनी तथा शेख सुल्तान ने रामायण एवं महाभारत का फारसी अनुवाद किया व महाभारत का नाम ' रज्मनामा ' ( युद्धों की पुस्तक ) रखा ।
⦿ पंचतंत्र का फारसी भाषा में अनुवाद अबुल फजल ने अनवर - ए - सादात नाम से तथा मौलाना हुसैन फैज ने यार - ए - दानिश नाम से किया । हाजी इब्राहिम सरहदी ने अथर्ववेद का , मुल्लाशाह मोहम्मद ने राजतरंगिणी का , अब्दुर्रहीम खानखाना ने ' तुजुक - ए - बाबरी ' का तथा फैजी ने लीलावती का फारसी में अनुवाद किया । फैजी ने नल दमयन्ती ( सूरदास द्वारा रचित ) कथा का फारसी में अनुवाद कर उसका नाम ' सहेली ' रखा ।
⦿ अकबर के काल को हिन्दी साहित्य का स्वर्णकाल कहा जाता है ।
⦿ अकबर ने बीरबल को कविप्रिय एवं नरहरि को महापात्र की उपाधि प्रदान की ।
⦿ बुलन्द दरवाजा का निर्माण अकबर ने गुजरात - विजय के उपलक्ष्य में करवाया था ।
⦿ चार बाग बनाने की परंपरा अकबर के समय शुरू हुई ।
⦿ अकबर ने शीरी कलम की उपाधि अब्दुस्समद को एवं जड़ी कलम की उपाधि मुहम्मद हुसैन कश्मीरी को दिया ।
नोट : मुगलों की राजकीय भाषा फारसी थी । |
⦿ अकबर नक्कारा ( नगाड़ा ) नामक वाद्ययंत्र बजाता था ।
जहाँगीर ( 1605 - 1627 ई . )
⦿ अकबर का उत्तराधिकारी सलीम हुआ , जो 24 अक्टूबर , 1605 ई को नूरुद्दीन मुहम्मद जहाँगीर बादशाही गाजी की उपाधि धारण कर गद्दी पर बैठा ।
⦿ जहाँगीर का जन्म 30 अगस्त , 1569 ई . में हुआ था ।
⦿ अकबर ने अपने पुत्र का नाम सलीम सूफी संत शेख सलीम चिश्ती के नाम पर रखा ।
⦿ जहाँगीर को न्याय की जंजीर के लिए याद किया जाता है । यह जंजीर सोने की बनी थी , जो आगरा के किले के शाहबूर्ज एवं यमुना तट पर स्थित पत्थर के खम्भे में लगवाई हुई थी ।
⦿ जहाँगीर द्वारा शुरू की गई ' तुजुक - ए - जहाँगीरी ' नामक आत्मकथा को पूरा करने का श्रेय मौतबिंद खाँ को है ।
⦿ जहाँगीर के सबसे बड़े पुत्र खुसरो ने 1606 ई . में अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया । खुसरो और जहाँगीर की सेना के बीच युद्ध जालंधर के निकट भैरावल नामक मैदान में हआ । खसरो को पकड़कर कैद में डाल दिया गया ।
⦿ खुसरो की सहायता देने के कारण जहाँगीर ने सिक्खों के 5वें गुरु अर्जुनदेव को फाँसी दिलवा दी । खुसरो गुरु से गोइंदवाल में मिला था ।
⦿ अहमदनगर के वजीर मलिक अम्बर के विरुद्ध सफलता से खुश होकर जहाँगीर ने खुर्रम को शाहजहाँ की उपाधि प्रदान की ।
⦿ 1622 ई . में कंधार मुगलों के हाथ से निकल गया । शाह अब्बास ने इस पर अधिकार कर लिया ।
