श्यानता

नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप श्यानता की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Shyanta in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Shyanta विषय के बारे में बात करेंगे। निचे Viscosity की जानकारी निम्नवत है।

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Viscosity

⦿ श्यान बल (Viscous Force): किसी द्रव या गैस की दो क्रमागत परतों के बीच उनकी आपेक्षिक गति का विरोध करने वाले घर्षण बल को श्यान बल कहते हैं।

⦿ श्यानता (Viscosity): तरल का वह गुण जिसके कारण तरल की विभिन्न परतों के मध्य आपेक्षिक गति का विरोध होता है, श्यानता कहलाता है।

⦿ श्यानता केवल द्रवों तथा गैसों का गुण है।

⦿ द्रवों में श्यानता, अणुओं के मध्य लगने वाले संसंजक बलों के कारण होती है।

⦿ गैसों में श्यानता इसकी एक परत से दूसरी परत में अणुओं के स्थानान्तरण के कारण होती है।

⦿ गैसों में श्यानता द्रवों की तुलना में बहुत कम होती है। ठोसों में श्यानता नहीं होती है।

⦿ एक आदर्श तरल की श्यानता शून्य होती है।

⦿ ताप बढ़ने पर द्रवों की श्यानता घट जाती है, परन्तु गैसों की बढ़ जाती है।

⦿ किसी तरल की श्यानता को श्यानता गुणांक ( coefficient of viscosity ) द्वारा मापा जाता है। इसका S.I. मात्रक डेकाप्वॉइज या प्वॉइजली ( PI ) या पास्कल सेकेण्ड ( Pas ) है। इसे प्रायः ( η ) ( नीटा ) द्वारा सूचित किया जाता है।

⦿ सीमान्त वेग: जब कोई वस्तु किसी श्यान द्रव में गिरती है तो प्रारंभ में उसका वेग बढ़ता जाता है, किन्तु कुछ समय के पश्चात् वह नियत वेग से गिरने लगती है। इस नियत वेग को ही वस्तु का सीमान्त वेग कहते हैं। इस अवस्था में वस्तु का भार, श्यान बल और उत्प्लावन बल के योग के बराबर होते हैं। अर्थात् वस्तु पर कार्य करने वाले सभी बलों का योग शून्य होता है।

⦿ सीमान्त वेग वस्तु की त्रिज्या के वर्ग के अनुक्रमानुपाती होता है। अर्थात् बड़ी वस्तु अधिक वेग से और छोटी वस्तु कम वेग से गिरती है।

⦿ धारा रेखीय प्रवाह (Steam Line Flow): द्रव का ऐसा प्रवाह जिसमें द्रव का प्रत्येक कण उसी बिन्दु से गुजरता है, जिससे पहले उससे पहले वाला कण गुजरा था, धारारेखीय प्रवाह कहलाता है। इसमें किसी नियत बिन्दु पर प्रवाह की चाल व उसकी दिशा निश्चित बनी रहती है।

⦿ क्रांतिक वेग (Critical Velocity): धारारेखीय प्रवाह के महत्तम वेग को क्रांतिक वेग कहते हैं। अर्थात् धारा रेखीय प्रवाह की वह उच्च सीमा जिसके बाद द्रव का प्रवाह धारा रेखीय न होकर विक्षुब्ध हो जाए, वह वेग क्रांतिक वेग कहलाता है।

⦿ यदि द्रव प्रवाह का वेग क्रांतिक वेग से कम होता है, तो उसका प्रवाह उसकी श्यानता पर निर्भर करता है, यदि द्रव प्रवाह का वेग उसके क्रांतिक वेग से अधिक होता है, तो उसका प्रवाह मुख्यतः उसके घनत्व पर निर्भर करता है; जैसे— ज्वालामुखी से निकलने वाला लावा बहुत अधिक गाढ़ा होने पर भी तेजी से बहता है, क्योंकि उसका घनत्व अपेक्षाकृत कम होता है और घनत्व ही उसके वेग को निर्धारित करता है।

⦿ बरनौली का प्रमेय (Bernoulli's Theorem): जब कोई आदर्श द्रव किसी नली में धारारेखीय प्रवाह में बहता है, तो उसके मार्ग के प्रत्येक बिन्दु पर उसके एकांक आयतन की कुल ऊर्जा (दाब ऊर्जा, गतिज ऊर्जा एवं स्थितिज ऊर्जा) का योग नियत होता है। इस प्रमेय पर आधारित वेण्टुरीमीटर (Venturimeter) से नली में द्रव के प्रवाह की दर ज्ञात की जाती है।

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