पृथ्वी और उसका सौर्यिक संबंध

नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप पृथ्वी और उसका सौर्यिक संबंध की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Prithvi aur uska sourik sambandh in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Prithvi aur uska sourik sambandh विषय के बारे में बात करेंगे । निचे Earth and its solar relationship की जानकारी निम्नवत है ।

⦿ प्रकाश-चक्र ( Circle of Illumination ): वैसी काल्पनिक रेखा जो पृथ्वी के प्रकाशित और अप्रकाशित भाग को बाँटती है ।

⦿ पृथ्वी की गतियाँ: पृथ्वी की दो गतियाँ हैं -
1. घूर्णन ( Rotation ) या दैनिक गति: पृथ्वी सदैव अपने अक्ष पर पश्चिम से पूर्व घूमती रहती है जिसे पृथ्वी का घूर्णन या परिभ्रमण कहते हैं । इसके कारण दिन व रात होते हैं । अतः इस गति को दैनिक गति भी कहते हैं ।
2. परिक्रमण ( Revolution ) या वार्षिक गति: पृथ्वी अपने अक्ष पर घूमने के साथ-साथ सूर्य के चारों ओर एक दीर्घवृत्तीय मार्ग पर परिक्रमा करती है जिसे परिक्रमण या वार्षिक गति कहते हैं । पृथ्वी को सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करने में 365 दिन 6 घंटे का समय लगता है ।

नक्षत्र दिवस ( Sideral day )- एक मध्याह्न रेखा के ऊपर किसी निश्चित नक्षत्र के उत्तरोत्तर दो बार गुजरने के बीच की अवधि को नक्षत्र दिवस कहते हैं । यह 23 घंटे व 56 मिनट की अवधि का होता है ।

सौर दिवस ( Solar day )- जब सूर्य को गतिहीन मानकर पृथ्वी द्वारा उसके परिक्रमण की गणना दिवसों के रूप में की जाती है तब सौर दिवस ज्ञात होता है । इसकी अवधि पूरे 24 घंटे होती है ।

नोट: अपने परिक्रमण पथ में पृथ्वी सूर्य के चारों ओर 29.8 किमी./से. के वेग से चक्कर लगाती है ।

⦿ उपसौर ( Perihelion ): पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा दीर्घवृत्तीय कक्षा में करती है जिसके एक कोकस पर सूर्य होता है। जब पृथ्वी सूर्य के अत्यधिक पास होती है तो उसे उपसौर कहते हैं । ऐसी स्थिति 3 जनवरी को होती है यानी 3 जनवरी को पृथ्वी सूर्य के सबसे निकट होती है । ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच दूरी 14.70 करोड़ किमी है ।

⦿ अपसौर ( Aphelion ): पृथ्वी जब सूर्य से अधिकतम दूरी पर होती है तो उसे अपसौर कहते हैं । ऐसी स्थिति 4 जुलाई को होती है । ऐसी स्थिति में पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 15.21 करोड़ किमी होती है ।

⦿ एपसाइड रेखा: उपसौरिक एवं अपसौरिक को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा सूर्य के केन्द्र से गुजरती है । इसे एपसाइड रेखा कहते हैं ।

⦿ अक्षांश ( Latitude ): विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण दिशा में स्थित किसी स्थान की कोणीय दूरी को अक्षांश कहते हैं । यह कोण पृथ्वी के केन्द्र पर बनता है । इसे विषुवत वृत्त से दोनों ओर अंशों में मापा जाता है । विषुवत वृत्त 0 अंश के अक्षांश को प्रदर्शित करता है । विषुवत वृत्त की उत्तरी एवं दक्षिणी दिशा में 1° के अंतराल से खींचे जाने पर 90-90 अक्षांश वृत्त होते हैं । यानी किसी भी स्थान का अक्षांश 90° से अधिक नहीं हो सकता । विषुवत वृत्त के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं ।

akshansh aur deshantar rekhaye,Latitude and longitude lines,अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएं
Latitude and longitude lines

