राष्ट्रीय आय
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप राष्ट्रीय आय की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Rashtriya aay in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Rashtriya aay के बारे में बात करेंगे । निचे National income की जानकारी निम्नवत है ।
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National income |
भारत की राष्ट्रीय आय और प्रति व्यक्ति आय की गणना का प्रथम प्रयास दादा भाई नौरोजी ने वर्ष 1867 - 68 में किया था । नौरोजी के आकलन के अनुसार वर्ष 1868 में प्रति व्यक्ति आय रु. 20 थी । एफ. सिर्रास ने वर्ष 1911 में प्रति व्यक्ति आय रु. 49 बताया । स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व इस दिशा में प्रथम आधिकारिक प्रयास वाणिज्य मंत्रालय ( आर्थिक सलाहकार कार्यालय ) द्वारा किया गया । वर्ष 1949 ई . में भारत सरकार द्वारा नियुक्त राष्ट्रीय आय समिति का अध्यक्ष पी. सी. महालनोबिस थे । डॉ. आर. गाडगिल तथा वी. के. आर. वी. राव इस समिति के सदस्य थे ।
⦿ किसी भी अर्थव्यवस्था में एक वर्ष के दौरान उत्पादित अंतिम वस्तुओं ( Final goods ) तथा सेवाओं का मूल्य राष्ट्रीय आय कहलाता है ।
⦿ भारत में राष्ट्रीय आय के आँकड़े वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च पर आधारित हैं । भारत में सांख्यिकी विभाग के अंतर्गत केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन ( स्थापना - मई , 1951 ई . ) राष्ट्रीय आय के आकलन एवं प्रकाशन के लिए उत्तरदायी हैं । इस कार्य में राष्ट्रीय प्रतिदर्श सर्वेक्षण संगठन केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन की मदद करता है ।
नोट : साइमन कुजनेट्स को राष्ट्रीय आय लेखांकन का जन्मदाता माना जाता है जिन्हें इसके लिए नोबेल पुरस्कार मिला । |
⦿ राष्ट्रीय आय की लागत - किसी अर्थव्यवस्था की आय यानी इसकी कुल उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य की गणना या तो साधन लागत ( Factor Cost - FC ) पर की जा सकती है या फिर बाजार लागत ( Market Price - MP ) पर ।
⦿ साधन लागत ( Factor Cost ) - यह मूलतः निवेश की गई लागत होती है जिसे उत्पादक उत्पादन प्रक्रिया के दौरान लगाता है । जैसे पूँजी की लागत , ऋणों पर ब्याज , कच्चा माल , श्रम , किराया , बिजली आदि । अर्थात किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में उपभोग या प्रयुक्त उत्पादक कारकों के सम्पूर्ण मूल्य को साधन लागत ( Factor Cost ) कहा जाता है । इन वस्तुओं एवं सेवाओं के उत्पादक , उत्पादन के दौरान इन कारकों के लागत का आकलन करते हैं , इसके बाद उस वस्तु या सेवा का मूल्य निर्धारित किया जाता है ।
नोट : साधन लागत में सरकार को भुगतान किये गये कर को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह प्रत्यक्ष तौर पर उत्पादन प्रक्रिया में शामिल नहीं होता है परन्तु कोई अनुदान ( Subsidies ) प्राप्त की जाती है तो उसे साधन लागत में शामिल किया जाता है । |
⦿ बाजार लागत ( Market Price ) - बाजार लागत वह मूल्य है जिसे एक उपभोक्ता द्वारा किसी वस्तु एवं सेवा को खरीदते समय किसी विक्रेता को अदा करता है । बाजार लागत वस्तु एवं सेवा की साधन लागत पर अप्रत्यक्ष कर ( सेनवेट , केन्द्रीय उत्पाद शुल्क , सीएसटी आदि ) जोड़ने के बाद निकाली जाती है । यानी बाजार मूल्य पर पहुँचने के लिए साधन लागत में सरकार को भुगतान किये गये कर को शामिल किया जाता है जबकि सरकार द्वारा दी गई अनुदान को साधन लागत में से घटा दिया जाता है क्योंकि साघन लागत निर्धारण के समय ही उसकी गणना कर ली जाती है ।
