महत्वपूर्ण आर्थिक शब्दावली
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप महत्वपूर्ण आर्थिक शब्दावली की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Mahatvpurn arthik shabdavali in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Important Economic Terminology के बारे में बात करेंगे । निचे Mahatvpurn arthik shabdavali की जानकारी निम्नवत है ।
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Important Economic Terminology |
समष्टि तथा व्यष्टि अर्थशास्त्र ( Macro and Micro Economics )
⦿ अर्थशास्त्री , अर्थव्यवस्था को दो तरीके से देखते हैं समष्टि ( Macro ) अर्थशास्त्र तथा व्यष्टि ( Micro ) अर्थशास्त्र । समष्टि अर्थशास्त्र ( यूनानी भाषा में मैक्रो का अर्थ वृहद होता है ) अर्थव्यवस्था की गतिविधियों को एक समग्र रूप में देखता है , जैसे मुद्रास्फीति रोजगार की दर , आर्थिक विकास , व्यापार संतुलन आदि । व्यष्टि अर्थशास्त्र ( यूनानी भाषा में व्यष्टि का अर्थ छोटा होता है ) इकाइयों के गतिविधियों का अध्ययन है , जैसे - व्यक्ति , परिवार , कम्पनियाँ , एक विशेष उद्योग , जो मिलकर एक अर्थव्यवस्था का निर्माण करते हैं ।
नोट : 1933 में अर्थशास्त्र में मैक्रो ( Macro ) और माइक्रो ( Micro ) शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम रगनार फ्रिस्क ( Rangar Frisch ) ने किया था । |
फिशर प्रभाव ( Fisher Effect )
⦿ इरविंग फिशर द्वारा विकसित यह अवधारणा मुद्रास्फीति तथा ब्याज दर के बीच संबंध को दर्शाता है । किसी ऋण पर सांकेतिक ब्याज दर , वास्तविक ब्याज दर तथा ऋण की अवधि के लिए अनुमानित मुद्रास्फीति की दर की कुल योग होती है :
R = r + F जहाँ R = सांकेतिक ब्याज दर , r = वास्तविक ब्याज दर तथा F = वार्षिक मुद्रा स्फीति दर |
⦿ यह अवधारणा मुद्रास्फीति एवं सांकेतिक ब्याज दर के बीच एक प्रत्यक्ष संबंध को व्यक्त करता है । इस प्रभाव को बैंक की जमाओं पर देखा जा सकता है जमाओं पर बैंक जो ब्याज देता है उसे सांकेतिक ब्याज दर कहा जता है , लेकिन जमाकर्ता को इस ब्याज की वास्तविक प्राप्ति नहीं होती - उसे वास्तविक ब्याज दर की प्राप्ति होती है । जैसे अगर सांकेतिक ब्याज दर 8 % है और उस समय मुद्रा स्फीति दर 5 % है तो वास्तविक ब्याज दर मात्र 3 % प्राप्त होगी ।
R = r + F 8 = r + 5 ∴ r = 8 - 5 = 3 % |
भारत की संप्रभु रेटिंग
⦿ वर्तमान में भारत को छह अन्तर्राष्ट्रीय क्रेडिट रेटिंग एजेंसिया - स्टैंडर्ड एंड पूर्वस ( S & P ) , मुडीज इनवेस्टर्स सर्विसेज , फिच , डोमिनयम बॉन्ड रेटिंग सर्विस ( DBRS ) , जापानी क्रेडिट रेटिंग ऐजेंसी ( JCRA ) और रेटिग एंड इनवेस्टमेट इनफॉर्मेशन इंक टोक्यो TIM रेटिंग देती हैं । इन क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों को सूचना के प्रवाह को सुव्यवस्थित किया गया है ।
टोबिन कर ( Tobin Tax )
⦿ यह नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री जेम्स टोबिन द्वारा प्रस्तावित किया गया है । यह प्रस्तावित लघु कर सभी विदेशी विनिमय बाजार में अस्थिरता को रोका जा सके । टोबिन कर दुनिया भर में कहीं भी कार्यान्वित नहीं किया गया ।
कर्ब डीलिंग