⦿ अक्षांश समांतर ( Parallels of Latitude ): काल्पनिक रेखाओं का एक ऐसा समूह जो पृथ्वी के चारों ओर पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समानान्तर खींचा जाता है, अक्षांश रेखा कहलाता है । अथवा भूमध्य रेखा से एकसमान कोणीय दूरी वाले स्थानों को मिलाने वाली रेखा को अक्षांश रेखा कहते हैं । भूमध्य रेखा 0° की अक्षांश रेखा है, अतः इस पर स्थित सभी स्थानों का अक्षांश 0° होगा । भूमध्य रेखा के उत्तर में स्थित अक्षांश रेखाओं को उत्तरी अक्षांश रेखाएँ तथा इसके दक्षिण में स्थित अक्षांश रेखाओं को दक्षिणी अक्षांश रेखाएँ कहते हैं । दो अक्षांश रेखाओं के मध्य की दूरी 111 किमी. होती है । 

नोट: यदि अक्षांश समातरों को 1° के अंतराल पर खींचते हैं, तो उत्तरी एवं दक्षिणी दोनों गोलाद्धों में 89 अक्षांश समांतर होंगे । इस प्रकार विषुवत वृत्त को लेकर अक्षांश समांतरों की कुल संख्या 179 होगी।

⦿ भूमध्य रेखा के उत्तर में 23`\frac{1}{2}`° अक्षांश को कर्क रेखा और दक्षिण में 23`\frac{1}{2}`° अक्षांश को मकर रेखा कहते हैं ।

⦿ भूमध्य रेखा के उत्तर में 66`\frac{1}{2}`° ( 66°30' ) अक्षांश को आर्कटिक वृत्त और दक्षिण में 66`\frac{1}{2}`° ( 66°30' ) अक्षांश को अंटार्कटिक वृत्त कहते हैं ।

⦿ कर्क रेखा निम्न देशों से होकर गुजरती है: ताइवान, चीन, म्यांमार, बांग्लादेश, भारत, ओमान, संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, मिस्र, लीबिया, नाइजर, अल्जीरिया, माली, मारीतानिया, प. सहारा, बहामास एवं मैक्सिको ।

⦿ मकर रेखा निम्न देशों से होकर गुजरती है: चिली, अर्जेन्टीना, पराग्वे, ब्राजील, नामीबिया, बोत्सवाना, दक्षिण अफ्रीका, मोजाम्बिक मेडागास्कर, ऑस्ट्रेलिया ।

⦿ विषुवत रेखा निम्न देशों से होकर गुजरती है: इक्वाडोर, कोलंबिया, ब्राजील, गैबॉन, कांगो गणराज्य, लोकतांत्रिक कांगो गणराज्य, युगांडा, केन्या, सोमालिया, मालदीव, इंडोनेशिया तथा किरिबाती ।

⦿ देशान्तर ( Longitude ): ग्रीनविच रेखा से किसी स्थान की कोणात्मक दूरी को उस स्थान का देशान्तर कहते हैं अथवा उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को देशान्तर रेखा कहते हैं । देशांतर रेखाओं की लम्बाई बराबर होती है । ये रेखाएँ समानान्तर नहीं होती हैं । ये रेखाएँ उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव पर एक बिन्दु पर मिल जाती हैं । ध्रुवों से विषुवत् रेखा की ओर बढ़ने पर देशान्तरों के बीच की दूरी बढ़ती जाती है तथा विषुवत् रेखा पर इसके बीच की दूरी अधिकतम ( 111.32 किमी ) होती है। देशांतर रेखाओं को एक समान होने के कारण इसकी गणना में कठिनाई थी । इसीलिए सभी देशों ने सर्वसम्मति से यह निश्चित किया कि ग्रीनविच वेधशाला से गुजरने वाली देशांतर रेखा से गणना शुरू की जानी चाहिए । अतः इसे हम प्रधान मध्याह्न रेखा कहते हैं । इस देशांतर का मान 0° है । इससे हम 180° पूर्व तथा 180° पश्चिम देशांतर की गणना करते हैं । प्रधान मध्याह्न रेखा की बायीं ओर की रेखाएँ पश्चिमी देशान्तर और दाहिनी ओर की रेखाएँ पूर्वी देशान्तर कहलाती हैं । ये क्रमशः पश्चिमी गोलार्द्ध एवं पूर्वी गोलार्द्ध कहलाते हैं । 180° पूर्व तथा 180° पश्चिम देशांतर एक ही रेखा है । गोलाकार होने के कारण पृथ्वी 24 घंटे में 360° घूम जाती है, अतः 1° देशान्तर की दूरी तय करने में पृथ्वी को 4 मिनट का समय लगता है ।