मूल्य वर्धन की धारणा ( Concept of value added ) : राष्ट्रीय उत्पाद या घरेलू उत्पाद का सही मूल्य निकालने के लिए जिससे कोई वस्तु तथा सेवा दोहरी गणना में न आए यानी माध्यमिक वस्तुओं या प्रयुक्त आगतों को आकलन में आने से रोकने के लिए हम जिस विधि का प्रयोग करते हैं उसे ही मूल्य वर्धन विधि कहते हैं । मूल्यवर्धन उत्पादन प्रक्रिया में श्रम पूँजी तथा अन्य साधनों के योगदान को प्रदर्शित करता है और जब हम इसमें उत्पाद पर लगे करों के मूल्य को जोड़ देते हैं तथा उसमें से उत्पाद अनुदान को घटा देते हैं , तो सभी निवासी उत्पादक इकाइयों के ऐसे मूल्यवर्धनों का योग ही जीडीपी होता है , अतः किसी भी राष्ट्र का जीडीपी सकल मूल्यवर्धनों ( GVA ) का योग होता है । ( जिसमें ह्रास नहीं निकाला गया है पर कर तथा अनुदान का समायोजन किया गया है । ) |
नोट : भारत आधिकारिक तौर पर राष्ट्रीय आय की गणना साधन लागत ( Factor Cost ) पर किया करता था । जनवरी , 2015 से केन्द्रीय सांख्यिकी संगठन ( CSO ) द्वारा राष्ट्रीय आय की गणना बाजार मूल्य ( Market Price ) पर की जा रही है जो वास्तव में बाजार लागत ( Market Cost ) पर ही है । सकल मूल्य वर्द्धन ( Gross Value Added - GVA ) में उत्पाद करों को शामिल करने के बाद बाजार मूल्य ज्ञात होता है । उत्पाद कर केन्द्र एवं राज्यों के अप्रत्यक्ष कर हैं । |
चालू एवं स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय ( National Income at Current and Constant Price )
⦿ चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय : जब राष्ट्रीय आय को प्रचलित बाजार मूल्यों पर मापा जाता है तो उसे चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय कहते हैं । चालू कीमतों पर राष्ट्रीय आय को मौद्रिक आय भी कहते हैं ।
⦿ स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय : स्थिर कीमतों पर राष्ट्रीय आय से अभिप्राय एक लेखा वर्ष के दौरान एक राष्ट्र के सामान्य नागरिकों द्वारा उत्पादित समस्त अंतिम वस्तुओं एवं सेवाओं ( Final Goods and Services ) के उस मौद्रिक मूल्य से जिसे किसी आधार वर्ष के मूल्यों पर मापा जाता है । इसे वास्तविक राष्ट्रीय आय कहा जाता है । किसी देश के आर्थिक विकास का सही सूचक स्थिर कीमत पर राष्ट्रीय आय है ।
नोट : प्रचालित बाजार मूल्यों पर प्रतिव्यक्ति आय में से मुद्रास्फीति की वृद्धि दर घटाने पर स्थिर मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय प्राप्त होती है । अर्थात प्रचलित मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर का मूल्य स्थिर कीमतों पर प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि दर के मूल्य की अपेक्षा अधिक होगा तथा यह अंतर मुद्रास्फीति की दर के मूल्य के बराबर होगा । |
⦿ किसी भी देश के राष्ट्रीय आय में निम्न को शामिल नहीं किया जाता है -
1 . मध्यवर्ती वस्तुओं के मूल्य को
2 . पुरानी वस्तुओं के मूल्य को
3 . घरेलू सेवाओं अथवा कार्य को
4 . वित्तीय परिसम्पत्तियाँ जैसे - अंश - पत्र , ऋण - पत्र आदि के क्रय - विक्रय को
5 . हस्तांतरण भुगतान ( पेंशन , वजीफा , लॉटरी जीतना ) को
6 . विदेशों से प्राप्त उपहार
⦿ राष्ट्रीय आय की गणना के लिए उत्पाद पद्धति और आय पद्धति दोनों का सहारा लिया जाता है -
1 . उत्पाद पद्धति : इसके तहत माल और सेवाओं के शुद्ध मूल्य वृद्धि का आकलन किया जाता है । इसका प्रयोग कृषि , वानिकी , पशुपालन , खनन और उद्योग क्षेत्र में किया जाता है । इसका मूल्यवर्धित पद्धति के नाम से भी जाना जाता है ।
