राजभाषा [ अनुच्छेद - 343 - 351 ]
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप राजभाषा की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Raaj bhasha in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Raaj bhasha के बारे में बात करेंगे । निचे Official language की जानकारी निम्नवत है ।
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Raaj bhasha |
⦿ संविधान के भाग - 17 के अनुच्छेद-343 के अनुसार संघ की राजभाषा हिन्दी और लिपि देवनागरी है ।
⦿ भारतीय संविधान के अनुच्छेद - 344 में राष्ट्रपति को राजभाषा से संबंधित कुछ विषयों में सलाह देने के लिए एक आयोग की नियुक्ति का प्रावधान है । राष्ट्रपति ने इस अधिकार का प्रयोग करते हुए 1955 में श्री बी . जी . खरे की अध्यक्षता में प्रथम राजभाषा आयोग का गठन किया । इस आयोग ने 1956 में अपना प्रतिवेदन दिया ।
⦿ संविधान की आठवीं अनुसूची के अनुसार निम्नलिखित भाषाओं को राजभाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है , जो इस प्रकार हैं -
1 . असमिया 2 . बंगला 3 . गुजराती 4 . हिन्दी 5 . कन्नड़ 6 . कश्मीरी 7 . मलयालम 8 . मराठी 9 . उड़िया 10 . पंजाबी 11 . संस्कृत 12 . सिन्धी 13 . तमिल 14 . तेलुगू 15 . उर्दू 16 . कोंकणी 17 . मणिपुरी 18 . नेपाली 19 . मैथिली 20 . संथाली 21 . डोगरी 22 . बोडो
नोट : 1967 ई . में संविधान के 21वें संशोधन के द्वारा सिन्धी को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया । 1992 ई . में संविधान के 71वें संशोधन के द्वारा मणिपुरी , कोंकणी एवं नेपाली को आठवीं अनुसूची में जोड़ा गया । 92वाँ संविधान संशोधन अधिनियम , 2003 ई . के द्वारा संविधान की आठवीं अनुसूची में मैथिली , संथाली , डोगरी एवं बोडो भाषाओं को जोड़ा गया है । |
⦿ राज्य की भाषा : संविधान के अनुच्छेद - 345 के अधीन प्रत्येक राज्य के विधान मंडल को यह अधिकार दिया गया है कि वह विधि द्वारा राज्य के राजकीय प्रयोजनों में से सब या किसी के प्रयोग के लिए उस राज्य में प्रयुक्त होने वाली भाषाओं में से किसी एक या अनेक को या हिन्दी को अंगीकार कर सकता है । परंतु जब तक राज्य का विधान - मंडल , विधि द्वारा , अन्यथा उपबंध न करे तब तक राज्य के भीतर उन शासकीय प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा का प्रयोग किया जाता रहेगा जिनके लिए उसका इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले प्रयोग किया जा रहा था । इस उपबंध के अंतर्गत अधिकांश राज्यों ने मुख्य क्षेत्रीय भाषा को अपनी राजभाषा के रूप में अंगीकार किया । जैसे आन्ध्रप्रदेश ने तेलगू , केरल ने मलयालम , असम ने असमिया , प . बंगाल ने बंगाली , ओडिशा ने उड़िया , गुजरात ने गुजराती के अतिरिक्त हिन्दी , गोवा ने कोंकणी के अतिरिक्त मराठी व गुजराती , जम्मू कश्मीर ने उर्दू , मेघालय , अरुणाचल प्रदेश एवं नगालैंड ने अंग्रेजी , पुदुचेरी ने फ्रांसीसी , त्रिपुरा ने कोक्बोरोक तथा मिजोरम ने मिजो । ध्यान देने योग्य बात यह है कि राज्यों द्वारा भाषा का चुनाव संविधान की 8वीं अनुसूची में उल्लेखित भाषाओं तक ही सीमित नहीं है ।
⦿ राज्यों के परस्पर संबंधों में तथा संघ तथा राज्यों के परस्पर संबंधों में संघ की राजभाषा को ही प्राधिकृत भाषा माना जायेगा । परंतु यदि दो या अधिक राज्य यह करार करते हैं कि उन राज्यों के बीच पत्रादि की राजभाषा हिन्दी भाषा होगी तो ऐसे पत्रादि के लिए उस भाषा का प्रयोग किया जा सकेगा। ( अनुच्छेद - 346 )
⦿ उच्चतम और उच्च न्यायालयों तथा विधान मंडलों की भाषा : संविधान में प्रावधान किया गया है कि जब तक संसद द्वारा कानून बनाकर अन्यथा प्रावधान न किया जाय , तब तक उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों की भाषा अंग्रेजी होगी और संसद तथा राज्य विधान मंडलों द्वारा पारित कानून अंग्रेजी में होंगे ।
नोट : संविधान के अधीन किसी भाषा को राष्ट्रीय भाषा के रूप में नहीं अपनाया गया है , इसके अधीन हिन्दी को केवल राजभाषा के रूप में रखा गया है । अर्थात् भारत की कोई राष्ट्रीय भाषा नहीं है । |
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