आर्थिक आयोजन एवं पंचवर्षीय योजनाएँ

नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप आर्थिक आयोजन एवं पंचवर्षीय योजनाएँ की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Arthik ayojan aur panchvarshiya yojna in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Arthik ayojan aur panchvarshiya yojna के बारे में बात करेंगे । निचे Economic planning and Five Year Plans की जानकारी निम्नवत है ।

पंचवर्षीय योजनाएँ,Five Year Plans,panchvarshiya yojna
Panchvarshiya yojna

आर्थिक आयोजन वह प्रक्रिया है , जिसके अन्तर्गत पूर्व निर्धारित उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सीमित प्राकृतिक संसाधनों का कुशलतम उपयोग किया जाता है । भारत में आर्थिक आयोजन के निर्धारित उद्देश्य हैं - आर्थिक संवृद्धि , आर्थिक व सामाजिक असमानता को दूर करना , गरीबी का निवारण तथा रोजगार के अवसरों में वृद्धि ।

नोट : केन्द्रीकृत नियोजन सर्वप्रथम पूर्व सोवियत संघ में अपनाया गया ।

पंचवर्षीय योजनाएँ : लक्ष्य एवं उपलब्धियाँ
पंचवर्षीय योजना अवधि ( 1993 - 94 की कीमतों पर ) GDP की वार्षिक लक्ष्य ( % में ) उपलब्धि ( % में )
पहली 1951 - 1956 2.1 3.60
दूसरी 1956 - 1961 4.5 4.1
तीसरी 1961 - 1966 5.6 2.8
चौथी 1969 - 1974 5.7 3.3
पाँचवीं 1974 - 1978 4.4 4.83
छठी 1980 - 1985 5.2 5.7
सातवीं 1985 - 1990 5.0 6.02
आठवीं 1992 - 1997 5.6 6.8
नौवीं 1997 - 2002 6.5 5.4
दसवीं 2002 - 2007 8.0 7.5
ग्यारहवीं 2007 - 2012 9.0 8.3
बारहवीं 2012 - 2017 9.0 (संशोधित 8 %) ----

इसके अतिरिक्त सात वार्षिक योजनाएँ भी बनीं । ये वार्षिक योजनाएँ 1966-67 , 67-68 , 68-69 , 1978-79 , 79-80 तथा 1990-91 , 91-92 ई . के लिए बनी थी । 1978-83 ई . के लिए जनता सरकार ने अनवरत योजना चलायी , परन्तु 1980 ई . में काँग्रेस सरकार ने इसे रोककर 1980 ई . में छठी पंचवर्षीय योजना शुरू किया । पहली तीन योजनाओं का लक्ष्य राष्ट्रीय आय के संदर्भ में निर्धारित किया गया है । चौथी योजना का लक्ष्य कुल घरेलू उत्पाद में है । बाकी सभी योजनाओं में यह सकल घरेलू उत्पाद के संदर्भ में है ।

नोट : आर्थिक और सामाजिक योजना को भारत के संविधान की समवर्ती सूची ( सातवीं अनुसूची ) में रखा गया है । भारत का संविधान यह विहित करता है कि पंचायतों को आर्थिक विकास एवं सामाजिक न्याय की योजना बनाने का कार्यभार दिया जाना चाहिए ।

⦿ भारत में आर्थिक आयोजन सम्बन्धी प्रस्ताव सर्वप्रथम सन् 1934 ई . में ' विश्वेश्वरैया ' की पुस्तक ' प्लांड इकोनोमी फॉर इंडिया ' में आयी थी । इस पुस्तक में भारत के विकास के लिए 10 वर्षीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया था ।

⦿ 1938 ई . में भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में ' राष्ट्रीय नियोजन समिति ' का गठन किया ।

⦿ 1944 ई . में बम्बई के आठ उद्योगपतियों द्वारा बाम्बे प्लान प्रस्तुत किया गया जिसमें 15 वर्षीय सूत्रबद्ध योजना थी । बाम्बे प्लान के सूत्रधार सर आर्देशिर दलाल थे ।

⦿ 1944 ई . में भारत सरकार ने ' नियोजन एवं विकास विभाग ' नामक नया विभाग खोला । इसी वर्ष श्रीमन नारायण अग्रवाल ने ' गाँधीवादी योजना ' बनाई ।

