आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप आर्थिक संवृद्धि एवं आर्थिक विकास की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Arthik vikas aur arthik sanvradhhi in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Arthik sanvradhhi aur arthik vikas के बारे में बात करेंगे । निचे Economic growth and Economic Development की जानकारी निम्नवत है ।
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Arthik vikas aur arthik sanvradhhi |
आर्थिक संवृद्धि
आर्थिक संवृद्धि से अभिप्राय किसी समयावधि में किसी अर्थव्यवस्था में होने वाली वास्तविक आय से है । सामान्यतया यदि सकल राष्ट्रीय उत्पाद ( GNP ) , सकल घरेलू उत्पाद ( GDP ) एवं प्रति व्यक्ति आय में वृद्धि हो रही हो तो हम कहते हैं कि आर्थिक संवृद्धि हो रही है । अर्थात आर्थिक संवृद्धि उत्पादन की वृद्धि से संबंधित है जिसमें कि परिमाणात्मक परिवर्तन होते हैं , जो कि श्रम शक्ति , उपभोग , पूँजी और व्यापार की मात्रा में प्रसार के साथ होता है ।
नोट : किसी देश की आर्थिक संवृद्धि का सर्वाधिक उपयुक्त मापदण्ड प्रति व्यक्ति वास्तविक आय होता है । |
आर्थिक विकास
आर्थिक विकास की धारणा आर्थिक संवृद्धि की धारणा से अधिक व्यापक है । आर्थिक विकास सामाजिक , सांस्कृतिक , आर्थिक गुणात्मक एवं परिमाणात्मक सभी परिवर्तनों से संबंधित है । आर्थिक विकास तभी कहा जायेगा जब जीवन की गुणवत्ता में सुधार हो । आर्थिक विकास की माप में अनेक चर सम्मलित किये जाते हैं , जैसे — आर्थिक , राजनैतिक तथा सामाजिक संस्थाओं के स्वरूप में परिवर्तन , शिक्षा तथा साक्षरता दर , जीवन प्रत्याशा , पोषण का स्तर , स्वास्थ्य सेवाएँ , प्रति व्यक्ति उपभोग वस्तुएँ । अतः आर्थिक विकास मूलतः मानव विकास ही है । भारतीय मूल के नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री प्रो . अमर्त्य सेन ने आर्थिक विकास को अधिकारिता तथा क्षमता के विस्तार के रूप में परिभाषित किया है , जिसका तात्पर्य जीवन - पोषण , आत्म - सम्मान तथा स्वतंत्रता है । महबूब ऊल हक ने आर्थिक विकास को ' गरीबी के विरुद्ध लड़ाई ' के रूप में परिभाषित किया चाहे वह गरीबी किसी रूप की हो ।
आर्थिक संवृद्धि = केवल परिमाणात्मक परिवर्तन ( राष्ट्रीय उत्पाद के आकार में परिवर्तन ) [ आर्थिक चरों ( जिनका परिमाणात्मक माप संभव हो )में परिवर्तन ] |
आर्थिक विकास = परिमाणात्मक एवं गुणात्मक परिवर्तन ( राष्ट्रीय उत्पाद तथा जीवन की गुणवत्ता में सुधार ) ( आर्थिक तथा अनार्थिक चरों में परिवर्तन ) |
नोट : किसी देश का आर्थिक विकास प्राकृतिक संसाधन , पूंजी निर्माण एवं बाजार के आकार पर निर्भर करता है । |
आर्थिक विकास की माप
विभिन्न देशों के आर्थिक विकास की माप तथा विभिन्न देशों के आर्थिक विकास की तुलनात्मक स्थिति ज्ञात करने के पाँच दृष्टिकोण मिलते हैं जो नीचे निम्नवत है -
आधारभूत आवश्यकता प्रत्यागम
इसका प्रतिपादन विश्व बैंक ने किया ।
जीवन की भौतिक गुणवत्ता निर्देशांक प्रत्यागम
इसका प्रतिपादन मौरिस डेविड मौरिश ने ' ओवरसीज डेवलपमेंट कौंसिल ' के कहने पर किया । इस विधि में किसी भी देश के रहन - सहन के स्तर यानी आर्थिक विकास की तुलना के लिए तीन आकड़ों शिशु मृत्यु दर ( Infant mortality rate ) , वयस्क साक्षरता दर ( Adult literacy rate ) एवं 1 वर्ष आयु की जीवन प्रत्याशा ( Life expectancy rate at age 1 ) के औसत मान का उपयोग किया जाता है । ( 0 से 100 के पैमाने पर )
नोट : जीवन की भौतिक गुणवता निर्देशांक प्रत्यागम ( Physical Quality of Life Index - PQLI ) का अधिकतम मूल्य 100 तथा न्यूनतम मूल्य 1 होगा । 100 की ओर बढ़ना उत्तम स्थिति का और 1 की ओर बढ़ना खराब स्थिति का परिचायक होता है । |
क्रय शक्ति समता विधि
इस विधि का सबसे पहले प्रयोग सन् 1993 ई . में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने किया और आजकल विश्व बैंक इसी विधि का प्रयोग विभिन्न देशों के रहन - सहन के स्तर की तुलना के लिए कर रहा है ।
नोट : विश्व विकास रिपोर्ट , 2014 ई . के अनुसार 2012 ई . में क्रय शक्ति समता ( Purchasing Power Parity ) की दृष्टि से भारतीय अर्थव्यवस्था विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था है । |
निवल आर्थिक कल्याण
निवल आर्थिक कल्याण = सकल राष्ट्रीय उत्पाद – ( उत्पादन की छिपी लागत तथा आधुनिक नगरीकरण की हानियाँ + अवकाश तथा गृहणियों की सेवाएँ )
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सेमुएलसन का यह मत है कि निवल आर्थिक कल्याण ( Net Economic Welfare - NEW ) लोगों के जीवन निर्वाह में सुधार की सही माप करेगा । इस धारणा का प्रयोग सबसे पहले डैली तथा कॉब ने 1989 ई . में किया । |
नोट : जीवन की गुणवता में सुधार ( आर्थिक विकास का मापक ) की माप के लिए विलियम नोरधास तथा जेम्स टोबिन ने मेजर ऑफ इकोनामिक बेलफेयर ( MEW ) की धारणा विकसित की , जिसे बाद में सेमुएलशन ने संशोधित कर नेट इकोनॉमिक वेलफेयर ( NEW ) कहा । |
मानव विकास सूचकांक ( HDI )
इस सूचकांक का प्रतिपादन 1990 ई . में यूनाइटेड नेशन्स डेवलपमेंट प्रोग्राम ( UNDP ) से जुड़े अर्थशास्त्री महबूब उल हक तथा उनके सहयोगियों ने किया । मानव विकास सूचकांक के तीन आधारभूत आयाम हैं — ज्ञान , जन्म के समय जीवन प्रत्याशा तथा क्रयशक्ति समायोजित प्रति व्यक्ति के रूप में प्रदर्शित जीवन - निर्वाह का स्तर । मानव विकास सूचकांक का उच्चतम मान 1 . 0 तक हो सकता है ।
नोट : मानव विकास सूचकांक स्वास्थ्य , शिक्षा एवं आय आदि के स्तर के आधार पर तैयार किया जाने वाला संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ( UNDP ) का सूचकांक है । |
यह भी देखें
LATEST JOB श्रोत- अमर उजाला अखबार |
New Vacancy श्रोत- अमर उजाला अखबार ( आज की नौकरी ) |
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