2 . आय पद्धति : इसके अन्तर्गत उत्पादन के घटकों के लिए किये गये भुगतानों का योग किया जाता है और इसका प्रयोग परिवहन , प्रशासन और व्यापार जैसे सेवा प्रदाता की जीडीपी का आकलन करने के लिए करते हैं ।
नोट : आय विधि से राष्ट्रीय आय का आकलन करते समय अवितरित आय को शामिल नहीं किया जाता है । |
राष्ट्रीय आय की विभिन्न अवधारणाएँ तथा उनके बीच संबंध
राष्ट्रीय आय की मूलतः दो धारणाएँ हैं —
1 . घरेलू उत्पाद ( Domestic Product ) 2 . राष्ट्रीय उत्पाद ( National Product )
घरेलू उत्पाद : किसी देश की आर्थिक सीमा में स्थित निवासियों तथा गैर निवासियों द्वारा अर्जित आय को घरेलू उत्पाद कहते हैं ।
घरेलू उत्पाद = घरेलू आय में निवासियों का हिस्सा + घरेलू आय में गैर निवासियों का हिस्सा |
राष्ट्रीय उत्पाद : किसी देश की आर्थिक सीमा के भीतर तथा बाहर निवासियों द्वारा अर्जित आय को राष्ट्रीय उत्पाद या सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहते हैं ।
राष्ट्रीय उत्पाद = घरेलू आय - शेष विश्व को भुगतान की गयी साधन आय + शेष विश्व से प्राप्त की गयी साधन आय या घरेलू आय - शेष विश्व से निवल प्राप्ति |
1 . जब भी किसी धारणा के साथ सकल ( Gross ) जुड़ा हो तो इसका मतलब यह है कि स्थिर पूंजी उपभोग या ह्रास ( Depreciation ) को घटाया नहीं गया है । 2 . जब हम सकल धारणा में से स्थिर पूँजी के उपभोग या ह्रास के मूल्य को घटा देते है तो हमें निवल या शुद्ध प्राप्त होता है । 3 . निवासी ( Residents ) : निवासी की धारणा एक आर्थिक धारणा है , राजनैतिक नहीं । यह आवश्यक नहीं है कि निवासी उस देश का नागरिक भी हो । एक निवासी वह व्यक्ति है जिसके आर्थिक हित का केन्द्र बिन्दु वह आर्थिक या घरेलू क्षेत्र होता है जिसके संबंध में हम बात कर रहे हैं । |
⦿ राष्ट्रीय आय की दो धारणाएँ - घरेलू उत्पाद तथा राष्ट्रीय उत्पाद के अतिरिक्त शेष सभी धारणाएँ इन्हीं का प्रतिरूप हैं या इन्हीं पर आधारित हैं ।
⦿ राष्ट्रीय आय से संबंधित विभिन्न धारणाओं को निम्न रूप से व्यक्त कर सकते हैं -
सकल घरेलू उत्पाद ( Gross Domestic Product - GDP ) : किसी देश की घरेलू सीमा के भीतर स्थित निवासी उत्पादक तथा गैर निवासी उत्पादक इकाइयों द्वारा एक वर्ष में उत्पादित सभी वस्तुओं और सेवाओं का अंतिम ( Final ) मौद्रिक मूल्य सकल घरेलू उत्पाद कहलाता है । दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं कि एक लेखा वर्ष में एक देश की घरेलू सीमा में सभी उद्यमियों चाहे वह निवासी हो या अनिवासी द्वारा की गई सकल मूल्य वृद्धि को सकल घरेलू उत्पाद कहा जाता है । इसका आकलन राष्ट्रीय एवं निजी उपभोग , सकल निवेश , सरकारी एवं व्यापार शेष के योगफल द्वारा भी किया जाता है ।
नोट : किसी देश की आर्थिक वृद्धि की सर्वाधिक उपयुक्त माप सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) है । |
सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) के उपयोग
1 . जी . डी . पी . में होने वाले वार्षिक प्रतिशत परिवर्तन ही किसी अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर है ।
2 . यह परिमाणात्मक दृष्टिकोण है । इसके आकार से देश की आंतरिक शक्ति का पता चलता है लेकिन इससे उत्पादों एवं सेवाओं की गुणवता का पता नहीं चलता है ।
3 . अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष एवं विश्व बैंक की ओर से सदस्य देशों का तुलनात्मक विश्लेषण इसी के आधार पर किया जाता है ।
साधन लागत पर सकल घरेलू उत्पाद ( Gross Domestic Product at Factor Cost - GDPfc) :