⦿ नूरजहाँ : ईरान निवासी मिर्जा गयास बेग की पुत्री नूरजहाँ का वास्तविक नाम मेहरुन्निसा था । 1594 ई . में नूरजहाँ का विवाह अलीकुली बेग से सम्पन्न हुआ । जहाँगीर ने एक शेर मारने के कारण अली कुली वेग को शेर अफगान की उपाधि प्रदान की । 1607 ई . में शेर अफगान की मृत्यु के बाद मेहरुन्निसा अकबर की विधवा सलीमा बेगम की सेवा में नियुक्त हुई । सर्वप्रथम जहाँगीर ने नवरोज त्योहार के अवसर पर मेहरुन्निसा को देखा और उसके सौंदर्य पर मुग्ध होकर जहाँगीर ने मई , 1611 ई . में उससे विवाह कर लिया । विवाह के पश्चात् जहाँगीर ने उसे नूरमहल एवं नूरजहाँ की उपाधि प्रदान की । नूरजहाँ के सम्मान में जहाँगीर ने चाँदी के सिक्के जारी किए ।
⦿ जहाँगीर ने गियास बेग को शाही दीवान बनाया एवं इतमाद - उद - दौला की उपाधि दी । जहाँगीर के शासनकाल में ईरानियों को उच्च पद प्राप्त हुए ।
⦿ लाडली बेगम शेर अफगान एवं मेहरुन्निसा की पुत्री थी , जिसकी शादी जहाँगीर के पुत्र शहरयार के साथ हुई थी ।
⦿ नूरजहाँ की माँ अस्मत बेगम ने गुलाब से इत्र निकालने की विधि खोजी थी ।
⦿ महावत खाँ ने झेलम नदी के तट पर 1626 ई . में जहाँगीर , नूरजहाँ एवं उसके भाई आसफ खाँ को बन्दी बना लिया था ।
⦿ जहाँगीर के पाँच पुत्र थे — 1 . खुसरो , 2 . परवेज , 3 . खुर्रम , 4 . शहरयार , 5 . जहाँदार ।
⦿ 28 अक्टूबर , 1627 को भीमवार नामक स्थान पर जहाँगीर की मृत्यु हो गयी । उसे शहादरा ( लाहौर ) में रावी नदी के किनारे दफनाया गया ।
⦿ मुगल चित्रकला अपने चरमोत्कर्ष पर जहाँगीर के शासनकाल में पहुंची ।
⦿ जहाँगीर के दरबार के प्रमुख चित्रकार थे — आगा रजा , अबुल हसन , मुहम्मद नासिर , मुहम्मद मुराद , उस्ताद मंसूर , विशनदास , मनोहर एवं गोवर्धन , फारुख बेग , दौलत ।
⦿ जहाँगीर ने आगा रजा के नेतृत्व में आगरा में एक चित्रणशाला की स्थापना की ।
नोट : हमजा नामा का विषय चित्रकला है । |
⦿ उस्ताद मंसूर एवं अबुल हसन को जहाँगीर ने क्रमशः नादिर - अल - उस एवं नादिरुज्जमा की उपाधि प्रदान की । इसने संस्कृत के कवि जगन्नाथ को ' पंडितराज ' की उपाधि दी ।
⦿ जहाँगीर ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि कोई भी चित्र चाहे वह किसी मृतक व्यक्ति या जीवित व्यक्ति द्वारा बनाया गया हो , मैं देखते ही तुरन्त बता सकता हूँ कि यह किस चित्रकार की कृति है । यदि किसी चेहरे पर आँख किसी एक चित्रकार ने, भौंह किसी और ने बनाई हो , तो भी यह जान लेता हूँ कि आँख किसने और भौंह किसने बनायी है ।
⦿ जहाँगीर के समय को चित्रकला का स्वर्णकाल कहा जाता है ।
⦿ इतमाद - उद - दौला का मकबरा 1626 ई . में नूरजहाँ बेगम ने बनवाया । मुगलकालीन वास्तुकला के अन्तर्गत निर्मित यह प्रथम ऐसी इमारत है , जो पूर्णरूप से बेदाग सफेद संगमरमर से निर्मित है । सर्वप्रथम इसी इमारत में पितरा दुरा नामक जड़ाऊ काम किया गया ।
⦿ अशोक के कौशाम्बी स्तम्भ ( वर्तमान में प्रयाग ) पर समुद्रगुप्त की प्रयाग प्रशस्ति तथा जहाँगीर का लेख उत्कीर्ण है ।
