महासागरीय जलधाराएँ
नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप महासागरीय जलधाराएँ की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Mahasagariya jaldharaye in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है , इसलिए आज हम Mahasagariya jaldharaye विषय के बारे में बात करेंगे । निचे ocean currents की जानकारी निम्नवत है ।
⦿ एक निश्चित दिशा में बहुत अधिक दूरी तक महासागरीय जल की एक विशाल जल-राशि के प्रवाह को महासागरीय जलधारा कहते हैं । धारा दो प्रकार की होती है— गर्म जलधारा और ठण्ढी जलधारा ।
⦿ गर्म जलधारा: निम्न अक्षांशों में उष्ण कटिबंधों से उच्च समशीतोष्ण और उपध्रुवीय कटिबंधों की ओर बहने वाली जल धाराओं को गर्म जलधारा कहते हैं । ये प्रायः भूमध्य रेखा से ध्रुवों की ओर चलती है । इनके जल का तापमान मार्ग में आने वाले जल के तापमान से अधिक होता है । अतः ये धाराएँ जिन क्षेत्रों में चलती हैं वहाँ का तापमान बढ़ा देती हैं ।
⦿ ठण्ढी जलधारा: उच्च अक्षांशों से निम्न अक्षांशों की ओर बहने वाली जलधारा को ठण्ढी जलधारा कहते हैं । ये प्रायः ध्रुवों से भूमध्य रेखा की ओर चलती है । इनके जल का तापमान रास्ते में आने वाले जल के तापमान से कम होता है । अतः ये धाराएँ जिन क्षेत्रों में चलती हैं, वहाँ तापमान घटा देती हैं ।
⦿ उत्तरी गोलार्द्ध की जलधाराएँ अपनी दायीं ओर तथा दक्षिण गोलार्द्ध की जलधाराएँ अपनी बायीं ओर प्रवाहित होती हैं । यह कॉरिओलिस बल के प्रभाव से होता है ।
⦿ महासागरीय जलधाराओं के संचरण की सामान्य व्यवस्था का एकमात्र प्रसिद्ध अपवाद हिन्द महासागर के उत्तरी भाग में पाया जाता है । इस भाग में धाराओं के प्रवाह की दिशा मानसूनी पवन की दिशा के साथ बदल जाती है— गर्म जलधाराएँ ठंढे सागरों की ओर और ठण्ढी जलधाराएँ गर्म सागरों की ओर बहने लगती हैं ।
प्रशान्त महासागर की गर्म जलधाराएँ | प्रशान्त महासागर की ठण्डी जलधाराएँ |
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1. उ. विषुवतरेखीय जलधारा 2. क्यूरोसियो की जलधारा 3. उत्तरी प्रशान्त जल प्रवाह 4. अलास्का की जलधारा 5. एल-निनो जलधारा 6. सुशीमा की जलधारा 7. द. विषुवतरेखीय जलधारा 8. पूर्वी आस्ट्रेलिया की जलधारा 9. विपरीत विषुवत्रेखीय जलधारा |
1. क्यूराइल विषुवत्रेखीय जलधारा 2. कैलीफोर्निया की जलधारा 3. हम्बोल्ट या पेरूवियन की जलधारा 4. अंटार्कटिका की जलधारा |
अटलांटिक महासागर की गर्म जलधाराएँ | अटलांटिक महासागर की ठण्डी जलधाराएँ |
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1. उत्तरी विषुवतरेखीय जलधारा 2. गल्फ स्ट्रीम जलधारा 3. फ्लोरिडा जलधारा 4. दक्षिणी विषुवत्रेखीय जलधारा 5. ब्राजील जलधारा 6. विपरीत विषुवतरेखीय ( गिनी ) जलधारा 7. इरमिंजर की जलधारा |
1. लेब्राडोर की जलधारा 2. बेंगुएला की जलधारा 3. कनारी जलधारा 4. पूर्वी ग्रीनलैंड की जलधारा 5. अंटार्कटिका की जलधारा 6. फॉकलैंड की जलधारा |
हिन्द महासागर की गर्म एवं स्थायी जलधाराएँ | हिन्द महासागर की ठण्ठी एवं स्थायी जलधाराएँ |
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1. दक्षिण विषुवत् रेखीय जलधारा 2. मोजाम्बिक की जलधारा 3. अगुलहास की जलधारा |
पश्चिम आस्ट्रेलिया की जलधारा |
नोट: हिन्द महासागर की ग्रीष्मकालीन मानसून की जलधारा गर्म एवं परिवर्तनशील जलधारा है एवं शीतकालीन मानसून प्रवाह ठण्डी एवं परिवर्तनशील जलधारा है । |
⦿ सारगैसो सागर ( Sargasso sea ) : उत्तरी अटलांटिक महासागर में 20° से 40° उत्तरी अक्षांशों तथा 35° से 75° पश्चिमी देशान्तरों के मध्य चारों ओर प्रवाहित होने वाली जलधाराओं के मध्य स्थित शान्त एवं स्थिर जल के क्षेत्र को सारगैसो सागर के नाम से जाना जाता है । यह गल्फ स्ट्रीम, कनारी तथा उत्तरी विषुवतीय धाराओं के चक्र बीच स्थित शांत जल क्षेत्र है । इसके तट पर मोटी समुद्री घास तैरती है । इस घास को पुर्तगाली भाषा में सारगैसम ( Sargassum ) कहते हैं, जिसके नाम पर ही इसका नाम सारगैसो सागर रखा गया है । सारगैसम जड़विहीन घास है । सारगैसो सागर का क्षेत्रफल लगभग 11,000 वर्ग किमी है । यहाँ अटलांटिक की सर्वाधिक लवणता 37% व औसत वार्षिक तापमान 26°C मिलती है ।