⦿ किसी वस्तु या सेवा के उत्पादन में उपभोग या प्रयुक्त उत्पादक कारकों के सम्पूर्ण मूल्य को साधन लागत ( Factor Cost ) कहा जाता है । साधन लागत में सरकार को भुगतान किये गये कर को शामिल नहीं किया जाता है क्योंकि यह प्रत्यक्ष तौर पर उत्पादन प्रक्रिया में शामिल नहीं होता है परन्तु यदि कोई अनुदान ( Subsidies ) प्राप्त की जाती है तो उसे साधन लागत में शामिल किया जाता है ।
नोट : सी . एस . ओ . द्वारा फरवरी , 2015 में जारी निर्देश के अनुसार अब साधन लागत पर व्यक्त जी . डी . पी . राष्ट्रीय आय को नहीं प्रदर्शित करेगी । |
बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद ( Gross Domestic Product at Market Price - GDPmp ) :
⦿ बाजार मूल्य वह मूल्य है जिसे एक उपभोक्ता द्वारा खरीदते समय किसी विक्रेता को सौंपा जाता है । बाजार मूल्य पर पहुँचने के लिए साधन लागत में सरकार का भुगतान किये गये कर को शामिल किया जाता है जबकि सरकार द्वारा दी गई अनुदान को साघन लागत में से घटा दिया जाता है ।
GDPfc = GDPmp - ( उत्पादन कर - अनुदान ) |
सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( Gross National Product - GNP ) :
⦿ किसी अर्थव्यवस्था में GNP उस आय को कहते हैं जो GDP में विदेशों से होने वाली आय को जोड़कर प्राप्त किया जाता है । दूसरे शब्दों में सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNP ) एक वर्ष की अवधि में एक देश के सामान्य नागरिकों द्वारा देश की घरेलू सीमा के अंदर या बाहर उत्पादित की गयी अंतिम वस्तुओं ( Final Goods ) और सेवाओं के सकल मूल्य से हैं । यदि X देशवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय हो व M विदेशियों द्वारा देश में अर्जित आय हो , तो -
GNP = GDP + X - M बंद अर्थव्यवस्था के अंतर्गत X - M = 0 अतः GNP = GDP |
नोट : भारत के मामले में विदेशों से होने वाली आय के बदले हानि होती है अतः भारत का GNP हमेशा GDP से कम होगा । |
साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( Gross National Product - GNPfc ) :
⦿ साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद से आशय उस राष्ट्रीय उत्पाद से है जिसका मूल्य उत्पादन क्रिया में प्रयुक्त साधनों को प्राप्त आय के आधार पर ज्ञात किया जाता है । साधन लागत के अंतर्गत हम कर्मचारियों का पारिश्रमिक , ब्याज , निगम लाभ ह्रास आदि को सम्मिलित करते हैं ।
बाजार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद (Gross National Product at Market Price-GNPmp) :
⦿ किसी वर्ष के दौरान निवासी उत्पादक इकाइयों द्वारा आर्थिक सीमा के अंदर तथा बाहर सभी अंतिम वस्तुओं ( Final Goods ) एवं सेवाओं का बाजार मूल्य ही बाजार मूल्य पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद कहलाता है । जब साधन लागत पर सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNP ) में परोक्ष व्यापारिक कर जोड़ देते हैं और सरकार द्वारा दी जाने वाली अनुदान को घटा देते हैं तो हमें बाजार मूल्य ज्ञात होता है ।
GDPfc = GNPmp - परोक्षकर + अनुदान |
GNP के विभिन्न उपयोग
⦿ सकल राष्ट्रीय आय के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ( IMF ) दुनिया के देशों की रैकिंग तय करता है । इसके आधार पर IMF देशों को उनकी क्रय शक्ति समता या तुल्यता ( Purchasing Power Parity - PPP ) के आधार पर रैंक तय करता है ।
