सौरमंडल

नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप सौरमंडल की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Sormandal in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए , आज हम Sormandal विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Solar System की जानकारी निम्नवत है ।

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Sormandal

⦿ सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओं तथा अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल ( Solar system ) कहते हैं । सौरमंडल में सूर्य का प्रभुत्व है ,  क्योंकि सौरमंडल निकाय के द्रव्य का लगभग 99.999 द्रव्य सूर्य में निहित है । सौरमंडल के समस्त ऊर्जा का स्रोत भी सूर्य ही है ।

⦿ प्लेनेमस सौरमंडल से बाहर बिल्कुल एक जैसे दिखने वाले जुड़वाँ पिंडों का एक समूह है ।

सूर्य (Sun)

⦿ सूर्य ( Sun ) सौरमंडल का प्रधान है । यह हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला के केन्द्र से लगभग 30,000 प्रकाशवर्ष की दूरी पर एक कोने में स्थित है ।

⦿ यह दुग्धमेखला मंदाकिनी के केन्द्र के चारों ओर 250 किमी/से. की गति से परिक्रमा कर रहा है । इसका परिक्रमण काल , दुग्धमेखला के केन्द्र के चारों ओर एक बार घूमने में लगा समय 25 करोड़ ( 250 मिलियन ) वर्ष है, जिसे ब्रह्मांड वर्ष ( Cosmos year ) कहते हैं । सूर्य अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर घूमता है । इसका मध्य भाग 25 दिनों में व ध्रुवीय भाग 35 दिनों में एक घूर्णन करता है ।

⦿ सूर्य एक गैसीय गोला है, जिसमें हाइड्रोजन 71%, हीलियम 26.5% एवं अन्य तत्व 2.5% होता है । सूर्य का केन्द्रीय भाग क्रोड (Core) कहलाता है, जिसका ताप 1.5 x`10^{7}` °C होता है तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000°C है ।

⦿ हैंस बेथ ( Hans Bethe ) ने बताया कि `10^{7}` °C ताप पर सूर्य के केन्द्र पर चार हाइड्रोजन नाभिक मिलकर एक हीलियम नाभिक का निर्माण करता है अर्थात् सूर्य के केन्द्र पर नाभिकीय संलयन होता है जो सूर्य की ऊर्जा का स्रोत है ।

⦿ सूर्य की दीप्तिमान सतह को प्रकाशमंडल ( Photosphere ) कहते हैं । प्रकाशमंडल के किनारे प्रकाशमान नहीं होते, क्योंकि सूर्य का वायुमंडल प्रकाश का अवशोषण कर लेता है । इसे वर्णमंडल ( Chromosphere ) कहते हैं । यह लाल रंग का होता है ।

⦿ सूर्य ग्रहण के समय सूर्य के दिखाई देनेवाले भाग को सूर्य-किरीट ( Corona ) कहते हैं , यह सूर्य का बाह्यतम परत है । सूर्य किरीट X-ray उत्सर्जित करता है । इसे सूर्य का मुकुट कहा जाता है । पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय सूर्य किरीट से प्रकाश की प्राप्ति होती है ।

⦿ सूर्य की उम्र 5 बिलियन वर्ष है ।

⦿ भविष्य में सूर्य द्वारा ऊर्जा देते रहने का समय `10^{11}` वर्ष है ।

⦿ सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक पहुँचने में 8 मिनट 16.6 सेकेण्ड का समय लगता है ।

⦿ सौर ज्वाला को उत्तरी ध्रुव पर औरोरा बोरियालिस और दक्षिणी ध्रुव पर औरोरा ऑस्ट्रेलिस कहते हैं ।

