केन्द्र राज्य सम्बन्ध

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Kendra rajya sambandh

⦿ भारत में केन्द्र राज्य संबंध संघवाद की ओर उन्मुख है और संघवाद की इस प्रणाली को कनाडा के संविधान से लिया गया है ।

⦿ भारतीय संविधान में केन्द्र तथा राज्य के मध्य विधायी , प्रशासनिक तथा वित्तीय शक्तियों का विभाजन किया गया है , लेकिन न्यायपालिका को विभाजन की परिधि से बाहर रखा गया है ।

⦿ भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्र एवं राज्य की शक्तियों के बँटवारे से संबंधित तीन सूची दी गई है -

1 . संघ सूची

2 . राज्य सूची

3 . समवर्ती सूची

⦿ औपचारिक रूप में और कानूनी दृष्टि से इन सूचियों की विषयों की संख्या वही बनी हुई है , जो मूल संविधान में थी ।

नोट : भारत के संविधान में केन्द्र और राज्यों के बीच किए गए शक्तिओं का विभाजन भारत सरकार अधिनियम , 1935 में उल्लिखित योजना पर आधारित है ।

संघ सूची

⦿ संघ सूची में उन विषयों को शामिल किया गया है , जो राष्ट्रीय महत्व के हैं तथा जिन पर कानून बनाने का एकमात्र अधिकार केन्द्रीय विधायिका अर्थात् संसद को है । इस सूची में इस समय कुल 100 विषय हैं । ( अब भी अंतिम प्रविष्टि की संख्या 97 है , लेकिन कुल संख्या 100 है , प्रविष्टि संख्या 2 क , 92 क , और 92 ख जोड़ा गया और प्रविष्टि 33 को हटाया गया  ) , जिनमें प्रमुख हैं — रक्षा , विदेशी मामले , युद्ध , अन्तरराष्ट्रीय संधि , अणु शक्ति , सीमा शुल्क , जनगणना , विदेशी ऋण , डाक एवं तार , प्रसारण , टेलीफोन , विदेशी व्यापार , रेल तथा वायु एवं जल परिवहन आदि ।

राज्य सूची

⦿ इसमें उन विषयों को शामिल किया गया है , जो स्थानीय महत्व के हैं तथा जिन पर कानुन बनाने का एक अधिकार राज्य विधान मंडल को है , लेकिन कुछ विशेष परिस्थितिया में संसद भी कानून बना सकती है । इस सूची में शामिल विषयो की संख्या इस समय 61 है । ( अब भी अंतिम प्रविष्टि 66 है , प्रविष्टि संख्या 11 , 19 , 20 , 29 और 36 को हटाया गया ) , जिनमें प्रमुख लोक सेवा , कृषि , कारागार , भू - राजस्व , लोक व्यवस्था , पुलिस , लोक स्वास्थ्य , स्थानीय शासन , क्रय , विक्रय एवं सिंचाई आदि ।

समवर्ती सूची

⦿ इसमें शामिल विषयों पर संसद तथा राज्य विधान मंडल दोनों द्वारा कानून बनाया जाता है और यदि दोनों कानूनों में विरोध है , तो संसद द्वारा निर्मित कानून लागू होगा । इसमें इस समय 52 विषय है । अब भी अंतिम प्रविष्टि संख्या 47 है लेकिन इसमें कुल संख्या 52 है , प्रविष्टि 11 क , 17 क , 17 ख , 20 क और 33 क को जोड़ा गया ) , उनमें प्रमुख हैं - राष्ट्रीय जलमार्ग , परिवार नियोजन , जनसंख्या नियंत्रण , समाचार - पत्र , कारखाना , शिक्षा , आर्थिक तथा सामाजिक योजना , वन ।

नोट : संविधान के 42वें संशोधन ( 1976 ) के द्वारा वन , शिक्षा , जनसंख्या नियंत्रण व परिवार नियोजन , बाट व माप , जानवर तथा पक्षियों की सुरक्षा आदि विषय को समवर्ती सूची में शामिल कर दिया गया है ।

अवशिष्ट विधायी शक्ति

⦿ जिन विषयों को संघ सूची , राज्य सूची और समवर्ती सूची में नहीं शामिल किया गया है , उन पर कानून बनाने का अधिकार संसद को प्रदान किया गया है ।

राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति

⦿ संविधान के अनुच्छेद - 249 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि राज्यसभा अपने उपस्थित तथा मतदान करने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से यह पारित कर दे कि राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखकर संसद राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाए , तो संसद को राज्य सूची में वर्णित विषयों पर कानून बनाने की शक्ति प्राप्त हो जाती है । संसद द्वारा इस प्रकार बनाया गया कानून एक वर्ष के लिए प्रवर्तनीय होता है , लेकिन राज्यसभा द्वारा पारित कर इसे बार - बार कई वर्षों के लिए बढ़ाया जा सकता है ।

⦿ राष्ट्रीय आपात एवं राष्ट्रपति शासन के समय भी संसद को राज्य सूची पर कानून बनाने का अधिकार होता है । राज्यों के सहमति से भी संसद राज्य सूचि पर कानून बना सकती है ।

⦿ अनुच्छेद - 253 के अन्तर्गत अन्तर्राष्ट्रीय समझौता को प्रभावी बनाने हेतु संसद राज्य सूची के विषय पर कानून बना सकती है ।