नोट : 2015 - 16 ई . में क्रयशक्ति समता ( PPP ) के आधार पर IMF ने भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बताया है । इस आधार पर चीन पहली एवं यू . एस . ए . दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है । ( भारतीय मुद्रा के विनिमय दर के आधार पर भारत दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है ) |
⦿ राष्ट्रीय आय को आंकने के लिए GNP , GDP की तुलना में विस्तृत पैमाना है क्योंकि यह अर्थव्यवस्था की परिमाणात्मक तस्वीर के साथ - साथ गुणात्मक तस्वीर भी पेश करता है ।
⦿ यह किसी भी अर्थव्यवस्था को दुनिया की दूसरी अर्थव्यवस्था के साथ रिश्ते पर भी रोशनी डालता है । यह दूसरे देशों से लिए गये कर्ज एवं दूसरे देशों को दिये गये कर्ज से पता चलता है ।
⦿ यह बताता है कि बाहरी दुनिया किसी देश के खास उत्पाद पर कितने निर्भर है और वह उत्पाद दुनिया के देशों पर कितना निर्भर है ।
बाजार मूल्य पर व्यक्त जीडीपी ( GDPmp ) तथा बाजार मूल्य पर व्यक्त जीएनपी ( GNPmp ) की धारणा या घरेलू आय तथा राष्ट्रीय आय के बीच संबंध :
⦿ देश के भीतर गैर निवासियों द्वारा अर्जित आय घरेलू उत्पाद या आय की गणना में शामिल किया जाता है , लेकिन राष्ट्रीय उत्पाद या आय की गणना में शामिल नहीं किया जाता है । इसी प्रकार देश के निवासी इकाइयों द्वारा देश की आर्थिक सीमा के बाहर अर्जित आय घरेलू उत्पाद या आय में सम्मिलित नहीं किया जाता है , लेकिन राष्ट्रीय उत्पाद या आय में सम्मिलित किया जाता है । अतः देश के निवासियों द्वारा आर्थिक सीमा के बाहर अर्जित आय तथा गैर निवासियों द्वारा आर्थिक सीमा के भीतर अर्जित आय का अंतर जिसे हम निवल विदेशी आय कह सकते हैं धनात्मक या ऋणात्मक हो सकती है । यदि निवासियों द्वारा विदेशों में अर्जित आय और गैर निवासियों द्वारा आर्थिक सीमा के भीतर अर्जित आय से अधिक हुई तो शेष धनात्मक होगा , अन्यथा ऋणात्मक ।
GNPmp - GDPmp = निवल विदेशी आय |
⦿ निवल धारणाएँ ( Net Concepts ) : जब हम सकल मूल्य में से ( चाहे वह बाजार मूल्य पर व्यक्त हो या साधन लागत पर व्यक्त हो ) ह्रास को घटा देते हैं तो निवल धारणा प्राप्त होती है । इस प्रकार हमें निम्नांकित निवल धारणाएँ प्राप्त होंगी -
1 . GDPfc - ह्रास = NDPfc 2 . GDPmp - ह्रास = NDPmp 3 . GNPfc - ह्रास = NNPfc 4 . GNPmp - ह्रास = NNPmp |
⦿ शुद्ध घरेलू उत्पाद ( Net Domestic Product - NDP ) : यह किसी भी अर्थव्यवस्था का वह जीडीपी है जिसमें से एक वर्ष के दौरान होने वाली मूल्य कटौती यानी ह्रास को घटाकर प्राप्त किया जाता है । इसमें मूल्य कटौती की दर सरकार निर्धारित करती है ।
नोट : भारत में मूल्य कटौती की दर का निर्धारण केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय करता है । NDP = GDP - ह्रास अतः किसी भी वर्ष में किसी भी अर्थव्यवस्था में NDP हमेशा उस वर्ष की GDP से कम होगा । |
NDP का प्रयोग
1 . इसका इस्तेमाल घिसावट के चलते होने वाले ह्रास को समझने के लिए किया जाता है ।
2 . अनुसंधान और विकास के क्षेत्र में अर्थव्यवस्था की उपलब्धि को दर्शाने के लिए भी इसका उपयोग होता है ।
नोट : NDP का इस्तेमाल दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं की तुलना के लिए नहीं किया जाता है क्योंकि दुनिया की अलग - अलग अर्थव्यवस्थाएँ अपने यहाँ मूल्य कटौती की अलग - अलग दरें निर्धारित करती है । |
⦿ शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ( Net National Product - NNP ) : सकल राष्ट्रीय उत्पाद में से मूल्य कटौती को घटाने के बाद जो आय बचती है उसे ही किसी अर्थव्यवस्था का शुद्ध राष्ट्रीय उत्पाद ( NNP ) कहते हैं ।