ब्रह्मांड के बारे में हमारा बदलता दृष्टिकोण
प्रारंभ में पृथ्वी को सम्पूर्ण ब्रह्मांड का केन्द्र माना जाता था जिसकी परिक्रमा सभी आकाशीय पिंड ( Celestical bodies ) विभिन्न कक्षाओं ( Orbit ) में करते थे । इसे भू-केन्द्रीय सिद्धान्त ( Geocentric Theory ) कहा गया । इसका प्रतिपादन मिस्र-यूनानी खगोलशास्त्री क्लाडियस टॉलमी ने 140 ई. में किया था । इसके बाद पोलैंड के खगोलशास्त्री निकोलस कॉपरनिकस ( 1473-1543 ई. ) ने यह दर्शाया कि सूर्य ब्रह्मांड के केन्द्र पर है तथा ग्रह इसकी परिक्रमा करते हैं । अतः सूर्य विश्व या ब्रह्मांड का केन्द्र बन गया । इसे सूर्यकेन्द्रीय सिद्धान्त ( Heliocentric Theory ) कहा गया । 16वीं शताब्दी में टायकोब्रेह के सहायक जोहानेस कैप्लर ( 1571-1630 ) ने ग्रहीय कक्षाओं के नियमों की खोज की परन्तु इसमें भी सूर्य को ब्रह्मांड का केन्द्र माना गया । 20वीं शताब्दी के आरंभ में जाकर हमारी मंदाकिनी दुग्धमेखला की तस्वीर स्पष्ट हुई । सूर्य को इस मंदाकिनी के एक सिरे पर अवस्थित पाया गया । इस प्रकार सूर्य को ब्रह्मांड के केन्द्र पर होने का गौरव समाप्त हो गया ।

नोट : केप्लर ने सिद्ध किया कि सूर्य के चारों और प्रत्येक नक्षत्र का मार्ग दीर्घ-वृत्ताकार है ।

⦿ सूर्य के धब्बे ( चलते हुए गैसों के खोल ) का तापमान आसपास के तापमान से 1500°C कम होता है । सूर्य के धब्बों का एक पूरा चक्र 22 वर्षों का होता है , पहले 11 वर्षों तक यह धब्बा बढ़ता है और बाद के 11 वर्षों तक यह धब्बा घटता है । जब सूर्य की सतह पर धब्बा दिखलाई पड़ता है, उस समय पृथ्वी पर चुम्बकीय झंझावात ( Magnetic Storms ) उत्पन्न होते हैं । इससे चुम्बकीय सुई की दिशा बदल जाती है एवं रेडियो, टेलीविजन, बिजली चालित मशीन आदि में गड़बड़ी उत्पन्न हो जाती है ।

⦿ सूर्य का व्यास 13 लाख 92 हजार किमी है, जो पृथ्वी के व्यास का लगभग 110 गुना है ।

⦿ सूर्य हमारी पृथ्वी से 13 लाख गुना बड़ा है, और पृथ्वी को सूर्यताप का 2 अरबवां भाग मिलता है ।

नोट: मध्यरात्रि सूर्य का अर्थ है सूर्य का ध्रुवीय वृत्त में देर तक चमकना । मध्यरात्रि का सूर्य आर्कटिक क्षेत्र में दिखाई देता है ।

सौरमंडल के पिंड

⦿ अन्तर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ ( International Astronomical Union-IAU ) की प्राग सम्मेलन-2006 के अनुसार सौरमंडल में के मौजूद पिंडों को निम्नलिखित तीन श्रेणियों में बाँटा गया है-
1. परम्परागत ग्रह : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण
2. बीने ग्रह : प्लूटो, चेरॉन, सेरस, 2003 यूबी 313
3. लघु सौरमंडलीय पिंड : धूमकेतु, उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिंड

ग्रह

⦿ ग्रह वे खगोलीय पिंड हैं जो निम्न शर्तों को पूरा करते हों -
1. जो सूर्य के चारों ओर परिक्रमा करता हो
2. उसमें पर्याप्त गुरुत्वाकर्षण बल हो जिससे वह गोल स्वरूप ग्रहण कर सके
3. उसके आस पास का क्षेत्र साफ हो यानी उसके आस-पास अन्य खगोलीय पिंडों की भीड़-भाड़ न हो ।

⦿ ग्रहों की उपर्युक्त परिभाषा आई. एन. यू. की प्राग सम्मेलन ( अगस्त-2006 ई. ) में तय की गई है । ग्रह की इस परिभाषा के आधार पर यम ( Pluto) को ग्रह के श्रेणी से निकाल दिया गया फलस्वरूप परम्परागत ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 रह गयी । यम को बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है । ग्रहों को दो भागों में विभाजित किया गया है-
1. पार्थिव या आन्तरिक ग्रह ( Terrestrial or Inner planet ): बुध, शुक्र, पृथ्वी एवं मंगल को पार्थिव ग्रह कहा जाता है, क्योंकि ये पृथ्वी के सदृश होते हैं ।
2. बृहस्पतीय या बाह्य ग्रह ( Jovean or outer planet ) : बृहस्पति, शनि, अरुण व वरुण को बृहस्पतीय ग्रह कहा जाता है ।

