नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप Vidhyut dhara,Electric current,विद्युत् धारा की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Electric current in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Vidhyut dhara विषय के बारे में बात करेंगे। निचे Electric current की जानकारी निम्नवत है।
Vidhyut dhara,Electric current,विद्युत् धारा
⦿ विद्युत् धारा: किसी चालक में विद्युत् आवेश के प्रवाह की दर को विद्युत धारा कहते हैं। विद्युत धारा की दिशा धन आवेश की गति की दिशा की ओर मानी जाती है। इसका S.I. मात्रक एम्पियर है। यह एक अदिश राशि है।
⦿ एक एम्पियर विद्युत् धारा: यदि किसी चालक तार में एक एम्पियर (1A) विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही है तो इसका अर्थ है, कि उस तार में प्रति सेकण्ड 6.25x`10^{18}` इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रविष्ट होते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रॉन दूसरे सिरे से बाहर निकल जाते हैं।
⦿ प्रतिरोध (Resistance): किसी चालक में विद्युत् धारा के प्रवाहित होने पर चालक के परमाणुओं तथा अन्य कारकों द्वारा उत्पन्न किये गये व्यवधान को ही चालक का प्रतिरोध कहते हैं। इसका SI मात्रक ओम (Ω) होता है।
⦿ मानव शरीर (शुष्क) के विद्युत् प्रतिरोध के परिमाण की कोटि `10^{6}`Ω होती है।
⦿ ओम का नियम (Ohm's law): यदि चालक की भौतिक अवस्था जैसे - ताप आदि में कोई परिवर्तन न हो तो चालक के सिरों पर लगाया गया विभवान्तर उसमें प्रवाहित धारा के अनुक्रमानुपाती होता है। यदि किसी चालक के दो बिन्दुओं के बीच विभावन्तर V वोल्ट हो तथा उसमें प्रवाहित धारा I एम्पियर हो, तो ओम के नियमानुसार—
V∝ I या, V = RI
जहाँ R एक नियतांक है, जिसे चालक का प्रतिरोध कहते हैं
⦿ ओमीय प्रतिरोध (Ohmic resistance): जो चालक ओम के नियम का पालन करते हैं, उनके प्रतिरोध को ओमीय प्रतिरोध कहते हैं। जैसे—मैंगनीज का तार।
⦿ अनओमीय प्रतिरोध (Non-ohmic resistance): जो चालक ओम के नियम का पालन नहीं करते हैं, उनके प्रतिरोध को अनओमीय प्रतिरोध कहते हैं, जैसे—डायोड बल्ब का प्रतिरोध, ट्रायोड बल्ब का प्रतिरोध।
⦿ चालकता (Conductance): किसी चालक के प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालक की चालकता कहते हैं। इसे G से सूचित करते हैं (G = 1/R)। इसकी SI इकाई ( `Ω^{-1}` ) होता है, जिसे म्हो भी कहते हैं। इसका SI इकाई सीमेन भी होता है।
⦿ विशिष्ट प्रतिरोध (Specific Resistance): किसी चालक का प्रतिरोध उसकी लम्बाई के अनुक्रमानुपाती तथा उसके अनुप्रस्थ काट के क्षेत्रफल के व्युत्क्रमानुपाती होता है, अर्थात् यदि चालक की लम्बाई l और उसकी अनुप्रस्थ काट का क्षेत्रफल A हैं, तो— R∝`\frac{1}{A}` या, R = ρ`\frac{1}{A}` जहाँ ρ एक नियतांक, है जिसे चालक का विशिष्ट प्रतिरोध कहा जाता है। अतः एक ही पदार्थ के बने हुए मोटे तार का प्रतिरोध कम तथा पतले तार का प्रतिरोध अधिक होता है।
⦿ विशिष्ट चालकता (Conductivity): किसी चालक के विशिष्ट प्रतिरोध के व्युत्क्रम को चालक का विशिष्ट चालकता कहते हैं। इसे σ से सूचित करते हैं तथा (σ = 1/ρ) होता है। इसकी SI इकाई `Ω^{-1}m^{-1}` होती है। (जहाँ Ω = ओम , m = मीटर )
⦿ प्रतिरोधों का संयोजन (Combination of resistance): सामान्यतः प्रतिरोधों का संयोजन दो प्रकार से होता है—1. श्रेणी क्रम (Series combination) में 2. समानान्तर क्रम (Parallel combination) में।
⦿ श्रेणीक्रम में संयोजित प्रतिरोधों का समतुल्य प्रतिरोध समस्त प्रतिरोधों के योग के बराबर होता है।
