भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप भारतीय रक्षा प्रौद्योगिकी की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Bhartiya Raksha Prodhyogiki in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Bhartiya Raksha Prodhyogiki के बारे में बात करेंगे । निचे Indian Defense Technology की जानकारी निम्नवत है ।
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Indian Defense Technology |
⦿ रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान व विकास के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन की स्थापना वर्ष 1958 में की गई । इस समय इसे कुछ अन्य प्रौद्योगिकीय संस्थानों के साथ मिलाकर स्थापित किया गया था ।
⦿ 1980 में स्वतंत्र रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग को गठित किया गया ।
⦿ रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( DRDO ) के प्रमुख एवं महानिदेशक रक्षा मंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार होते हैं । इस संगठन का मुख्यालय नई दिल्ली में है ।
⦿ रक्षा उत्पादन विभाग एवं रक्षा आपूर्ति विभाग का 1984 में विलय करके ' रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति विभाग ' की स्थापना की गयी ।
भारतीय प्रक्षेपास्त्र कार्यक्रम
भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इन्दिरा गाँधी ने जुलाई , 1983 में ' समेकित निर्देशित प्रक्षेपास्त्र विकास कार्यक्रम ' ( Integrated Guided Missile Development Programme IGMDP ) की नींव रखी । इस कार्यक्रम के संचालन का दायित्व रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन ( DRDO ) को सौंपा गया । इस कार्यक्रम के अन्तर्गत विकसित प्रक्षेपास्त्रों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है -
पृथ्वी ( Prithvi )
⦿ यह जमीन से जमीन पर मार करने वाला कम दूरी का बैलिस्टिक प्रक्षेपास्त्र है । ' पृथ्वी ' प्रक्षेपास्त्र का प्रथम परीक्षण फरवरी , 1988 को चाँदीपुर अंतरिम परीक्षण केंद्र से किया गया । पृथ्वी की न्यूनतम मारक क्षमता 40 किमी तथा अधिकतम मारक क्षमता 250 किमी . है ।
त्रिशूल ( Trishul )
⦿ यह कम दूरी का जमीन से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है । इसकी मारक क्षमता 500 मी से 9 किमी तक है । यह मैक - 2 की गति से निशाने को बेध सकता है ।
आकाश ( Aakash )
⦿ यह जमीन से हवा में मार करने वाला मध्यम दूरी का बहुलक्षीय प्रक्षेपास्त्र है । इसकी मारक क्षमता लगभग 25 किमी है । आकाश पहली ऐसी भारतीय प्रक्षेपास्त्र है . जिसके प्रणोदक में रामजेट सिद्धातो का प्रयोग किया गया है । इसकी तकनीकी को दृष्टिगत करते हुए इसकी तुलना अमरीकी पैट्रियाट मिसाइल से की जा सकती है । यह परम्परागत एवं परमाणु आयुध को ढोने की क्षमता रखता है तथा इसे मोबाइल लाँचर से भी छोड़ा जा सकता है ।
अग्नि ( Agni )
⦿ अग्नि श्रेणी में पाँच प्रक्षेपास्त्र हैं : अग्नि - I , अग्नि - II , अग्नि III अग्नि IV एवं अग्नि V , अग्नि जमीन से जमीन पर मार करने वाली मध्यम दूरी की बैलिस्टक मिसाइल है । अग्नि - III की मारक क्षमता 3000 किमी से अधिक है एवं इसे 5000 किमी , तब बढ़ाया जा सकता है । पनडुब्बी से छोड़े जाने वाले अग्नि - III ( SL ) का विकास भी किया जा रहा है । अग्नि - III को पाकिस्तान की हत्फ - 3 तथा इजराइल की जेरिको - 2 की श्रेणी में रखा जा सकता है । अग्नि III परम्परागत तथा परमाणु दोनों प्रकार के विस्फोटकों को ले जाने की क्षमता रखती है । भारत ने 15 नवम्बर , 2011 को इंटरमीडिएट बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि - IV का ओडिशा के ह्वीलर द्वीप से सफलतापूर्वक परीक्षण किया । यह प्रक्षेपास्त्र 3500 किमी . तक मार करने में सक्षम है । इसमें ठोस प्रणोदक के दो चरण और एक पेलोड है । इसमें दो स्तरीय हथियार प्रणाली है जो ठोस प्रणोदक से चलती है । यह जमीन से जमीन पर मार करने वाली मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम है । भारत द्वारा 19 अप्रैल , 2012 को अग्नि - V का सफल परीक्षण किया गया । इस परीक्षण के साथ भारत भी अंंरतमहाद्वीपीय प्राक्षेपिक प्रेक्षपास्त्र ( ICBM ) क्लब में शामिल हो गया जिसमें अब तक केवल पाँच सदस्य राष्ट्र - अमेरिका , रूस , चीन , फ्रांस तथा यूनाइटेड किंगडम शामिल थे । हालांकि 5500 किमी . से अधिक मारक दूरी को ही ICBM श्रेणी में माना जाता है लेकिन अग्नि - V की मारक दूरी इस अन्तर्राष्ट्रीय मानदंड से 500 किमी . कम है । अग्नि - V की जद में बीजिंग और शंघाई सहित अधिकांश चीन , पाकिस्तान , दक्षिण एशिया , यूरोप तथा अफ्रीका के कुछ हिस्से आते है । अमरीका और ऑस्ट्रेलिया अग्नि - V की सीमा से बाहर है । इसमें सेटेलाइट प्रक्षेपण की क्षमता है । इससे अनेक छोट - छोट मिसाइलों को छोड़ा जा सकता है ।
नोट : अग्नि - V सेटेलाइट रोधी मिसाइल है । |
नाग ( Nag )
⦿ यह टैंक रोधी निर्देशित प्रक्षेपास्त्र है । इसकी मारक क्षमता 4 किमी है । इसका प्रथम सफल परीक्षण नवम्बर , 1990 में किया गया । इसे ' दागो और भूल जाओ ' टैंक रोधी प्रक्षेपास्त्र भी कहा जाता है , क्योंकि इसे एक बार दागे जाने के पश्चात पुनः निर्देशित करने की आवश्यकता नहीं पड़ती ।
रक्षा उत्पादन एवं आपूर्ति विभाग से जुड़े सार्वजनिक संस्थान
संस्थान | मुख्यालय | स्थापना वर्ष |
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हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड | बंगलुरु | 1964 |
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड | बंगलुरु | 1954 |
भारत अर्थ मूवर्स लिमिटेड | बंगलुरु | 1964 |
मझगाँव डॉक लिमिटेड | मुंबई | 1960 |
गोवा शिपयार्ड लिमिटेड | वास्को - डि - गामा | 1957 |
भारत डायनामिक्स लिमिटेड | हैदराबाद | 1970 |
मिश्र धातु निगम लिमिटेड | हैदराबाद | 1973 |
गार्डन रीच वर्क शॉप लिमिटेड | कलकत्ता | 1934 |
कुछ अन्य भारतीय प्रक्षेपास्त्र
धनुष ( Dhanush )
⦿ यह जमीन से जमीन पर मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों में से एक है । यह ' पृथ्वी ' प्रक्षेपास्त्र का ही नौसैनिक रूपान्तरण है । इसकी मारक क्षमता 150 किमी तथा इस पर लगभग 500 किग्रा आयुध प्रक्षेपित किया जा सकता है ।
सागरिका ( Sagrika )
⦿ यह सबमेरीन लाँच बैलिस्टिक मिसाइल है । समुद्र के भीतर से इसका पहला परीक्षण फरवरी , 2008 में किया गया । यह परम्परागत एवं परमाणु दोनों ही तरह के आयुध ले जाने में सक्षम है । इसे रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा तैयार किया गया है । भारत ऐसा पाँचवा देश है जिसके पास पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल दागने की क्षमता है । ( चार अन्य देश हैं : यू.एस.ए. , फ्रांस , रूस एवं चीन )
अस्त्र ( Astra )
⦿ यह मध्यम दूरी का हवा से हवा में मार करने वाला और स्वदेशी तकनीक से विकसित प्रक्षेपास्त्र है । इसकी मारक क्षमता 10 से 25 किमी है । यह भारत का प्रथम हवा से हवा में मार करने वाला प्रक्षेपास्त्र है ।
ब्रह्मोस ( Brahmos )