⦿ सारगैसो सागर को सर्वप्रथम स्पेन के नाविकों ने देखा था ।
⦿ सारगैसो सागर को महासागरीय मरुस्थल के रूप में पहचाना जाता है ।
⦿ न्यूफाउण्डलैंड के समीप ही गल्फ स्ट्रीम एवं लेब्राडोर जलधारा मिलती है । न्यूफाउण्डलैंड पर ही समुद्री मछली पकड़ने का प्रसिद्ध स्थान ग्रैण्ड बैंक उत्तरी अटलांटिक महासागर में स्थित है ।
⦿ गर्म एवं ठण्ढी जलधारा जहाँ मिलती है वहाँ प्लैंक्टन नामक घास मिलती है, जो मछलियों का मुख्य आहार है जिससे उस स्थान पर मत्स्य उद्योग अत्यधिक विकसित हुआ है । डॉगर बैंक ( उ. सागर-यूरोप), ग्रैंड बैंक एवं जार्ज बैंक आदि मत्स्य क्षेत्रों की उपस्थिति ऐसे क्षेत्रों में विद्यमान है ।
⦿ जापान के निकट क्यूरो- शिवो की गर्म धारा तथा ओय - शिवो की ठण्डी धारा के जल के मिलने से वहाँ पर घना कुहासा छाया रहता है ।
⦿ महासागरों के पश्चिमी भाग में विषुवत रेखा के समीप उत्तर तथा दक्षिण विषुवत रेखीय धाराओं के अभिसरण के कारण इतनी अधिक मात्रा में जलराशि एकत्रित हो जाती है कि पश्चिम से पूर्व की ओर सामान्य ढाल बन जाता है । फलस्वरूप प्रति विषुवतीय धारा प्रवाहित होने लगती है ।
⦿ ला-नीना एक शीतल जलधारा है जिसकी उत्पति पेरू के तटवर्ती क्षेत्रों में होती है, वहीं एल-निनो एक गर्म जलधारा है जिसकी उत्पति पेरू के तट पर समानांतर उत्तर से दक्षिण की ओर होती है । ला-नीना का प्रवाह क्षेत्र एल-निनो की तरह प्रशांत क्षेत्र के विशेष रूप से पेरू का तटीय क्षेत्र होता है । यह कभी भी हिन्द महासागरीय क्षेत्र में प्रवेश नहीं करती किन्तु इन दोनों का प्रभाव वैश्विक होता है । जिस वर्ष ला-नीना जल धारा की गहनता होती है, उस वर्ष भारतीय मानसून ज्यादा तीव्र होता है । वहीं एल-नीनो भारतीय मानसून को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है ।
ज्वार-भाटा
⦿ ज्वार-भाटा ( Tides ): चन्द्रमा एवं सूर्य की आकर्षण शक्तियों के कारण सागरीय जल के ऊपर उठने तथा गिरने को ज्वार-भाटा कहते हैं । सागरीय जल के ऊपर उठकर आगे बढ़ने को ज्वार ( Tide ) तथा सागरीय जल को नीचे गिरकर पीछे लौटने ( सागर की ओर ) को भाटा ( Ebb ) कहते हैं ।
⦿ महासागरों और समुद्रों में ज्वार-भाटा के लिए उत्तरदायी कारक है — 1. सूर्य का गुरुत्वीय बल 2. चन्द्रमा का गुरुत्वीय बल 3. पृथ्वी का अपकेन्द्रीय बल ।
⦿ चन्द्रमा का ज्वार उत्पादक बल सूर्य की अपेक्षा दुगुना होता है, क्योंकि यह सूर्य की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट है ।
⦿ अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा, सूर्य एवं पृथ्वी एक सीध में होते हैं । अतः इस दिन उच्च ज्वार उत्पन्न होता है । यानी महीने में दो बार उच्च ज्वार आता है ।
⦿ दोनों पक्षों की सप्तमी या अष्टमी को सूर्य और चन्द्रमा पृथ्वी के केन्द्र पर समकोण बनाते हैं, इस स्थिति में सूर्य और चन्द्रमा के आकर्षण-बल एक-दूसरे को संतुलित करने के प्रयास में प्रभावहीन हो जाते हैं । अतः इस दिन निम्न ज्वार उत्पन्न होता है ।
नोट: सामान्यतः वृहत् ज्वार एवं निम्न ज्वार के बीच सात दिन का अंतर होता है । |
⦿ पृथ्वी पर प्रत्येक स्थान पर प्रतिदिन 12 घंटे 26 मिनट के बाद ज्वार तथा ज्वार के 6 घंटा 13 मिनट बाद भाटा आता है ।
⦿ ज्वार प्रतिदिन दो बार आते हैं – एक बार चन्द्रमा के आकर्षण से और दूसरी बार पृथ्वी के अपकेन्द्रीय बल के कारण ।
⦿ सामान्यतः ज्वार प्रतिदिन दो बार आता है किन्तु इंग्लैंड के दक्षिणी तट पर स्थित साउथैम्प्टन में ज्वार प्रतिदिन चार बार आते हैं । यहाँ दो बार ज्वार इंगलिश चैनल से होकर और दो बार उत्तरी सागर से होकर विभिन्न अंतरालों पर पहुँचते हैं ।
⦿ विश्व का सबसे ऊँचा ज्वारभाटा कनाडा के नवास्कोशिया में स्थित फंडी की खाड़ी में आता है । ज्वारीय उभार की ऊँचाई 15 से 16 मी के बीच होती है । क्योंकि वहाँ पर दो उच्च ज्वार एवं दो निम्न ज्वार प्रतिदिन आते हैं ।
यह भी देखें
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