⦿ देशान्तर के आधार पर ही किसी स्थान का समय ज्ञात किया जाता है । दो देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी गोरे ( Gore ) नाम से जानी जाती है ।

⦿ शून्य अंश अक्षांश एवं शून्य अंश देशान्तर अटलांटिक महासागर में काटती है ।

नोट: मानचित्र एवं ग्लोब पर पाई जाने वाली प्रतिच्छेद रेखाओं को भौगोलिक रेखाजाल कहते हैं ।

⦿ संक्रांति ( Solstice ): सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायन की सीमा को संक्रांति कहते हैं ।

⦿ कर्क संक्रांति ( Cancer Solstice ): 21 जून को सूर्य कर्क रेखा पर लम्बवत् होता है, इसे कर्क संक्रांति कहते हैं । इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है ।

नोट: नार्वे में अर्द्धरात्रि के समय सूर्य 21 जून को दिखाई पड़ता है ।

⦿ मकर संक्रांति ( Capricorn Solstice ): 22 दिसम्बर को सूर्य मकर रेखा पर लम्बवत् होता है । इसे मकर संक्रांति कहते हैं । इस दिन दक्षिणी गोलार्द्ध में सबसे बड़ा दिन होता है ।

⦿ विषुव ( Equinox ): यह पृथ्वी का वह स्थिति है, जब सूर्य की किरणें विषुवत रेखा पर लम्बवत् पड़ती हैं और सर्वत्र दिन एवं रात बराबर होते हैं ।

⦿ 23 सितम्बर एवं 21 मार्च को सम्पूर्ण पृथ्वी पर दिन एवं रात बराबर होते हैं । इसे क्रमशः शरद विषुव ( Autumnal Equinox ) एवं वसंत विषुव ( Vernal Equinox ) कहते हैं ।

⦿ 21 मार्च से 23 सितम्बर की अवधि में उत्तरी गोलार्द्ध सूर्य का प्रकाश 12 घंटे या अधिक समय तक प्राप्त करता है । अतः यहाँ दिन बड़े एवं रातें छोटी होती हैं । जैसे-जैसे उत्तरी ध्रुव की ओर बढ़ते जाते हैं, दिन की अवधि भी बढ़ती जाती है । उत्तरी ध्रुव पर तो दिन की अवधि छह महीने की होती है । 23 सितम्बर से 21 मार्च तक सूर्य का प्रकाश दक्षिणी गोलार्द्ध में 12 घंटे या अधिक समय तक प्राप्त होता है, जैसे-जैसे दक्षिणी ध्रुव की ओर बढ़ते हैं दिन की अवधि भी बढ़ती है । दक्षिणी ध्रुव पर इसी कारण छह महीने तक दिन रहता है । इस प्रकार उत्तरी ध्रुव एवं दक्षिणी ध्रुव दोनों पर ही छह महीने तक दिन व छह महीने तक रात्रि रहती है ।