⦿ यह भारत एवं रूस की संयुक्त परियोजना के तहत विकसित किया जाने वाला प्रेक्षपास्त्र है । इसका नाम ब्रह्मोस ( Brahmos ) भारत की नदी ब्रह्मपुत्र ( Brahmaputra ) के Brah तथा रूस की नदी मस्कवा ( Moskva ) के Mos से मिलकर बना है । यह सतह से सतह पर मार करने वाला मध्यम दूरी का सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है । इसका प्रथम सफल परीक्षण जून , 2001 में किया गया था । इसका तीसरा सफल परीक्षण मार्च 2009 में किया गया । यह भी दागो और भूल जाओ ( Fire and Forget ) की पद्धति पर ही विकसित किया गया है । इस क्रूज मिसाइल को जून , 2007 में भारतीय थल सेना में सम्मिलित किया गया । लगभग 290 किमी तक 200 किलोग्राम वजनी परमाणु बम ले जाने में सक्षम ब्रह्मोस ध्वनि की लगभग तीन गुना तेज गति से चलती है ।
प्रद्युम्न ( Pradyumna )
⦿ यह प्रक्षेपास्त्र दुश्मन के प्रक्षेपास्त्र को हवा में बहुत ही कम दूरी पर मार गिराने में सहायक है । यह एक इंटरसेप्टर प्रक्षेपास्त्र है । भारत ने स्वदेश निर्मित एडवांस्ड एयर डिफेंस ( AAD - 02 ) मिसाइल का परीक्षण ओडिशा के पूर्वी तट पर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज से 6 दिसम्बर , 2007 को किया ।
बैलिस्टिक मिसाइल : बैलिस्टिक से आशय ऐसे प्रक्षेपण से है जिसमें किसी वस्तु को प्रक्षेपित करने में आवश्यक बल लगाया जाए किन्तु जमीन पर स्थित लक्ष्य पर गिरने के लिए उसे गुरुत्वाकर्षण के सहारे छोड़ दिया जाए । क्रूज मिसाइल : इस श्रेणी की मिसाइल अपने लक्ष्य को खोज कर प्रहार करती है । |
युद्धक टैंक अर्जन
⦿ इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है । इस युद्धक टैक की गति अधिकतम 70 किमी प्रति घंटा तक हो सकती है । यह रात के अंधेरे में भी का कर सकता है । इस टैंक में लगा एक विशेष प्रकार का फिल्टर जवानों को जहरीली गैसों एवं विकिरण प्रभाव से रक्षा करता है । इस फिल्टर का निर्माण बार्क ( BARC ) ने किया है । अर्जुन टैंक को विधिवत रूप से भारतीय सेना में शामिल कर लिया गया है ।
T - 90 एस . भीष्म टैंक
⦿ इसका निर्माण चेन्नई के समीप आवडी टैंक कारखाने में किया गया है । यह चार किमी के दायरे में प्रक्षेपास्त्र दाग सकता है । यह दुश्मन की प्रक्षेपास्त्र से स्वयं को बचाने की क्षमता रखता है तथा जमीन में बिछाई गयी बारूदी सुरंगों से भी अपनी रक्षा करने की क्षमता रखता है ।
हल्के लड़ाकू विमान - तेजस ( Tejas )
⦿ यह स्वदेश निर्मित प्रथम हल्का लड़ाकू विमान है । इसके विकास में हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड ( HAL ) की महत्वपूर्ण भूमिका रही । इसमें अभी जी.ई. - 404 अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रॉनिक का इंजन लगा है जिसे भविष्य में स्वदेश निर्मित कावेरी इंजन लगाकर हटाया जाएगा । विश्व के सबसे कम वजन वाले बहुआयामी सुपर सोनिक लड़ाकू विमान 600 किमी / घंटे से उड़ान भरती है और हवा से हवा में , हवा से धरती पर तथा हवा से समुद्र में मार करने में सक्षम है ।
पायलट रहित प्रशिक्षण विमान - निशांत
⦿ यह स्वदेशी तकनीक से निर्मित पायलट रहित प्रशिक्षण विमान है । इसे जमीन से 160 किमी के दायरे में नियंत्रित किया जा सकता है । इस विमान का मुख्य उद्देश्य युद्ध क्षेत्र में पर्यवेक्षण और टोह लेने की भूमिकाओं का निर्वाह करना है ।
पायलट रहित विमान - लक्ष्य
⦿ इसका विकास रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के द्वारा किया गया है । इसका उपयोग जमीन से वायु तथा वायु से वायु में मार करने वाले प्रक्षेपास्त्रों से तथा तोपों से निशाना लगाने के लिए प्रशिक्षण देने हेतु एक लक्ष्य के रूप में प्रयोग किया जाता है । यह जेट इंजन से चलता है तथा 10 बार प्रयोग में लाया जा सकता है । 100 km के दायरे में इसे रिमोट से नियंत्रित किया जा सकता है । इसका प्रयोग तीनों सेनाओं द्वारा किया जा रहा है ।
