प्लवन

नमस्कार दोस्तों Sarkaripen.com में आप लोगो का स्वागत है क्या आप प्लवन की जानकारी पाना चाहते है , आज के समय किसी भी नौकरी की प्रतियोगिता की दृष्टि से यह एक महत्वपूर्ण विषय है तथा Plavan in hindi की जानकारी होना बहुत आवश्यक है इसलिए आज हम Plavan विषय के बारे में बात करेंगे। निचे Flotation की जानकारी निम्नवत है।


⦿ उत्प्लावक बल (Buoyant Force): द्रव का वह गुण जिसके कारण वह वस्तुओं पर ऊपर की ओर एक बल लगाता है, उसे उत्क्षेप या उत्प्लावक बल कहते हैं। यह बल वस्तुओं द्वारा हटाये गये द्रव के गुरुत्व केन्द्र पर कार्य करता है जिसे उत्प्लावन केन्द्र (centre of buoyancy) कहते हैं। इसका अध्ययन सर्वप्रथम आर्कमिडीज ने किया था।

⦿ उत्प्लावक बल द्रव में डूबी पिंड के आयतन एवं द्रव के घनत्व पर निर्भर करता है। पिंड जब द्रव में पूर्णतः डूब जाता है तो उत्प्लावक बल का मान अधिकतम हो जाता है। उत्प्लावक बल का मान ठोस वस्तु की प्रकृति एवं भार पर निर्भर नहीं करता है।

⦿ आर्कमिडीज का सिद्धांत: जब कोई वस्तु किसी द्रव में पूरी अथवा आंशिक रूप से डुबोई जाती है, तो उसके भार में कमी का आभास होता है। भार में यह आभासी कमी वस्तु द्वारा हटाये गये द्रव के भार के बराबर होती है।

प्लवन का नियम

1. संतुलित अवस्था में तैरने पर वस्तु अपने भार के बराबर द्रव विस्थापित करती है।
2. ठोस का गुरुत्व केन्द्र तथा हटाए गये द्रव का गुरुत्व केन्द्र दोनों एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा में होने चाहिए।

घनत्व (Density)

घनत्व = द्रव्यमान / आयतन

⦿ इसका मात्रक किलोग्राम / मी`.^{3}` होता है।

आपेक्षिक घनत्व (Relative Density)

आपेक्षिक घनत्व = वस्तु का घनत्व/ 4°C पर पानी का घनत्व

⦿ आपेक्षिक घनत्व एक अनुपात है। अतः इसका कोई मात्रक नहीं होता है।

⦿ आपेक्षिक घनत्व को हाइड्रोमीटर से मापा जाता है।

⦿ सामान्य जल की अपेक्षा समुद्री जल का घनत्व अधिक होता है, इसलिए उसमें तैरना आसान होता है।

⦿ जब बर्फ समुद्र के पानी में तैरती है, तो उसके आयतन का भाग 1/10 पानी के ऊपर रहता है।

⦿ किसी बर्तन में पानी भरा है और उस पर बर्फ तैर रही है, जब बर्फ पूरी तरह पिघल जायेगी तो पात्र में पानी का तल बढ़ता नहीं है, पहले के समान ही रहता है।

⦿ नमक के घोल का घनत्व अण्डे के घनत्व से अधिक होता है। इसीलिए नमक के घोल में अण्डा तैरता है।

⦿ दूध की शुद्धता दुग्धमापी (lactometer) से मापी जाती है।

⦿ मित केन्द्र ( Meta Centre): तैरती हुई वस्तु द्वारा विस्थापित द्रव के गुरुत्व-केन्द्र को उत्प्लावन-केन्द्र कहते हैं। उत्प्लावन-केन्द्र से जानेवाली ऊर्ध्व रेखा जिस बिन्दु पर वस्तु के गुरुत्व-केन्द्र से जाने वाली प्रारंभिक ऊर्ध्व रेखा को काटती है उसे मित केन्द्र कहते हैं।

तैरने वाली वस्तु के स्थायी संतुलन के लिए शर्तें -

1. मित केन्द्र गुरुत्व-केन्द्र के ऊपर होना चाहिए।
2. वस्तु का गुरुत्व-केन्द्र तथा हटाये गये द्रव का गुरुत्व-केन्द्र अर्थात् उत्प्लावन केन्द्र दोनों को एक ही ऊर्ध्वाधर रेखा में होना चाहिए।

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