⦿ 1945 में श्री एम . एन . राय ने ' जन योजना ' ( People ' s Plan ) बनाई ।

⦿ 1950 ई . में जय प्रकाश नारायण ने ' सर्वोदय योजना ' प्रकाशित की । स्वतंत्रता पश्चात् सन् 1947 ई . में पंडित नेहरू की अध्यक्षता में आर्थिक नियोजन समिति गठित हुई । बाद में इसी समिति की सिफारिश पर 15 मार्च . 1950 ई . में योजना आयोग का गठन एक गैर - सांविधिक तथा परामर्शदात्री निकाय के रूप में किया गया । भारत के प्रधानमंत्री इसके पदेन अध्यक्ष होते हैं । भारत की पहली पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल , 1951 ई . से प्रारंभ हुई । प्रथम योजना आयोग के अध्यक्ष प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु एवं उपाध्यक्ष गुलजारी लाल नन्दा थे । 15 अगस्त , 2014 ई . को योजना आयोग को समाप्त कर दिया गया है । भारत में अब तक बारह पंचवर्षीय योजनाएँ लागू की जा चुकी हैं ।

प्रथम पंचवर्षीय योजना ( 1951 - 56 ई . )

⦿ यह योजना ‘ हैरॉड डोमर मॉडल ' पर आधारित थी ।

⦿ इस योजना का मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था के संतुलित विकास की प्रक्रिया आरंभ करना था ।

⦿ इस योजना में कृषि को उच्च प्राथमिकता दी गई ।

⦿ यह सफल योजना रही तथा इसने लक्ष्य ( 2.1 % ) से आगे 3.6 % विकास दर को हासिल किया ।

⦿ इस योजना के दौरान राष्ट्रीय आय में 18 % तथा प्रति व्यक्ति आय में 11 % की कुल वृद्धि हुई ।

⦿ इस योजना काल के दौरान कई बड़ी सिंचाई परियोजनाएं शुरू की गयी जैसे भाखड़ा नांगल परियोजना , व्यास परियोजना , दामोदर नदी घाटी परियोजना आदि ।

⦿ इस योजनाकाल में सार्वजनिक उद्योग के विकास की उपेक्षा की गई तथा इस मद में मात्र 6 % राशि खर्च की गई ।

नोट : सामुदायिक विकास कार्यक्रम का प्रारंभ 1952 में किया गया ।

द्वितीय पंचवर्षीय योजना ( 1956 - 61 ई . )

⦿ यह योजना पी . सी . महालनोबिस मॉडल पर आधारित थी ।

⦿ इसका मुख्य उद्देश्य समाजवादी समाज की स्थापना करना था ।

⦿ इस योजना में देश के जीवन स्तर को ऊँचा उठाने के लिए 5 वर्षों में राष्ट्रीय आय में 25 % की वृद्धि करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था ।

⦿ इस योजना में लक्ष्य 4.5 % से कम 4.1 % विकास दर को हासिल किया ।

⦿ इसमें भारी उद्योगों व खनिजों को उच्च प्राथमिकता दी गई तथा इस मद में सार्वजनिक क्षेत्र के व्यय की 24 % राशि व्यय की गई ।

⦿ द्वितीय प्राथमिकता यातायात व संचार को दी गई जिसपर 28 % राशि व्यय किया गया ।

⦿ अनेक महत्वपूर्ण वृहत् उद्योग जैसे - दुर्गापर . भिलाई , राउरकेला के इस्पात कारखाने इसी योजना के दौरान स्थापित किये गया ।

तृतीय पंचवर्षीय योजना ( 1961 - 66 ई . )

⦿ इस योजना का उद्देश्य अर्थव्यवस्था को आत्मनिर्भर बनाना तथा स्वतः स्फूर्त अवस्था में पहुँचाना था ।

⦿ यह योजना अपने लक्ष्य 5.6 % की वृद्धि - दर को प्राप्त करने में असफल रही तथा 2.8 % प्रतिवर्ष की वृद्धि - दर ही प्राप्त कर सकी ।

⦿ इस योजना में कृषि व उद्योग दोनों को प्राथमिकता दी गई ।

⦿ इसी योजना के अंतर्गत 1964 में पूर्व सोवियत संघ के सहयोग से बोकारो ( झारखंड ) में बोकारो आयरन एंड स्टील इंडस्ट्री की स्थापना की गई ।

⦿ इस योजना की असफलता का मुख्य कारण भारत - चीन युद्ध , भारत - पाक युद्ध तथा अभूतपूर्व सूखा था 