⦿ शेयर बाजार के बाहर होने वाले सभी व्यापार को कर्ब डीलिंग कहते हैं ।
बजट ( Budget )
⦿ किसी संस्था या सरकार के एक वर्ष की अनुमानित आय व्यय का लेखा जोखा बजट कहलाता है , सरकार का बजट अब केवल आय - व्यय का विवरण मात्र ही नहीं होता , अपितु यह सरकार के क्रिया कलापों एवं नीतियों का वितरण भी है । यह आधुनिक काल में सामाजिक - आर्थिक परिवर्तन का साधन भी बन गया है ।
बफर स्टॉक ( Buffer Stock )
⦿ आपात स्थिति में किसी वस्तु की कमी को पूरा करने के लिए वस्तु का स्टॉक तैयार करना बफर स्टॉक कहलाता है ।
तेजड़िया और मंदड़िया ( Bulls and Bears )
⦿ यह स्टॉक एक्सचेंज के शब्द हैं , जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें बढ़ाना चाहता है , तेजड़िया कहलाता है , जो व्यक्ति स्टॉक की कीमतें गिरने की आशा करके किसी वस्तु को भविष्य में देने का वायदा करके बेचता है , वह मंदड़िया कहलाता है ।
क्रेता बाजार ( Buyer's Market )
⦿ जब किसी वस्तु की माँग कम तथा पूर्ति अधिक होती है , जो विक्रेता की तुलना में क्रेता बेहतर स्थिति में होता है , ऐसे बाजार को क्रेता बाजार कहते है ।
ब्रिज लोन ( Bridge Loan )
⦿ कम्पनियाँ प्रायः अपनी पूँजी का विस्तार करने के लिए नये शेयर तथा डिबेंचर्स जारी करती रहती हैं , कम्पनी को शेयर जारी करके पूँजी जुटाने में तीन माह से भी अधिक समय लगता है । इस समयावधि में अपना काम जारी रखने के लिए कम्पनियाँ बैंकों से अन्तरिम अवधि के लिए ऋण प्राप्त कर लेती हैं । इस प्रकार के ऋणों को ब्रिज लोन कहते है ।
फ्लोटिंग ऑफ करेन्सी ( Floating of Currency )
⦿ किसी मुद्रा की विनिमय दर को स्वतन्त्र छोड़ देना , ताकि माँग और पूर्ति की दशाओं के आधार पर वह अपना नया मूल्य स्वयं तय कर सके ।
अवमूल्यन ( Devaluation )
⦿ यदि किसी मुद्रा का विनिमय मूल्य अन्य मुद्राओं की तुलना में जान बूझकर कम कर दिया जाता है तो इसे उस मुद्रा का अवमूल्यन कहते हैं । यह अवमूल्यन परिस्थितियों के अनुसार सरकार स्वयं करती है ।
विमुद्रीकरण ( Demonetization )
⦿ जब काला धन बढ़ जाता है और अर्थव्यवस्था के लिए खतरा बन जाता है , तो इसे दूर करने के लिए विमुद्रीकरण की विधि अपनाई जाती है , इसके अन्तर्गत सरकार पुरानी मुद्रा को समाप्त कर देती है और नई मुद्रा चालू कर देती है , जिनके पास काला धन होता है , वह उसके बदले में नई मुद्रा लेने का साहस नहीं जुटा पाते हैं और काला धन स्वयं ही नष्ट हो जाता है ।
मुद्रा संकुचन ( Deflation )
⦿ जब बाजार में मुद्रा की कमी के कारण कीमतें गिर जाती हैं , उत्पादन व व्यापार गिर जाता है और बेरोजगारी बढ़ती है , वह अवस्था मुद्रा - संकुचन कहलाती है ।
एस्टेट डयूटी ( Estate Duty )
⦿ किसी व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात् उसकी सम्पत्ति के हस्तान्तरण के समय जो कर उस सम्पत्ति पर लगाया जाता है , उसे एस्टेट ड्यूटी कहते हैं ।
महत्वपूर्ण समितियाँ
समिति | |
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स्वामीनाथन समिति | जनसंख्या नीति |
जानकीरमन समिति | प्रतिभूति घोटाला |
दांतवाला समिति | बेरोजगारी के अनुमान |
रेखी समिति | अप्रत्यक्ष कर |
सरकारिया समिति | केन्द्र राज्य सम्बन्ध |
गोस्वामी समिति | औद्योगिक रूग्णता |