NNP = GNP - हास या NNP = GDP + विदेशों से होने वाली आय - मूल्य कटौती |
NNP के विभिन्न उपयोग
⦿ यह किसी भी अर्थव्यवस्था की राष्ट्रीय आय ( National Income - NI ) हैं ।
⦿ यह किसी भी देश के आय को आकलित करने का सबसे अच्छा तरीका है ।
⦿ जब NNP को देश की कुल आबादी से भाग देते हैं तो उससे उस देश की प्रति व्यक्ति आय का पता चलता है । यह प्रति व्यक्ति सालाना आय होती है ।
कर , छूट एवं राष्ट्रीय आय संबंध ( Taxes , Subsidies and National Income ) : अप्रत्यक्ष कर और अनुदान ( Subsidies ) को एक साथ रखने पर भारत की राष्ट्रीय आय को आकलित करने का सूत्र है - साधन लागत पर राष्ट्रीय आय = NNPmp - अप्रत्यक्ष कर + अनुदान |
राष्ट्रीय आय लेखा के आधार वर्ष एवं विधि में संशोधन
⦿ 30 जनवरी , 2015 को जारी विज्ञप्ति के अनुसार सी . एस . ओ . ने राष्ट्रीय लेखाओं के आधार वर्ष को 2004 - 05 से संशोधित करके 2011 - 12 कर दिया ।
⦿ इस विज्ञप्ति में राष्ट्रीय आय संबंधी नई श्रृंखला में एक अन्य महत्वपूर्ण धारणात्मक ( Conceptual ) परिवर्तन जी . डी . पी . के आकलन के संबंध में किया है । नई श्रृंखला में अब साधन लागत माप सकल घरेलू उत्पाद ( GDPfc) का आकलन धारणा को हटा दिया गया है तथा बाजार मूल्य पर सकल घरेलू उत्पाद ( GDPmp ) को ही GDP के रूप में स्वीकार किया गया है ।
⦿ सी . एस . ओ की नई घोषणा के अनुसार जी . डी . पी . की गणना के लिए क्षेत्रवार सकल मूल्य वर्धन ( Gross Value Added - GVA ) के अनुमान के लिए साधन लागत के बजाय मूल कीमतों ( Basic Prices ) को प्रयोग में लाया जायेगा ।
मूल कीमत = क्रेता से प्राप्त कीमत - उत्पाद पर कर + अनुदान |
⦿ साधन लागत पर GVA किसी कर को सम्मिलित नहीं करता तथा किसी अनुदान ( Subsidies ) को नहीं छोड़ता है ।
⦿ बाजार मूल्य पर जी . डी . पी . उत्पाद व उत्पादन करों को सम्मिलित करता है व उत्पाद तथा उत्पादन अनुदान को सम्मिलित नहीं करता है ।
⦿ GVA साधन लागत पर GVA मूल मूल्य पर तथा GDP बाजार मूल्य पर के बीच संबंध -
यदि CE = कर्मचारियों की क्षतिपूर्ति , OS = परिचालन अधिशेष , MI = मिश्रित आय , CFC = मिश्रित पूँजी का उपभोग 1 . GVA मूल मूल्य पर = CE + OS / MI + CFC + ( उत्पादन कर - उत्पादन अनुदान ) 2 . GVA साधन लागत पर = GVA मूल मूल्य पर - ( उत्पाद अनुदान घटाने के बाद उत्पाद कर ) 3 . GDP बाजार मूल्य पर = GVA मल मल्य पर + ( उत्पाद कर - उत्पाद अनुदान ) |
⦿ इस विज्ञप्ति में सी . एस . ओ . ने इस बात पर बल दिया है कि आगे से जी . डी . पी . बाजार मूल्य को ही राष्ट्रीय विकास की माप के लिए प्रयोग में लाया जायेगा ।
नोट : मूल कीमत पर GVA को व्यक्त करने की धारणा को CSO ने यूनाइटेड नेशन्स सिस्टम ऑफ एकाउन्टिंग से लिया है जो वहाँ 1993 ई . से ही प्रयोग में है । |
भारत में राष्ट्रीय आय का अनुमान
⦿ भारत में राष्ट्रीय आय के अनुमान के संबंध में उत्पादन , आय तथा व्यय विधि का मिश्रित प्रयोग किया जाता है ।
⦿ भारत में राष्ट्रीय आय के अनुमान के लिए सांख्यिकीय संगठनन सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था को छः क्षेत्रों में विभाजित किया है - 1 . प्राथमिक क्षेत्र 2 . द्वितीयक क्षेत्र 3 . परिवहन , संचार एवं व्यापार 4 . वित्त एव वास्तविक सम्पदा 5 . सामुदायिक एवं निजी क्षेत्र 6 . विदेशी क्षेत्र ।
⦿ विदेशों से शुद्ध साधन आय संबंधी आँकड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया द्वारा प्रकाशित तथा तैयार किये जाते हैं ।
⦿ भारत में पूँजी निर्माण संबंधी आँकड़े सी . एस . ओ . द्वारा तैयार किये जाते हैं , RBI द्वारा नहीं ।