⦿ इस योजना के दौरान सरकार द्वारा बनाई गई कृषि नीति ने हरित क्रांति को जन्म दिया ।

नोट : भारत में हरित क्रांति के जनक कृषि वैज्ञानिक एम . एस . स्वामीनाथन को कहा जाता है । विश्व हरित क्रांति के जनक नॉर्मन ई . बोरलॉग हैं ।

योजना अवकाश ( 1966 - 69 ई . )

⦿ इस अवधि में तीन वार्षिक योजनाएँ तैयार की गईं ।

⦿ इस अवकाश - अवधि में कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्र और उद्योग क्षेत्रों को समान प्राथमिकता दी गयी ।

⦿ योजना अवकाश का प्रमुख कारण भारत - पाक संघर्ष तथा सूखा के कारण संसाधनों की कमी , मूल्य - स्तर में वृद्धि रही ।

⦿ इस दौरान 3.8 % की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त हो सकी ।

नोट : भारत में योजनावधि में तीन बार योजनावकाश आया ।

चतुर्थ पंचवर्षीय योजना ( 1969 - 74 ई . )

⦿ यह पंचवर्षीय योजना डी . आर . गाडगिल मॉडल पर आधारित थी ।

⦿ इस योजना के मुख्य उद्देश्य स्थायित्व के साथ विकास तथा आर्थिक आत्मनिर्भरता की प्राप्ति थी ।

⦿ इस योजना में ' समाजवादी समाज की स्थापना ' को भी विशेष रूप से लक्षित किया गया ।

⦿ इस योजना में भारत की कृषि वृद्धि दर सर्वाधिक रही है ।

⦿ इस योजना की उच्च प्राथमिकता मुद्रा स्फीति को नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिति में स्थिरता लाने की थी ।

⦿ परिवार नियोजन कार्यक्रम इसी योजना में लागू किए गए ।

⦿ इस योजना में क्षेत्रीय विषमता दूर करने के उद्देश्य के साथ विकास केन्द्र उपागम की शुरुआत की गई । संसाधन आधारित कार्यक्रम , समस्या आधारित कार्यक्रम , लक्षित समूह उपागम , प्रोत्साहन दृष्टिकोण और व्यापक क्षेत्र उपागम आदि विकास केन्द्र उपागम के घटक थे ।

⦿ यह योजना अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में असफल रही तथा 5.7 % की वृद्धि - दर लक्ष्य के विरुद्ध मात्र 3.3 % वार्षिक वृद्धि - दर प्राप्त की जा सकी ।

⦿ श्वेत क्रांति ( ऑपरेशन फ्लड ) इसी योजना काल में प्रारंभ की गयी थी ।

⦿ योजना की विफलता का कारण मौसम की प्रतिकूलता तथा बांग्लादेशी शरणार्थियों का आगमन था ।

नोट : विकास केन्द्र उपागम पर विशेष बल पांचवीं योजना में दिया गया ।

पाँचवीं पंचवर्षीय योजना ( 1974 - 78 ई . )

⦿ इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन तथा आत्मनिर्भरता की प्राप्ति थी । यह योजना केवल चार वर्ष की थी ।

⦿ योजना में आर्थिक स्थायित्व लाने को उच्च प्राथमिकता दी गई ।

⦿ इसी योजना में बीस सूत्री कार्यक्रम ( 1975 ई . ) की शुरुआत हुई ।

⦿ योजना के दौरान विकास लक्ष्य , प्रारंभ में 5 . 5 % वार्षिक वृद्धि रखी गई , परन्तु बाद में इसे संशोधित कर 4 . 4 % वार्षिक कर दी गई और 4 . 8 % की वृद्धि दर प्राप्त की गयी ।

⦿ इस योजना में पहली बार गरीबी एवं बेरोजगारी पर ध्यान दिया गया । न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम व काम के बदले अनाज कार्यक्रम का संबंध इसी योजना से है ।

⦿ योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता कृषि को दी गई एवं तत्पश्चात उद्योग व खनिज क्षेत्र को ।

⦿ यह योजना सामान्यतः सफल रही , परन्तु गरीबी तथा बेरोजगारी में विशेष कमी नहीं हो सकी ।

⦿ जनता पार्टी शासन द्वारा इस योजना को सन् 1978 ई . में ही समाप्त करने का निर्णय लिया गया ।

