नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप Nabhikiya sanlayan aur vikhandan,Nuclear fission and fusion,नाभिकीय विखंडन तथा संलयन की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Nuclear fission and fusion in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Nabhikiya sanlayan aur vikhandan विषय के बारे में बात करेंगे। निचे नाभिकीय विखंडन तथा संलयन की जानकारी निम्नवत है।
Nabhikiya sanlayan aur vikhandan,Nuclear fission and fusion,नाभिकीय विखंडन तथा संलयन
Nuclear fission and fusion

Nabhikiya sanlayan aur vikhandan,Nuclear fission and fusion,नाभिकीय विखंडन तथा संलयन

जब दो भारी परमाणु नाभिको के टूटने तथा दो हलके परमाणु नभको के टूटने तथा जुड़ने की प्रकिया बहुत कम समय में अत्यन्त तीव्र गति से होती है उस प्रकिया को क्रमशः नाभिकीय विखंडन तथा नाभिकीय संलयन कहते है दोनों प्रकिया में अन्ततः बहुत सारी ऊर्जा मुक्त होती है। तथा इनका उपयोग विभिन्न कार्यों में किया जाता है।

नाभिकीय विखंडन (Nuclear Fission)

⦿ वह नाभिकीय प्रतिक्रिया जिसमें कोई एक भारी नाभिक दो भागों में टूटता है, नाभिकीय विखण्डन कहलाता है। विखण्डन के दौरान उत्पन्न ऊर्जा को नाभिकीय ऊर्जा कहते हैं।

⦿ सबसे पहले नाभिकीय विखंडन (fission) अमेरिकी वैज्ञानिक स्ट्रासमैन एवं हॉन के द्वारा दिखाया गया। इन्होंने जब यूरेनियम-235 पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की तो पाया कि यूरेनियम के नाभिक दो खण्डों में विभाजित हो जाते हैं।

⦿ श्रृंखला अभिक्रिया (Chain Reaction): जब यूरेनियम पर न्यूट्रॉनों की बमबारी की जाती है, तो एक यूरेनियम नाभिक के विखंडन पर बहुत अधिक ऊर्जा व तीन नए न्यूट्रॉन उत्सर्जित होते हैं। ये उत्सर्जित न्यूट्रॉन यूरेनियम के अन्य नाभिकों को विखण्डित करते हैं। इस प्रकार यूरेनियम नाभिकों के विखंडन की एक श्रृंखला बन जाती है। इसे ही श्रृंखला अभिक्रिया कहते हैं। श्रृंखला अभिक्रिया दो प्रकार की होती है— 1. अनियंत्रित शृंखला अभिक्रिया 2. नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया।

अनियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया (Uncontrolled chain reaction)

⦿ इस अभिक्रिया में तीन नए निकलने वाले न्यूट्रॉन पर नियत्रंण नहीं होता, जिसके कारण नाभिकों के विखंडन की दर, 1,3,9, 27 के अनुसार होती है, फलस्वरूप ऊर्जा अत्यन्त तीव्र गति से उत्पन्न होती है तथा बहुत कम समय में विनाश कर सकती है। इस अभिक्रिया में प्रचण्ड विस्फोट होता है। परमाणु बम में यही अभिक्रिया होती है।

⦿ परमाणु बम (Atom Bomb): परमाणु बम का विकास जे. राबर्ट ओपेनहीयर के निर्देशन में अमेरिका के द मैनहट्टन प्रोजेक्ट के तहत द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुआ। परमाणु बम को बनाने के लिए यूरेनियम (`"_{92}U^{235}`) तथा प्लूटोनियम (`"_{94}Pu^{239}`) का प्रयोग किया जाता है। यह नाभिकीय विखंडन के सिद्धान्त पर आधारित है। परमाणु बम का सर्वप्रथम प्रयोग द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान संयुक्त राज्य अमेरिका के द्वारा जापान के विरुद्ध किया गया था। 6 अगस्त, 1945 एवं 9 अगस्त, 1945 ई. को क्रमशः हिरोशिमा एवं नागासाकी पर परमाणु बम गिराए गये थे।

नियंत्रित श्रृंखला अभिक्रिया (Controlled chain reaction)

⦿ यह अभिक्रिया धीरे-धीरे होती है तथा इससे प्राप्त ऊर्जा का उपयोग लाभदायक कार्यों के लिए किया जाता है। परमाणु भट्ठी या नाभिकीय रिएक्टर में यही अभिक्रिया अपनाई जाती है।

⦿ परमाणु भट्ठी (Atomic Pile) या नाभिकीय रिएक्टर (Nuclear Reactor): सबसे पहला नाभिकीय रिएक्टर प्रो. फर्मी के निर्देशन में शिकांगो विश्वविद्यालय में बनाया गया।