⦿ जहाँगीर के मकबरा का निर्माण नूरजहाँ ने करवाया था ।
⦿ जहाँगीर के शासनकाल में कैप्टन हॉकिन्स ( प्रथम अंग्रेज ) , सर टॉमस रो , विलियम फिंच एवं एडवर्ड टैरी जैसे यूरोपीय यात्री आए थे ।
शाहजहाँ ( 1627 - 1657 ई . )
⦿ जहाँगीर के बाद सिंहासन पर शाहजहाँ बैठा ।
⦿ जोधपुर के शासक मोटा राजा उदय सिंह की पुत्री जगत गोसाई के गर्भ से 5 जनवरी , 1592 ई . को खुर्रम ( शाहजहाँ ) का जन्म लाहौर में हुआ था । 1612 ई . में खुर्रम का विवाह आसफ खाँ की पुत्री अरजुमन्द बानो बेगम से हुआ , जिसे शाहजहाँ ने मलिका- ए - जमानी की उपाधि प्रदान की , 7 जून , 1631 ई . में प्रसव पीड़ा के कारण उसकी मृत्यु हो गयी ।
⦿ 4 फरवरी , 1628 ई . को शाहजहाँ आगरा में अबुल मुजफ्फर शहाबुद्दीन मुहम्मद साहिब किरन - ए - सानी की उपाधि प्राप्त कर सिंहासन पर बैठा ।
⦿ शाहजहाँ ने आसफ खाँ को वजीर पद एवं महावत खाँ को खानखाना की उपाधि प्रदान की ।
⦿ इसने नूरजहाँ को दो लाख रुपये प्रतिवर्ष की पेंशन देकर लाहौर जाने दिया , जहाँ 1645 ई . में उसकी मृत्यु हो गयी ।
⦿ अपनी बेगम मुमताज महल की याद में शाहजहाँ ने ताजमहल का निर्माण आगरा में उसकी कब्र के ऊपर करवाया । उस्ताद ईशा ने ताजमहल की रूप - रेखा तैयार की थी ।
⦿ ताजमहल का निर्माण करनेवाला मुख्य स्थापत्य कलाकार उस्ताद अहमद लाहौरी था ।
⦿ मयूर सिंहासन का निर्माण शाहजहाँ ने करवाया था । इसका मुख्य कलाकार बे-बादल खाँ था । बादशाह के सिंहासन के पीछे पितरा- दुरा के जड़ाऊ काम की एक श्रृंखला बनाई गयी थी , जिससे पौराणिक यूनानी देवता आर्फियस को वीणा बजाते हुए चित्रित किया गया है ।
⦿ शाहजहाँ के शासनकाल को स्थापत्यकला का स्वर्णयुग कहा जाता है । शाहजहाँ द्वारा बनवायी गयी प्रमुख इमारतें हैं - दिल्ली का लाल किला , दीवाने आम , दीवाने खास , दिल्ली का जामा मस्जिद , आगरा का मोती मस्जिद , ताजमहल एवं लाहौर किला स्थित शीश महल आदि ।
नोट : हुमायूँ के मकबरा को ताजमहल का पूर्ववर्ती माना जाता है । |
⦿ शाहजहाँ ने 1632 ई . में अहमदनगर को मुगल साम्राज्य में मिला लिया ।
⦿ शाहजहाँ ने 1638 ई . में अपनी राजधानी को आगरा से दिल्ली लाने के लिए यमुना नदी के दाहिने तट पर शाहजहाँनाबाद की नींव डाली ।
⦿ आगरे के जामा मस्जिद का निर्माण शाहजहाँ की पुत्री जहाँआरा ने करवाई ।
⦿ शाहजहाँ के दरबार के प्रमुख चित्रकार मुहम्मद फकीर एवं मीर हासिम थे ।
⦿ शाहजहाँ के दरबार में वंशीधर मिश्र एवं हरिनारायण मिश्र नाम के दो संस्कृत के कवि थे ।
⦿ शाहजहाँ ने संगीतज्ञ लाल खाँ को ' गुण समन्दर ' की उपाधि एवं संगीतज्ञ जगन्नाथ जो हिन्दी का कवि भी था , को महाकविराय की उपाधि से सम्मानित किया ।
