भारत का महान्यायवादी

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Bharat ka mahanyayvadi

⦿ महान्यायवादी सर्वप्रथम भारत सरकार का विधि अधिकारी होता है 

⦿ भारत का महान्यायवादी न तो संसद का सदस्य होता है और ही मंत्रीमंडल का सदस्य होता है । लेकिन वह किसी भी सदन में अथवा उनकी समितियों में बोल सकता है , किन्तु उसे मत देने का अधिकार नहीं है । ( अनुच्छेद - 88 )

⦿ महान्यायवादी की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा वह उसके प्रसाद पर्यन्त पद धारण करता है ।

⦿ महान्यायवादी बनने के लिए वही अर्हताएँ होनी चाहिए जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती हैं ।

⦿ महान्यायवादी को भारत के राज्य क्षेत्र के सभी न्यायालयों में सुनवाई का अधिकार है ।

⦿ महान्यायवादी को सहायता देने के लिए एक सॉलिसिटर जनरल तथा दो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल भी नियुक्त किये जाते है ।

भारत के महान्यायवादी ( सूचि )

महान्यायवादी ( नाम ) कार्यकाल
एम सी सीतलवाड़ ( सबसे लंबा कार्यकाल ) 28 जनवरी 1950-1 मार्च 1963
सी.के. दफ्तरी 2 मार्च 1963-30 अक्टूबर 1968
निरेन डे 1 नवंबर 1968 - 31 मार्च 1977
एस वी गुप्ते 1 अप्रैल 1977 - 8 अगस्त 1979
एल.एन. सिन्हा 9 अगस्त 1979-8 अगस्त 1983
के परासरण 9 अगस्त 1983-8 दिसंबर 1989
सोली सोराबजी ( सबसे छोटा कार्यकाल ) 9 दिसंबर 1989 - 2 दिसंबर 1990
जी रामास्वामी 3 दिसंबर 1990-23 नवंबर 1992
मिलन के . बनर्जी 21 नवंबर 1992 -8 जुलाई 1996
अशोक देसाई 9 जुलाई 1996 - 6 अप्रैल 1998
सोली सोराबजी 7 अप्रैल 1998 - 4 जून 2004
मिलन के . बनर्जी 5 जून 2004 - 7 जून 2009
गुलाम एस्सजी वाहनवति 8 जून 2009 - 11 जून 2014
मुकुल रोहतगी 12 जून 2014 - 30 जून 2017
के.के. वेणुगोपाल 30 जून 2017 से अभी तक

राज्य का महाधिवक्ता

⦿ अनुछेद - 165 में राज्य के महाधिवक्ता की व्यवस्था की गई है । वह राज्य का सर्वोच्च कानून अधिकारी होता है । महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा होती है । राज्यपाल वैसे व्यक्ति को महाधिवक्ता नियुक्त करता है , जिसमें उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बनने की योग्यता हो । वह अपने पद पर राज्यपाल के प्रसादपर्यन्त बना रहता है ।

महाधिवक्ता के कार्य

⦿ राज्य सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे जो राष्ट्रपति द्वारा सौंपे गये हों ।

⦿ विधिक स्वरूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करें जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गये हों ।

⦿ अपने कार्य संबंधी कर्तव्यों के तहत उसे राज्य के किसी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार है ।

⦿ इसके अतिरिक्त उसे विधानमंडल के दोनों सदनों या संबंधित समिति अथवा उस सभा में , जहाँ के लिए वह अधिकृत है , में बिना मताधिकार बोलने व भाग लेने का अधिकार है ।

⦿ महाधिवक्ता को वे सभी विशेषाधिकार एवं भत्ते मिलते हैं जो विधानमंडल के किसी सदस्य को मिलते हैं ।

यह भी देखें
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