अनवरत योजना ( 1978 - 1980 ई . )

⦿ 1978 - 83 अवधि के लिए अनवरत योजना ( Rolling plan ) मोरारजी देसाई के नेतृत्व वाली जनता पार्टी सरकार के द्वारा बनाई गई , लेकिन इंदिरा गाँधी के नेतृत्व वाली नई सरकार द्वारा यह 1980 में ही समाप्त कर दी गई ।

⦿ इस योजना के दौरान उच्च मूल्य की मुद्राओं की वैधता समाप्ति , शराबबंदी , जन वितरण प्रणाली का विस्तार तथा सार्वजनिक बीमा योजना की शुरूआत की गई थी ।

नोट : अनवरत योजना का प्रतिपादन गुन्नार मिर्डल द्वारा अपनी पुस्तक एशियन ड्रामा में किया गया था तथा इसे भारत में लागू करने का श्रेय जनता पार्टी की सरकार तथा डी . टी . लकड़ावाला को जाता है ।

छठी पंचवर्षीय योजना ( 1980 - 85 ई . )

⦿ इस योजना का प्रारंभ रोलिंग प्लान ( 1978-83 ई . ) , जो जनता पार्टी सरकार द्वारा बनायी गयी थी , को समाप्त करके की गई ।

⦿ इस योजना का मुख्य उद्देश्य गरीबी उन्मूलन और रोजगार में वृद्धि था । पहली बार गरीबी उन्मूलन पर विशेष जोर दिया गया ।

⦿ योजना में विकास का लक्ष्य 5.2 % वार्षिक वृद्धि दर रखा गया तथा सफलतापूर्वक 5.54 % की वार्षिक वृद्धि दर प्राप्त की गई ।

⦿ इस योजना के दौरान समन्वित ग्रामीण विकास कार्यक्रम , जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू किये गये ।

सातवीं पंचवर्षीय योजना ( 1985 - 90 ई . )

⦿ यह योजना जॉन डब्ल्यू मिलर मॉडल पर आधारित थी ।

⦿ प्रमख उदेश्य : 1 .  समग्र रूप से उत्पादकता को बढाना तथा रोजगार के अधिक अवसर जुटाना 2 . साम्य एवं न्याय पर आधारित सामाजिक प्रणाली की स्थापना 3 . सामाजिक एवं आर्थिक असमानताओं को प्रभावी रूप से कम करना 4 . देशी तकनीकी विकास के लिए सुदृढ़ आधार तैयार करना था ।

⦿ ' भोजन , काम और उत्पादन ' का नारा इसी योजना में दिया गया था ।

⦿ योजना में सकल घरेलू उत्पाद में 5% वार्षिक वृद्धि दर का लक्ष्य रखा गया था जबकि वास्तविक वृद्धि दर 6.02 % वार्षिक रही । अतः यह सफल योजना थी ।

⦿ योजना में प्रति व्यक्ति आय में 3 . 6 % प्रतिवर्ष की दर से वृद्धि हुई ।

⦿ इस योजना में योजना परिव्यय की दृष्टि से पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की तुलना में वरीयता दी गई ।

⦿ इसी योजना में जवाहर रोजगार योजना जैसी महत्वपूर्ण रोजगारपूरक कार्यक्रम प्रारंभ किया गया ।

योजना अवकाश ( 1990 - 92 ई . )

⦿ 1 अप्रैल , 1990 से 31 मार्च , 1992 तक राजनीतिक अस्थिरता एवं आर्थिक संकट के कारण एक वर्षीय योजना बनाई गयी ।

नोट : आदेशात्मक योजना में सरकारी तंत्र अर्थव्यवस्था के विनियामक एवं मुख्य विकास एजेंट की भमिका निभाता है , वहीं निदेशात्मक योजना में सरकारी तंत्र अर्थव्यवस्था में सहयोगी की भूमिका में होता है । भारत में 1991 ई . के पूर्व आदेशात्मक योजना लागू थी , जबकि 1991 ई . के बाद से निर्देशात्मक योजना लागू है ।

आठवीं पंचवर्षीय योजना ( 1992 - 97 ई . )

⦿ इस योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता ' मानव संसाधन का विकास ' अर्थात रोजगार , शिक्षा व जनस्वास्थ्य को दिया गया अर्थात् मानव विकास को सारे विकास प्रयासों का सार तत्व माना गया है ।