⦿ शाहजहाँ के पुत्रों में दारा शिकोह सर्वाधिक विद्वान था । इसने भगवद्गीता , योगवशिष्ठ , उपनिषद् एवं रामायण का अनुवाद फारसी में करवाया । इसने सर्र - ए - अकबर ( महान रहस्य ) नाम से उपनिषदों का अनुवाद करवाया था । दारा शिकोह कादिरी सिलसिले के मुल्ला शाह बदख्सी का शिष्य था ।
⦿ शाहजहाँ ने दिल्ली में एक कॉलेज का निर्माण एवं दार्रूल बका नामक कॉलेज की मरम्मत करायी ।
⦿ सितम्बर , 1657 ई . में शाहजहाँ के गंभीर रूप से बीमार पड़ने और मृत्यु का अफवाह फैलने के कारण उसके पुत्रों के बीच उत्तराधिकार का युद्ध प्रारंभ हुआ । उस समय शूजा बंगाल , मुराद गुजरात एवं औरंगजेब दक्कन में था ।
⦿ 15 अप्रैल , 1658 ई . में दारा एवं औरंगजेब के बीच धरमट का युद्ध हुआ । इस युद्ध में दारा की पराजय हुई ।
⦿ सामूगढ़ का युद्ध 29 मई , 1658 ई . को दारा एवं औरंगजेब के बीच हुआ । इस युद्ध में भी दारा की हार हुई । उत्तराधिकार का अन्तिम युद्ध देवराई की घाटी में मार्च , 1659 ई . को हुआ । इस युद्ध में दारा के पराजित होने पर उसे इस्लाम धर्म की अवहेलना करने के अपराध में 30 अगस्त , 1659 ई . को हत्या कर दी गई । दारा शिकोह ने अपना निर्वासित जीवन अलवर ( राजस्थान ) के कंकबाड़ी किला में बिताया । इस किला का निर्माण जय सिंह - II ने किया था ।
⦿ शाह बुलंद इकबाल ( king of Lofty fortune ) के रूप में दारा शिकोह जाना जाता है ।
⦿ 8 जून , 1658 को औरंगजेब ने शाहजहाँ को बंदी बना लिया । आगरा के किले में अपने कैदी जीवन के आठवें वर्ष अर्थात् 22 जनवरी , 1666 को 74 वर्ष की अवस्था में शाहजहाँ की मृत्यु हो गयी ।
औरंगजेब ( 1658 - 1707 ई . )
⦿ औरंगजेब का जन्म 24 अक्टूबर , 1618 ई . को दोहाद ( गुजरात ) नामक स्थान पर हुआ था ।
⦿ औरंगजेब के बचपन का अधिकांश समय नूरजहाँ के पास बीता । 18 मई , 1637 को फारस के राजघराने की ' दिलरास बानो बेगम ' के साथ औरंगजेब का निकाह हुआ ।
⦿ आगरा पर कब्जा कर जल्दबाजी में औरंगजेब ने अपना राज्याभिषेक ' अबुल मुजफ्फर मुहउद्दीन मुजफ्फर औरंगजेब बहादुर आलमगीर ' की उपाधि से 31 जुलाई , 1658 ई . को करवाया । देवराई के युद्ध में सफल होने के बाद 15 मई , 1659 को औरंगजेब ने दिल्ली में प्रवेश किया और शाहजहाँ के शानदार महल में 5 जून , 1659ई . को दूसरी बार राज्याभिषेक करवाया ।
⦿ औरंगजेब के गुरु थे — मीर मुहम्मद हकीम ।
⦿ औरंगजेब सुन्नी धर्म को मानता था , उसे जिन्दा पीर कहा जाता था ।
⦿ जय सिंह एवं शिवाजी के बीच पुरन्दर की संधि 22जन , 1665ई को सम्पन्न हुई ।
⦿ मई , 1666 ई . को आगरा के किले के दीवान - ए - आम में औरंगजेब के समक्ष शिवाजी उपस्थित हुए । यहाँ शिवाजी को कैद कर जयपुर भवन में रखा गया । इस्लाम नहीं स्वीकार करने के कारण सिक्खों के 9वें गुरु तेगबहादुर की हत्या औरंगजेब ने 1675 ई . में दिल्ली में करवा दी थी ।