नोट: पृथ्वी को अपनी अक्ष पर झुकी होने के कारण दिन व रात छोटा बड़ा होता है ।

⦿ सूर्यग्रहण ( Solar Eclipse ): जब कभी दिन के समय सूर्य एवं पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा के आ जाने से सूर्य की चमकती सतह चन्द्रमा के कारण दिखाई नहीं पड़ने लगती है तो इस स्थिति को सूर्यग्रहण कहते हैं । जब सूर्य का एक भाग छिप जाता है, तो उसे आंशिक सूर्यग्रहण और जब पूरा सूर्य ही कुछ क्षणों के लिए छिप जाता है, तो उसे पूर्ण सूर्यग्रहण कहते हैं । पूर्ण सूर्यग्रहण हमेशा ( New Moon ) को ही होता है ।

⦿ चन्द्रग्रहण ( Lunar Eclipse ): जब सूर्य और चन्द्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है, तो सूर्य की पूरी रोशनी चन्द्रमा पर नहीं पड़ती है, इसे चन्द्रग्रहण कहते हैं । चन्द्रग्रहण हमेशा पूर्णिमा ( Full Moon ) की रात्रि में ही होता है । प्रत्येक पूर्णिमा को चन्द्रग्रहण नहीं होता है, क्योंकि चन्द्रमा और पृथ्वी के कक्षा पथ में का अन्तर होता है जिसके कारण चन्द्रमा कभी पृथ्वी के ऊपर से या नीचे से गुजर जाता है । एक वर्ष में अधिकतम तीन बार पृथ्वी के उपच्छाया क्षेत्र से चन्द्रमा गुजरता है तभी चन्द्रग्रहण लगता है । सूर्यग्रहण के समान चन्द्रग्रहण भी आंशिक अथवा पूर्ण हो सकता है ।

⦿ समय का निर्धारण : एक देशान्तर का अन्तर होने पर समय में 4 मिनट का अन्तर होता है । चूँकि पृथ्वी पश्चिम से पूरब की ओर घूमती है । फलतः ग्रीनविच से पूरब की ओर बढ़ने पर प्रत्येक देशान्तर पर समय 4 मिनट बढ़ता जाता है तथा पश्चिम जाने पर प्रत्येक देशान्तर पर समय चार मिनट घटता जाता है ।

नोट: वाशिंगटन डी. सी. में 22 अक्टूबर, 1884 ई. को हुई एक अन्तर्राष्ट्रीय गोष्ठी में लंदन के पूर्व में ग्रीनविच नामक स्थान पर स्थित रॉयल वेधशाला से गुजरने वाली देशान्तर रेखा को प्रधान मध्याह्न माना गया और इसे ग्रीनविच मध्याह्न का नाम दिया गया । इस समय ग्रीनविच मध्याह्न को शून्य मानकर बाकी देशान्तरों की गणना की जाती है । समय का निर्धारण इसी को आधार मानकर किया जाता है ।

⦿ अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा: 180° देशान्तर को अन्तरराष्ट्रीय तिथि रेखा कहा जाता है, क्योंकि इस रेखा के दोनों ओर तिथियों में एक दिन का अंतर होता है । ग्रीनविच देशान्तर तथा 180° देशांतर के बीच 24 घंटे का अन्तर होता है, 0° से 180° पूर्व की ओर जाने पर 12 घंटे की अवधि लगती है एवं यह ग्रीनविच समय से 12 घंटे आगे होता है । इसी प्रकार 0 से 180° पश्चिम की ओर जाने पर ग्रीनविच समय से 12 घंटे पीछे का समय मिलता है । यही कारण है कि 180° पूर्व एवं पश्चिम देशान्तर में कुल 24 घंटे में अर्थात् एक दिन-रात का अंतर होता है । उदाहरण के लिए यदि ग्रीनविच पर वृहस्पतिवार, 25 सितंबर, 2003 ई. को दोपहर के 12 बजे हों तो 180° पूर्वी देशान्तर पर 25 सितंबर, 2003 ई. की मध्य रात्रि होगी, जबकि 180° पश्चिमी देशांतर पर 24 सितंबर, 2003 ई. की मध्य रात्रि होगी । इसका अर्थ यह है कि 180° देशान्तर के दोनों ओर दो अलग-अलग तिथियाँ पाई जाती हैं । जब इस रेखा को पूर्व की ओर लांघते हैं तो एक दिन दोहराया जाता है और इसे पश्चिम की ओर लांघते हैं तो एक दिन कम किया जाता है ।
antarraashtreey tithi rekha.International date line,अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा
International date line

