नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप Sthir vedhyut,Electrostatic,स्थिर वैद्युत् की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Electrostatic in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Sthir vedhyut विषय के बारे में बात करेंगे। निचे Electrostatic की जानकारी निम्नवत है।
Sthir vedhyut,Electrostatic,स्थिर वैद्युत्
⦿ पदार्थों को परस्पर रगड़ने से उस पर जो आवेश की मात्रा संचित रहती है, उसे स्थिर-विद्युत् कहते हैं। स्थिर विद्युत् में आवेश स्थिर रहता है।
⦿ बेंजामिन फ्रैंकलिन (Benjamin Franklin) ने दो प्रकार के आवेशों को धनात्मक आवेश व ऋणात्मक आवेश नाम दिया है।
⦿ समान प्रकार के (अर्थात् धन-धन या ऋण ऋण) आवेश परस्पर प्रतिकर्षित करते हैं तथा विपरीत प्रकार के आवेश परस्पर आकर्षित करते हैं।
⦿ वस्तुओं का आवेशन इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण के फलस्वरूप होता है। यहाँ नीचे सारणी में कुछ वस्तुएँ इस ढंग से सजायी गयी हैं कि यदि किसी वस्तु को, किसी दूसरी वस्तु से रगड़कर विद्युत उत्पन्न की जाय तो सारणी में जो ऊपर है, उसमें धन आवेश तथा जो नीचे है उसमें ऋण आवेश उत्पन्न होता है। जैसे : काँच को कागज के साथ रगड़ने पर काँच में धन आवेश एवं कागज में ऋण आवेश उत्पन्न हो जाता है।
क्रमांक | वस्तु |
---|---|
1 | रोआँ |
2 | फलानेल |
3 | चमड़ा |
4 | मोम |
5 | काँच |
6 | कागज |
7 | रेशम |
8 | मानव शरीर |
9 | लकड़ी |
10 | धातु |
11 | रबर |
12 | रेजिन |
13 | अम्बर |
14 | गंधक |
15 | एबोनाइट |
16 | गाटा-पार्चा |
⦿ आवेश का पृष्ठ घनत्व (Surface density of charge): चालक के इकाई क्षेत्रफल पर स्थित आवेश की मात्रा को उस आवेश का पृष्ठ घनत्व कहते हैं।
⦿ चालक का पृष्ठ घनत्व चालक के आकार एवं चालक के समीप स्थित अन्य चालक या विद्युत् रोधी पदार्थों पर निर्भर करता है।
⦿ पृष्ठ घनत्व सबसे अधिक चालक के नुकीले भाग पर होता है, क्योंकि नुकीले भाग का क्षेत्रफल सबसे कम होता है।
⦿ चालक (Conductor): जिन पदार्थों से होकर विद्युत् आवेश सरलता से प्रवाहित होता है, उन्हें चालक कहते हैं। जैसे—चाँदी, ताँबा, एल्युमिनियम आदि।
⦿ चाँदी सबसे अच्छा चालक है। दूसरा स्थान ताँबा का है।
नोट: तड़ित चालक का आविष्कार बेंजामिन फ्रेंकलिन ने किया। यह ताँबा का बना होता है। |
⦿ अचालक (Nonconductors): जिन पदार्थों से होकर आवेश का प्रवाह नहीं होता है, उन्हें अचालक कहते हैं। जैसे— लकड़ी, रबर, कागज आदि।
⦿ कूलॉम का नियम (Coulomb's law): दो स्थिर विद्युत् आवेशों के बीच लगने वाला आकर्षण अथवा प्रतिकर्षण बल दोनों आवेशों की मात्राओं के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती एवं उनके बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है तथा यह बल दोनों आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है।
⦿ विद्युत् क्षेत्र (Electric field): किसी आवेश या आवेशित वस्तु के चारों ओर का स्थान जहाँ तक उसके प्रभाव का अनुभव किया जा सके, विद्युत् क्षेत्र कहलाता है।
⦿ विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता (Intensity of Electric field): विद्युत् क्षेत्र में किसी बिन्दु पर स्थित एकांक धन आवेश पर क्रियाशील बल को विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता कहा जाता है।
⦿ खोखले चालक के विद्युत् क्षेत्र: किसी भी खोखले चालक के अंदर विद्युत् क्षेत्र शून्य होता है। यदि ऐसे चालक को आवेशित किया जाय तो सम्पूर्ण आवेश उसके बाहरी पृष्ठ पर ही रहता है। अतः खोखला गोला एक विद्युत् परिरक्षक (electro static shield) का कार्य करता है। यही कारण है कि यदि किसी कार पर तड़ित विद्युत् गिर जाए तो कार के अन्दर बैठे व्यक्ति पूर्ण सुरक्षित रहता है, तड़ित से प्राप्त विद्युत् आवेश कार की बाहरी सतह पर ही रहता है।