महालनोबिस समिति | राष्ट्रीय आय |
रंगराजन समिति | भुगतान सन्तुलन |
राजा चेलैया समिति | कर - सुधार |
मल्होत्रा समिति | बीमा क्षेत्र में सुधार |
खुसरो समिति | कृषि साख |
गोइपोरिया समिति | बैंक सेवा सुधार |
भूरेलाल समिति | मोटरवाहन करों में वृद्धि |
नरसिम्हम समिति | वित्तीय ( बैंकिंग ) सुधार |
भण्डारी समिति | क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की पुनर्संरचना |
सच्चर समिति | मुस्लिमों की सामाजिक , आर्थिक व शैक्षणिक स्थिति का अध्ययन |
सुरेश तेंदुलकर समिति | गरीबी |
एस . तारापोर समिति | रुपये की पूँजी खाते पर परिवर्तनीयता |
आबिद हुसैन समिति | लघु उद्योग |
डॉ कीर्ति एस. पारिख समिति | पेट्रोलियम उत्पादों की मूल्य प्रणाली पर सुझाव |
बी . एस . व्यास समिति | कृषि एवं ग्रामीण साख विस्तार |
महाजन समिति | चीनी उद्योग |
सत्यम समिति | वस्त्र नीति |
मीरा सेठ समिति | हथकरघा के विकास |
हीनार्थ प्रबन्धन ( Deficit Financing )
⦿ जब सरकार का बजट घाटे का होता है , अर्थात् आय कम होती है और व्यय अधिक होता है और व्यय के इस आधिक्य को केन्द्रीय बैंक से ऋण लेकर अथवा अतिरिक्त पत्र मुद्रा निर्गमित कर पूरा किया जाता है , तो यह व्यवस्था घाटे की वित्त व्यवस्था अथवा हीनार्थ प्रबन्धन कहलाती है । सीमित मात्रा में ही इसे उचित माना जाता है , हीनार्थ प्रबन्धन को स्थायी नीति बना लेने के परिणाम अच्छे नहीं होते ।
स्वर्ण मान ( Gold Standard )
⦿ जब किसी देश की प्रधान मुद्रा स्वर्ण में परिवर्तनशील होती है , अथवा मुद्रा का मूल्य सोने में मापा जाता है , तो इस मौद्रिक व्यवस्था को स्वर्ण मान कहते हैं , अब किसी देश में स्वर्ण मान नहीं है ।
मुद्रास्फीति ( Inflation )
⦿ मुद्रा - प्रसार या मुद्रास्फीति वह अवस्था है जिससे मुद्रा का मूल्य गिर जाता है और कीमतें बढ़ जाती हैं , आर्थिक दृष्टि से सीमित एवं नियंत्रित मुद्रास्फीति अल्प - विकसित अर्थव्यवस्था हेतु लाभदायक होती है , क्योंकि इससे उत्पादन में वृद्धि को प्रोत्साहन मिलता है , किन्तु एक सीमा से अधिक मुद्रास्फीति हानिकारक है । मुद्रास्फीति को अस्थायी तौर पर नियंत्रित करने के लिए मुद्रा - आपूर्ति कमी का प्रयोग किया जा सकता है ।
रिसेशन ( Recession )
⦿ रिसेशन से तात्पर्य मन्दी की अवस्था से है , जब वस्तुओं की पूर्ति की तुलना में माँग कम हो तो रिसेशन की स्थिति उत्पन्न होती है । ऐसी स्थिति में धनाभाव के कारण लोगों की क्रय - शक्ति कम होती है और उत्पादित वस्तुएँ अनबिकी रह जाती हैं , इससे उद्योग को बंद करने की प्रक्रिया प्रारंभ होती है , बेरोजगारी बढ़ जाती है । 1930 के दशक में विश्वव्यापी रिसेशन की स्थिति उत्पन्न हुई थी ।
प्राइमरी गोल्ड ( Primary Gold )
⦿ 24 कैरेट के शुद्ध सोने को प्राइमरी गोल्ड कहते हैं ।
स्टैगफ्लेशन ( Stagflation )
⦿ यह अर्थव्यवस्था की ऐसी स्थिति है जिसमें मुद्रास्फीति के साथ - साथ मंदी की स्थिति होती है ।
टैरिफ ( Tariff )
⦿ किसी देश द्वारा आयातों पर लगाये गये कर को ही टैरिफ कहा जाता है ।
मुद्रा अपस्फीति अथवा विस्फीति ( Disinflation )
