भारत में यूरोपीय व्यापारिक कम्पनियों का आगमन
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप भारत में यूरोपीय कम्पनियों का आगमन की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Bharat me European ka agaman in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Bharat me European Companies विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Arrival of European Business Companies in India की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ 17 मई , 1498 ई . में वास्को डि - गामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुँचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की । इस यात्रा में वास्को - डि - गामा को भारतीय व्यापारी अब्दुल मजीद ने सहयोग किया था ।
⦿ 1505 ई . में फ्रांसिस्को द अल्मेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया ।
⦿ 1509 ई . में अलफांसो द अल्बुकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना । इसने 1510 ई . में बीजापुर के युसुफ आदिल शाह से गोवा को जीता ।
⦿ पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचीन में खोली ।
⦿ दक्षिणी - पूर्वी तट पर पुर्तगालियों की एक मात्र बस्ती सन - थोमे थी ।
⦿ पुर्तगालियों के बाद भारत में डच लोग आए । पहला डच यात्री कार्नेलियन हाऊटमैन ( Cornelis de Houtman ) 1596 ई . में भारत के पूर्व सुमात्रा पहुंचा ।
⦿ डचों ने भारत में अपनी प्रथम व्यापारिक कोठी ( फैक्ट्री ) 1605 ई . में मसूलीपट्टम में स्थापित की । डचों की दूसरी व्यापारिक कोठी पुलीकट में स्थापित हुई जहाँ उन्होंने अपने स्वर्ण सिक्के ( पैगोडा ) को ढाला और पूलीकट को ही समस्त गतिविधियों का केन्द्र बनाया ।
कंपनी एवं स्थापना वर्ष
कंपनी
वर्ष
पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कम्पनी
1498 ई .
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी
1600 ई .
डच ईस्ट इंडिया कम्पनी
1602 ई .
डैनिश ईस्ट इंडिया कम्पनी
1616 ई .
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी
1664 ई .
स्वीडिश ईस्ट इंडिया कम्पनी
1731 ई .
⦿ डचों ने भारत में प्रथम बार औद्योगिक वेतनभोगी रखे ।
⦿ डचों का भारत में अन्तिम रूप से पतन 1759 ई . को अंग्रेजों एवं डचों के मध्य हुए वेदरा युद्ध से हुआ ।
⦿ 31 दिसम्बर , 1600 ई . को इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को अधिकार पत्र प्रदान किया ।
⦿ प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कम्पनी में 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था ।
⦿ मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिन्स था , जो जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में अप्रैल 1609 ई . में जहाँगीर के दरबार में गया था ।
नोट : भारत आने वाला पहला अंग्रेजी जहाज रेड ड्रैगन था ।
⦿ 1611 ई . में द.-पू . समुद्रतट पर सर्वप्रथम अंग्रेजों ने मसूलीपट्टम में व्यापारिक कोठी की स्थापना की ।
⦿ जहाँगीर ने 1613 ई . में एक फरमान जारी कर अंग्रेजों को सूरत में थॉमस एल्डवर्थ ( Thomas Aldworth ) के अधीन व्यापारिक कोठी ( फैक्ट्री ) खोलने की इजाजत दी ।
नोट : पूर्वी तट पर अंग्रेजों ने अपना प्रथम व्यापारिक कोठी मसूलीपट्टम में 1611 ई . में खोला जबकि पश्चिमी तट पर सूरत में 1613 ई . में व्यापारिक कोठी स्थापित किया । पहली बार सूरत में 1608 ई. में व्यापारिक कोठी स्थापित करने का प्रयास किया गया था ।
