जम्मू - कश्मीर को विशेष संवैधानिक दर्जा
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप जम्मू - कश्मीर को विशेष संवैधानिक दर्जा की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Jammu aur kashmir vishesh samvedhanik darza in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Jammu aur kashmir vishesh samvedhanik darza के बारे में बात करेंगे । निचे Special constitutional status to Jammu and Kashmir की जानकारी निम्नवत है ।
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अनुच्छेद ३७० |
इस लेख में बताई गई पूरी जानकारी तथा धराये जम्मू कश्मीर में 2019 से पहले लागु थी जो प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 5 अगस्त 2019 को हटा दी गयी है इस लेख में पूरी जानकारी 2019 के पहले की है । |
⦿ भारतीय संविधान का अनुच्छेद - 370 जम्मू - कश्मीर को एक विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करता है । जम्मू कश्मीर भारतीय संविधान की संशोधित पहली अनुसूची में सम्मिलित 15वाँ राज्य है परन्तु पहली अनुसूची के राज्यों से संबंधित सभी उपबंध जम्मू कश्मीर पर लागू नहीं होते ।
⦿ अनुच्छेद - 370 का खंड ( 1 ) यह कहता है कि इस संविधान में किसी बात को होते हुए भी -
( क ) अनुच्छेद - 238 के उपबंध जम्मू - कश्मीर राज्य के संबंध में लागू नहीं होंगे ।
( ख ) उक्त राज्य के लिए विधि बनाने की संसद की शक्ति , संघ सूची एवं समवर्ती सूची के उन विषयों तक सीमित होगी जिन्हें राष्ट्रपति , उक्त राज्य की सरकार से परामर्श करके , उन विषयों के समान विषय घोषित कर दे जो जम्मू - कश्मीर अधिमिलन पत्र ( Instrument of Accession ) में उन विषयों के रूप में विनिर्दिष्ट है और जिनके संबंध में डोमिनियन व्यवस्थापिका उस राज्य के लिए कानून बना सकती है । हालाँकि यह शक्ति उन सूचियों के उन अन्य विषयों तक ही सीमित रहेगी राष्ट्रपति , जम्मू - कश्मीर राज्य की सरकार की सहमति से , आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करें इसके अतिरिक्त अनुच्छेद - 1 के समस्त उपबंध जम्मू कश्मीर राज्य पर लागू होते हैं ।
⦿ जम्मू कश्मीर एक मात्र राज्य है , जिसका अपना अलग संविधान है और जहाँ संपति का अधिकार वहाँ के स्थायी नागरिकों को मूलाधिकार के रूप में प्राप्त है ।
⦿ राज्य के नीति - निर्देशक तत्वों से संबंधित भारत के संविधान के भाग - 4 के उपबंध जम्मू कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होते हैं ।
⦿ जम्मू - कश्मीर के मामले में केन्द्र सरकार समवर्ती सूची में से कुछ विषयों पर ही कानून बना सकती है ।
⦿ भारतीय संसद को राज्यों के संबंध में कानून बनाने की अवशिष्ट शक्तियाँ प्राप्त है जबकि जम्मू कश्मीर राज्य के संबंध में ये शक्तियाँ राज्य विधान मंडल को प्राप्त है ।