⦿ मुद्रास्फीति पर नियंत्रण लाने हेतु जो प्रयास किये जाते हैं ( जैसे साख - नियंत्रण आदि ) , उनके परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति की दर घटने लगती है , कीमतों में गिरावट आती है तथा रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है , यह स्थिति मुद्रा अपस्फीति अथवा विस्फीति की स्थिति कहलाती है । इस स्थिति में यद्यपि मूल्य - स्तर गिरता है तथापि यह सामान्य मूल्य स्तर से ऊपर ही रहता है ।
एक्टिव शेयर ( Active Share )
⦿ वैसे शेयर जिनका क्रय - विक्रय नियमित रूप से प्रतिदिन शेयर बाजार में होता है एक्टिव शेयर कहलाते है ।
राइट शेयर ( Right Share )
⦿ किसी कम्पनी द्वारा जारी नये शयरों को क्रय करने का पहला अधिकार वर्तमान शेयरहोल्डर का होता है । वर्तमान शेयरहोल्डर के इस अधिकार को पूर्ण क्रय का अधिकार कहा जाता है तथा इस अधिकार के कारण उनको जो शेयर प्राप्त होता है , उसे राइट शेयर कहा जाता है ।
बोनस शेयर ( Bonus Share )
⦿ जब किसी कम्पनी द्वारा अपने अर्जित लाभों में से रखे नये रिजर्व को शेयर के रूप में वर्तमान शेयरहोल्डरों के मध्य आनुपातिक रूप से बाँट दिया जाता है तो इसे बोनस शेयर कहा जाता है ।
पूर्वाधिकार शेयर ( Preferencial Share )
⦿ वैसे शेयरों को पूर्वाधिकार शेयर कहा जाता है , जिनको सामान्यतः दो पूर्वाधिकार प्राप्त होते हैं । कम्पनी द्वारा सर्वप्रथम इनको लाभांश का भुगतान किया जाता है तथा लाभांश की दर निश्चित होती है । यदि भविष्य में कम्पनी का समापन होता है तो लेनदारों का भुगतान करने के बाद कम्पनी की सम्पत्तियों से वसूल की गयी राशि में से इस श्रेणी के शेयरहोल्डर को अपनी पूँजी अन्य शेयरहोल्डर्स की तुलना में पहले प्राप्त करने का अधिकार होता है ।
कंट्रेरियन शेयर ( Contrarian Share )
⦿ इस श्रेणी में उन शेयरों को सम्मिलित किया जाता है जो बाजार के रुख से अलग दिशा में चलते हैं अर्थात बाजार में शेयरों के भाव में वृद्धि हो रही है तो इन शेयरों के भाव कम हो जाते हैं और यदि बाजार का रुख गिरावट का है तो इन शेयरों का मूल्य बढ़ जाता है ।
ए . डी . इंडेक्स ( Advance decline index )
⦿ इन सूचकांक का प्रयोग शेयर बाजार की तेजी या मंदी के रुख का पता लगाने के लिए किया जाता है । इसकी गणना के लिए एक दिन में जिन शेयरों के मूल्य बढ़ते हैं , उनकी संख्या में उन शेयरों को भाग दिया जाता है जिनके मूल्य उस दिन गिरे होते हैं । यदि इंडेक्स 1 से अधिक होता है तो बाजार में तेजी का रुख होता है और इंडेक्स 1 से कम होता है तो बाजार में मंदी का रुख होता है ।
ब्लो आउट ( Blow Out )
⦿ जब कोई कंपनी अपना नया इश्यू जारी करती है और उसका सब्सक्रिप्शन पहले ही दिन पूरा होकर बद हो जाता है तो उसे ब्लो आउट या आउट ऑफ विंडो कहा जाता है ।
इनसाइडर ट्रेडिंग ( Insider Trading )
⦿ यह एक अवैध कार्य है । जब उन व्यक्तियों द्वारा भारी मात्रा में शेयरों का क्रय - विक्रय करने लाभ कमाया जाता है , जिनके पास कम्पनियों की गुप्त सुचनाएं रहती हैं तो इस प्रकार के शेयरों के क्रय - विक्रय को इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है ।
कैश ट्रेडिंग ( Cash Trading )
