ब्रह्माण्ड
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप ब्रह्माण्ड की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Brahmand in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Brahmand विषय के बारे में बात करेंगे । निचे The universe की जानकारी निम्नवत है ।
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Brahmand |
⦿ अस्तित्वमान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्माण्ड कहते हैं ।
⦿ दूसरे शब्दों में सूक्ष्मतम अणुओं से लेकर महाकाय आकाशगंगाओं ( Galaxies ) तक के सम्मिलित स्वरूप को ब्रह्माण्ड कहा जाता है ।
⦿ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से संबंधित प्रमुख सिद्धान्त निम्न हैं -
1. महाविस्फोट सिद्धान्त ( Big Bang Theory ): ऐब जॉर्ज लैमेन्तेयर
2. साम्यावस्था या सतत सृष्टि सिद्धान्त या स्थिर अवस्था संकल्पना ( Steady State Theory ): थॉमस गोल्ड एवं हर्मन बॉडी
3. दोलन सिद्धान्त ( Pulsating Universe Theory ): डॉ एलन संडेजा
4. स्फीति सिद्धान्त ( Inflationary Theory ): अलेन गुथ
⦿ ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति के संबंध में महाविस्फोट सिद्धान्त ( Big Bang Theory ) सर्वाधिक मान्य सिद्धान्त है । इसका प्रतिपादन बेल्जियम के खगोलज्ञ एवं पादरी ऐब जॉर्ज लैमेन्तेयर ने किया था । बाद में रॉबर्ट बेगोनेर ने इस सिद्धान्त की व्याख्या की ।
महाविस्फोट सिद्धान्त के अनुसार
1. आरंभ में वे सभी पदार्थ, जिनसे ब्रह्माण्ड बना है, अति छोटे गोलक ( एकाकी परमाणु ) के रूप में एक ही स्थान पर स्थित था, जिनका आयतन अत्यधिक सूक्ष्म एवं तापमान तथा घनत्व अनंत था ।
2. अत्यधिक संकेन्द्रण के कारण बिन्दु का आकस्मिक विस्फोट हुआ, जिसे महाविस्फोट ब्रह्मांडीय विस्फोट ( Big Bang ) कहा गया । इस अचानक विस्फोट से पदार्थों का बिखराव हुआ, जिससे सामान्य पदार्थ निर्मित हुए । इसके अलगाव के कारण काले पदार्थ बने, जिनके समूहन से अनेक ब्रह्मांडीय पिंडों का सृजन हुआ । वैज्ञानिकों का विश्वास है कि महाविस्फोट (Big Bang) की घटना आज से 13.7 अरब वर्ष पहले हुई थी । महाविस्फोट के लगभग 10.5 अरब वर्ष पश्चात यानी आज से 4.5 अरब वर्ष पूर्व सौरमंडल का विकास हुआ जिसमें ग्रहों तथा उपग्रहों का निर्माण हुआ । इस प्रकार ' बिग बैंग ' परिघटना से ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति हुई और तभी से उसमें निरन्तर विस्तार जारी है । इसके साक्ष्य के रूप में आकाशगंगाओं के बीच बढ़ती दूरी का साक्ष्य दिया जाता है । NASA ने 2001 ई. में MAP ( Microwave Anisotrophy Probe ) नामक अनुसंधान में इसकी पुष्टि की ।
⦿ ब्रह्मांड के निरंतर विस्तारण के साक्ष्य जुटाने में एडबिन हब्बल का योगदान उल्लेखनीय है । ब्रह्मांड के निरंतर विस्तारण के साक्ष्य के रूप में अंतरिक्ष में सूक्ष्म तरंगों की उपस्थिति का पता चलना , अंतरिक्ष में रेडशिफ्ट परिघटना का अवलोकन तथा आधुनिक अध्ययनों में सुपरनोवा का अंतरिक्ष में विस्फोट होना भी ब्रह्मांड के विस्तार के साक्ष्य रूप में माना जा रहा है ।
नोट: नासा ( NASA ) द्वारा 30 जून, 2001 ई. को डेविड विलकिंसन के नेतृत्व में बिग बैंग की पुष्टि हेतु मैप परियोजना (Microwave Anisotropy Probe-MAP) का शुभारंभ किया गया । मैप एक खोजी उपग्रह है । इससे प्राप्त चित्रों से बिग-बैंग की पुष्टि होती है । 11 फरवरी, 2013 ई. को इस आधार पर नासा ने ब्रह्माण्ड की आयु 13.7 अरब वर्ष निर्धारित करने की घोषणा की । डेविड विलकिंसन की सितम्बर, 2002 ई. के निधन के पश्चात् उनके सम्मान में मैप उपग्रह का नाम 11 फरवरी, 2003 ई. को WMAP (Wilkinson Microwave Anisotropy Probe) रखा गया । |