⦿ भारतीय संविधान के अनुच्छेद 368 के उपबंध जम्मू कश्मीर राज्य पर लागू नहीं होते हैं । जम्मू कश्मीर राज्य के संविधान के उपबंध ( जम्मू कश्मीर तथा भारत के बीच संबंधों से संबंधित उपबंधों को छोडकर ) राज्य की विधान सभा द्वारा दो तिहाई बहुमत से पारित करके संशोधित किए जा सकते हैं परन्तु ऐसे संशोधन जिससे राज्यपाल या निर्वाचन आयुक्त की शक्तियों पर प्रभाव पड़ता हें तो ऐसी स्थिति में संशोधन के लिए राष्ट्रपति की अनुमति की आवश्यकता होती है ।
नोट : संविधान के अनुच्छेद - 370 ( 1 ) के अन्तर्गत राष्ट्रपति के आदेश के द्वारा भारत के संविधान संशोधन को जम्मू - कश्मीर राज्य पर लागू किया जा सकता है । |
⦿ संवैधानिक आदेश , 1986 द्वारा , अनुच्छेद - 249 को जम्मू - कश्मीर राज्य पर लागू कर दिया गया है जिसमें राष्ट्रीय हित के प्रावधानों का उल्लेख किया गया है ।
⦿ भारतीय संसद जम्मू - कश्मीर के विधान मंडल की सहमति के बिना निम्नलिखित कार्य नहीं कर सकती है -
1 . राज्य के नाम या राज्य क्षेत्र में परिवर्तन । ( अनुच्छेद - 3 )
2 . राज्य के राज्य क्षेत्र के किसी भाग को प्रभावित करने वाली कोई अन्तर्राष्ट्रीय संधि । ( अनुच्छेद - 253 )
3 . संविधान के अनु . 352 के अन्तर्गत राष्ट्रपति द्वारा आंतरिक अशांति के आधार पर आपातकाल की घोषणा जम्मू - कश्मीर राज्य सरकार की सहमति के बिना नहीं की जा सकती है ।
⦿ जम्मू - कश्मीर के संविधान की धारा - 92 के अधीन राज्यपाल का शासन एवं भारत के संविधान के अनु . 356 के अधीन राष्ट्रपति शासन का प्रावधान है । ( अनुच्छेद 356 एवं 357 को संशोधन आदेश . 1964 द्वारा जम्मू - कश्मीर राज्य तक विस्तृत किया गया है )
नोट : जम्मू - कश्मीर में सर्वप्रथम राज्यपाल का शासन 27 मार्च , 1977 को लगा और पहली बार राष्ट्रपति शासन 7 दिसम्बर , 1986 को लगा । सर्वाधिक समय तक अनु . 356 का प्रयोग जम्मू - कश्मीर राज्य में ही रहा । ( 19 . 07 . 1990 से 09 . 10 . 1996 तक ) |
⦿ अनुच्छेद - 360 ( वित्तीय आपात ) जम्मू - कश्मीर में लागू नहीं होता है ।
⦿ संवैधानिक आदेश का संशोधन करके नियंत्रक महालेखा परीक्षक , निर्वाचन आयोग और सर्वोच्च न्यायालय की अधिकारिता ( अनु . 135 और अनु . 139 को छोड़कर ) को जम्मू - कश्मीर राज्य में लागू कर दिया गया है ।
⦿ भारत के अंग होने के बाबजूद जम्मू - कश्मीर के लोगों के पास दोहरी नागरिकता ( जम्मू - कश्मीर व भारत की ) है , जो भारत के किसी और राज्य के लोगों के पास नहीं है ।
⦿ जम्मू - कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग है ।
⦿ जम्मू - कश्मीर के विधान सभा का कार्यकाल 5 वर्ष का न होकर 6 वर्ष का होता है ।
⦿ यदि जम्मू - कश्मीर की कोई महिला भारत के किसी अन्य राज्य के पुरुष से विवाह कर ले तो उस महिला की जम्मू - कश्मीर की नागरिकता समाप्त हो जाएगी और अगर वह पाकिस्तानी पुरुष से विवाह कर ले तो उस पाकिस्तानी पुरुष को भी जम्मू - कश्मीर की नागरिकता मिल जाएगी ।
⦿ जम्मू - कश्मीर में सूचना का अधिकार और शिक्षा का अधिकार लागू नहीं है ।
⦿ जम्मू - कश्मीर से बाहर के लोग वहाँ पर किसी प्रकार की जमीन नहीं खरीद सकते ।
⦿ जम्मू - कश्मीर में हिन्दू एवं सिख अल्पसंख्यकों को आरक्षण का लाभ नहीं मिलता है ।
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