⦿ मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र एवं शनि, इन पाँच ग्रहों को नंगी आँखों से देखा जा सकता है ।

⦿ आकार के अनुसार ग्रहों का क्रम ( घटते क्रम में ) है ; बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण, पृथ्वी, शुक्र, मंगल एवं बुध अर्थात सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति एवं सबसे छोटा ग्रह बुध है ।

⦿ घनत्व के अनुसार ग्रहों का क्रम ( बढ़ते क्रम ) में है : शनि, अरुण, बृहस्पति, नेप्च्यून, मंगल एवं शुक्र ।

⦿ सूर्य से दूरी के अनुसार ग्रहों का क्रम : बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण ( यूरेनस ) एवं वरुण ( नेप्च्यून ) यानी सूर्य के सबसे निकट का ग्रह बुध एवं सबसे दूर स्थित ग्रह वरुण है ।

⦿ द्रव्यमान के अनुसार ग्रहों का क्रम ( बढ़ते क्रम मे ) : बुध, मंगल, शुक्र, पृथ्वी, अरुण, वरुण, शनि एवं बृहस्पति यानी न्यूनतम द्रव्यमान वाला ग्रह बुध एवं अधिकतम द्रव्यमान वाला ग्रह बृहस्पति है ।

⦿ परिक्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम ( बढ़ते क्रम मे ): बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण ।

⦿ परिभ्रमण काल के अनुसार ग्रहों का क्रम ( बढ़ते क्रम में ): बृहस्पति, शनि, वरुण, अरुण, पृथ्वी, मंगल, बुध एवं शुक्र ।

⦿ अपने अक्ष पर झुकाव के आधार पर ग्रहों का क्रम (बढ़ते क्रम में) : शुक्र, बृहस्पति, बुध, पृथ्वी, मंगल, शनि, वरुण एवं अरुण ।

⦿ शुक्र एवं अरुण को छोड़कर अन्य सभी ग्रहों का घूर्णन एवं परिक्रमण की दिशा एक ही है । शुक्र एवं अरुण के घूर्णन की दिशा पूर्व से पश्चिम ( Clockwise ) है, जबकि अन्य सभी ग्रहों के घूर्णन की दिशा पश्चिम से पूर्व ( Anticlock wise ) है ।

बुध (Mercury)

⦿ यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है, जो सूर्य निकलने के दो घंटा पहले दिखाई पड़ता है ।

⦿ यह सबसे छोटा व सबसे हल्का ग्रह है । इसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।

⦿ इसका सबसे विशिष्ट गुण है- इसमें चुम्बकीय क्षेत्र का होना 

⦿ यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय में पूरी करता है । अर्थात् यह सौरमंडल का सर्वाधिक कक्षीय गति वाला ग्रह है ।

⦿ यहाँ दिन अति गर्म व रातें बर्फीली होती हैं । इसका तापान्तर सभी ग्रहों में सबसे अधिक ( 600°C ) है । इसका तापमान रात में -173°C व दिन में 427 C हो जाता है ।

शुक्र (Venus)

⦿ यह पृथ्वी का निकटतम, सबसे चमकीला एवं सबसे गर्म ग्रह है ।

⦿ इसे साँझ का तारा या भोर का तारा कहा जाता है, क्योंकि यह शाम में पश्चिम दिशा में तथा सुबह में पूरब की दिशा में आकाश में दिखाई पड़ता है ।

⦿ यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त ( clockwise ) चक्रण करता है ।

⦿ इसे पृथ्वी का भगिनी ग्रह कहते हैं । यह घनत्व, आकार एवं व्यास में पृथ्वी के समान है । इसके पास कोई उपग्रह नहीं है ।

बृहस्पति (Jupiter)

⦿ यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह है । इसे अपनी धुरी पर चक्कर लगाने में 10 घंटा ( सबसे कम ) और सूर्य की परिक्रमा करने में 12 वर्ष लगते हैं । बृहस्पति का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान का लगभग 1000 वाँ भाग है ।

⦿ इसके उपग्रह ग्यानीमीड ( पीले रंग का ) सभी उपग्रहों में सबसे बड़ा है ।

मंगल (Mars)

