वैदिक सभ्यता
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप वैदिक सभ्यता की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Vedik sabhyata in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Vedik sabhyata विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Vedic Civilization की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ वैदिककाल का विभाजन दो भागों 1 . ऋग्वैदिक काल - 1500 - 1000 ई . पू . एवं 2 . उत्तर वैदिककाल - 1000 - 600 ई . पू . में किया गया है ।
⦿ आर्य सर्वप्रथम पंजाब एवं अफगानिस्तान में बसे । मैक्समूलर ने आर्यों का मूल निवास स्थान मध्य एशिया को माना है । आर्यों द्वारा निर्मित सभ्यता वैदिक सभ्यता कहलाई । यह एक ग्रामीण सभ्यता थी । आर्यों की भाषा संस्कृत थी ।
नोट -आर्य शब्द भाषा - समूह को इंगित करता है । |
उपनिषदों की संख्या | 108 |
महापुराणों की संख्या | 18 |
वेदांगो को संख्या | 6 |
⦿ आर्यों के प्रशासनिक इकाई आरोही क्रम से इन पाँच भागों में बँटा था - कुल , ग्राम , विश , जन , राष्ट्र । ग्राम के मुखिया ग्रामिणी , विश् का प्रधान विशपति एवं जन के शासक राजन कहलाते थे ।
⦿ राज्याधिकारियों में पुरोहित एवं सेनानी प्रमुख थे । वसिष्ठ रुढ़िवादी एवं विश्वामित्र उदार पुरोहित थे ।
⦿ सूत , रथकार व कम्मादि नामक अधिकारी रत्नी कहे जाते थे । इनकी संख्या राजा सहित करीब 12 हुआ करती थी ।
⦿ पुरप - दुर्गपति एवं स्पश - जनता की गतिविधियों को देखने वाले गुप्तचर होते थे ।
⦿ वाजपति — गोचर भूमि का अधिकारी होता था ।
⦿ उग्र - अपराधियों को पकड़ने का कार्य करता था ।
नोट -ऋग्वेद में किसी तरह के न्यायाधिकारी का उल्लेख नहीं है । |
दिशा | उत्तरवैदिक शब्द | राजा का नाम |
---|---|---|
पूर्व | प्राची | सम्राट |
पश्चिम | प्रतीची | स्वराष्ट्र |
उत्तर | उदीची | विराट |
मध्य | राजा | |
दक्षिण | भोज |
⦿ सभा एवं समिति राजा को सलाह देने वाली संस्था थी । सभा श्रेष्ठ एवं संभ्रांत लोगों की संस्था थी जबकि समिति सामान्य जनता का प्रतिनिधित्व करती थी । इसके अध्यक्ष को ईशान कहा जाता था । स्त्रियाँ सभा एवं समितियों में भाग ले सकती थीं ।
⦿ युद्ध में कबीले का नेतृत्व राजा करता था । युद्ध के लिए गविष्टि शब्द का प्रयोग किया गया है , जिसका अर्थ है - गायों की खोज ।
⦿ दसराज्ञ युद्ध का उल्लेख ऋग्वेद के 7वें मंडल में है , यह युद्ध परुषणी ( रावी ) नदी के तट पर सुदास एवं दस जनों के बीच लड़ा गया ,जिसमें सुदास विजयी हुआ ।
⦿ ऋग्वैदिक समाज चार वर्गों में विभक्त था । ये वर्ण थे- ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र । यह विभाजन व्यवसाय पर आधारित था । ऋग्वेद के 10वें मंडल के पुरुषसूक्त में चतुर्वर्णों का उल्लेख मिलता है । इसमें कहा गया है कि ब्राह्मण परम पुरुष के मुख से , क्षत्रिय उनकी भुजाओं से , वैश्य उनकी जाँघों से एवं शूद्र उनके पैरों से उत्पन्न हुए हैं ।
⦿ आर्यों का समाज पितृप्रधान था । समाज की सबसे छोटी इकाई परिवार या कुल थी , जिसका मुखिया पिता होता था , जिसे कुलप कहा जाता था ।
⦿ स्त्रियाँ इस काल में अपने पति के साथ यज्ञ - कार्य में भाग लेती थीं ।
⦿ बाल - विवाह एवं पर्दा - प्रथा का प्रचलन नहीं था ।
⦿ विधवा अपने मृतक पति के छोटे भाई ( देवर ) से विवाह कर सकती थी ।
⦿ स्त्रियाँ शिक्षा ग्रहण करती थीं । ऋग्वेद में लोपामुद्रा , घोषा , सिकता , आपला एवं विश्वास जैसी विदुषी स्त्रियों का वर्णन है । गार्गी ने याज्ञवल्क्य को वाद - विवाद की चुनौती दी थी ।
⦿ जीवन भर अविवाहित रहनेवाली महिलाओं को अमाजू कहा जाता था ।
⦿ जीविकोपार्जन के लिए वेद - वेदांग पढ़ानेवाला अध्यापक उपाध्याय कहलाता था ।
⦿ आर्यों का मुख्य पेय - पदार्थ सोमरस था । यह वनस्पति से बनाया जाता था ।
⦿ आर्य मुख्यतः तीन प्रकार के वस्त्रों का उपयोग करते थे — 1 . वास 2 . अधिवास और 3 . उष्णीष । अन्दर पहननेवाले कपड़े को नीवि कहा जाता था ।
प्रमुख दर्शन एवं उनके प्रवर्तक
दर्शन | प्रवर्तक |
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चार्वाक | चार्वाक |
योग | पतंजलि |