इसे इस प्रकार याद किया किया जा सकता है: Travel to east, one day more to feast. Travel to west, one day less. वास्तव में, अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा पूर्णतया 180° देशान्तर का अनुसरण नहीं करती । यह 180° देशान्तर के दाएँ या बाएँ मुड़ जाती है ताकि स्थलीय भागों का विभाजन न हो और लोगों को तिथि के बारे में भ्रम न हो । साइबेरिया को विभाजित होने से बचाने एवं साइबेरिया को अलास्का से अलग करने के लिए 75° उत्तरी अक्षांश पर यह पूर्व की ओर मोड़ी गयी है । बेरिंग सागर में यह रेखा पश्चिम की ओर मोड़ी गयी । फिजी द्वीप समूह एवं न्यूजीलैंड के विभिन्न भागों को एक साथ रखने के लिए यह रेखा दक्षिणी प्रशांत महासागर में पूर्व दिशा की ओर मोड़ी गई है । अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा आर्कटिक सागर, चुकी सागर, बेरिंग स्ट्रेट व प्रशांत महासागर से गुजरती है

1884 ई. में वाशिंगटन में सम्पन्न इंटरनेशनल मेरीडियन कॉफ्रेंस में 180वें याम्योत्तर को अंतर्राष्ट्रीय तिथि रेखा निर्धारित किया गया है । ऐसा इसलिए किया गया ताकि विभिन्न देशों के मध्य यात्रियों को कुछ स्थानों पर 1 दिन का अंतर होने के कारण परेशानी न हो ।

नोट: बेरिंग जलसंधि अन्तर्राष्ट्रीय तिथि रेखा के समानान्तर स्थित है ।

⦿ समय जोन व मानक समय: विश्व को 24 समय जोनों में विभाजित किया गया है । इन समय जोनों को ग्रीनविच मीन टाइम व मानक समय में एक घंटे के अन्तराल के आधार पर विभाजित किया गया है अर्थात प्रत्येक जोन 15° के बराबर होता है । ग्रीनविच याम्योत्तर 0° देशान्तर पर है जो कि ग्रीनलैंड व नार्वोनियन सागर व ब्रिटेन, स्पेन, अल्जीरिया, फ्रांस, माले, बुकींनाफासो, घाना व दक्षिण अटलांटिक समुद्र से गुजरता है । प्रत्येक देश का मानक समय ग्रीनविच मीन टाइम से आधा घंटे के गुणक के अन्तर पर निर्धारित किया जाता है । मानक समय स्वेच्छा से चयनित याम्योत्तर का स्थानीय समय होता है जो एक विशिष्ट क्षेत्र या 1 देश के लिए मानक समय निर्धारित करता है । भारत में 82½ डिग्री पूर्वी देशान्तर जो इलाहाबाद के निकट मिर्जापुर से गुजरती है, के समय को मानक समय माना गया है । यह समय ग्रीनविच मीन टाइम से 5½ घंटा आगे है । अतः जब ग्रीनविच में दोपहर के 12 बजे हों तो उस समय भारत में शाम के बजेंगे ।

⦿ ग्रीनविच यूनाइटेड किंग्डम ( यू. के. ) में है ।

नोट: कुछ देशों में अत्यधिक देशान्तरीय विस्तार के कारण एक से अधिक मानक समय की व्यवस्था की गई है । संयुक्त राज्य अमेरिका में सात समय जोन, रूस में ग्यारह समय जोन तथा आस्ट्रेलिया में तीन समय जोन की व्यवस्था की गई है ।