⦿ इसे लाल ग्रह ( Red Planet ) कहा जाता है, इसका रंग लाल, आयरन ऑक्साइड के कारण है ।

⦿ यहाँ पृथ्वी के समान दो ध्रुव हैं तथा इसका कक्षातली 25° के कोण पर झुका हुआ है, जिसके कारण यहाँ पृथ्वी के समान ऋतु परिवर्तन होता है ।

⦿ इसके दिन का मान एवं अक्ष का झुकाव पृथ्वी के समान है ।

⦿ यह अपनी धुरी पर 24 घंटे में एक बार पूरा चक्कर लगाता है ।

⦿ इसके दो उपग्रह हैं—फोबोस (Phobos) और डीमोस (Deimos) ।

⦿ सौरमंडल का सबसे बड़ा ज्वालामुखी ओलिंपस मोन्स एवं सौरमंडल का सबसे ऊँचा पर्वत निक्स ओलम्पिया (Nix Olympia) जो माउंट एवरेस्ट से तीन गुना अधिक ऊँचा है, इसी ग्रह पर स्थित है ।

नोट: मार्स ओडेसी नामक कृत्रिम उपग्रह से मंगल पर बर्फ छत्रकों और हिमशीतित जल की उपस्थिति की सूचना मिली है । इसीलिए पृथ्वी के अलावा यह एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन की संभावना व्यक्त की जाती है । 6 अगस्त, 2012 ई. को NASA का मार्स क्यूरियोसिटी रोवर नामक अंतरिक्षयान मंगल ग्रह पर गेल क्रेटर नामक स्थान में पहुंचा। यह मंगल पर जीवन की संभावना तथा उसके वातावरण का अध्ययन कर रहा है । भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान ( ISRO ) ने अपना मंगलयान ( Mars Orbit Mission - MOM ) 5 नवम्बर, 2013 को श्री हरिकोटा ( आन्ध्रप्रदेश ) से ध्रुवीय अंतरिक्ष प्रक्षेपणयान PSLV-C-25 से प्रक्षेपित किया । यह भारत का पहला अंतराग्रहीय अभियान है । इसरो सोवियत अंतरिक्ष कार्यक्रम, नासा एवं यूरोपियन अंतरिक्ष एजेंसी के बाद चौथी अंतरिक्ष एजेंसी है जिसने मंगल ग्रह के लिए अपना अंतरिक्षयान भेजा ।

शनि ( Saturn )

⦿ यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।

⦿ इसकी विशेषता है- इसके तल के चारों ओर वलय का होना ( मोटी प्रकाश वाली कुंडली ) । वलय की संख्या 7 है । यह आकाश में पीले तारे के समान दिखाई पड़ता है ।

⦿ इसका घनत्व सभी ग्रहों एवं जल से भी कम है । यानी इसे जल में रखने पर तैरने लगेगा ।

⦿ शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है जो सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा उपग्रह है । यह आकार में बुध के बराबर है । टाइटन की खोज 1665 में डेनमार्क के खगोलशास्त्री क्रिश्चियन हाइजोन ने की । यह एकमात्र ऐसा उपग्रह है जिसका पृथ्वी जैसा स्वयं का सघन वायुमंडल है ।

⦿ फोबे नामक शनि का उपग्रह इसकी कक्षा में घूमने की विपरीत दिशा में परिक्रमा करता है ।

अरुण (Uranus)

⦿ यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है ।

⦿ इसका तापमान लगभग -215°C है ।

⦿ इसकी खोज 1781 ई. में विलियम हर्शेल द्वारा की गयी है ।

⦿ इसके चारों ओर नौ वलयों में पाँच वलयों का नाम- अल्फा (α), बीटा (β), गामा (ץ), डेल्टा (△) एवं इप्सिलॉन है ।

⦿ यह अपने अक्ष पर पूर्व से पश्चिम की ओर ( दक्षिणावर्त ) घूमता है, जबकि अन्य ग्रह पश्चिम से पूर्व की ओर ( वामावर्त ) घूमते हैं । यहाँ सूर्योदय पश्चिम की ओर एवं सूर्यास्त पूरब की ओर होता है । इसके सभी उपग्रह भी पृथ्वी की विपरीत दिशा में परिभ्रमण करते हैं ।