⦿ NNI किसी वर्ष में बाजार मूल्य पर व्यक्त GDP है जिसमें सी . एफ . सी . , कर्मचारियों की निवल क्षतिपूर्ति तथा शेष विश्व से प्राप्त सम्पत्ति आय को समायोजित किया गया है , का योग है ।
⦿ सकल राष्ट्रीय आय ( GNI ) में ह्रास को घटा दें तो NNI ज्ञात होगी जिसे हम राष्ट्रीय आय कहते हैं ।
वर्ष 2018 - 19 में राष्ट्रीय आय संबंधी प्रमुख आंकड़े ( 2011 - 12 के स्थिर मूल्यों पर आकलन )
⦿ चालू वित्तीय वर्ष में देश के सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) एवं राष्ट्रीय आय संबंधी दूसरे अग्रिम अनुमान केन्द्रीय सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के केन्द्रीय सांख्यिकी कार्यालय ( CSO ) द्वारा 28 फरवरी , 2019 को जारी किए गए ।
⦿ सीएसओ के 28 फरवरी , 2019 के दूसरे अग्रिम आकलन में वित्तीय वर्ष 2018 - 19 में वास्तविक घरेलू उत्पाद ( 2011 - 12 के मूल्य स्तर पर ) 141 लाख करोड़ अनुमानित है । इससे पूर्व 2017 - 18 में स्थिर मूल्यों पर सकल घरेलू उत्पाद 131 . 80 लाख करोड़ था ।
⦿ 2018 - 19 में जीडीपी में वृद्धि 7 . 0 % रहने का अनुमान लगाया गया था जबकि पहले अग्रिम अनुमानों में यह वृद्धि 7 . 2 % अनुमानित थी ।
नोट : वर्ष 2018 - 19 में जीडीपी में वृद्धि 6 . 8 प्रतिशत रही । |
⦿ सीएसओ के 28 फरवरी , 2019 के दूसरे अग्रिम अनुमानों में स्थिर कीमतों पर ( 2011 - 12 के स्थिर मूल्यों पर ) 2018 - 19 में शुद्ध राष्ट्रीय आय 123 . 50 लाख करोड़ अनुमानित है , जबकि 2017 - 18 में यह 115 . 31 लाख करोड़ रही । इस प्रकार 2018 - 19 में स्थिर कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय आय में 7 . 1 % की वृद्धि अनुमानित है , जबकि 2017 - 18 में वास्तविक राष्ट्रीय आय में वृद्धि 7 % रही थी ।
⦿ 2018 - 19 में स्थिर मूल्यों पर प्रति व्यक्ति आय 92718 रहने का सीएसओ का दूसरा अग्रिम अनुमान है , जबकि 2017 - 18 में वास्तविक प्रति व्यक्ति आय रु. 87623 रही है । इस प्रकार वर्ष 2018 - 19 में सीएसओ के दूसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार प्रति व्यक्त आय में 5 . 8 % की वृद्धि होने की संभावना है ।
⦿ वित्तीय वर्ष 2018 - 19 में स्थिर मूल कीमतों पर ( 2011 - 12 के मूल्य स्तर पर ) जीवीए ( GVA ) रु. 129 . 26 लाख करोड़ रहने की संभवना है , जबकि 2017 - 18 में यह रु. 121 . 04 लाख करोड़ था । इस प्रकार 2018 - 19 में जीवीए में स्थिर मूल कीमतों पर 6 . 8 % वृद्धि की संभवना है । पूर्व वर्ष 2017 - 18 में यह वृद्धि 6 . 9 % रही थी ।
प्रचलित मूल्यों पर राष्ट्रीय आय संबंधी प्रमुख आकलन
⦿ वर्ष 2018 - 19 में प्रचलित कीमतों पर सकल घरेलू उत्पाद 190 . 54 लाख करोड़ रहने का सीएसओ का दूसरा अग्रिम अनुमान है । वर्ष 2017 - 18 में यह 170 . 95 लाख करोड़ था । इस प्रकार चालू मुल्यों पर 2018 - 19 में जीडीपी में वृद्धि 11 . 5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि 2017 - 18 में यह वृद्धि 11 . 3 प्रतिशत थी ।
⦿ वर्ष 2018 - 19 में प्रचलित कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय आय 168 . 76 लाख करोड़ अनुमानित है , जबकि 2017 - 18 में यह 151 . 28 लाख करोड़ रही है । इस प्रकार 2018 - 19 में प्रचलित कीमतों पर शुद्ध राष्ट्रीय आय में 11 . 6 प्रतिशत की वृद्धि अनुमानित है जबकि 2017 - 18 में यह वृद्धि 11 . 3 प्रतिशत रही थी ।
⦿ प्रचलित मूल्यों पर वर्ष 2018 - 19 में प्रति व्यक्ति आय 1,26,699 रहने का सीएसओ का अग्रिम अनुमान है , जबकि 2017 - 18 में यह 1,14,958 थी । इस प्रकार प्रति व्यक्ति आय में 10.2 प्रतिशत की वृद्धि होने का अग्रिम अनुमान है ।