⦿ ब्रह्मांड के रहस्यों को जानने के लिए 30 मार्च, 2010 ई. को यूरोपियन सेंटर फॉर न्यूक्लियर रिसर्च (CERN) ने जेनेवा में पृथ्वी की सतह से 50 से 175 मीटर नीचे 27.36 किमी लम्बे सुरंग में लार्ज हैड्रन कोलाइजर (LHC) नामक महाप्रयोग सफलतापूर्वक किया गया । ( सितम्बर, 2008 ई. में यह महाप्रयोग असफल रहा था । ) इसमें प्रोटॉन बीमों को लगभग प्रकाश की गति से टकराया गया तथा हिग्स बोसॉन के निर्माण का प्रयास किया गया । माना जाता है कि गॉड पार्टिकल के नाम से जाना जाने वाला हिग्स बोसॉन में ही ब्रह्माण्ड के रहस्य छिपे हैं, क्योंकि यह सबसे बेसिक यूनिट माना जाता है। CERN ने 4 जुलाई, 2012 ई. को हिग्स बोसॉन से मिलता-जुलता सब-एटोमिक पार्टिकल की खोज करने में सफलता हासिल की है । इससे ब्रह्माण्ड के रहस्यों को जानने के विषय में महत्वपूर्ण उपलब्धि माना जा रहा है ।
नोट: ब्रिटिश वैज्ञानिक हिग्स ने 1964 ई. में कास्मोलॉजी समझने हेतु गॉड पार्टिकल परमाणविक अवधारणा को पेश किया था जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्रनाथ बोस के बोसन व्योरी पर आधारित थी । |
⦿ ब्रह्माण्ड का व्यास 108 प्रकाशवर्ष है । ब्रह्माण्ड में अनुमानतः 100 अरब मंदाकिनी (Galaxy) है । प्रत्येक मंदाकिनी में अनुमानतः 100 अरब तारे होते हैं ।
⦿ मंदाकिनी : तारों का ऐसा समूह, जो धुँधला-सा दिखाई पड़ता है तथा जो तारा निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत का गैसपुंज है, मंदाकिनी ( galaxy) कहलाता है । हमारी पृथ्वी की अपनी एक मंदाकिनी है, जिसे दुग्धमेखला या आकाशगंगा (Milky Way) कहते हैं । अबतक ज्ञात इस मंदाकिनी का 80% भाग सर्पीला (spiral) है । इस मंदाकिनी को सबसे पहले गैलीलियो ने देखा था ।
⦿ आकाशगंगा की सबसे नजदीकी मंदाकिनी को देवयानी (Andromeda) नाम दिया गया है ।
⦿ नवीनतम ज्ञात मंदाकिनी (Galaxy) है - ड्वार्फ मंदाकिनी ।
⦿ निहारिका (Nebula) : यह एक ब्रह्मांडीय नर्सरी है जहाँ तारों का जन्म होता है। निहारिका में धूल और गैसों का बादल होता है । सभी तारों का जन्म निहारिका में होता है सिर्फ कुछ दुर्लभ अवसरों को छोड़कर जिसमें दो न्यूट्रान तारे एक श्याम विवर बनाते हैं । वैसे भी न्यूट्रान तारे और श्याम विवर मृत तारे माने जाते हैं । यहाँ पाए जाने वाले गैसों में हाइड्रोजन गैस, हीलियम गैस एवं अन्य आयनीकृत प्लाज्मा गैसें होती हैं ।
⦿ निहारिका दो अलग-अलग कारणों से बनती है, पहला ब्रह्मांड की उत्पत्ति और दूसरा किसी विस्फोटक तारे से बने सुपरनोवा से ।
⦿ ब्रह्मांड के जन्म के बाद परमाणुओं का जन्म हुआ और इन परमाणुओं से धूल और गैस के बादलों का निर्माण हुआ ।
⦿ सुपरनोवा से जो पदार्थ उत्सर्जित होता है इससे भी निहारिका का जन्म होता है। इसके उदाहरण हैं वेल और कर्क ।
⦿ निहारिका की उत्पत्ति ब्रह्मांड के जन्म और सुपरनोवा के मिश्रण से भी हो सकता है ।
निहारिका के कुछ प्रकार
1. उत्सर्जन निहारिकायें : यह सबसे सुंदर और रंग-बिरंगी होती है। ये बन रहे तारों से प्रकाशित होती है। उदाहरण-चील एवं झील निहारिका ।
2. परावर्तन निहारिकायें : यह तारों के प्रकाश को परावर्तित करती है। ये तारे या तो निहारिका के अंदर होते हैं या पास में होते हैं । उदाहरण- प्लेइडेस निहारिका ।
3. श्याम निहारिकायें : ये अपने पीछे से आने वाली प्रकाश को एक दीवार की तरह रोक देती है । यही कारण है कि हम अपनी आकाशगंगा में बहुत दूर तक नहीं देख सकते हैं ।
4. ग्रहीय निहारिकायें : इसका निर्माण उस वक्त होता है जब एक सामान्य तारा एक लाल दानव तारे में बदलकर अपने बाहरी तहों को उत्सर्जित कर देता है । इसी वजह से इनका आकार गोल होता है ।
⦿ ऑरियन नेबुला हमारी आकाशगंगा के सबसे शीतल और चमकीले तारों का समूह है ।
यह भी देखें
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