संघ के प्रमुख राजस्व स्रोत हैं

⦿ निगम कर , सीमा शुल्क , निर्यात शुल्क , कृषि भूमि को छोड़कर अन्य सम्पत्ति पर सम्पदा शुल्क , विदेशी ऋण , रेल , रिजर्व बैंक तथा शेयर बाजार ।

राज्य के प्रमुख राजस्व स्रोत हैं

⦿ व्यक्ति कर , कृषि , भूमि पर कर , सम्पदा शुल्क , भूमि एवं भवनों पर कर , पशुओं तथा नौकायान पर कर , विक्रय कर , वाहनों पर चुंगी ।

⦿ केन्द्र व राज्यों के मध्य विवाद को सुलझाने के लिए मुख्यतः चार आयोग गठित किये गये , जो इस प्रकार हैं - प्रशासनिक सुधार आयोग राजमन्नार आयोग , भगवान सहाय समिति एव सरकारिया आयोग 

सरकारिया आयोग

⦿ 1983 ई . में केन्द्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत न्यायाधीश आर . एस . सरकारिया की अध्यक्षता में केन्द्र राज्य संबंधों पर एक तीन सदस्यीय आयोग का गठन किया । वी . शिवरामन और एम . आर . सेन आयोग के दो अन्य सदस्य थे । आयोग से कहा गया कि वह केन्द्र और राज्य सरकार के बीच सभी व्यवस्थाओं व कार्य पद्धतियों का परीक्षण करे और इस संबंध में उचित परिवर्तन व प्रामाणिक सिफारिशें प्रदान करे । इसे अपने काम को पूरा करने के लिए एक वर्ष का समय दिया गया , तथापि इसका कार्यकाल चार बार बढ़ाना पड़ा । रिपोर्ट अंतिम अक्टूबर , 1987 ई . में पेश की गई और इसका सार आधिकारिक तौर पर जनवरी , 1988 ई . में जारी किया गया । आयोग ने केन्द्र राज्य संबंधों की सुधार की दिशा में 247 सिफारिशें प्रस्तुत की ।

पुंछी आयोग

⦿ अप्रैल , 2007 ई . में केन्द्र सरकार ने केन्द्र - राज्य संबंधों की समीक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय के भूतपूर्व मुख्य न्यायाधीश मदन मोहन पुंछी की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया । इस आयोग के अन्य चार सदस्य थे - धीरेन्द्र सिंह , विनोद कुमार , प्रो . एन . आर . माधव मेनन और डॉ . अमरेश बागची । फरवरी , 2008 ई . में डॉ . बागची के निधन के पश्चात विजय शंकर को आयोग के एक सदस्य के रूप में अक्टूबर , 2008 ई . में नियुक्त किया गया । इस आयोग का गठन इसलिये किया गया था कि दो दशक पहले गठित सरकारिया आयोग के बाद बदलते राजनीतिक एवं आर्थिक परिदृश्य के कारण काफी परिवर्तन हो चुके हैं । अतः नयी परिस्थितियों में केन्द्र - राज्य संबंधों का पुनः आकलन किया जाना आवश्यक है ।

केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े कुछ अनुच्छेद

अनुच्छेद विषय-वस्तु
247 कुछ अतिरिक्त न्यायालयों की स्थापना का उपबंध करने की संसद की शक्ति
249 राष्ट्रहित में राज्य सूची से संबंधित किसी मामले में संसद की कानून बनाने की शक्ति
250 राज्य सूची के किसी विषय पर आपातकाल की स्थिति में संसद की कानून बनाने की शक्ति
252 दो या अधिक राज्यों के लिए , उनकी सहमति के पश्चात् संसद द्वारा कानून बनाने की शक्ति तथा किसी अन्य राज्य द्वारा इस विधायन को अंगीकार करना
253 संसद को किसी अन्य देश या देशों के साथ की गई किसी संधि , करार या अभिसमय अथवा किसी अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन , संगम या अन्य निकाय में किये गए किसी विनिश्चय के कार्यान्वयन के लिए भारत के संपूर्ण राज्य क्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बनाने की शक्ति है
257 कुछ मामलों में संघ का राज्यों के ऊपर नियंत्रण
262 अंतर्राज्यीय नदियों अथवा नदी - घाटियों के पानी से संबंधित विवादों के संबंध में न्यायनिर्णयन
268 संघ द्वारा आरोपित किन्तु राज्यों द्वारा संगृहीत एवं उपयोग किए गए कर
268-A संघ द्वारा आरोपित तथा राज्यों द्वारा संगृहीत एवं उपयोग किया गया सेवा कर
269 केन्द्र द्वारा लगाए गए एवं संगृहीत किए गए किन्तु राज्यों को दिये जाने वाले कर
270 केन्द्र एवं राज्यों के बीच लगाये गये कर एवं संघ तथा राज्यों के बीच वितरण
275 कुछ राज्यों को संघ से अनुदान
283 संचित निधियाँ , आकस्मिकता निधियों तथा लोक लेखा में जमा धनराशियों की अभिरक्षा
286 वस्तुओं की बिक्री अथवा खरीद पर करारोपण पर प्रतिबंध
287 बिजली पर करों से छूट
289 किसी राज्य की संपत्ति एवं आय का संघीय करारोपण से छूट
290 कुछ व्ययों और पेंशनों के संबंध में समायोजन
292 भारत सरकार द्वारा लिए गए उधार
293 राज्यों द्वारा लिया गया उधार

यह भी देखें
LATEST JOB श्रोत- अमर उजाला अखबार
New Vacancy श्रोत- अमर उजाला अखबार ( आज की नौकरी ) CLICK HERE

पुस्तके ( BOOKS )
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