एडवांस लाइट हेलीकॉप्टर - ध्रुव
⦿ इसे डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित किया गया है । अधिकतम 245 किमी / घंटे की गति से उड़ान भरने वाला यह हेलीकॉप्टर 4 घंटे तक आकाश में रहकर 800 किमी की दूरी तय कर सकता है । यह दो इंजन वाला हेलीकॉप्टर है जिसमें दो चालकों सहित 14 व्यक्तियों को ले जाया जा सकता है ।
आई.एल. - 78
⦿ यह आसमान में उड़ान के दौरान ही लड़ाकू विमानों में ईंधन भरने वाला प्रथम विमान है जिसे भारत ने मार्च , 2003 में उज्बेकिस्तान से प्राप्त किया है । इस विमान में 35 टन वैमानिकी ईंधन के भण्डारण की सुविधा है । आगरा के वायु सैनिक अड्डे पर इन विमानों को रखने की विशेष व्यवस्था है ।
काली - 5000
⦿ काली - 5000 का विकास बार्क ( BARC ) द्वारा किया जा रहा है । यह एक शक्तिशाली बीम अस्त्र है जिसमें कई गीगावाट शक्ति की माइक्रोवेव तरंगें उत्सर्जित होंगी , जो शत्रु के विमानों एवं प्रक्षेपास्त्रों पर लक्षित करने पर उनकी इलेक्ट्रॉनिक प्रणालियों और कम्प्यूटर चिप्स को समाप्त करके उन्हें ध्वस्त करने में सक्षम होंगी ।
पिनाका
⦿ यह मल्टी बैरल रॉकेट लाँचर है । स्वदेशी तकनीक से डी.आर.डी.ओ. द्वारा विकसित इस रॉकेट प्रक्षेपक को ए.आर.डी.ई. पूणे में निर्मित किया गया है तथा इसका नाम भगवान शंकर के धनुष ' पिनाक ' के नाम पर ' पिनाका ' रखा गया । इसके द्वारा मात्र 40 सेकेण्ड में ही 100 - 100 किग्रा वजन के एक के बाद एक 12 रॉकेट प्रक्षेपित किए जा सकते हैं , जो कम से कम 7 और अधिक से अधिक 39 किमी दूर तक दुश्मन के खेमे में तबाही मचा सकते हैं ।
विविध
स्टील्थ प्रौद्योगिकी
⦿ स्टील्थ वायुयान और स्टील्थ जहाज का विकास स्टील्थ प्रविधि पर आधारित है । यह तकनीक सैन्य युक्तियों का एक पहलू है । इस तकनीक के द्वारा वायुयान , जहाज पनडुब्बियों , मिसाइल और उपग्रहों को रडार , इंफ्रारेड , सोनार एवं अन्य खोजी पद्धतियों की पहुँच से अदृश्य बनाया जाता है । इस तकनीक का विकास द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान जर्मनी ने किया । होर्टन हो - 229 को प्रथम स्टील्थ एयरक्राफ्ट कहा जाता है । संयुक्त राज्य अमेरिका के सुप्रसिद्ध आधुनिक स्टील्थ वायुयान में एफ-117 , नाइटवॉक , द बी-2 स्पिरिट , द एफ-22 रेप्टर , और एफ-35 लाइटनिंग-II शामिल हैं ।
नोट : रडार का एन्टीना प्रतिबिम्ब के आने का समय मापता है , और उस सूचना के आधार पर बताता है कि वस्तु कितनी दूरी पर है । |
मानवरहित वायुयान ( ड्रोन्स )
⦿ ये ऐसे वायुयान होते हैं जिन्हें जमीन से नियंत्रित किया जाता है या जो पूर्वनियोजित मिशन का अनुसरण करते हुए स्वायत्त रूप से चालित होते हैं । ड्रोन्स मुख्य रूप से दो वर्गों में होते हैं : एक वो जिन्हें निगरानी के उद्देश्य से बनाया जाता है और दूसरे वे जो मिसाइल एवं बम से सुसज्जित होते हैं । ये सैन्य वायुयान से काफी सस्ते होते हैं , और रिमोट कंट्रोल द्वारा उड़ाए जाते हैं तथा फ्लाइट कर्मी को कोई खतरा नहीं होता । ड्रोन के संचालन में एक व्यक्ति ड्रोन को उड़ाता है , दूसरा कैमरों एवं संवेदकों का संचालन एवं निगरानी करता है , और तीसरा व्यक्ति युद्ध क्षेत्र में सैनिकों / कार्मिकों के साथ सम्पर्क में बना रहता है । शस्त्रों से सुसज्जित ड्रोन का इस्तेमाल पहली बार बाल्कन युद्ध में किया गया , लेकिन इनके इस्तेमाल में आशातीत वृद्धि अफगानिस्तान , इराक और पाकिस्तान में हुई ।
नोट : ब्रिटेन के पास कई प्रकार के निगरानी ड्रोन है , विशेष रूप से वॉचकीपर , जिसे इजरायली कंपनी एविट और ब्रिटेन की थेल्स द्वारा संयुक्त रूप से बनाया गया है । |