⦿ यह अपनी धुरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ-सा दिखलाई पड़ता है, इसलिए इसे लेटा हुआ ग्रह कहा जाता है । इसका सबसे बड़ा उपग्रह टाइटेनिया (Titania) है ।

वरुण (Neptune)

⦿ इसकी खोज 1846 ई. में जर्मन खगोलज्ञ जहाँन गाले ने की है ।

⦿ नई खगोलीय व्यवस्था में यह सूर्य से सबसे दूर स्थित ग्रह है ।

⦿ यह हरे रंग का ग्रह है यानी यह हरे रंग के प्रकाश को उत्सर्जित करता है । इसके चारों ओर अति शीतल मिथेन का बादल छाया हुआ है ।

⦿ इसके उपग्रहों में ट्राइटन ( Triton ) प्रमुख है ।

पृथ्वी (Earth)

⦿ पृथ्वी आकार में पाँचवाँ सबसे बड़ा ग्रह है । पृथ्वी का अक्ष उसके कक्षा-तल पर बने लंब से 23 ½° ( 23°30' ) झुका हुआ है । दूसरे शब्दों में पृथ्वी का अक्ष पृथ्वी की कक्षा तल से 66½° ( 66°30' ) का कोण बनाता है ।

pritvi ke aksh ka jhukav,prithvi kitne kon par jhuki hai
पृथ्वी का अपने कोण पर झुकाव 

⦿ यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है, जिसपर जीवन है । इसका एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है ।

⦿ इसका विषुवतीय व्यास 12,756 किमी. और ध्रुवीय व्यास 12,713.6 किमी. है । दोनों व्यासों का अंतर 43 किमी है ।

नोट : पृथ्वी का औसत व्यास 12, 742 किमी है । इसकी गणना सर्वप्रथम इरेटॉस्थनीज ने की ।

⦿ सूर्य से पृथ्वी की दूरी 149.6 मिलियन किमी है ।

⦿ यह अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व 1,610 किमी प्रतिघंटा की चाल से 23 घंटे 56 मिनट और 4 सेकेण्ड में एक पूरा चक्कर लगाती है । पृथ्वी की इस गति को घूर्णन या दैनिक गति कहते हैं । इस गति से दिन-रात होते हैं ।

⦿ पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकेण्ड ( लगभग 365 दिन 6 घंटे ) का समय लगता है । इस समयावधि के दौरान परिक्रमा पूरी करने में पृथ्वी का माध्य वेग लगभग 30 किमी/से. ( 29.8 किमी/से. ) होता है । सूर्य के चतुर्दिक पृथ्वी के इस परिक्रमा को पृथ्वी की वार्षिक गति अथवा परिक्रमण कहते हैं । पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा करने में लगे समय को सौर वर्ष कहा जाता है । प्रत्येक सौर वर्ष, कैलेण्डर वर्ष से लगभग 6 घंटा बढ़ जाता है, जिसे हर चौथे वर्ष में लीप वर्ष बनाकर समायोजित किया जाता है । लीप वर्ष 366 दिन का होता है, जिसके कारण फरवरी माह में 28 के स्थान पर 29 दिन होते हैं ।

⦿ पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन, इसकी अक्ष पर झुके होने के कारण व सूर्य के सापेक्ष इसकी स्थिति में परिवर्तन यानी वार्षिक गति के कारण होती है । वार्षिक गति के कारण ही पृथ्वी पर दिन-रात छोटा-बड़ा होता है ।

⦿ आकार एवं बनावट की दृष्टि से पृथ्वी शुक्र के समान है ।

⦿ जल की उपस्थिति के कारण इसे नीला ग्रह भी कहा जाता है ।

⦿ सूर्य के बाद पृथ्वी के सबसे निकट का तारा प्रॉक्सिमा सेन्चुरी है, जो अल्फा सेन्चुरी समूह का एक तारा है । यह पृथ्वी से 4.22 प्रकाशवर्ष दूर है । यह सूर्य का भी निकटतम तारा है ।

नोट : 24 अगस्त, 2006 ई. को अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ ( आईएयू ) की प्राग (चेक गणराज्य) बैठक में खगोल विज्ञानियों ने प्लूटो का ग्रह होने का दर्जा खत्म कर दिया, क्योंकि इसकी कक्षा वृत्ताकार नहीं है और यह वरुण ग्रह की कक्षा से होकर गुजरती है । नई खगोलीय व्यवस्था में प्लूटो को बौने ग्रहों की श्रेणी में रखा गया है ।