सांख्य | कपिल |
न्याय | गौतम |
पूर्वमीमांसा | जैमिनी |
उत्तरमीमांसा | बादरायण |
वैशेषिक | कणाद या उलूक |
⦿ महर्षि कणाद को भारतीय परमाणुवाद का जनक कहा गया है ।
⦿ आर्यों के मनोरंजन के मुख्य साधन थे — संगीत , रथदौड़ , घुड़दौड़ एवं द्यूतक्रीड़ा ।
⦿ आर्यों का मुख्य व्यवसाय पशुपालन एवं कृषि था ।
⦿ गाय को अध्न्या - न मारे जाने योग्य पशु की श्रेणी में रखा गया था । गाय की हत्या करने वाले या उसे घायल करने वाले के लिए वेदों में मृत्युदंड अथवा देश से निकाले की व्यवस्था की गई है ।
⦿ आर्यों का प्रिय पशु घोड़ा एवं सर्वाधिक प्रिय देवता इन्द्र थे ।
⦿ आर्यों द्वारा खोजी गयी धातु लोहा थी जिसे श्याम अयस् कहा जाता था । ताँबे को लोहित अयस कहा जाता था ।
⦿ व्यापार हेतु दूर - दूर तक जानेवाला व्यक्ति को पणि कहते थे ।
⦿ लेन - देन में वस्तु - विनिमय की प्रणाली प्रचलित थी ।
⦿ ऋण देकर ब्याज लेने वाला व्यक्ति को वेकनॉट ( सूदखोर ) कहा जाता था ।
⦿ मनुष्य एवं देवता के बीच मध्यस्थ की भूमिका निभानेवाले देवता के रूप में अग्नि की पूजा की जाती थी ।
⦿ ऋग्वेद में उल्लिखित सभी नदियों में सरस्वती सबसे महत्वपूर्ण तथा पवित्र मानी जाती थी । ऋग्वेद में गंगा का एक बार और यमुना का उल्लेख तीन बार हुआ है । इसमें सिन्धु नदी का उल्लेख सर्वाधिक बार हुआ है ।
ऋग्वेदिक कालीन नदियां
प्राचीन नाम | आधुनिक नाम |
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क्रुभ | कुर्रम |
कुभा | काबुल |
वितस्ता | झेलम |
आस्किनी | चिनाब |
परुषणी | रावी |
शतुद्रि | सतलज |
विपाशा | व्यास |
सदानीरा | गंडक |
दृसद्धती | घग्घर |
गोमती | गोमल |
सुवस्तु | स्वात् |
⦿ उत्तरवैदिक काल में इन्द्र के स्थान पर प्रजापति सर्वाधिक प्रिय देवता हो गये थे । विष्णु के तीन पगों की कल्पना का विकास उत्तरवैदिक काल में ही हुआ ।
ऋग्वेदिककालीन देवता
देवता | सम्बन्ध |
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इन्द्र | युद्ध का नेता एवं वर्षा का देवता |
अग्नि | देवता एवं मनुष्य के बीच मध्यस्थ |
वरुण | पृथ्वी एवं सूर्य के निर्माता , समुद्र का देवता , विश्व के नियामक एवं शासक , सत्य का प्रतीक , ऋतु - परिवर्तन एवं दिन - रात का कर्ता |
द्दौ | आकाश का देवता ( सबसे प्राचीन ) |
सोम | वनस्पति देवता |
उषा | प्रगति एवं उत्थान देवता |
आश्विन | विपत्तियों को हरनेवाले देवता |
पूषन | पशुओं का देवता |
विष्णु | विश्व के संरक्षक एवं पालनकर्ता |
मारुती | आँधी - तूफान का देवता |
⦿ उत्तरवैदिक काल में राजा के राज्याभिषेक के समय राजसूय यज्ञ का अनुष्ठान किया जाता था ।
⦿ उत्तरवैदिक काल में वर्ण व्यवसाय की बजाय जन्म के आधार पर निर्धारित होने लगे थे ।
⦿ उत्तरवैदिक काल में हल को सिरा और हल रेखा को सीता कहा जाता था ।
⦿ उत्तरवैदिक काल में निष्क और शतमान मुद्रा की इकाइयाँ थीं , लेकिन इस काल में किसी खास भार , आकृति और मूल्य के सिक्कों के चलन का कोई प्रमाण नहीं मिलता ।
⦿ सांख्य दर्शन भारत के सभी दर्शनों में सबसे प्राचीन है । इसके अनुसार मूल तत्व पच्चीस हैं , जिनमें प्रकृति पहला तत्व है ।
⦿ ' सत्यमेव जयते ' मुण्डकोपनिषद् से लिया गया है । इसी उपनिषद् में यज्ञ की तुलना फूटी नाव से की गयी है ।
⦿ गायत्री मंत्र सवितृ नामक देवता को संबोधित है , जिसका संबंध ऋग्वेद से है । लोगों को आर्य बनाने के लिए विश्वामित्र ने गायत्री मंत्र की रचना की ।
⦿ श्राद्ध की प्रथा पहले - पहल दत्तात्रेय ऋषि के बेटे निमि ने शुरू की ।
⦿ उत्तरवैदिक काल में कौशाम्बी नगर में प्रथम बार पक्की ईंटों का प्रयोग किया गया है ।
⦿ महाकाव्य दो हैं — महाभारत एवं रामायण ।
⦿ ' महाभारत ' का पुराना नाम जयसंहिता है । यह विश्व का सबसे बड़ा महाकाव्य है ।
⦿ गोत्र नामक संस्था का जन्म उत्तरवैदिक काल में हुआ ।
नोट - वेदान्त दर्शन के मौलिक ग्रंथ ' ब्रह्मसूत्र ' या ' वेदान्त सूत्र ' की रचना बदरायण ने की थी । |
यह भी देखें
LATEST JOB श्रोत- अमर उजाला अखबार | |
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पुस्तके ( BOOKS ) | |
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