ब्राह्मण साम्राज्य

नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप ब्राह्मण साम्राज्य की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Brahman samrajya in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Brahman samrajya  विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Brahmin kingdom की जानकारी निम्नवत है ।

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Brahman samrajya

शुंग एवं कण्व राजवंश

⦿ पूष्यमित्र शुंग , जिसने मगध पर शंग वंश की नींव डाली , ब्राह्मण जाति का था ।

⦿ शुंग शासकों ने अपनी राजधानी विदिशा में स्थापित की ।

⦿ इण्डो - यूनानी शासक मिनांडर को पुष्यमित्र शुंग ने पराजित किया ।

⦿ पुष्यमित्र शुंग ने दो बार अश्वमेध यज्ञ किया । इनके लिए पतंजलि ने अश्वमेध यज्ञ कराए ।

⦿ भरहूत स्तूप का निर्माण पुष्यमित्र शुंग ने करवाया ।

⦿ शुंग वंश का अंतिम शासक देवभूति था । इसकी हत्या 73 ईसा पूर्व में वासुदेव ने कर दी और मगध की गद्दी पर कण्व वंश की स्थापना की ।

⦿ कण्व वंश का अंतिम राजा सुशर्मा हुआ ।

सातवाहन राजवंश

⦿ शिमुक ने 60 ईसा पूर्व में सुशर्मा की हत्या कर दी और सातवाहन वंश की स्थापना की । सातवाहन ( आन्ध्र वंश ) शासकों ने अपनी राजधानी प्रतिष्ठान ( गोदावरी नदी के किनारे ) में स्थापित की । ( प्रतिष्ठान महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है । )

⦿ सातवाहन वंश के प्रमुख शासक थे शिमुक , शातकर्णी , गौतमीपुत्र शातकर्णी , वशिष्ठीपुत्र , पुलुमावी तथा यज्ञश्री शातकर्णी ।

⦿ शातकर्णी ने दो अवश्मेध तथा एक राजसूय यज्ञ किया ।

⦿ सातवाहन शासकों के समय के प्रसिद्ध साहित्यकार हाल एवं गुणाढ्य थे । हाल ने ( गाथासप्तशती ) तथा गुणाढ्य ने ( बृहत्कथा ) नामक पुस्तकों की रचना की ।

⦿ सातवाहन शासकों ने चाँदी , ताँबे , सीसा , पोटीन और काँसे की मुद्राओं का प्रचलन किया । सातवाहन अपना सिक्का ढालने में जिस सीसे का इस्तेमाल करते थे , उसे रोम से मंगाया जाता था । सातवाहनों के समय सर्वाधिक सिक्के सीसा के ही बने थे ।

⦿ ब्राह्मणों को भूमि अनुदान देने की प्रथा का आरंभ सातवाहन शासकों ने ही सर्वप्रथम किया । भूमिदान का सर्वप्राचीन पुरालेखीय प्रमाण शताब्दी ई . पू . के सातवाहनों के नानाघाट अभिलेख में मिलता है , जिसमें अश्वमेघ यज्ञ में एक गाँव देने का उल्लेख है ।

⦿ सातवाहनों की राजकीय भाषा प्राकृत एवं लिपि ब्राह्मी थी ।

⦿ सातवाहनों में हमें मातृतंत्रात्मक ढाँचे का आभास मिलता है । उनके राजाओं के नाम उनकी माताओं के नाम पर रखने की प्रथा थी . जैसे - गौतमीपुत्र , वासिष्ठीपुत्र आदि । लेकिन सातवाहन राजकुल पितृतंत्रात्मक था , क्योंकि राजसिंहासन का उत्तराधिकारी पुत्र ही होता था ।

⦿ सातवाहन शासकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासन का काम गौल्मिक को सौंपा । गौल्मिक एक सैनिक टुकड़ी का प्रधान होता था जिसमें नौ रथ , नौ हाथी , पच्चीस घोड़े और पैंतालीस पैदल सैनिक होते थे ।

⦿ सातवाहनों की महत्वपूर्ण स्थापत्य कृतियाँ हैं — कार्ले का चैत्य , अजंता एवं एलोरा की गुफाओं का निर्माण एवं अमरावती कला का विकास । शातकर्णी एवं अन्य सभी सातवाहन शासक दक्षिणापथ के स्वामी कहे जाते थे ।

नोट - सातवाहन राज्य ने उत्तर और दक्षिण भारत के बीच सेतु का काम किया ।

चेदि राजवंश ( कलिंग )


⦿ अशोक की मृत्यु के उपरांत संभवत : प्रथम शताब्दी ई . पू . में कलिंग में चेदी राजवंश का उदय हुआ । इसकी जानकारी हमें हाथी गुम्फा अभिलेख ( भुवनेश्वर , उड़ीसा ) से मिलती है । खारवेल इस वंश का एक प्रतापी राजा था ।

⦿ खारवेल जैन धर्म का अनुयायी था और उसने जैन मुनियों के लिए उदयगिरि की पहाड़ी में गुफा का निर्माण करवाया था ।

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