⦿ साइरस या डॉग स्टार पृथ्वी से 9 प्रकाशवर्ष दूर स्थित है एवं सूर्य से दोगुने द्रव्यमान वाला तारा है। यह रात्रि में दिखाई पड़ने वाला सर्वाधिक चमकीला तारा है ।

चन्द्रमा ( Moon )

⦿ चन्द्रमा की सतह और उसकी आन्तरिक स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है । चन्द्रमा पर धूल के मैदान को शान्ति सागर कहते हैं । यह चन्द्रमा का पिछला भाग है, जो अंधकारमय होता है ।

⦿ चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर स्थित लीबनिट्ज पर्वत [ 35,000 फीट (10,668 मीटर) ] चन्द्रमा का उच्चतम पर्वत है । चन्द्रमा को जीवाश्म ग्रह भी कहा जाता है ।

⦿ चन्द्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन 8 घंटे में पूरी करता है और इतने ही समय में अपने अक्ष पर एक घूर्णन करता है । यही कारण है कि चन्द्रमा का सदैव एक ही भाग दिखाई पड़ता है । पृथ्वी से चन्द्रमा का 57% भाग को देख सकते हैं ।

⦿ चन्द्रमा का अक्ष तल पृथ्वी के अक्ष के साथ 58.48° का अक्ष कोण बनाता है । चन्द्रमा पृथ्वी के अक्ष के लगभग समानान्तर है । इसका परिक्रमण पथ भी दीर्घ वृत्ताकार है ।

⦿ चन्द्रमा का व्यास 3,480 किमी तथा द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का लगभग `\frac{1}{81}`  है ।

⦿ सूर्य के संदर्भ में चन्द्रमा की परिक्रमा की अवधि 29.53 दिन ( 29 दिन, 12 घंटे, 44 मिनट और 2.8 सेकेण्ड ) होती है । इस समय को एक चन्द्रमास या साइनोडिक मास कहते हैं ।

⦿ नाक्षत्र समय के दृष्टिकोण से चन्द्रमा लगभग 27½ दिन में पुनः उसी स्थिति में होता है । 27½ दिन ( 27 दिन, 7 घंटे, 43 मिनट और 11.6 सेकेण्ड ) की यह अवधि एक नाक्षत्र मास कहलाती है ।

⦿ ज्वार उठने के लिए अपेक्षित सौर एवं चन्द्रमा की शक्तियों का अनुपात 11 : 5 है ।

⦿ अपोलो के अंतरिक्ष यात्रियों द्वारा लाये गये चट्टानों से पता चला है कि चन्द्रमा भी उतना ही पुराना है जितना पृथ्वी ( 460 करोड़ वर्ष ) । इन चट्टानों में टाइटेनियम अधिक मात्रा में है ।

⦿ सुपर मून : जब चन्द्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है, तो उस स्थिति को सुपर मून कहते हैं । इसे पेरिजी फुल मून भी कहते हैं। इसमें चाँद 14% ज्यादा बड़ा तथा 30% अधिक चमकीला दिखाई पड़ता है ।

नोट: चन्द्रमा एवं पृथ्वी के बीच की औसतन दूरी 3,84,365 किमी है ।

⦿ ब्लू मून : एक कैलेण्डर माह में दो पूर्णिमाएँ हों, तो दूसरी पूर्णिमा का चाँद ब्लू मून कहलाता है । इसका मुख्य कारण दो पूर्णिमाओं के बीच अंतराल 31 दिनों से कम होना है । ऐसा दो-तीन साल पर होता है । अगस्त, 2012 ई. में दो पूर्णिमा ( 2 व 31 अगस्त) देखे गये । इनमें से 31 अगस्त के पूर्णिमा को ब्लू मून कहा गया । जब किसी वर्ष विशेष में दो या अधिक माह ब्लू मून के होते हैं, मून ईयर कहा जाता है । वर्ष 2018 ई. ब्लू मून ईयर था ।

नोट : सी आफ ट्रैंक्विलिटी चद्रमा पर वह स्थान है जहाँ अमेरिका का अंतरिक्ष यान अपोलो-11 उतरा था ।

बौने ग्रह

⦿ यम ( Pluto ) : IAU ने इसका नया नाम 1,34,340 रखा है । ( क्लाड टामवो ने 1930 ई. में खोज की )