⦿ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( CSIR ) के अध्यक्ष भारत के प्रधानमंत्री होते हैं । CSIR ( Council of Scientific and Industrial Research ) की स्थापना 1942 में हुई थी । इसका मुख्यालय नई दिल्ली में है ।
⦿ विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केन्द्र की स्थापना तिरुवनंतपुरम ( थुम्बा गाँव ) में 1963 ई . में की गयी थी । इस स्थान का चुनाव करने का प्रमुख कारण यह है कि यह केन्द्र भू चुम्बकीय विषुवत रेखा पर स्थित है ।
⦿ पृथ्वी पश्चिम से पूर्व की ओर घूर्णन करती है , इसी का लाभ उठाने के लिए कृत्रिम उपग्रहों को पश्चिमी दिशा से पूर्वी दिशा क में प्रक्षेपित किए जाते हैं ।
⦿ ' परखनली शिशु ' के मामले में निषेचन परखनली के अन्दर होता है , इसके बाद भ्रूण को माता के गर्भ में रखा जाता है ।
⦿ 25 जुलाई , 1978 ई . को ग्रेट ब्रिटेन में श्रीमती लेस्ली ब्राउन ने विश्व के प्रथम परखनली शिशु लुइस ब्राऊन को जन्म दिया । भारत में जन्म लेने वाले प्रथम परखनली शिशु विवादित है । डॉ . सुभाष मुखोपाध्याय के देख-रेख में कानूप्रिया ने प्रथम परखनली बेबी दुर्गा का जन्म सन् 3 अक्टूबर 1978 ई . को दिया , जिसे उस समय स्वीकृति नहीं मिली । 16 अगस्त , 1986 को मुम्बई के K.E.M. अस्पताल में इन्द्रिरा हिन्दूजा के देख-रेख में भारत के दूसरे परखनली शिशु हर्षा का जन्म हुआ । मुखोपाध्याय के साथ हुए विवाद के कारण कुछ रिकॉर्ड हर्षा को भारत का प्रथम परखनली शिशु मानता है ।
⦿ इयान विल्मुट , जो रोजलिंग इन्स्टीच्यूट ( स्कॉटलैंड ) के वैज्ञानिक थे , ने 5 जुलाई , 1996 को सर्वप्रथम एक वयस्क भेड़ से कोशिका लेकर ' डॉली ' नामक क्लोन का निर्माण किया था ।
⦿ 1953 ई . में सर्वप्रथम बाईपास सर्जरी का प्रयोग यू.एस.ए. में हुआ था ।
⦿ 3 दिसम्बर , 1967 ई . को हृदय का प्रथम प्रत्यारोपण दक्षिण अफ्रीका के डॉक्टर क्रिश्चियन बर्नार्ड ने किया था । केपटाउन के हॉस्पीटल ग्रुट सुर ( Groote Schuur ) में यह ऑपरेशन हुआ जिसमें डेनिस डारवेल ( Denise Darvall ) नामक 25 वर्षीय महिला का हृदय 53 वर्षीय लेविस वानस्की ( Lewis Whashkansky ) को प्रत्यारोपित किया गया ।
⦿ अपरूपान्तरण ( Metastasis ) एक प्रक्रिया है जिसके द्वारा कैंसर कोशिकाओं में और अधिक विभाजन का सफलतापूर्वक संदामन किया जाता है ।
⦿ मौसम संबंधी परिवर्तनों के बारे में जानकारी प्राप्त करने लिए हीलियम गैस से भरे गुब्बारे प्रयोग में लाये जाते हैं ।
⦿ किसी वस्तु के त्रिविमिय प्रतिरूप को अंकित तथा पुनरावृत्ति करने की तकनीक का नाम होलोग्राफी है । यह लेसर किरणों द्वारा की गई फोटोग्राफी है जिसमें वस्तु का चित्र त्रिआयामी ( 3D )हो जाता है ।
⦿ विज्ञान का क्षेत्र जो मानव एवं यन्त्र के मध्य स्वचलन एवं संचार का अध्ययन करता है साइबर्नेटिक्स ( cybernatics ) कहलाता है । यह विज्ञान की आधुनिकतम शाखा है , इसकी परिकल्पना 1949 ई . सर्वप्रथम नारबर्ट वीनर ने की थी । इसे नियंत्रण का विज्ञान भी कहते हैं ।
⦿ 19 दिसम्बर , 1945 में मुम्बई से टाटा इन्स्टीट्यूट ऑफ फण्डामेन्टल रिसर्च की स्थापना की गयी थी ।
⦿ नेशनल स्कूल आफ डिजाइन पूणे में है ।
⦿ न्यूट्रान बम : इस बम की विस्फोटक क्षमता तुलनात्मक रूप से कम होती है लेकिन विकिरण क्षमता अधिक होती है । यह पृथ्वी एवं जल में रेडियोधर्मिता फैला सकता है । टैंकों एवं बुलेट प्रूफ वाहनों को तहस-नहस कर सकता है ।
⦿ साल्टेड बम : नाभिकीय हथियारों के अनुकूल पदार्थ को बाल्ट एवं सोने के द्वारा साल्टेड बम तैयार किया जाता है । इसकी विशेषता है कि इसके द्वारा अधिक मात्रा में रेडियोधर्मी विकिरण फैलाया जा सकता है ।