⦿ कैश ट्रेडिंग के अन्तर्गत शेयर सर्टिफिकेट तथा नकद धनराशि का लेन - देन अगली समायोजन तिथि से पहले ही हो जाना चाहिए । जब दलालों के सभी कैश ट्रेडिंग के लेन - देनों का समायोजन हो जाता है तो इसको समायोजन तिथि कहा जाता है । परन्तु यह 14 दिन से अधिक नहीं हो सकती है ।
कर्ब ट्रेडिंग ( Curb Trading )
⦿ जब शेयर बाजार के निर्धारित ट्रेडिंग समय के बाद अलग से सौदे किये जाते हैं तो इनको कर्ब ट्रेडिंग कहा जाता है । यद्यपि सौदे दलालों के द्वारा किये जाते हैं , परन्तु इनको वैधानिक नहीं माना जाता है । इस प्रकार किये गये सौदों का विवरण शेयर बाजार में उपलब्ध नहीं रहता है । वर्तमान में यह सेबी द्वारा प्रतिबंधित है ।
स्टैग ( Stag )
⦿ स्टैग उन व्यक्तियों को कहते हैं जो नई कंपनियों के इश्यू में भारी मात्रा में शेयरों के आवेदन - पत्र प्रेषित करते हैं । इनको यह आशा रहती है कि जब कुछ व्यक्तियों को शेयर नहीं मिलेंगे तो वे इन शेयरों को बढ़े मूल्य पर खरीदने को तैयार हो जायेंगे । यह व्यक्ति केवल आवेदन पत्र की राशि प्रेषित करते हैं तथा शेयर आवंटित होते ही बेच देते हैं ।
बदला ( Forward Charge )
⦿ जब कोई दलाल भविष्य के लिए सौदा करता है , परन्तु भविष्य की तिथि पर सौदा पूरा न करके आगे के लिए खिसकता रहता है तो कार्य के लिए उसे जो चार्ज देने पड़ते है , उसे बदला कहा जाता है । यदि यह कार्य तेजड़ियों द्वारा किया जाता है तो इसे सीधा बदला तथा मंदड़ियों द्वारा किया जाता है तो इसको अंधा बदला कहा जाता है ।
वोलेटाइल शेयर ( Volatile Share )
⦿ जिन शेयरों की कीमतों में बहुत अधिक परिवर्तन होते हैं , उन्हें वोलेटाइल शेयर कहा जाता है । इन शेयरों की कीमत में परिवर्तन को इस प्रकार नापा जाता है -
परिवर्तनशीलता = अधिकतम मूल्य - न्यूनतम मूल्य / न्यूनतम मूल्य |
फ्लोटिंग स्टॉक ( Floating Stock )
⦿ किसी कंपनी की चुकता पूँजी का वह भाग फ्लोटिंग स्टॉक कहलाता है जो शेयर बाजार में क्रय - विक्रय के लिए उपलब्ध रहता है ।
शेयर सर्टिफिकेट ( Share Certificate )
⦿ यह एक ऐसा प्रमाण पत्र है जो कंपनी के मोहर के अधीन शेयर धारक के नाम जारी किया जाता है तथा इसमें उन शेयरों के नम्बर लिये रहते हैं , जिनके लिए यह जारी किया जाता है । उसमें शेयर भुगतान की गयी धनराशि का विवरण होता है ।
बियरर डिबेंचर ( Bearer Debenture )
⦿ ऐसा डिबेंचर जिसका हस्तांतरण केवल सुपुर्दगी के द्वारा हो जाता है , उनको डिबेंचर कहा जाता है । कंपनी के रजिस्टर में इनका कोई लेखा - जोखा नहीं होता है । डिबेंचर के साथ लगे कूपन को प्रस्तुत करने पर ब्याज तथा डिबेंचर को प्रस्तुत करने पर मूल धन का भुगतान प्रस्तुतकर्ता को प्राप्त हो जाता है । खो जाने तथा चोरी हो जाने पर इस प्रकार के डिबेंचर को पूर्ण जोखिम होता हैं ।
बंधक डिबेंचर ( Secured Debenture )
⦿ इस प्रकार के डिबेंचर कंपनी के सम्पत्ति पर प्रभार रखते हैं । अतः इनका भुगतान सुरक्षित होता है । बंधक दो प्रकार के होते हैं — एक चल प्रभाव तथा दूसरा निश्चित प्रभाव । चल प्रभाव की स्थिति में किसी निश्चित सम्पत्ति पर प्रभाव नहीं होता है । केवल कंपनी के समापन की स्थिति में इन डिबेंचरों को भुगतान में प्राथमिकता मिल जाती है । निश्चित प्रभाव की स्थिति में डिबेंचरों का कंपनी की किसी निश्चित सम्पत्ति में प्रभाव होता है । ऐसी सम्पत्ति को कंपनी न तो बेच सकती है और न ही हस्तांतरित कर सकती है ।