⦿ इसके अतिरिक्त आधारभूत ढाँचे का सशक्तीकरण तथा शताब्दी के अंत तक लगभग पूर्ण रोजगार की प्राप्ति को प्रमुख लक्ष्य बनाया गया । औद्योगीकरण के ढाँचे में परिवर्तन के अंतर्गत भारी उद्योग का महत्व कम करते हुए आधारिक संरचनाओं पर बल देने की शुरुआत इस योजना से की गई ।

⦿ यह योजना सफल योजना रही तथा 5.6 % वार्षिक वृद्धि-दर के लक्ष्य से ज्यादा 6.8 % वार्षिक वृद्धि-दर प्राप्त की गई ।

⦿ इसी काल में प्रधानमंत्री रोजगार योजना ( 1993 ई . ) की शुरुआत हुई ।

⦿ 8वीं योजना में ही राष्ट्रीय महिला कोष की स्थापना मार्च , 1993 में भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के तहत् महिला तथा बाल विकास विभाग द्वारा एक स्वतंत्र पंजीकृत सोसाइटी के रूप में की गई थी । इसका मुख्य उद्देश्य गरीब महिलाओं को आमदनी सृजन के कार्यों के लिए या संपत्ति निर्माण के लिए लघु ऋण प्रदान करना या इस प्रावधान को बढावा देना है । इसके तहत् आरंभिक कोष की आरंभिक सीमा 31 करोड़ रुपए रखी गयी ।

⦿ इस योजना में प्रारंभिक शिक्षा को सर्वव्यापक बनाने तथा 15 से 35 वर्ष के लोगों में निरक्षरता को पूर्णतः समाप्त करने का प्रयास किया गया ।

⦿ इस योजना का एक प्रमुख लक्ष्य मैला ढोने की प्रथा को पूर्णतः समाप्त करना था ।

नौवीं पंचवर्षीय योजना ( 1997 - 2002 ई . )

⦿ नौवीं पंचवर्षीय योजना में सर्वोच्च प्राथमिकता न्यायपूर्ण वितरण एवं समानता के साथ विकास को दिया गया ।

⦿ इस योजना की अवधि में सकल घरेलू उत्पाद की वार्षिक वृद्धि - दर का लक्ष्य 6.5 % रखा गया जबकि उपलब्धि मात्र 5.4 % वार्षिक वृद्धि की रही । इस प्रकार यह योजना असफल रही ।

⦿ इस योजना की असफलता के पीछे अन्तर्राष्ट्रीय मंदी को जिम्मेदार माना गया ।

⦿ क्षेत्रीय संतुलन जैसे मुद्दे को भी इस योजना में विशेष स्थान दिया गया ।

⦿ नौवीं योजना में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता क्रम में निम्नलिखित क्षेत्रों को चुना गया - 1 . भुगतान संतुलन सुनिश्चित करना 2 . विदेशी ऋणभार को न केवल बढ़ने से रोकना वरन् उसमें कमी भी लाना 3 . खाद्यान्नों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना 4 . प्रौद्योगिकीय आत्मनिर्भरता प्राप्त करना 5 . जड़ी - बूटियों और औषधीय मूल के पेड़ - पौधों सहित प्राकृतिक संसाधनों का समुचित उपयोग तथा संरक्षण ।

दसवीं पंचवर्षीय योजना ( 2002 - 2007 ई . )

⦿ दसवीं पंचवर्षीय योजना का उद्देश्य देश में गरीबी और बेरोजगारी समाप्त करना तथा अगले 10 वर्षों में प्रति व्यक्ति आय दुगुनी करना प्रस्तावित किया गया ।

⦿ योजना अवधि में सकल घरेलू उत्पाद में वार्षिक 8 % की वृद्धि का लक्ष्य रखा गया जबकि उपलब्धि 7.5 % रही ।

⦿ योजना के दौरान प्रतिवर्ष 7.5 अरब डॉलर के प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का लक्ष्य रखा गया ।

⦿ योजना अवधि में 5 करोड़ रोजगार के अवसरों का सृजन करना लक्षित था ।

⦿ इसके अतिरिक्त 2007 ई . तक अर्थात् योजना के अन्त तक साक्षरता 75 % , शिशु मृत्यु - दर 45 प्रति हजार या इससे कम तथा वनाच्छादन 25 % करने का लक्ष्य रखा गया है ।