⦿ माइक्रोवेब बम : माइक्रोवेब बम का आविष्कार अमेरिका द्वारा किया गया । इसके द्वारा इतनी तीव्र शक्ति की ऊर्जा का उत्सर्जन होता है कि शत्रु के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण व संचार प्रणाली ध्वस्त हो जाती है , यहाँ तक कि वाहनों की इग्नीशन प्रणालियाँ भी इसके द्वारा नष्ट हो सकती है । उल्लेखनीय है कि , शत्रु की संचार प्रणाली को ध्वस्त करने वाले इन बमों से कोई जनहानि नहीं होगी ।
⦿ वैक्यूम बम : अमेरिका के रक्षा अनुसंधान वैज्ञानिकों ने ऐसी थर्मोबेरिक प्रणाली का सफल परीक्षण भी किया है जिसके द्वारा रासायनिक एवं जैवकीय शस्त्रों के भंडारों पर अति उच्च तापमान सृजित करके उन्हें बेकार किया जा सकेगा । इस प्रकार की शस्त्र प्रणाली को पहले वैक्यूम बम के नाम से जाना जाता था ।
⦿ एडमिरल गोरशोकोव एक विमान वाहक पोत है , जिसे भारत ने रूस से खरीदा है । यह विमानवाहक पोत विराट का स्थान ग्रहण करेगा । यह हिन्द महासागर में भारत की उपस्थिति को मजबूती प्रदान करेगा ।
⦿ आई.सी. चिप्स सिलिकॉन की बनी होती है । इसका निर्माण 1958 ई . में जे.एस. किल्वी. ने किया था ।
⦿ के . कम्प्यूटर : जापान द्वारा विकसित सर्वाधिक तीव्रता के साथ चलने वाला कम्प्यूटर है । इसकी गति 8.3 पेंटाफ्लाप्स / सेकेंड हैं ।
⦿ सागा - 220 : इसरो द्वारा विकसित भारत का सर्वाधिक तेज गति से चलने वाला सुपर कम्प्यूटर जिसे 02 मई 2011 को विक्रम साराभाई अन्तरितक्ष केन्द्र स्थित सतीश धवन सुपर कम्प्यूटिंग प्रयोगशाला में स्थापित किया गया ।
⦿ कोरोनोग्राफ : अंतरिक्ष में उठने वाले तूफानों की पूर्व जानकारी उपलब्ध कराने वाला उपकरण कोरोनोग्राफ कहलाता है । इस उपकरण की सहायता से सूर्य में नौ बड़े तूफानों का पता लगाया गया है , जिन्हें कोरोनल मास इंजेक्शन कहा जाता है ।
⦿ पालीग्राफ : झूठ पकड़ने वाली मशीन को पालीग्राफ कहते हैं । यह मशीन शरीर में होने वाली चार भौतिक गतिविधियों का एक साथ ग्राफिक्स तैयार करता है । यह मशीन इस सिद्धान्त पर आधारित है कि मनुष्य के दिमाग में जो कुछ होता है उसका प्रभाव भौतिक गतिविधियों पर अवश्य पड़ता है ।
⦿ फैक्स : इसका पूरा नाम फारअवे जेरॉक्स है । इससे एक स्थान से दूसरे स्थान पर जेरॉक्स कॉपी भेजा जा सकता है ।
⦿ रेवा : भारत की प्रथम बैटरी से चलने वाली कार है ।
⦿ री एजेंट : यह एक प्रकार का रसायन है जिसका उपयोग दूध में मिलावट का पता लगाने हेतु किया जाता है । इस रसायन की एक बूंद का प्रयोग करके मात्र कुछ सेकेण्ड में यह पता चल जाता है कि दूध ' प्राकृतिक ' है अथवा ' सिंथेटिक ' है ।
⦿ सीडी स्ट्रिप : यह सरसों के तेल में ‘ बटर यलो ' की मिलावट की जाँच के लिए विकसित एक तकनीक है । इस तकनीक के तहत मिलावट की जाँच हेतु रसायन - युक्त एक छोटे कागज पर एक बूंद तेल डालने के बाद यदि वह गुलाबी हो जाए तो तेल में बटर यलो की मिलावट की पुष्टि हो जाती है ।
⦿ सार्स : रहस्यमय निमोनिया के रूप में चर्चित घातक बीमारी सार्स यानी ' सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिन्ड्रॉम ' के विषाणु को ' पैरामिक्सोवायरस ' के रूप में चिह्नित किया गया है , जो कोरोनो वायरस परिवार से सम्बन्धित है । इसके रोगी में निमोनिया जैसे लक्षण दिखाई देते हैं । लगातार खाँसी आने और सांस में तकलीफ बने रहने के कारण रोगी की मृत्यु तक हो जाती है ।
⦿ नैवीरेपीन : वैज्ञानिकों ने एड्स ग्रस्त महिलाओं के गर्भस्थ शिशु को इस जानलेवा बीमारी से सुरक्षित रखने के लिए एक सस्ती दवा ' नैवीरेपीन ' का विकास किया है । इस दवा की मात्र दो खुराकों से ही प्रतिवर्ष लाखों शिशुओं को एड्स बीमारी से बचाया जा सकता है । शिशु को यह दवा 18 माह की आयु तक दी जाती है ।