⦿ 1615 ई . में सम्राट जेम्स -I ने ‘ सर टॉमस रो ' को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहाँगीर के दरबार में भेजा । रो फरवरी 1619 ई . तक भारत में रहा । रो जहाँगीर एवं खुर्रम ( शाहजहाँ ) से अंग्रेजों के लिए कुछ व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल हुआ ।
⦿ 1632 ई . में गोलकुण्डा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहला फरमान ( Golden Farman ) दिया जिसके अनुसार अंग्रेज सुल्तान को 500 पैगोडा वार्षिक कर देकर गोलकुण्डा राज्य के बन्दरगाह पर स्वतंत्रतापूर्वक व्यापार कर सकते थे ।
⦿ 1639 ई . में अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा से मद्रास पट्टे पर लिया एवं वहीं एक किलाबन्द कोठी का निर्माण किया , इस कोठी का नाम फोर्ड सेन्ट जार्ज पड़ा और यही फोर्ड सेन्ट जार्ज कालान्तर में कोरोमंडल तट पर अंग्रेजी मुख्यालय बना ।
⦿ 1661 ई . में पुर्तगाली राजकुमारी ' कैथरीन ऑफ ब्रेगेन्जा ' ( Catharine of Braganza ) एवं ब्रिटेन के राजकुमार ' चार्ल्स द्वितीय ' का विवाह हुआ । इस अवसर पर दहेज के रूप में पुर्तगालियों ने चार्ल्स - II को बम्बई प्रदान किया ।
⦿ 1668 ई . में चार्ल्स - II ने बम्बई को 10 पौण्ड के वार्षिक किराये पर ईस्ट इंडिया को दे दिया ।
⦿ 1687 ई . में अंग्रेजों ने पश्चिमी तट का मुख्यालय सूरत से हटाकर बम्बई को बनाया ।
नोट : गेराल्ड औंगियर ( 1669 - 1677 ई . ) ( सूरत का प्रेसीडेन्ट एवं बम्बई का गवर्नर ) ने बम्बई शहर की स्थापना की ।
⦿ बंगाल के शासक शाहशुजा ने सर्वप्रथम 1651 ई . में अंग्रेजों को व्यापारिक छूट की अनुमति दी । इस अनुमति को निशान कहते थे ।
⦿ 1698 ई . में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने तीन गाँव - सूतानुती , कालीकट एवं गोविन्दपुर की जमींदारी 1200 रुपये भुगतान कर प्राप्त की और यहाँ पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया । चार्ल्स आयर फोर्ट विलियम के प्रथम प्रेसीडेन्ट हुए । कालान्तर में यही कलकत्ता ( कोलकाता ) नगर कहलाया , जिसकी नींव जॉर्ज चारनौक ने रखी ।
⦿ भारत में फ्रांसीसियों की प्रथम कोठी फ्रैंको कैरों के द्वारा सूरत में 1668 ई . में स्थापित की गयी ।
⦿ 1674 ई . में फ्रांसीसी कम्पनी के निदेशक फ्रेंक्विस मार्टिन ने वालिकोंडापुर के सूबेदार शेर खाँ लोदी से पुदुचेरी नामक एक गाँव प्राप्त किया , जो कालान्तर में पाण्डिचेरी के नाम से जाना गया ।
⦿ प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746 - 48 ई . में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था । 1748 ई . में हुई ए - ला - शापल की संधि के द्वारा आस्ट्रिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया और इसी संधि के तहत प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ ।
⦿ दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749 - 1754 ई . में हुआ । इस युद्ध में फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले की हार हुई । उसे वापस बुला लिया गया और उसकी जगह पर गोडेहू को भारत में अगला फ्रांसीसी गवर्नर बनाया गया । पांडिचेरी की संधि ( जनवरी , 1755 ई . ) के साथ युद्ध विराम हुआ ।
⦿ कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 - 1763 ई . के बीच हुआ जो 1756 ई . में शुरू हुए सप्तवर्षीय युद्ध का ही एक अंश था । पेरिस की संधि होने पर यह युद्ध समाप्त हुआ ।
⦿ 1760 ई . में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में वांडिवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया ।
⦿ 1761 ई . में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसियों से छीन लिया ।