नाभिकीय रिएक्टर से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

1. रिएक्टर में ईंधन के रूप में यूरेनियम-235 या प्लूटोनियम-239 का प्रयोग किया जाता है।
2. रिएक्टर में मंदक के रूप में भारी जल या ग्रेफाइट का प्रयोग किया जाता है। मंदक रिएक्टर में न्यूट्रॉन की गति को धीमा करता है।
3. रिएक्टर में नियंत्रक छड़ (Controller Rod) के रूप में कैडमियम या बोरॉन छड़ का उपयोग किया जाता है। इसकी सहायता से नाभिक के विखंडन के दौरान निकलने वाले तीन नए न्यूट्रॉन में से दो को अवशोषित कर लिया जाता है।

नाभिकीय रिएक्टर के उपयोग

1. इससे प्राप्त नाभिकीय ऊर्जा से विद्युत् ऊर्जा प्राप्त किया जा सकता है।
2. रिएक्टर में अनेक प्रकार के समस्थानिक उत्पन्न किया जा सकता है। जिसका उपयोग चिकित्सा, विज्ञान, कृषि आदि में किया जा सकता है।

नाभिकीय संलयन (Nuclear Fusion)

⦿ जब दो या दो से अधिक हल्के नाभिक संयुक्त होकर एक भारी नाभिक बनाते हैं व अत्यधिक ऊर्जा विमुक्त करते हैं, तो इस अभिक्रिया को नाभिकीय संलयन कहते हैं। एक नाभिकीय संलयन अभिक्रिया का उदाहरण है-
`"_{1}H^{2}+_{1}H^{3}\rightarrow _{2}H^{4}+_{0}n^{1}+17.6MeV`

⦿ नाभिकीय संलयन के फलस्वरूप जिस नाभिक का निर्माण होता है उसका द्रव्यमान संलयन में भाग लेने वाले दोनों नाभिकों के सम्मिलित द्रव्यमान से कम होता है। द्रव्यमान में यह कमी ऊर्जा में रूपान्तरित हो जाती है। जिसे अल्बर्ट आइंस्टीन के समीकरण `E=MC^{2}` से ज्ञात करते हैं।

⦿ सर्वप्रथम मार्क ओलिफेंट निरन्तर परिश्रम करके तारों में होने वाली इस प्रक्रिया को 1932 में पृथ्वी पर दोहराने में सफल हुए, परन्तु आज तक कोई भी वैज्ञानिक इसको नियंत्रित नहीं कर सका है। इसको यदि नियंत्रित किया जा सके तो यह ऊर्जा प्राप्ति का एक अति महत्त्वपूर्ण तरीका होगा। पूरे विश्व में नाभिकीय संलयन की क्रिया को नियंत्रित रूप से सम्पन्न करने की दिशा में शोध कार्य हो रहा है।

⦿ सूर्य एवं तारों से प्राप्त ऊर्जा एवं प्रकाश का स्रोत नाभिकीय संलयन ही है।

⦿ नाभिकों को संलयित करने के लिए करीब `8^{10}` केल्विन के उच्च ताप तथा अत्यन्त उच्च दाब की आवश्यकता होती है।

⦿ हाइड्रोजन बम (Hydrogen Bomb): हाइड्रोजन बम का विकास एडवर्ड टेलर ने 1952 ई. में किया। यह नाभिकीय संलयन (fusion) पर आधारित है। यह बम परमाणु बम की अपेक्षा 1,000 गुना अधिक शक्तिशाली होता है।

यह भी देखें
LATEST JOB श्रोत- अमर उजाला अखबार
New Vacancy श्रोत- अमर उजाला अखबार ( आज की नौकरी ) CLICK HERE

पुस्तके ( BOOKS )
भारत का प्राचीन इतिहास CLICK HERE
भारत का मध्यकालीन इतिहास CLICK HERE
भारत का आधुनिक इतिहास CLICK HERE
विश्व इतिहास CLICK HERE
सामान्य ज्ञान CLICK HERE
भारतीय संविधान CLICK HERE
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी CLICK HERE
भारतीय अर्थव्यवस्था CLICK HERE
कंप्यूटर CLICK HERE
खेल कूद CLICK HERE
भूगोल CLICK HERE
भारत का भूगोल CLICK HERE
भौतिक विज्ञान CLICK HERE

⦿ दोस्तों अगर आप लोगो को यह जानकारी अच्छी ,महत्वपूर्ण लगी तो कृपया अपने दोस्तों के साथ जरूर share करे।