⦿ अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कम्पनी मोनोसांटो ने कृषि जगत में विकास के लिए कीटप्रतिरोधी क्षमता वाले कपास का बीज तैयार किया है । उसने वैसीलस थुरिजिएनसिस ( B . T . ) जीवाणुओं को इसके लिए कपास में अंतरित किया । इस बायोटेक्निोलॉजिकल रिसर्च की मदद से आलू , टमाटर तथा सरसों के कीट प्रतिरोधी बीज तैयार कर लिए गए हैं ।
⦿ हाइब्रिडोमा तकनीक का विकास 1975 ई . में डॉ . मिलस्टोन कोस्लर एवं जर्मे द्वारा किया गया । इस तकनीक द्वारा एक क्लोनी प्रतिरक्षियों का वाणिज्यिक उत्पादन किया जाता है ।
⦿ टर्मिनेटर बीज जेनेटिक इंजीनियरों द्वारा तैयार किया गया ऐसा बीज है , जिनके अंंकुरण से पौधे तो तैयार होते हैं , किन्तु उनसे अंकुलक्षण बीज का उत्पादन नहीं होता है ।
⦿ ईकोमार्क उन भारतीय उत्पादों को दिया जाता है , जो पर्यावरण के लिए अनुकूल होते हैं । यह भारत सरकार के पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा दिया जाता है ।
⦿ टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक के जनक प्रो . सर रॉबर्ट एडवर्ड्स ( 1925-2013 ) थे जिन्होंने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के एक प्रयोगशाला में 1968 ई . में इस तकनीक का आविष्कार किया था । तत्पश्चात 1978 ई . में इनके निरंतर प्रयासों के फलस्वरूप ओल्डहेड जनरल अस्पताल में लुइस ब्राऊन नामक प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म संभव हुआ । इसके लिए एडवर्ड्स को 2010 ई . में चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया ।
⦿ डॉक्टरों द्वारा प्रयुक्त होने वाला ' स्टेथोस्कोप ' जिसे आला भी कहते हैं । ध्वनितरंगों के अध्यारोपण के सिद्धांत पर कार्य करता है । इस यंत्र के माध्यम से डॉक्टर हृदय तथा फेफड़ों के रोगों की पहचान करते हैं ।
⦿ भारतीय अंतरिक्ष प्रोग्रामों के कार्यान्वयन का सही कालानुक्रम इस प्रकार है - TERLS प्रोग्राम - 1974 ई . में , सैटेलाइट इन्स्ट्रक्शन टेलीविजन एक्सपरिमेन्ट ( SITE ) प्रोग्राम अगस्त - 1975 ई . में अमेरीकी उपग्रह ATS - 6 की सहायता से संचालित हुआ । सैटेलाइट टेलीकम्युनिकेशन एक्सपरिमेन्ट प्रोजेक्ट ( STEP ) प्रोग्राम का कार्यान्वयन ' इसरो ' तथा डाकतार विभाग ने फ्रांस - जर्मनी के सैम्फोनिया उपग्रह के सहयोग से 1977 से 1979 ई . तक किया । एरियन पैसेन्जर पैलोड इक्सपेरिमेन्ट ( APPLE ) भारत का प्रथम भूस्थिर प्रायोगिक संचार उपग्रह था , जिसे 19 जून , 1981 ई . को प्रक्षेपित किया गया था ।
⦿ स्टेम सेलों का अनुसंधान बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि स्टेम सेल में एक सम्पूर्ण भ्रूण के निर्माण की वृहद् क्षमता निहित है । इससे विभिन्न रोगों के निजात में सहायता मिलती है । स्टेम कोशिका संबंधी अनुसंधान में मधुमेह , अल्झाइमर रोग , पार्किन्सन रोग , ल्यूकेमिया , हेपेटाइटिस , पक्षाघात और हृदय रोग आदि से पीडित लोगों के लिए आशा की नयी किरण दिखायी देने लगी है ।
⦿ ऑप्टिकल फाइबर ( प्रकाशित तन्तु ) पूर्ण आन्तरिक परावर्तन के सिद्धांत पर आधारित एक ऐसी युक्ति है , जिसके द्वारा प्रकाश के सिग्नल को , इसकी तीव्रता में बिना क्षय हुए , एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरित किया जा सकता है । ऑप्टिकल फाइबर क्वार्ट्ज काँच के बहुत लम्बे तथा पतले हजारों रेशों से मिलकर बना होता है । प्रत्येक रेशे की मोटाई लगभग 10 - 4 होती है ।
⦿ रेफ्रीजरेटर में खाद्य पदार्थ ताजा रखने हेतु सुरक्षित तापमान 4°C है ।