⦿ 1763 ई . में हुई पेरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चन्द्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया , जो 1749 ई . तक फ्रांसीसी कब्जे में थे , ये प्रदेश भारत की आजादी तक फ्रांसीसियों के कब्जे में रहे ।
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नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप भारत में यूरोपीय कम्पनियों का आगमन की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Bharat me European ka agaman in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Bharat me European Companies विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Arrival of European Business Companies in India की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ 17 मई , 1498 ई . में वास्को डि - गामा ने भारत के पश्चिमी तट पर स्थित कालीकट बन्दरगाह पहुँचकर भारत एवं यूरोप के बीच नए समुद्री मार्ग की खोज की । इस यात्रा में वास्को - डि - गामा को भारतीय व्यापारी अब्दुल मजीद ने सहयोग किया था ।
⦿ 1505 ई . में फ्रांसिस्को द अल्मेडा भारत में प्रथम पुर्तगाली वायसराय बनकर आया ।
⦿ 1509 ई . में अलफांसो द अल्बुकर्क भारत में पुर्तगालियों का वायसराय बना । इसने 1510 ई . में बीजापुर के युसुफ आदिल शाह से गोवा को जीता ।
⦿ पुर्तगालियों ने अपनी पहली व्यापारिक कोठी कोचीन में खोली ।
⦿ दक्षिणी - पूर्वी तट पर पुर्तगालियों की एक मात्र बस्ती सन - थोमे थी ।
⦿ पुर्तगालियों के बाद भारत में डच लोग आए । पहला डच यात्री कार्नेलियन हाऊटमैन ( Cornelis de Houtman ) 1596 ई . में भारत के पूर्व सुमात्रा पहुंचा ।
⦿ डचों ने भारत में अपनी प्रथम व्यापारिक कोठी ( फैक्ट्री ) 1605 ई . में मसूलीपट्टम में स्थापित की । डचों की दूसरी व्यापारिक कोठी पुलीकट में स्थापित हुई जहाँ उन्होंने अपने स्वर्ण सिक्के ( पैगोडा ) को ढाला और पूलीकट को ही समस्त गतिविधियों का केन्द्र बनाया ।
कंपनी एवं स्थापना वर्ष
कंपनी | वर्ष |
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पुर्तगाली ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1498 ई . |
अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1600 ई . |
डच ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1602 ई . |
डैनिश ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1616 ई . |
फ्रांसीसी ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1664 ई . |
स्वीडिश ईस्ट इंडिया कम्पनी | 1731 ई . |
⦿ डचों ने भारत में प्रथम बार औद्योगिक वेतनभोगी रखे ।
⦿ डचों का भारत में अन्तिम रूप से पतन 1759 ई . को अंग्रेजों एवं डचों के मध्य हुए वेदरा युद्ध से हुआ ।
⦿ 31 दिसम्बर , 1600 ई . को इंग्लैंड की रानी एलिजाबेथ प्रथम ने ईस्ट इंडिया कम्पनी को अधिकार पत्र प्रदान किया ।
⦿ प्रारंभ में ईस्ट इंडिया कम्पनी में 217 साझीदार थे और पहला गवर्नर टॉमस स्मिथ था ।
⦿ मुगल दरबार में जाने वाला प्रथम अंग्रेज कैप्टन हॉकिन्स था , जो जेम्स प्रथम के राजदूत के रूप में अप्रैल 1609 ई . में जहाँगीर के दरबार में गया था ।
नोट : भारत आने वाला पहला अंग्रेजी जहाज रेड ड्रैगन था । |
⦿ 1611 ई . में द.-पू . समुद्रतट पर सर्वप्रथम अंग्रेजों ने मसूलीपट्टम में व्यापारिक कोठी की स्थापना की ।
⦿ जहाँगीर ने 1613 ई . में एक फरमान जारी कर अंग्रेजों को सूरत में थॉमस एल्डवर्थ ( Thomas Aldworth ) के अधीन व्यापारिक कोठी ( फैक्ट्री ) खोलने की इजाजत दी ।
नोट : पूर्वी तट पर अंग्रेजों ने अपना प्रथम व्यापारिक कोठी मसूलीपट्टम में 1611 ई . में खोला जबकि पश्चिमी तट पर सूरत में 1613 ई . में व्यापारिक कोठी स्थापित किया । पहली बार सूरत में 1608 ई. में व्यापारिक कोठी स्थापित करने का प्रयास किया गया था । |