परिवर्तनशील डिबेंचर ( Convertible Debenture )
⦿ यह वे ऋण - पत्र होते हैं जिनके धारकों को कंपनी यह विकल्प देती है कि वे किसी निश्चित अवधि के अंदर अपने ऋण पत्र को कंपनी के शेयर में बदलवा सकते हैं । परिवर्तन की शर्ते सामान्यतः निर्गमन के समय ही तय कर दी जाती हैं , परन्तु ये शर्ते कंपनी में अलग - अलग हो सकती हैं ।
हंग अप ( Hung up )
⦿ जब किसी शेयर का भाव किसी निवेशक द्वारा क्रय किये गये भाव से काफी नीचे चला जाता है तथा ऐसी स्थिति में अधिक घाटा उठाकर शेयर बेचने के बदले वह निवेशक भविष्य में उसके भाव बढ़ने की आशा में अपने शेयरों को रखे रहे तो ऐसी स्थिति को हंग अप कहा जाता है ।
स्नोबॉलिंग ( Snowballing )
⦿ जब किसी शेयर के मूल्य एक निश्चित सीमा में पहुँच जाते हैं , तब क्रय - विक्रय के अनेक स्टॉप ऑर्डर होने लगते हैं । इन ऑर्डर के कारण पुनः बाजार में दबाव बनता है तथा पुनः ऑर्डर मिलने लगते हैं तो उस स्थिति को स्नोबॉलिंग कहा जाता है ।
ग्रे मार्केट ( Grey market )
⦿ यह अनाधिकृत बाजार होता है , जहाँ नयी तथा अभी शेयर बाजार में सूचीबद्ध न हुई प्रतिभूतियों का प्रीमियम पर लेन - देन होता है । ये सौदे भी अनाधिकृत होते हैं । इन सौदों को शेयर बाजार का संरक्षण नहीं होता है ।
ट्रेडिंग लॉट ( Trading Lot )
⦿ शेयरों की वह न्यूनतम संख्या या गुणांक को ट्रेडिंग लॉट कहा जाता है , जिसे शेयर बाजार में एक बार में बेचा या क्रय किया जा सकता है । सामान्यतः 10 रुपये मूल्य वाले शेयरों की न्यूनतम संख्या 50 से 100 निर्धारित की जाती है , जबकि 100 रुपये मूल्य वाले शेयरों की संख्या 5 या 10 निर्धारित की जाती है ।
शॉर्ट सेलिंग ( Short Selling )
⦿ जब किसी दलाल द्वारा इतने शेयरों की बिक्री की जाती है , जितने उसके पास शेयर नहीं होते हैं तो इसे शॉर्ट सेलिंग कहा जाता है । अनुबंध पूरा करने के लिए दलाल द्वारा नीलामी में शेयर क्रय किये जाते हैं ।
पी . ई . अनुपात ( P. E. Ratio )
⦿ किसी कंपनी के प्रति शेयर के बाजार भाव में प्रति शेयर आय से भाग देकर पी . ई . अनुपात ज्ञात किया जाता है -
P.E.R. = प्रति शेयर बाजार मूल्य / E.P.S. |
नई आर्थिक सुधार नीति से सम्बद्ध कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली
⦿ निजीकरण : सार्वजनिक क्षेत्र में पूँजी या प्रबंधन या दोनों में निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ाना अथवा उन्हें निजी क्षेत्र को सौंप देना ही निजीकरण है ।
⦿ उदारीकरण : उदारीकरण , सरकारी नियंत्रण को शिथिल या समाप्त करने की क्रियाविधि है । इसके अन्तर्गत निजीकरण भी शामिल होता है ।
⦿ वैश्वीकरण : किसी अर्थव्यवस्था को विश्व अर्थव्यवस्था से जोड़ने की क्रिया ही वैश्वीकरण है । ऐसा करने से उक्त क्षेत्र में निजी कार्यकुशलता तथा बाहरी तकनीकी ज्ञान प्राप्त होते हैं । वैश्वीकरण की प्रक्रिया से अभिप्राय है अंतर्राष्ट्रीय व्यापार में बाधाओं को समाप्त करना ।
⦿ विनिवेश : सरकारी क्षेत्र में सरकारी हिस्सेदारी को कम करना ही विनिवेश कहलाती है ।
यह भी देखें
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पुस्तके ( BOOKS ) | |
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