नई आर्थिक नीति
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप भारत की नई आर्थिक नीति की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Bharat ki nai arthik niti in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Bharat ki nai arthik niti के बारे में बात करेंगे । निचे New economic policy of india की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ नई आर्थिक नीति आर्थिक सुधार से सम्बन्धित है , जिसका उद्देश्य उत्पादिता में सुधार , नई तकनीक को आत्मसात करना तथा समग्र रूप से क्षमता के पूर्णतः प्रयोग को एक राष्ट्रीय में अभियान का रूप देना है ।
⦿ नई आर्थिक सुधार की रूपरेखा सर्वप्रथम राजीव गाँधी के प्रधानमंत्रीत्व काल में 1985 ई . में बनायी व शुरू की गई ।
⦿ नई आर्थिक सुधार की दूसरी लहर पी . वी . नरसिंह राव की सरकार के काल में सन् 1991 ई . में आयी ।
⦿ नई आर्थिक सुधार नीति ( सन् 1991 ई. ) को शुरू करने का प्रमुख कारण खाड़ी युद्ध तथा भारत के भुगतान संतुलन की समस्या थी ।
⦿ नई आर्थिक नीति के तीन प्रमुख आयाम थे निजीकरण , उदारीकरण व विश्वव्यापीकरण ।
⦿ नई आर्थिक सुधार नीति ( 1991 ई . ) के मुख्य क्षेत्र थे राजकोषीय नीति , मौद्रिक नीति , मूल्य निर्धारण नीति , विदेश नीति , औद्योगिक नीति , विदेशी विनियोग नीति , व्यापार नीति और सार्वजनिक क्षेत्र नीति ।
⦿ राजकोषीय नीति 1991 के तहत मुख्यतः चार कदम उठाये गये -
1 . सार्वजनिक व्यय को सख्ती से नियंत्रित करना
2 . कर एवं भिन्न राजस्व को बढ़ाना
3 . केन्द्र तथा राज्य सरकारों पर राजकोषीय अनुशासन लागू करना
4 . अनुदान राशि में कटौती करना
⦿ मौद्रिक नीति सन् 1991 ई . के तहत स्फीतिकारी दबावों के लिए प्रतिबंधात्मक उपाय किये गये ।
⦿ औद्योगिक सुधार नीति 1991 ई . के अधीन जिन उपायों को लागू किया गया , वे हैं -
1 . 18 उद्योगों की सूची को छोड़ अन्य सभी उद्योगों के लिए लाइसेंस हटा दिये गये ।
2 . एम . आर . टी . पी . कम्पनियों को विनियोग हेतु एम . आर . टी . पी . आयोग से मुक्त कर दिया गया ।
3 . सार्वजनिक क्षेत्र के लिए आरक्षित क्रियाओं का दायरा सीमित कर दिया गया तथा उक्त क्षेत्र में निजी क्षेत्र को अनुमति दी गई ।
⦿ विदेशी विनियोग नीति 1991 के तहत जिन सुधारों को लक्ष्यबद्ध किया गया , वे हैं -
1 . बहुत से उद्योगों में 51% विदेशी हिस्सा पूँजी के स्वामित्व की सीमा तक प्रत्यक्ष विदेशी विनियोग की स्वतः स्वीकृति दी गई ।
2 . निर्यात में लगी विदेशी व्यापार कम्पनी को 51 % तक हिस्सा पूँजी लगाने की अनुमति होगी ।
3 . सरकार उच्च प्राथमिकता वाले उद्योगों में तकनीकी संधियों के लिए स्वतः स्वीकृति प्रदान करेगी ।
⦿ व्यापार नीति 1991 के तहत , अर्थव्यवस्था के अन्तरराष्ट्रीय एकीकरण को प्रोन्नत करने हेतु उद्योग को प्राप्त अत्यधिक व अविवेकपूर्ण संरक्षण धीरे - धीरे समाप्त करने की दिशा में कदम उठाए गये ।
⦿ सार्वजनिक क्षेत्र संबंधी नीति 1991 के तहत , उद्यमों में कार्यकुशलता व बाजार अनुशासन लाने के लिए जिन उपायों को लागू किया , वे हैं -
1 . आरक्षित उद्योगों की संख्या घटाकर 8 कर दी गई थी । ( वर्तमान में केवल दो उद्योग )