⦿ अगस्त 2006 ई. की IAU की प्राग सम्मेलन में ग्रह कहलाने के मापदंड पर खरे नहीं उतरने के कारण यम को ग्रह की श्रेणी से अलग कर बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है ।

⦿ यम को ग्रह की श्रेणी से निकाले जाने का कारण है-
1. आकार में चन्द्रमा से छोटा होना
2. इसकी कक्षा का वृत्ताकार नहीं होना
3. वरुण की कक्षा को काटना

⦿ सेरस (Ceres) इसकी खोज इटली के खगोलशास्त्री पियाजी ने किया था ।

⦿ IAU की नई परिभाषा के अनुसार इसे बौने ग्रह की श्रेणी में रखा गया है । इसे संख्या 1 से जाना जायेगा । इसका व्यास बुध के व्यास का 1/5 भाग है ।

⦿ अन्य बौने ग्रह हैं- चेरान एवं 2003 UB 313 ( इरिस ) ।

लघु सौरमंडलीय पिंड

⦿ क्षुद्र ग्रह (Asteroids) : मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड हैं, जो सूर्य की परिक्रमा कर रहे हैं, उसे क्षुद्र ग्रह कहते हैं । खगोलशास्त्रियों के अनुसार ग्रहों के विस्फोट के फलस्वरूप टूटे टुकड़ों से क्षुद्र ग्रह का निर्माण हुआ है । क्षुद्र ग्रह जब पृथ्वी से टकराता है, तो पृथ्वी के पृष्ठ पर विशाल गर्त ( लोनार झील महाराष्ट्र ) बनता है ।

⦿ फोर वेस्टा एकमात्र क्षुद्र ग्रह है जिसे नंगी आँखों से देखा जा सकता है ।

धूमकेतु (Comet)

⦿ सौरमंडल के छोर पर बहुत ही छोटे-छोटे अरबों पिंड विद्यमान हैं, जो धूमकेतु या पुच्छल तारे कहलाते हैं । यह गैस एवं धूल का संग्रह है, जो आकाश में लम्बी चमकदार पूँछ सहित प्रकाश के चमकीले गोले के रूप में दिखाई देते हैं । धूमकेतु केवल तभी दिखाई पड़ता है जब वह सूर्य की ओर अग्रसर होता है, क्योंकि सूर्य-किरणें इसकी गैस को चमकीला बना देती हैं । धूमकेतु की पूँछ हमेशा सूर्य से दूर होता दिखाई देता है ।

⦿ हेले नामक धूमकेतु का परिक्रमण काल 76 वर्ष है, यह अंतिम बार 1986 ई. में दिखाई दिया था । अगली बार यह 1986+76 = 2062 में दिखाई देगा ।

⦿ धूमकेतु हमेशा के लिए टिकाऊ नहीं होते हैं, फिर भी प्रत्येक धूमकेतु के लौटने का समय निश्चित होता है ।

उल्का (Meteors)

⦿ उल्काएँ प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में देखते हैं जो आकाश में क्षणभर के लिए दमकती हैं और लुप्त हो जाती हैं । उल्काएँ क्षुद्र ग्रहों के टुकड़े व धूमकेतुओं द्वारा पीछे छोड़े गये धूल के कण होते हैं ।

सौर परिवार की सरणी

ग्रहों के नाम  व्यास ( किमी. ) परिभ्रमण काल (अपने अक्ष पर )
परिभ्रमण काल ( सूर्य के चारों ओर )
बुद्ध 4,878 58.6 दिन 88 दिन
शुक्र 12,104  243 दिन  24.7 दिन
पृथ्वी 12,757-12,714  23.9 घंटे 365.26 दिन
मंगल 6,797 24.6 घंटे 687 दिन
बृहस्पति 1,42,984  9.9 घंटे 11.9 वर्ष
शनि 1,20,536 10.3 घंटे 29.5 वर्ष
अरुण 51,118 17.2 घंटे 84.0 वर्ष
वरुण 49,100 16.1 घंटे 164.8 वर्ष

ग्रहों के नाम  उपग्रहों की संख्या [ अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञानी संघ ( IAU ) के अनुसार ]
बुद्ध 0
शुक्र 0
पृथ्वी 1
मंगल 2
बृहस्पति 67
शनि 62
अरुण 27
वरुण 13

यह भी देखें
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