कुषाण
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप कुषाण की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Kushan yug in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Kushan yug विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Kushan की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ पहल्व के बाद कुषाण आए , जो यूची एवं तोखरी भी कहलाते हैं ।
⦿ यूची नामक एक कबीला पाँच कुलों में बँट गया था , उन्हीं में एक कुल के थे कुषाण ।
⦿ कुषाण वंश के संस्थापक कुजुल कडफिसेस था । इस वंश का सबसे प्रतापी राजा कनिष्क था । इनकी राजधानी पुरुषपुर या पेशावर थी । कुषाणों की द्वितीय राजधानी मथुरा थी ।
⦿ कनिष्क ने 78 ई . ( गद्दी पर बैठने के समय ) में एक संवत् चलाया , जो शक संवत् कहलाता है जिसे भारत सरकार द्वारा प्रयोग में लाया जाता है ।
⦿ बौद्ध धर्म की चौथी बौद्ध संगीति कनिष्क के शासनकाल में कुण्डलवन ( कश्मीर ) में प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई ।
⦿ कनिष्क बौद्ध धर्म के महायान सम्प्रदाय का अनुयायी था ।
नोट-चीनी जनरल पेन चौआ ने कनिष्क को हराया था । |
⦿ आरम्भिक कुषाण शासकों ने भारी संख्या में स्वर्ण मुद्राएँ जारी की , जिनकी शुद्धता गुप्त काल की स्वर्ण मुद्राओं से उत्कृष्ट है ।
नोट -कुषाणों ने सोने के सर्वाधिक शुद्ध सिक्के जारी किए । |
⦿ कुषाणों ने उत्तरी तथा उत्तरी पश्चिमी भारत में सर्वाधिक संख्या में ताँबे के सिक्कों को जारी किया था ।
⦿ कनिष्क का राजवैद्य आयुर्वेद का विख्यात विद्वान चरक था । जिसने चरकसंहिता की रचना की ।
⦿ महाविभाष सूत्र के रचनाकार वसुमित्र हैं । इसे ही बौद्धधर्म का विश्वकोश कहा जाता है ।
⦿ कनिष्क के राजकवि अश्वघोष ने बौद्धों का रामायण ' बुद्धचरित ' की रचना की ।
⦿ वसुमित्र , पार्श्व , नागार्जुन , महाचेत और संघरक्ष भी कनिष्क के दरबार की विभूति थे ।
⦿ भारत का आइन्सटीन नागार्जुन को कहा जाता है । इनकी पुस्तक माध्यमिक सूत्र ( इस पुस्तक में नागार्जुन ने सापेक्षता का सिद्धान्त प्रस्तुत किया था ) है ।
⦿ कनिष्क की मृत्यु 102 ई . में हो गयी । कुषाण वंश का अंतिम शासक वासुदेव था ।
नोट -कुषाण राजा देवपुत्र कहलाते थे । यह उपाधि कुषाणों ने चीनियों से ली । |
⦿ गांधार शैली एवं मथुरा शैली का विकास कनिष्क के शासनकाल में हुआ था । मथुरा संग्रहालय में कुषाणकालीन मूर्तियों का संग्रह अधिक मात्रा में है । गंधार कला के लिए तक्षशिला प्रसिद्ध है ।
⦿ रेशम मार्ग पर नियंत्रण रखने वाले शासकों में सबसे प्रसिद्ध कुषाण थे । कुषाण साम्राज्य में मार्गों पर सुरक्षा का प्रबंध था । रेशम मार्ग का आरंभ कनिष्क ने कराया था ।
नोट -रेशम बनाने की तकनीक का आविष्कार सबसे पहले चीन में हुआ था । |
⦿ कुषाण काल में सबसे अधिक विकास वास्तुकला के क्षेत्र में हुआ था । इसी काल में बुद्ध की खड़ी प्रतिमा का निर्माण हुआ ।
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