⦿ औरंगजेब ने 1679 ई . में जजिया - कर को पुनः लागू किया ।
⦿ औरंगजेब ने बीबी का मकबरा का निर्माण 1679 ई . में औरंगाबाद ( महाराष्ट्र ) में करवाया ।
⦿ 1685 ई . में बीजापुर एवं 1687 ई . में गोलकुण्डा को औरंगजेब ने मुगल साम्राज्य में मिला लिया ।
⦿ मदन्ना एवं अकन्ना नामक ब्राह्मणों का संबंध गोलकुण्डा के शासक अबुल हसन से था ।
⦿ औरंगजेब के समय हुए जाट विद्रोह का नेतृत्व गोकुला एवं राजाराम ने किया था । 1670 ई . में तिलपत की लड़ाई में जाट परास्त हए गोकुल को मौत के घाट उतार दिया गया । इसके बावजूद जाटों ने 1685 ई . में राजाराम के नेतृत्व में पुनः विद्रोह किया । इन जाटों ने सिकन्दरा में स्थित अकबर के मकबरे को भी लूटा । भरतपुर राजवंश की नींव औरंगजेब के शासनकाल में जाट नेता एवं राजाराम के भतीजा चूरामन ने डाली ।
⦿ औरंगजेब के समय में हिन्दू मनसबदारों की संख्या लगभग 337 थी , जो अन्य मुगल सम्राटों की तुलना में अधिक थी । औरंगजेब सर्वाधिक हिन्दू अधिकारियों की नियुक्ति करने वाला मुगल सम्राट था ।
⦿ औरंगजेब का पुत्र मुहम्मद अकबर ने दुर्गादास के बहकावे में आकर अपने पिता के खिलाफ विद्रोह किया ।
⦿ औरंगजेब ने कुरान को अपने शासन का आधार बनाया । इसने सिक्के पर कलमा खुदवाना , नवरोज का त्योहार मनाना , भाँग की खेती करना , गाना - बजाना , झरोखा दर्शन , तुलादान प्रथा ( इस प्रथा में सम्राट को उसके जन्म - दिन पर सोने , चाँदी तथा अन्य वस्तुओं से तौलने की प्रथा थी , यह अकबर के जमाने में प्रारंभ हुई थी । ) आदि पर प्रतिबंध लगा दिया ।
⦿ औरंगजेब ने दरबार में संगीत पर पाबन्दी लगा दी तथा सरकारी संगीतज्ञों को अवकाश दे दिया गया । भारतीय शास्त्रीय संगीत पर फारसी में सबसे अधिक पुस्तकें औरंगजेब के ही शासनकाल में लिखी गयीं । औरंगजेब स्वयं वीणा बजाने में दक्ष था ।
⦿ औरंगजेब ने 1665 ई . में हिन्दू मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया । इसके शासनकाल में तोड़े गए मंदिरों में सोमनाथ का मंदिर , बनारस का विश्वनाथ मंदिर एवं वीर सिंह देव द्वारा जहाँगीर काल में मथुरा में निर्मित केशव राय मंदिर थे ।
⦿ औरंगजेब की मृत्यु 20 फरवरी , 1707 ई . को हुई । इसे खुलदाबाद ( Khuldabad ) जो अब रोजा ( Roza ) कहलाता है , में दफनाया गया । औरंगजेब के समय सूबों की संख्या 20 थी ।
⦿ औरंगजेब दारुल हर्ब ( काफिरों का देश ) को दारुल इस्लाम ( इस्लाम का देश ) में परिवर्तित करने को अपना महत्वपूर्ण लक्ष्य मानता था ।
नोट : औरंगजेब के शासनकाल में मुगल सेना में सर्वाधिक हिन्दू सेनापति थे । |
⦿ फ्रांसीसी यात्री फ्रांकोइस बरनीयर औरंगजेब के चिकित्सक थे ।
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