⦿ 1615 ई . में सम्राट जेम्स -I ने ‘ सर टॉमस रो ' को अपना राजदूत बनाकर मुगल सम्राट जहाँगीर के दरबार में भेजा । रो फरवरी 1619 ई . तक भारत में रहा । रो जहाँगीर एवं खुर्रम ( शाहजहाँ ) से अंग्रेजों के लिए कुछ व्यापारिक छूट प्राप्त करने में सफल हुआ ।
⦿ 1632 ई . में गोलकुण्डा के सुल्तान ने अंग्रेजों को एक सुनहला फरमान ( Golden Farman ) दिया जिसके अनुसार अंग्रेज सुल्तान को 500 पैगोडा वार्षिक कर देकर गोलकुण्डा राज्य के बन्दरगाह पर स्वतंत्रतापूर्वक व्यापार कर सकते थे ।
⦿ 1639 ई . में अंग्रेज फ्रांसिस डे ने चन्द्रगिरि के राजा से मद्रास पट्टे पर लिया एवं वहीं एक किलाबन्द कोठी का निर्माण किया , इस कोठी का नाम फोर्ड सेन्ट जार्ज पड़ा और यही फोर्ड सेन्ट जार्ज कालान्तर में कोरोमंडल तट पर अंग्रेजी मुख्यालय बना ।
⦿ 1661 ई . में पुर्तगाली राजकुमारी ' कैथरीन ऑफ ब्रेगेन्जा ' ( Catharine of Braganza ) एवं ब्रिटेन के राजकुमार ' चार्ल्स द्वितीय ' का विवाह हुआ । इस अवसर पर दहेज के रूप में पुर्तगालियों ने चार्ल्स - II को बम्बई प्रदान किया ।
⦿ 1668 ई . में चार्ल्स - II ने बम्बई को 10 पौण्ड के वार्षिक किराये पर ईस्ट इंडिया को दे दिया ।
⦿ 1687 ई . में अंग्रेजों ने पश्चिमी तट का मुख्यालय सूरत से हटाकर बम्बई को बनाया ।
नोट : गेराल्ड औंगियर ( 1669 - 1677 ई . ) ( सूरत का प्रेसीडेन्ट एवं बम्बई का गवर्नर ) ने बम्बई शहर की स्थापना की । |
⦿ बंगाल के शासक शाहशुजा ने सर्वप्रथम 1651 ई . में अंग्रेजों को व्यापारिक छूट की अनुमति दी । इस अनुमति को निशान कहते थे ।
⦿ 1698 ई . में अंग्रेजी ईस्ट इंडिया कम्पनी ने तीन गाँव - सूतानुती , कालीकट एवं गोविन्दपुर की जमींदारी 1200 रुपये भुगतान कर प्राप्त की और यहाँ पर फोर्ट विलियम का निर्माण किया । चार्ल्स आयर फोर्ट विलियम के प्रथम प्रेसीडेन्ट हुए । कालान्तर में यही कलकत्ता ( कोलकाता ) नगर कहलाया , जिसकी नींव जॉर्ज चारनौक ने रखी ।
⦿ भारत में फ्रांसीसियों की प्रथम कोठी फ्रैंको कैरों के द्वारा सूरत में 1668 ई . में स्थापित की गयी ।
⦿ 1674 ई . में फ्रांसीसी कम्पनी के निदेशक फ्रेंक्विस मार्टिन ने वालिकोंडापुर के सूबेदार शेर खाँ लोदी से पुदुचेरी नामक एक गाँव प्राप्त किया , जो कालान्तर में पाण्डिचेरी के नाम से जाना गया ।
⦿ प्रथम कर्नाटक युद्ध 1746 - 48 ई . में आस्ट्रिया के उत्तराधिकार युद्ध से प्रभावित था । 1748 ई . में हुई ए - ला - शापल की संधि के द्वारा आस्ट्रिया का उत्तराधिकार युद्ध समाप्त हो गया और इसी संधि के तहत प्रथम कर्नाटक युद्ध समाप्त हुआ ।
⦿ दूसरा कर्नाटक युद्ध 1749 - 1754 ई . में हुआ । इस युद्ध में फ्रांसीसी गवर्नर डूप्ले की हार हुई । उसे वापस बुला लिया गया और उसकी जगह पर गोडेहू को भारत में अगला फ्रांसीसी गवर्नर बनाया गया । पांडिचेरी की संधि ( जनवरी , 1755 ई . ) के साथ युद्ध विराम हुआ ।
⦿ कर्नाटक का तीसरा युद्ध 1756 - 1763 ई . के बीच हुआ जो 1756 ई . में शुरू हुए सप्तवर्षीय युद्ध का ही एक अंश था । पेरिस की संधि होने पर यह युद्ध समाप्त हुआ ।
⦿ 1760 ई . में अंग्रेजी सेना ने सर आयरकूट के नेतृत्व में वांडिवाश की लड़ाई में फ्रांसीसियों को बुरी तरह हराया ।
⦿ 1761 ई . में अंग्रेजों ने पांडिचेरी को फ्रांसीसियों से छीन लिया ।
⦿ 1763 ई . में हुई पेरिस संधि के द्वारा अंग्रेजों ने चन्द्रनगर को छोड़कर शेष अन्य प्रदेशों को लौटा दिया , जो 1749 ई . तक फ्रांसीसी कब्जे में थे , ये प्रदेश भारत की आजादी तक फ्रांसीसियों के कब्जे में रहे ।
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