⦿ भारत की दसवीं पंचवर्षीय योजना 31 मार्च , 2007 ई . को समाप्त हो गयी । दसवीं पंचवर्षीय योजना के उपलब्ध अनंतिम आँकड़ों ( फाइनल आँकड़ा नही ) के अनुसार यह योजना अब तक की सफलतम योजना रही है । इस योजना में 7.7 प्रतिशत की औसत सालाना वृद्धि दर प्राप्त की गई । अर्थव्यवस्था के तीनों प्रमुख क्षेत्रों कृषि , उद्योग व सेवा में दसवीं योजना के दौरान प्राप्त की गई वृद्धि दरें इनके लिए निर्धारित किये गये लक्ष्यों के काफी निकट रही हैं ।

⦿ कृषि में 4 % सालाना वृद्धि का लक्ष्य था और अंतिम आँकड़ों के अनुसार प्राप्ति 3.42 % की रही । इसी प्रकार उद्योगों व सेवाओं के क्षेत्रों में क्रमशः 8.90 % व 9.40 % वार्षिक वृद्धि का लक्ष्य था और अनंतिम ऑकड़ो के अनुसार प्राप्ति क्रमशः 8.74 % व 9.30 % की रही ।

⦿ सकल घरेलू बचतें जीडीपी के 23.31 % रखने का लक्ष्य था , जबकि वास्तविक उपलब्धि लक्ष्य से कहीं अधिक जीडीपी का 26.62 % रही है ।

⦿ योजना काल में मुद्रास्फीति की दर औसतन 5 % रखने का लक्ष्य था , जबकि वास्तव में यह 5.02 % रही है ।

ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना ( 2007-2012 ई . )

⦿ ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना 1 अप्रैल , 2007 से प्रारंभ हो गयी है । इस पंचवर्षीय योजना का मुख्य लक्ष्य तीव्रतम एवं समावेशी विकास था ।

⦿ 11वीं योजना सकल घरेलू उत्पाद की औसत संवृद्धि वृद्धि दर 8.3 % रही । इस प्रकार सर्वाधिक वृद्धि दर 11वीं योजना में रही । ऊँची वृद्धि दर की दृष्टि से इसके बाद 10वीं योजना रही ।

⦿ 11वीं पंचवर्षीय योजना में , कृषि , उद्योग और सेवा क्षेत्र की विकास दर के लिए क्रमशः 4.1 % , 10.5 % और 9.9 % का लक्ष्य निर्धारित किया गया था जबकि उपलब्धि क्रमशः 3.3 % , 6.6 % एवं 9.8 % रही ।

⦿ 11वीं पंचवर्षीय योजना में शिक्षा के लिए विषय वस्तु थीम ' अनिवार्य प्रारंभिक शिक्षा ' था ।

12वीं पंचवर्षीय योजना ( 2012 - 2017 ई . )

12वीं योजना ( 2012-17 ) को राष्ट्रीय विकास परिषद् की दिसम्बर , 2012 में मंजूरी मिली । इसका मुख्य उद्देश्य तीव्र , अधिक समावेशी और धारणीय विकास है । भारत की 12वीं पंचवर्षीय योजना का प्रारंभ 1 अप्रैल , 2012 से हो गया है । 12वीं योजना के लक्ष्य निम्न हैं -

⦿ वार्षिक विकास दर का लक्ष्य 8 % ( योजना के एप्रोच पेपर में यह लक्ष्य 9 % का निर्धारित किया गया था , जिसे बाद में सितम्बर , 2012 ई . में घटाकर 8 . 2 % किया गया , जिसे योजना आयोग की संस्तुति पर राष्ट्रीय विकास परिषद ने घटाकर 8 % कर दिया ) ।

⦿ कृषि , वानिकी , मत्स्यपालन क्षेत्र में 4 % व विनिर्माण क्षेत्र में 10 % की औसत वार्षिक वृद्धि के लक्ष्य ।

⦿ योजनावधि में गैर - कृषि क्षेत्र में रोजगार के 5 करोड़ नये अवसरों के सृजन का लक्ष्य ।

⦿ योजना के अंत तक निर्धनता अनुपात से नीचे की जनसंख्या के प्रतिशत में पूर्व आकलन की तुलना में 10 % बिन्दु की कमी लाने का लक्ष्य ।