⦿ अमेरीका के एफ. लेबी को रेडियो कार्बन प्रणाली के आविष्कार का श्रेय है , जिसने सर्वप्रथम 1949 ई . में कार्बन पर आधारित तिथियों के निर्धन ( depleting ) की विधि की घोषणा की थी । रेडियो कार्बन का अर्थ कार्बन - 14 की विघटन प्रक्रिया से सम्बन्ध रखता है ।
⦿ व्यक्तियों की जेनेटिक स्तर पर पहचान में इस्तेमाल तकनीक को डी.एन.एन. प्रिंगरप्रिंट अथवा डी.एन.एन. प्रोफाइलिंग कहते हैं । डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग टेक्नोलॉजी से जले हुए अथवा पहचाना में न आने वाले मृत शरीरों की भी पहचान की जा सकती है । डी.एन.ए. प्रोफाइलिंग के लिए मुख्य रूप से जैविकीय नमूने की जरूरत पड़ती है । जैविकीय नमूने में खून के धब्बे , जड़ सहित बाल का टुकड़ा , वीर्य , त्वचा कोशिकाएं , मुंह पर रखा कपड़ा , लार , अस्थिमज्जा अथवा किसी ऊतक की कोशिकाएं शामिल की जा सकती है । ज्ञातव्य कि डी.एन.ए. फिंगरप्रिंट का विकास सबसे पहली बार 1984 में ब्रिटिश वैज्ञानिक यालेक जेफ्री ने किया था ।
⦿ राडार का प्रयोग रेडियो तरंगों द्वारा वस्तुओं की उपस्थिति और स्थिति ज्ञात करने के लिए किया जाता है । इसके द्वारा यह भी पता लगाया जा सकता है कि वायुयान की गति तथा दिशा की क्या स्थिति है ।
⦿ विश्व का प्रथम ताप ऊष्मीय विलवणीकरण संयन्त्र भारत के लक्षद्वीप की राजधानी कवारती में संस्थापित किया गया है । यह प्रतिदिन 1 लाख लीटर अलवण जल का उत्पादन करेगा ।
⦿ कैसिनी नासा द्वारा शनि एवं उसके उपग्रहों के अध्ययन हेतु प्रक्षेपित रोबोटिक अंतरिक्ष यान है ।
⦿ अन्तर्राष्ट्रीय ताप नाभिकीय प्रायोगिक रिएक्टर ( International Thermonuclear Experimental Reactor ) संलयन ऊर्जा की सम्भावनाओं को प्रदर्शित करने हेतु संयुक्त अन्तर्राष्ट्रीय अनुसंधान एवं विकास परियोजना है । इस परियोजना में यूरोपीय संघ , जापान , चीन , भारत , दक्षिण कोरिया , रूसी संघ एवं संयुक्त राज्य अमेरिका की सहभागिता है । यह परियोजना दक्षिण फ्रांस कद्रास ( Cadarache ) नगर में है ।
कुछ प्रमुख आधुनिक आविष्कार एवं आविष्कारक
आविष्कार | आविष्कारक |
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एलईडी | निक होलो न्याक |
मशीनगन | जेम्स पकल |
मोबाइल फोन | मार्टिन कूपर |
जेट इंजन | फ्रैंक व्हिटले |
लेसर | टी . एच . मेमन |
परमाणु बम | जे . रॉबर्ट ओपेनहीयर |
प्रक्षेपास्त्र | वर्नर वॉन ब्रॉन |
हाइड्रोजन बम | एडवर्ड टेलर |
न्यूट्रॉन बम | सैम्युल टी कोहन |
इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर | एकर्ट एवं मॉश्ली |
सुपर कंडक्टर | एच कैमरलिंघ |
टेलीविजन | जे . एल . बेयर्ड |
रडार ( आधुनिक ) | टेलर एवं यंग |
गैस इंजन | डैमलर |
डीजल इंजन | रूडोल्फ |
विश्व की प्रमुख कंपनीया तथा उनके मुख्यालय
कंपनी | मुख्यालय |
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वोडाफोन | यूनाइटेड किंगडम , लंदन |
एडोब सिस्टम | कैलीफोर्निया ( अमेरिका ) |
सैमसंग | सियोल द . कोरिया |
हेवलेट पैकर्ड | पालो अल्टो , अमेरिका |
हिटाची | चियोडा , टोक्यो |
आईबीएम | अरमान्क , अमेरिका |
सोनी | मिनाटो , जापान |
तोशिबा | मिनाटो , जापान |
पैनासोनिक | काडोमा , जापान |
डेल | राउंड रॉक , अमेरिका |
वालमार्ट | अमेरिका |
नोकिया | इसपू , फिनलैंड |
माइक्रोसॉफ्ट | रेडमांड , अमेरिका |
एप्पल इंक | कूपरटीनो , अमेरिका |
कैनन इंक | ओताकू , जापान |
इंटेल | सैन्टा क्लारा , अमेरिका |
फुजीफिल्म | टोक्यो , जापान |
कोडक | रोचेस्टर , अमेरिका |
मीत्सुविशी | टोक्यो , जापान |
गूगल | माउन्टेनव्यू , अमेरिका |
याहू | सन्नीवेल , अमेरिका |
एसेर इंक | न्यू ताइपेई , ताइवान |
फिलीप्स | एमसटर्डम् , नीदरलैंड |
लेनोवो | बीजिंग , चीन |
यह भी देखें
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