⦿ विषुवत् रेखा ( Equator ): पृथ्वी की मध्य सतह से होकर जाने वाली वह अक्षांश रेखा है जो उत्तरी एवं दक्षिणी ध्रुव से बराबर दूरी पर होती है । यह शून्य अंश की अक्षांश रेखा है । विषुवत् रेखा के उत्तरी भाग को उत्तरी गोलार्द्ध और दक्षिणी भाग को दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं ।

⦿ कटिबन्ध ( Zone ): प्रत्येक गोलार्द्ध को ताप के आधार पर कई भागों में बाँटा गया है । इन भागों को कटिबन्ध कहते हैं। ये निम्न हैं-
1. उष्ण कटिबन्ध ( Tropical Zone ) : विषुवत् रेखा से 30° उत्तर एवं 30° दक्षिण का भाग । यहाँ वर्ष में दो बार सूर्य शीर्ष पर चमकता है । इस भाग का मौसम सदैव गर्म रहता है ।
2. उपोष्ण कटिबन्ध ( Sub Tropical Zone ) : 30° से 45° उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांशों के बीच स्थित क्षेत्र जहाँ कुछ महीने ताप अधिक और कुछ महीने ताप कम रहता है ।
3. शीतोष्ण कटिबन्ध ( Temperate Zone ) : 45° से 66° उत्तरी और दक्षिणी अक्षांशों के बीच का क्षेत्र यहाँ सूर्य सिर के ऊपर कभी नहीं चमकता है, बल्कि उसकी किरणें तिरछी होती हैं । अतः यहाँ ताप हमेशा कम रहता है ।
4. ध्रुवीय कटिबन्ध ( Polar Zone ) : 66° से 90° के मध्य स्थित क्षेत्र जहाँ ताप अत्यन्त ही कम रहता है, जिसके फलस्वरूप वहाँ हमेशा बर्फ जमी रहती है ।

अक्षः उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव को मिलाने वाली काल्पनिक रेखा जिस पर पृथ्वी घूमा करती है ।

ध्रुव: पृथ्वी पर वे दो विन्दु जिनसे होकर काल्पनिक अक्ष गुजरता है ।

अक्षांश: किसी स्थान की विषुवत वृत्त से उत्तर या दक्षिण की कोणीय दूरी ।

अक्षांश वृत्त: विषुवत वृत के समांतर खींचे हुए काल्पनिक वृत्त ।

देशांतर: किसी स्थान की प्रधान मध्याह्न रेखा से पूर्व या पश्चिम की कोणीय दूरी ।

देशांतर रेखाएँ: एक ध्रुव को दूसरे ध्रुव से मिलाने वाले काल्पनिक अर्धवृत्त ।

स्थानीय समय: किसी स्थान के मध्याह्न सूर्य से निर्धारित किया गया समय । यानी किसी स्थान पर जब सूर्य आकाश में सबसे अधिक ऊंचाई पर होता है तो दिन के 12 बजते हैं, इस समय को वहाँ का स्थानीय समय कहते हैं ।

मानक समय: किसी देश का मानक मध्याह्न रेखा पर का स्थानीय समय ।

यह भी देखें
LATEST JOB श्रोत- अमर उजाला अखबार
New Vacancy श्रोत- अमर उजाला अखबार ( आज की नौकरी ) CLICK HERE

पुस्तके ( BOOKS )
भारत का प्राचीन इतिहास CLICK HERE
भारत का मध्यकालीन इतिहास CLICK HERE
भारत का आधुनिक इतिहास CLICK HERE
विश्व इतिहास CLICK HERE
सामान्य ज्ञान CLICK HERE
भारतीय संविधान CLICK HERE
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी CLICK HERE
भारतीय अर्थव्यवस्था CLICK HERE
कंप्यूटर CLICK HERE
खेल कूद CLICK HERE
भूगोल CLICK HERE
भारत का भूगोल CLICK HERE
भौतिक विज्ञान CLICK HERE

⦿ दोस्तों अगर आप लोगो को यह जानकारी अच्छी ,महत्वपूर्ण लगी तो कृपया अपने दोस्तों के साथ जरूर share करे ।