बहमनी राज्य
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप बहमनी राज्य की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Bahmani Rajya in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Bahmani Rajya विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Bahmani State की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ मुहम्मद बिन तुगलक के शासनकाल में 1347 ई . में हसनगंगू ने बहमनी राज्य की स्थापना की । वह अलाउद्दीन हसन बहमन शाह के नाम से सिंहासन पर बैठा और गुलबर्गा को अपनी राजधानी बनाया । इसकी राजभाषा मराठी थी ।
⦿ इसने अपने साम्राज्य को चार प्रान्तों में गुलबर्गा , दौलताबाद , बरार एवं बीदर में बाँटा ।
⦿ इसकी मृत्यु 11 फरवरी , 1358 ई . को हो गयी ।
⦿ अलाउद्दीन हसन के पश्चात उसका पुत्र मुहम्मदशाह प्रथम सुल्तान बना । इसके काल में ही सबसे पहले बारूद का प्रयोग ( बुक्का के विरुद्ध ) हुआ ।
⦿ भीमा नदी के तट पर फिरोजाबाद की स्थापना ताज - उद्दीन - फिरोज ने की थी । फिरोज खगोलिकी को प्रोत्साहन देता था और उसने दौलताबाद के पास एक वैधशाला बनवाई थी । फ़रिश्ता के अनुसार फिरोज फारसी , अरबी और तुर्की के अतिरिक्त तेलगू , कन्नड़ और मराठी भाषा का भी ज्ञाता था ।
⦿ शिहाबुद्दीन अहमद प्रथम ने अपनी राजधानी गुलबर्गा से हटाकर बीदर में स्थापित की । इसने बीदर का नया नाम मुहम्मदाबाद रखा ।
बहमनी वंश के प्रमुख शासक
शासक | समय |
---|---|
मुहम्मद शाह प्रथम | 1358 - 1375 ई . |
अलाउद्दीन मुजाहिद शाह | 1375 - 1378 ई . |
दाउद प्रथम | 1378 ई . |
मुहम्मद शाह द्वितीय | 1378 - 1397 ई . |
ताज - उद्दीन - फिरोज | 1397 - 1422 ई . |
शिहाबुद्दीन अहमद प्रथम | 1422 - 1436 ई . |
अलाउद्दीन अहमद - II | 1436 - 1458 ई . |
सुल्तान शम्सुद्दीन मुहम्मद - III | 1463 - 1482 ई . |
⦿ सुल्तान शम्सुद्दीन मुहम्मद - III के शासनकाल में ' ख्वाजा जहाँ ' की उपाधि से महमूद गवाँ ( ईरानी ) को प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया । मुहम्मद-III के आदेश पर 1482 में 70 वर्ष की अवस्था में महमूद गवाँ को फाँसी दे दी गई ।
⦿ महमूद गवाँ ने बीदर में एक महाविद्यालय ( मदरसा ) की स्थापना कराई । इसका भवन तिमंजिला था । इसमें एक हजार अध्यापक और विद्यार्थी रह सकते थे । उन्हें भोजन और कपड़ा भी राज्य की ओर से मुफ्त दिया जाता था । रियाजुल इन्शा नाम से महमूद गवाँ के पत्रों का संग्रह किया गया ।
⦿ 1470 ई . में रूसी यात्री निकितन बहमनी साम्राज्य ( बीदर ) की यात्रा पर आया । इस समय बहमनी राज्य पर मुहम्मद - III का शासन था ।
⦿ बहमनी साम्राज्य के चारों प्रांतों ( तरफों या अतरफों ) के प्रांतपति ( तरफदार ) उसके विरुद्ध विशेष से जाने जाते थे — 1. दौलताबाद का तरफ़दार : मसनद - ए - आली , 2. बरार का तरफ़दार : मजलिस ए - आली , 3. बीदर का तरफ़दार : अजाम - ए - हुमायूँ 4. गुलबर्गा का तरफ़दार : मालिक नायब ।
⦿ बीजापुर गुलबर्गा तराफ़ ( सबसे महत्वपूर्ण ) में शामिल था । कलीमउल्लाह बहमनी वंश का अंतिम शासक था ।
⦿ इसकी मृत्यु के समय बहमनी राज्य पाँच स्वतंत्र राज्यों में बँट गया । इन स्वतंत्र राज्यों से संबंधित विवरण इस प्रकार है -
राज्य | बंश | संस्थापक | स्थापना वर्ष |
---|---|---|---|
बीजापुर | आदिलशाही | युसुफ आदिल शाह | 1489 ई . |
अहमदनगर | निजामशाही | मलिक अहमद | 1490 ई . |
बरार | इमादशाही | फतेहउल्लाह इमादशाह | 1490 ई . |
गोलकुण्डा | कुतुबशाही | कुलीकुतुबशाह | 1512 ई . |
बीदर | बरीदशाही | अमीर अली बरीद | 1526 ई . |
⦿ मुहम्मद प्रथम के मंत्री सैफुद्दीन गौरी ने केन्द्रीय शासन का कार्य कई विभागों में विभक्त किया और उसने आठ मंत्रियों को नियुक्त किया , जो इस प्रकार थे -
वकील - ए - सल्तनत : दिल्ली के मलिक नायब के समान । वकील - ए - कुल : सभी मंत्रियों के कार्यों का निरीक्षण ( वकील को छोड़कर ) । अमीर - ए - जुमला : अर्थ विभाग का अध्यक्ष । वजीर - ए - अशरफ : विदेश नीति एवं दरबार संबंधी कार्यों का निष्पादन करता था । नाजिर : वह अर्थ विभाग से संबंधित था । पेशवा : वकील - ए - सल्तनत का सहायक था । कोतवाल : नगर का मुख्य पुलिस अधिकारी था । सद्रे - ए - जहाँ : न्याय विभाग , धर्म तथा दान विभाग का अध्यक्ष । |
⦿ सुल्तान के महल तथा दरबार की सुरक्षा के लिए विशेष अंगरक्षक सैनिक दल था , जिसे साख - ए - खेल कहा जाता था । यह चार भागों या नौबत में विभाजित थे , जिसके मुख्य अधिकारी सर - ए - नौबत होता था ।
⦿ बहमनी राज्य में कुल 18 शासक हुए , जिन्होंने कुल मिलाकर 175 वर्ष शासन किया ।
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