2 . जीर्ण उद्योगों के पुनरुत्थान का कार्य औद्योगिक एवं वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड को सौंप दिया गया ।
3 . सार्वजनिक उद्यमों के निष्पादन में उन्नति के लिए उद्यमों को बोधज्ञापन ( MOU ) के माध्यम से मजबूत किया गया ।
4 . श्रमिकों की संख्या कम करने के लिए स्वैच्छिक सेवा निवृत्ति योजनाएँ आरंभ की गई ।
⦿ नई आर्थिक सुधार नीति सन् 1991 ई . से आगे बढ़ते हुये अब तक काफी खुली , उदार तथा वैश्वीकृत हो चुकी है । वर्तमान में नई औद्योगिक नीति के तहत आरक्षित उद्योगों की संख्या दो है - 1 . परमाणु ऊर्जा एवं 2 . रेल परिवहन ।
⦿ संसाधन जुटाने तथा कार्यकुशलता लाने की दृष्टि से , सार्वजनिक उद्यमों के संबंध में विनिवेश की नई नीति वर्ष 1991 - 92 से अपनायी गई है ।
⦿ 100 प्रतिशत निर्यात मूलक इकाइयों में 100 % विदेशी पूँजी निवेश की अनुमति दी गई है ।
⦿ विनिवेश या अपनिवेश ( disinvestment ) का अर्थ उद्यमों में सरकारी भागीदारी घटाना है ।
⦿ 1996 ई . में विनिवेश मुद्दे पर समीक्षा , सुझाव तथा विनियमन के लिए विनिवेश कमीशन का गठन किया गया था । इसके पहले अध्यक्ष जी . वी . रामकृष्ण थे ।
⦿ औद्योगिक आधुनिकीकरण , तकनीकी विकास के परिणामस्वरूप प्रभावित होने वाली तथा बन्द की जाने वाली रुग्ण औद्योगिक इकाइयों के विस्थापित श्रमिकों की सहायता तथा पुनर्स्थापना के लिए सन् 1992 ई . में राष्ट्रीय नवीकरण निधि की स्थापना की गई ।
⦿ ' नवरत्न ' वैसी कम्पनियाँ हैं , जो विश्वस्तरीय कम्पनियों के रूप में उभर रही हैं तथा जिसे सरकार ने प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से पूर्ण स्वायत्तता प्रदान की है । ऐसे कुल 23 कम्पनियाँ हैं जिसमें से 7 कम्पनियों को महारत्न कम्पनी का दर्जा दिया गया ।
⦿ दूसरे चरण के आर्थिक सुधार कार्यक्रम के प्रमुख लक्ष्य 7 से 8 प्रतिशत वृद्धि दर से निरन्तर समान एवं रोजगार - सृजनकारी दिशा में विकास तथा देश से गरीबी का उन्मूलन करना है ।
औद्योगिक क्षेत्र | विदेशी निवेश की सीमा ( 2017 ) |
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सार्वजनिक बैंकिंग क्षेत्र | 49 % |
निजी बैंकिंग क्षेत्र | 74 % |
गैर - बैंकिंग वित्तीय क . | 100 % |
बन्दरगाह निर्माण | 100 % |
विद्युत् एवं ऊर्जा ( परमाणु ऊर्जा छोड़कर ) | 100 % |
पर्यटन | 100 % |
दूरसंचार | 100 % |
लघु उद्योग क्षेत्र | 100 % |
पेट्रोलियम रिफाइनिंग | 49 % |
दवा उद्योग | 100 % |
नागरिक उड्डयन | 100 % |
बीमा क्षेत्र | 49 % |
कोयला खनन | 100 % |
कोरियर सर्विस | 100 % |
क्रेडिट इनफॉर्मेशन कम्पनीज | 74 % |
सिंगल ब्रांड रिटेल | 100 % |
पावर एक्सचेंज | 49 % |
स्टॉक एक्सचेंज डिपॉजिटरी | 49 % |
चाय बागान | 49 % |
ऐसेट रीकंस्ट्रक्शन | 100 % |
रक्षा उत्पादन | 100 % |
कृषि | 100 % |
पर्यटन | 100 % |
टेलकॉम सेक्टर | 100 % |
रेलवे अवसंरचना | 100 % |
मल्टी ब्रैड रिटेल | 51 % |
पेंशन | 49 % |
प्रिंट मीडिया | 26 % |
शिक्षा | 100 % |
एफ एम रेडियो | 49 % |
प्राइवेट सिक्योरीटिज | 74 % |
यह भी देखें
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