⦿ विद्युत् विभव (Electric Potential): किसी धनात्मक आवेश को अनन्त से विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु तक लाने में किये गये कार्य (W) एवं आवेश के मान (`q_{ο}`) के अनुपात (ratio) को उस बिन्दु का विद्युत् विभव कहा जाता है। विद्युत् विभव का S. I. मात्रक वोल्ट होता है। यह एक अदिश राशि है।
⦿ विभवान्तर (Potential Difference): एक कूलॉम धनात्मक आवेश को विद्युत् क्षेत्र में एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में किये गये कार्य को उन बिन्दुओं के मध्य विभवान्तर कहते हैं। इसका मात्रक भी वोल्ट होता है। यह एक अदिश राशि है।
⦿ विद्युत् धारिता (Electric Capacity): किसी चालक की धारिता (C) चालक को दिये गये आवेश (Q) तथा उसके कारण चालक के विभव में होने वाले परिवर्तन (V) के अनुपात (ratio) को कहते हैं । विद्युत् धारिता का SI मात्रक फैराड (F) होता है।
⦿ विद्युत् सेल (Electric cell): विद्युत् सेल मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं— 1. प्राथमिक सेल 2. द्वितीयक सेल।
⦿ प्राथमिक सेलों में रासायनिक ऊर्जा को सीधे विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। एक बार प्रयोग कर लेने के बाद यह बेकार हो जाता है।
⦿ वोल्टीय सेल, लेकलांशे सेल (Leclanche cell), डेनियल सेल (Daniell cell), शुष्क सेल प्राथमिक सेल के उदाहरण हैं।
⦿ द्वितीयक सेल में पहले विद्युत् ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा में फिर रासायनिक ऊर्जा को विद्युत् ऊर्जा में परिवर्तित किया जाता है। आवेशन कर इसे बार बार प्रयोग लाया जा सकता है।
⦿ वोल्टीय सेल का आविष्कार 1799 ई. में प्रोफेसर एलिजाण्डो वोल्टा ने किया था।
⦿ लेकलांशे सेल का प्रयोग वहाँ किया जाता है जहाँ रुक रुक कर थोड़े समय के लिए विद्युत् धारा की आवश्यकता होती है। जैसे—विद्युत् घंटी, टेलीफोन आदि।
कुछ सेलों का संक्षिप्त विवरण
सेलों के नाम | धनोद (Anode) | ऋणोद (Cathode) | विद्युत अपघट्य (Electrolyte) |
---|---|---|---|
वोल्टीय सेल | ताँबा | जस्ता | तनु गंधकाम्ल (Dil `H_{2}SO_{4}`) |
लेक्लांशे सेल | कार्बन | जस्ता | नौसादर का घोल (`NH_{4}Cl`) |
शुष्क सेल | कार्बन | जस्ता | नौसादर का पेस्ट |
डेनियल सेल | ताँबा | जस्ता | तनु (`H_{2}SO_{4}`) |
बाइक्रोमेट सेल | कार्बन | जस्ता | तनु (`H_{2}SO_{4}`) |
वेस्टन कैडमियम सेल | पारा | कैडमियम अमलगम | `CdSO_{4}` का घोल |
सीसा संचायन सेल | लैड परॉक्साइड (Pb`O_{2}`) | स्पंजी लैड | तनु (`H_{2}SO_{4}`) |
क्षारीय संचायन सेल या (Ni-Fe) | निकिल हाइड्रॉक्साइड Ni`(OH)_{3}` | लोहा (Fe) | KOH का सान्द्र घोल |
सेलों के नाम | विध्रुवक (Depolariser) | विद्युत वाहक बल | आतंरिक प्रतिरोध |
---|---|---|---|
वोल्टीय सेल | --- | 1.08 | 2-4 |
लेक्लांशे सेल | `MnO_{2}` | 1.46 | 2-4 |
शुष्क सेल | `MnO_{2}` | 1.46 | 2-5 |
डेनियल सेल | `CuSO_{4}` | 1.08 | 2-3 |
बाइक्रोमेट सेल | `K_{2}Cr_{2}O_{7}` | 2.0 | बहुत कम |
वेस्टन कैडमियम सेल | `Hg_{2}SO_{4}` | 1.018 | 2 (लगभग) |
सीसा संचायन सेल | --- | 2.2 | 0.02 |
क्षारीय संचायन सेल या (Ni-Fe) | --- | 1.35 | 0.01 |
यह भी देखें
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पुस्तके ( BOOKS ) | |
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