⦿ प्रचलित मूल्यों पर मूल कीमतों पर जीवीए 2017 - 18 में 154 . 83 लाख करोड़ था , जो 2018 - 19 में 172.41 लाख करोड़ रहने का सीएसओ का ताजा अनुमान है । इस प्रकार प्रचलित मूल्यों पर 2018 - 19 में जीवीए में 11 . 4 प्रतिशत वृद्धि की संभावना है ।
राष्ट्रीय आय संबंधी प्रमुख आकडे एक दृष्टि में ( 2011 - 12 के स्थिर मूल्यो पर आकलन ( करोड़ में )
2018 - 19 ( 28 फरवरी , 2019 के दूसरे अग्रिम अनुमान | पूर्व की तुलना में वृद्धि ( प्रतिशत में ) 2018 - 19 ( दूसरे अग्रिम अनुमान ) | |
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जीडीपी | 1,41,00,119 | 7.0 |
एनडीपी | 1,24,95,137 | 7.0 |
जीवीए एट बेसिक प्राइसेज | 1,29,25,787 | 6.8 |
जीएनआई | 1,39,54,956 | 7.1 |
एनएनआई | 1,23,49,975 | 7.1 |
प्रति व्यक्ति एनएनआई ( रु में ) | 92,718 | 5.8 |
प्रचलित मूल्यों पर आकलन ( Estimates at current Prices )
2018 - 19 ( दूसरे अग्रिम अनुमान ) | पूर्व की तुलना में वृद्धि ( प्रतिशत में ) | |
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जीडीपी | 1,90,53,967 | 11.5 |
एनडीपी | 1,70,69,891 | 11.5 |
जीवीए एट बेसिक प्राइसेज | 1,72,41,154 | 11.4 |
जीएनआई | 1,88,60,341 | 11.5 |
एनएनआई | 1,68,76,265 | 11.6 |
प्रति व्यक्ति एनएनआई ( रु में ) | 1,26,699 | 10.2 |
अर्थव्यवस्था के विभिन्न उत्पादक क्षेत्रों में जीवीए में वृद्धि ( 2011 - 12 के स्थिर मूल्यों के आधार पर ) ( % में )
उत्पादक क्षेत्र | 2018 - 19 ( दूसरे अग्रिम अनुमान ) |
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कृषि , वानिकी एवं मत्स्यिकी ( Agriculture Forestry and Fishing ) | 2.7 |
खनन व उत्खनन ( Mining and Quarrying ) | 1.2 |
विनिर्माणी ( Manufacturing ) | 8.1 |
विद्युत , गैस , जलापूर्ति व अन्य उपयोगी सेवाएँ ( Electricity , Gas , Water supply and other Utility Services ) | 8.0 |
निर्माण ( Construction ) | 8.9 |
व्यापार , होटल , परिवहन , संचार एवं प्रसारण से संबंधित सेवाएँ ( Trade , Hotels , Transport , Communications and Services related to Broadcasting ) | 6.8 |
वित्तीय , रीयल एस्टेट एवं व्यावसायिक सेवाएँ ( Financial , Real , Estate and Professional Services ) | 7.3 |
सार्वजनिक प्रशासन , रक्षा व अन्य सेवाएँ ( Public Administration , Difference and Other Services ) | 8.5 |
मूल कीमतों पर जीवीए ( GVAat Basic Prices ) | 6.8 |
विविध
⦿ उत्पादन लागत पर निवल राष्ट्रीय उत्पाद राष्ट्रीय आय है ।
⦿ हिन्दू वृद्धि दर राष्ट्रीय आय से संबंधित है ।
⦿ भारत में राष्ट्रीय आय में सर्वाधिक योगदान तृतीयक क्षेत्र यानी सेवा क्षेत्र का है ।
⦿ प्रति व्यक्ति आय निकालने के लिए राष्ट्रीय आय को देश की कुल जनसंख्या से भाग दिया जाता है ।
⦿ भारत के सकल घरेलू उत्पाद में विभिन्न क्षेत्रों के योगदान का ह्रासमान क्रम है - सेवा > उद्योग > कृषि ।
⦿ मूल्य ह्रास = सकल राष्ट्रीय उत्पाद – निवल राष्ट्रीय उत्पाद
⦿ राष्ट्रीय आय अनुमान की गणना करते समय निर्यात मूल्य को जोड़ा जाना और आयात मूल्य को घटाया जाना ध्यान में रखना अपेक्षित होता है ।
⦿ गोवा की प्रतिव्यक्ति आय सबसे अधिक है ।
⦿ ड्रेन का सिद्धांत का प्रतिपादन दादा भाई नौरोजी ने किया ।
⦿ किसी देश की आर्थिक वृद्धि की सर्वाधिक उपयुक्त माप सकल घरेलू उत्पाद है ।
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