⦿ समानान्तर क्रम में संयोजित प्रतिरोधों के समतुल्य प्रतिरोध का व्युत्क्रम (Inverse) उनके प्रतिरोधों के व्युत्क्रमों के योग के बराबर होता है।
⦿ ओम मीटर (Ohmmeters) विद्युत प्रतिरोध को मापता है।
⦿ फ्लूरोसेंट लैम्प में चौक (Choke) का प्रयोग प्रतिरोधता को कम करने के लिए किया जाता है।
⦿ विद्युत् शक्ति (Electric power): विद्युत् परिपथ में ऊर्जा के क्षय होने की दर को शक्ति कहते हैं। इसका SI मात्रक वाट होता है।
⦿ किलोवाट घंटा मात्रक अथवा यूनिट: 1 किलोवाट घंटा मात्रक अथवा एक यूनिट विद्युत् ऊर्जा की वह मात्रा है, जो कि किसी परिपथ में एक घंटा में व्यय होती है, जबकि परिपथ में 1 किलोवाट की शक्ति हो।
⦿ अमीटर (Ammeter): विद्युत् धारा को एम्पियर में मापने के लिए आमीटर नामक यंत्र का प्रयोग किया जाता है। इसे परिपथ में सदैव श्रेणी क्रम में लगाया जाता है।
⦿ एक आदर्श आमीटर का प्रतिरोध शून्य होना चाहिए।
⦿ वोल्टमीटर (Voltameter): वोल्टमीटर का प्रयोग परिपथ के किन्हीं दो बिन्दुओं के बीच विभवान्तर मापने में किया जाता है। इसे परिपथ में सदैव समानान्तर क्रम में लगाया जाता है।
⦿ एक आदर्श वोल्टमीटर का प्रतिरोध अनन्त होना चाहिए।
⦿ विद्युत् फ्यूज (Electric fuse): विद्युत् फ्यूज का प्रयोग परिपथ में लगे उपकरणों की सुरक्षा के लिए किया जाता है, यह टिन (63%) व सीसा (37%) की मिश्रधातु का बना होता है। यह सदैव परिपथ के साथ श्रेणीक्रम में जोड़ा जाता है। इसका गलनांक कम होता है।
⦿ गैल्वेनोमीटर (Galvanometer): विद्युत् परिपथ में विद्युत्-धारा की उपस्थिति बताने वाला एक यंत्र है। इसकी सहायता से `10^{6}` ऐम्पियर तक की विद्युत्-धारा को मापा जा सकता है।
⦿ शंट का उपयोग: शंट एक अत्यन्त कम प्रतिरोध वाला तार होता है, जिसे गैल्वेनोमीटर के समान्तर क्रम में लगाकर अमीटर बनाया जाता है।
⦿ गैल्वेनोमीटर के श्रेणी क्रम में एक उच्च प्रतिरोध लगाकर वोल्टमीटर बनाया जाता है।
⦿ ट्रांसफॉर्मर (Transformer): विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करने वाला यह एक ऐसा यंत्र है, जो उच्च A.C. वोल्टेज को निम्न A. C. वोल्टेज में एवं निम्न A. C. वोल्टेज को उच्च A.C. वोल्टेज में बदल देता है। यह केवल प्रत्यावर्ती धारा (A.C.) के लिए प्रयुक्त किया जाता है। ट्रांसफॉर्मर के क्रोड बनाने के लिए नर्म लोहा का प्रयोग किया जाता है।
⦿ ए. सी. डायनेमो (या जेनरेटर): यह यांत्रिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। यह विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर कार्य करता है।
⦿ विद्युत् मोटर (Electric motor): यह एक ऐसा यंत्र है, जो विद्युत् ऊर्जा को यांत्रिक ऊर्जा में बदल देता है। यह विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धान्त पर कार्य नहीं करता है।
⦿ दिष्टकारी (Rectifier): प्रत्यावर्ती धारा को दिष्ट धारा में परिवर्तित करने वाले युक्ति को दिष्टकारी कहते हैं।
⦿ माइक्रोफोनः यह ध्वनि ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित करता है। माइक्रोफोन विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के सिद्धांत पर आधारित होता है।
⦿ विद्युत धारा के चुम्बकीय प्रभाव की खोज डेनमार्क के वैज्ञानिक ऑर्स्टेड (Orested) ने की थी।
⦿ प्राथमिक शक्ति स्टेशनों पर जो विद्युत्-धारा उत्पन्न होती है, वह प्रत्यावर्ती धारा होती है तथा उसकी वोल्टता 22,000V या इससे अधिक हो सकती है। ग्रिड उपस्टेशन ट्रांसफॉर्मर की सहायता से वोल्टता बढ़ा देते हैं, जो 1,32,000V तक भी हो सकती है, ताकि विद्युत् संचरण में विद्युत् ऊर्जा का क्षय बहुत कम हो।
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