⦿ योजना के अन्त तक देश में शिशु - मृत्यु दर को 25 तथा मातृत्व मृत्यु दर को 1 प्रति हजार जीवित जन्म तक लाने तथा 0 - 6 वर्ष के आयु - वर्ग में बाल लिंगानुपात को 950 करने का लक्ष्य ।

⦿ योजना के अन्त तक कुल प्रजनन दर को घटाकर 2.1 % तक लाने का लक्ष्य ।

⦿ योजना के अन्त तक आधारिक संरचना क्षेत्र में निवेश को बढ़ाकर GDP के 9 % तक लाने का लक्ष्य ।

⦿ योजना के अंत तक सभी गाँवों को बारहमासी सड़कों से जोड़ना ।

⦿ योजना के अन्त तक सभी गाँवों में विद्युतीकरण ।

⦿ ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीडेंसिटी को बढ़ाकर 70 % करने का लक्ष्य ।

⦿ औसत वार्षिक केन्द्रीय राजकोषीय घाटा इस योजना अवधि में GDP के 3.25 % के स्तर तक सीमित रखने का लक्ष्य बनाया गया है और चालू खाते के घाटे को GDP के 2.5 % तक करने का लक्ष्य रखा गया है ।

⦿ थोक मूल्य सूचकांक ( WPI ) की औसत वार्षिक वृद्धि को 12वीं योजना में 4.5 - 5 % तक सीमित रखने का लक्ष्य है ।

⦿ केन्द्रीय आयोजना व्यय 12वीं पंचवर्षीय योजना में GDP का 4.02 % है ।

⦿ केन्द्र के लिए निवल राजस्व 12वीं योजनावधि में GDP के 8.68 % होने की उम्मीद है ।

⦿ 12वीं योजनावधि कर भिन्न राजस्व GDP के 1.01 % रहने की सम्भावना है ।

⦿ आयोजना - भिन्न व्यय GDP का 8.9 % अनुमानित है ।

⦿ 12वीं योजना के दौरान 2004-05 ई . के मूल्यों पर सकल घरेलू बचत दर 33.6 % एवं निवेश दर 38.8 % का लक्ष्य रखा गया है ।

12वीं पंचवर्षीय योजना में सर्वाधिक धनराशि सामाजिक सेवाओं की मद में विनिहित की गई है । इसमें कुल 26,64,843 करोड़ रुपए विनिहित किया गया है जो कुल परिव्यय का 34.7 % है ।

नोट : वर्तमान में भारत की योजनाओं के सार्वजनिक व्यय हेतु अधिकतम साधन ऋण से जुटाये जाते हैं । ऋणों के अंतर्गत बाजार ऋण , अल्पावधि ऋण , विदेशी सहायता , लघुबचतों की एवज में जारी प्रतिभूतियों , राज्य भविष्य निधियाँ , पूँजीगत प्राप्तियों के उधार एवं अन्य देयतायें आते हैं । बजट 2016-17 ई . में उधार एवं अन्य देयताएं का हिस्सा 21 % है ।

नीति आयोग 1 जनवरी , 2015 को मंत्रिमंडल के एक प्रस्ताव के तहत योजना आयोग की जगह एक नई संस्था जिसे ' राष्ट्रीय भारत परिवर्तन संस्थान ' ( National Institution for Transforming India - NITI ) कहा गया, अस्तित्व में आई । आमतौर पर इसे नीति आयोग के नाम से जाना जा रहा है । वर्तमान में प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में काम करने वाला यह आयोग केन्द्र सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी नीति-निर्माण का कार्य करेगी । यह आयोग पंचवर्षीय योजनाओं के स्वरूप के संबंध में भी सरकार को सलाह देगी ।

12वीं योजना व्यय ( करोड़ रुपए में )
विकास के क्षेत्र कुल व्यय % व्यय
कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र 3,63,273 4.7
ग्रामीण विकास 4,57,464 5.9
विशेष क्षेत्र कार्यक्रम 80,370 1.04
ऊर्जा 14,38,466 18.6
उद्योग एवं खनिज 3,77,302 4.9
यातायात 12,04,172 15.7
संचार 80,984 1.0
आर्थिक सेवाएँ 3,05,612 3.9
सामाजिक सेवाएँ 26,64,843 34.7
सामान्य सेवाएँ 1,07,959 1.4
सिंचाई एवं बाढ़ नियंत्रण 2,29,334 5.5
विज्ञान तकनीकी एवं पर्यावरण 1,97,350 2.1

यह भी देखें
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